Sutra Navigation: Bhagavati ( भगवती सूत्र )

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Sr No : 1004372
Scripture Name( English ): Bhagavati Translated Scripture Name : भगवती सूत्र
Mool Language : Ardha-Magadhi Translated Language : Hindi
Chapter :

शतक-२५

Translated Chapter :

शतक-२५

Section : उद्देशक-३ संस्थान Translated Section : उद्देशक-३ संस्थान
Sutra Number : 872 Category : Ang-05
Gatha or Sutra : Sutra Sutra Anuyog :
Author : Deepratnasagar Original Author : Gandhar
 
Century : Sect : Svetambara1
Source :
 
Mool Sutra : [सूत्र] वट्टे णं भंते! संठाणे कतिपदेसिए कतिपदेसोगाढे पन्नत्ते? गोयमा! वट्टे संठाणे दुविहे पन्नत्ते, तं जहा–घटवट्टे य, पत्तरवट्टे य। तत्थ णं जे से पत्तरवट्टे से दुविहे पन्नत्ते, तं जहा–ओयपदेसिए य, जुम्मपदेसिए य। तत्थ णं जे से ओयपदेसिए से जहन्नेणं पंचपदेसिए पंचपदेसोगाढे, उक्कोसेणं अनंतपदेसिए असंखेज्ज-पदेसोगाढे। तत्थ णं जे से जुम्मपदेसिए से जहन्नेणं बारसपदेसिए बारसपदेसोगाढे, उक्कोसेणं अनंतपदेसिए असंखेज्जपदेसोगाढे। तत्थ णं जे से घणवट्टे से दुविहे पन्नत्ते, तं जहा–ओयपदेसिए य, जुम्मपदेसिए य। तत्थ णं जे से ओयपदेसिए से जहन्नेणं सत्तपदेसिए सत्तपदेसोगाढे पन्नत्ते, उक्कोसेणं अनंतपदेसिए असंखेज्ज-पदेसोगाढे पन्नत्ते। तत्थ णं जे से जुम्मपदेसिए से जहन्नेणं बत्तीसपदेसिए बत्तीसपदेससोगाढे पन्नत्ते, उक्कोसेणं अनंतपदेसिए असंखेज्जपदेसोगाढे पन्नत्ते। तंसे णं भंते! संठाणे कतिपदेसिए कतिपदेसोगाढे पन्नत्ते? गोयमा! तंसे णं संठाणे दुविहे पन्नत्ते, तं जहा–धणतंसे य, पतरतंसे य। तत्थ णं जे से पतरतंसे से दुविहे पन्नत्ते, तं जहा–ओयपदेसिए य, जुम्मपदेसिए य। तत्थ णं जे से ओयपदेसिए से जहन्नेणं तिपदेसिए तिपदेसोगाढे पन्नत्ते, उक्कोसेणं अनंतपदेसिए असंखेज्ज-पदेसोगाढे पन्नत्ते। तत्थ णं जे से जुम्मपदेसिए से जहन्नेणं छप्पदेसिए छप्पदेसोगाढे पन्नत्ते, उक्कोसेणं अनंतपदेसिए असंखेज्जपदेसोगाढे पन्नत्ते। तत्थ णं जे से घणतंसे से दुविहे पन्नत्ते, तं जहा–ओयपदेसिए य, जुम्मपदेसिए य। तत्थ णं जे से ओयपदेसिए से जहन्नेणं पणतीसपदेसिए पणतीसपदेसोगाढे, उक्कोसेणं अनंतपदेसिए असंखेज्ज-पदेसोगाढे। तत्थ णं जे से जुम्मपदेसिए से जहन्नेणं चउ-प्पदेसिए चउप्पदेसोगाढे पन्नत्ते, उक्कोसेणं अनंतपदेसिए असंखेज्जपदेसोगाढे। चउरंसे णं भंते! संठाणे कतिपदेसिए–पुच्छा। गोयमा! चउरंसे संठाणे दुविहे पन्नत्ते, तं जहा–घणचउरंसे य, पत्तरचउरंसे य। तत्थ णं जे से पत्तरचउरंसे से दुविहे पन्नत्ते, तं जहा–ओयपदेसिए य, जुम्मपदेसिए य। तत्थ णं जे से ओयपदेसिए से जहन्नेणं नवपदेसिए नवपदेसोगाढे पन्नत्ते, उक्कोसेणं अनंतपदेसिए असंखेज्ज-पदेसोगाढे पन्नत्ते। तत्थ णं जे से जुम्मपदेसिए से जहन्नेणं चउपदेसिए चउपदेसोगाढे पन्नत्ते, उक्कोसेणं अनंतपदेसिए असंखेज्जपदेसोगाढे। तत्थ णं जे से घनचउरंसे से दुविहे पन्नत्ते, तं जहा–ओयपदेसिए य, जुम्मपदेसिए य। तत्थ णं जे से ओयपदेसिए से जहन्नेणं सत्तावीसइपदेसिए सत्तावीसइपदेसोगाढे, उक्कोसेणं अनंतपदेसिए असंखेज्जपदेसोगाढे। तत्थ णं जे से जुम्मपदेसिए से जहन्नेणं अट्ठपदेसिए अट्ठपदेसोगाढे पन्नत्ते, उक्कोसेणं अनंतपदेसिए असंखेज्जपदेसोगाढे। आयते णं भंते! संठाणे कतिपदेसिए कतिपदेसोगाढे पन्नत्ते? गोयमा! आयते णं संठाणे तिविहे पन्नत्ते, तं जहा–सेढिआयते, पतरायते, घणायते। तत्थ णं जे से सेढिआयते से दुविहे पन्नत्ते, तं जहा–ओयपदेसिए य, जुम्मपदेसिए य। तत्थ णं जे से ओयपदेसिए से जहन्नेणं तिपदेसिए तिपदेसोगाढे, उक्कोसेणं अनंतपदेसिए असंखेज्ज-पदेसोगाढे। तत्थ णं जे से जुम्मपदेसिए से जहन्नेणं दुपदेसिए दुपदेसोगाढे, उक्कोसेणं अनंतपदेसिए असंखेज्जपदेसोगाढे। तत्थ णं जे से पतरायते से दुविहे पन्नत्ते, तं जहा–ओयपदेसिए य जुम्मपदसिए य। तत्थ णं जे से ओयपदेसिए से जहन्नेणं पन्नरसपदेसिए पन्नरसपदेसोगाढे, उक्कोसेणं अनंतपदेसिए असंखेज्ज-पदेसोगाढे। तत्थ णं जे से जुम्मपदेसिए से जहन्नेणं छप्पदेसिए छप्पदेसोगाढे, उक्कोसेणं अनंत-पदेसिए असंखेज्जपदेसोगाढे। तत्थ णं जे से घणायाते से दुविहे पन्नत्ते, तं जहा–ओयपदेसिए य, जुम्मपदेसिