Sutra Navigation: Bhagavati ( भगवती सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1004435 | ||
Scripture Name( English ): | Bhagavati | Translated Scripture Name : | भगवती सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
शतक-२५ |
Translated Chapter : |
शतक-२५ |
Section : | उद्देशक-६ निर्ग्रन्थ | Translated Section : | उद्देशक-६ निर्ग्रन्थ |
Sutra Number : | 935 | Category : | Ang-05 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] पुलाया णं भंते! एगसमएणं केवतिया होज्जा? गोयमा! पडिवज्जमाणए पडुच्च सिय अत्थि, सिय नत्थि। जइ अत्थि जहन्नेणं एक्को वा दो वा तिन्नि वा, उक्कोसेणं सयपुहत्तं। पुव्वपडिवण्णए पडुच्च सिय अत्थि, सिय नत्थि। जइ अत्थि जहन्नेणं एक्को वा दो वा तिन्नि वा, उक्कोसेणं सहस्सपुहत्तं। बउसा णं भंते! एगसमएणं–पुच्छा। गोयमा! पडिवज्जमाणए पडुच्च सिय अत्थि, सिय नत्थि। जइ अत्थि जहन्नेणं एक्को वा दो वा तिन्नि वा, उक्कोसेणं सयपुहत्तं पुव्वपडिवण्णए पडुच्च जहन्नेणं कोडिसयपुहत्तं, उक्कोसेण वि कोडिसयपुहत्तं। एवं पडिसेवणाकुसीले वि। कसायकुसीलाणं–पुच्छा। गोयमा! पडिवज्जमाणए पडुच्च सिय अत्थि, सिय नत्थि। जइ अत्थि जहन्नेणं एक्को वा दो वा तिन्नि वा, उक्कोसेणं सहस्सपुहत्तं। पुव्वपडिवण्णए पडुच्च जहन्नेणं कोडिसहस्सपुहत्तं, उक्कोसेण वि कोडिसहस्सपुहत्तं। नियंठाणं–पुच्छा। गोयमा! पडिवज्जमाणए पडुच्च सिय अत्थि, सिय नत्थि। जइ अत्थि जहन्नेणं एक्को वा दो वा तिन्नि वा, उक्कोसेणं बावट्ठं सत्तं–अट्ठसयं खवगाणं, चउप्पन्नं उवसामगाणं। पुव्वपडिवण्णए पडुच्च सिय अत्थि, सिय नत्थि। जइ अत्थि जहन्नेणं एक्को वा दो वा तिन्नि वा, उक्कोसेणं सयपुहत्तं। सिणायाणं–पुच्छा। गोयमा! पडिवज्जमाणए पडुच्च सिय अत्थि, सिय नत्थि। जइ अत्थि जहन्नेणं एक्को वा दो वा तिन्नि वा, उक्कोसेणं अट्ठसत्तं पुव्वपडिवण्णए पडुच्च जहन्नेणं कोडिपुहत्तं, उक्कोसेण वि कोडिपुहत्तं। एएसि णं भंते! पुलाग-बउस-पडिसेवणाकुसील-कसायकुसील-नियंठ-सिणायाण कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा? बहुया वा? तुल्ला वा? विसेसाहिया वा? गोयमा! सव्वत्थोवा नियंठा, पुलागा संखेज्जगुणा, सिणाया संखेज्जगुणा, बउसा संखेज्जगुणा, पडिसेवणाकुसीला संखेज्जगुणा, कसायकुसीला संखेज्जगुणा। सेवं भंते! सेवं भंते! त्ति जाव विहरइ। | ||
Sutra Meaning : | भगवन् ! पुलाक एक समय में कितने होते हैं ? गौतम ! प्रतिपद्यमान पूर्व प्रतिपन्न दोनों अपेक्षा पुलाक कदाचित् होते हैं और कदाचित् नहीं होते। यदि होते हैं तो जघन्य एक, दो या तीन और उत्कृष्ट शतपृथक्त्व होते हैं। पूर्वप्रतिपन्न की अपेक्षा भी पुलाक कदाचित् नहीं होते। यदि होते हैं तो जघन्य एक, दो या तीन और उत्कृष्ट सहस्र पृथक्त्व होते हैं। भगवन् ! बकुश एक समय में कितने होते हैं ? गौतम ! प्रतिपद्यमान की अपेक्षा बकुश कदाचित् होते हैं और कदाचित् नहीं भी होते। यदि होते हैं तो जघन्य एक, दो या तीन और उत्कृष्ट शतपृथक्त्व होते हैं। पूर्वप्रतिपन्न की अपेक्षा बकुश जघन्य और उत्कृष्ट कोटिशतपृथक्त्व होते हैं। इसी प्रकार प्रतिसेवनाकुशील जानना। भगवन् ! कषायकुशील एक समय में कितने होते हैं ? गौतम ! प्रतिपद्यमान की अपेक्षा कषायकुशील कदाचित् होते हैं, कदाचित् नहीं होते। यदि होते हैं तो जघन्य एक, दो या तीन और उत्कृष्ट सहस्रपृथक्त्व होते हैं। पूर्वप्रतिपन्न की अपेक्षा कषायकुशील जघन्य और उत्कृष्ट कोटिसहस्रपृथक्त्व होते हैं। भगवन् ! निर्ग्रन्थ ? गौतम ! प्रतिपद्यमान की अपेक्षा कदाचित् होते हैं और कदाचित् नहीं भी होते। यदि होते हैं तो जघन्य एक, दो या तीन और उत्कृष्ट एक सौ बासठ होते हैं। उनमें से क्षपकश्रेणी वाले १०८ और उपशमश्रेणी वाले ५४, यों दोनों मिलकर १६२ होते हैं। पूर्वप्रतिपन्न की अपेक्षा निर्ग्रन्थ कदाचित् होते हैं और कदाचित् नहीं होते। यदि होते हैं तो जघन्य एक, दो या तीन और उत्कृष्ट शतपृथक्त्व होते हैं। भगवन् ! स्नातक ? गौतम ! प्रतिपद्यमान की अपेक्षा वे कदाचित् होते हैं और कदाचित् नहीं होते। यदि होते हैं तो जघन्य एक, दो या तीन और उत्कृष्ट एक सौ आठ होते हैं। पूर्वप्रतिपन्न की अपेक्षा स्नातक जघन्य और उत्कृष्ट कोटिपृथक्त्व होते हैं। भगवन् ! पुलाक, बकुश, प्रतिसेवनाकुशील, कषायकुशील, निर्ग्रन्थ, स्नातक, इनमें से कौन किससे अल्प, बहुत, तुल्य या विशेषाधिक है ? गौतम ! सबसे थोड़े निर्ग्रन्थ हैं, उनसे पुलाक संख्यात – गुणे, उनसे स्नातक संख्यात – गुणे, उनसे बकुश संख्यात – गुणे, उनसे प्रतिसेवनाकुशील संख्यात – गुणे और उनसे कषायकुशील संख्यात – गुणे हैं। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] pulaya nam bhamte! Egasamaenam kevatiya hojja? Goyama! Padivajjamanae paduchcha siya atthi, siya natthi. Jai atthi jahannenam ekko va do va tinni va, ukkosenam sayapuhattam. Puvvapadivannae paduchcha siya atthi, siya natthi. Jai atthi jahannenam ekko va do va tinni va, ukkosenam sahassapuhattam. Bausa nam bhamte! Egasamaenam–puchchha. Goyama! Padivajjamanae paduchcha siya atthi, siya natthi. Jai atthi jahannenam ekko va do va tinni va, ukkosenam sayapuhattam puvvapadivannae paduchcha jahannenam kodisayapuhattam, ukkosena vi kodisayapuhattam. Evam padisevanakusile vi. Kasayakusilanam–puchchha. Goyama! Padivajjamanae paduchcha siya atthi, siya natthi. Jai atthi jahannenam ekko va do va tinni va, ukkosenam sahassapuhattam. Puvvapadivannae paduchcha jahannenam kodisahassapuhattam, ukkosena vi kodisahassapuhattam. Niyamthanam–puchchha. Goyama! Padivajjamanae paduchcha siya atthi, siya natthi. Jai atthi jahannenam ekko va do va tinni va, ukkosenam bavattham sattam–atthasayam khavaganam, chauppannam uvasamaganam. Puvvapadivannae paduchcha siya atthi, siya natthi. Jai atthi jahannenam ekko va do va tinni va, ukkosenam sayapuhattam. Sinayanam–puchchha. Goyama! Padivajjamanae paduchcha siya atthi, siya natthi. Jai atthi jahannenam ekko va do va tinni va, ukkosenam atthasattam puvvapadivannae paduchcha jahannenam kodipuhattam, ukkosena vi kodipuhattam. Eesi nam bhamte! Pulaga-bausa-padisevanakusila-kasayakusila-niyamtha-sinayana kayare kayarehimto appa va? Bahuya va? Tulla va? Visesahiya va? Goyama! Savvatthova niyamtha, pulaga samkhejjaguna, sinaya samkhejjaguna, bausa samkhejjaguna, padisevanakusila samkhejjaguna, kasayakusila samkhejjaguna. Sevam bhamte! Sevam bhamte! Tti java viharai. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Bhagavan ! Pulaka eka samaya mem kitane hote haim\? Gautama ! Pratipadyamana purva pratipanna donom apeksha pulaka kadachit hote haim aura kadachit nahim hote. Yadi hote haim to jaghanya eka, do ya tina aura utkrishta shataprithaktva hote haim. Purvapratipanna ki apeksha bhi pulaka kadachit nahim hote. Yadi hote haim to jaghanya eka, do ya tina aura utkrishta sahasra prithaktva hote haim. Bhagavan ! Bakusha eka samaya mem kitane hote haim\? Gautama ! Pratipadyamana ki apeksha bakusha kadachit hote haim aura kadachit nahim bhi hote. Yadi hote haim to jaghanya eka, do ya tina aura utkrishta shataprithaktva hote haim. Purvapratipanna ki apeksha bakusha jaghanya aura utkrishta kotishataprithaktva hote haim. Isi prakara pratisevanakushila janana. Bhagavan ! Kashayakushila eka samaya mem kitane hote haim\? Gautama ! Pratipadyamana ki apeksha kashayakushila kadachit hote haim, kadachit nahim hote. Yadi hote haim to jaghanya eka, do ya tina aura utkrishta sahasraprithaktva hote haim. Purvapratipanna ki apeksha kashayakushila jaghanya aura utkrishta kotisahasraprithaktva hote haim. Bhagavan ! Nirgrantha\? Gautama ! Pratipadyamana ki apeksha kadachit hote haim aura kadachit nahim bhi hote. Yadi hote haim to jaghanya eka, do ya tina aura utkrishta eka sau basatha hote haim. Unamem se kshapakashreni vale 108 aura upashamashreni vale 54, yom donom milakara 162 hote haim. Purvapratipanna ki apeksha nirgrantha kadachit hote haim aura kadachit nahim hote. Yadi hote haim to jaghanya eka, do ya tina aura utkrishta shataprithaktva hote haim. Bhagavan ! Snataka\? Gautama ! Pratipadyamana ki apeksha ve kadachit hote haim aura kadachit nahim hote. Yadi hote haim to jaghanya eka, do ya tina aura utkrishta eka sau atha hote haim. Purvapratipanna ki apeksha snataka jaghanya aura utkrishta kotiprithaktva hote haim. Bhagavan ! Pulaka, bakusha, pratisevanakushila, kashayakushila, nirgrantha, snataka, inamem se kauna kisase alpa, bahuta, tulya ya visheshadhika hai\? Gautama ! Sabase thore nirgrantha haim, unase pulaka samkhyata – gune, unase snataka samkhyata – gune, unase bakusha samkhyata – gune, unase pratisevanakushila samkhyata – gune aura unase kashayakushila samkhyata – gune haim. |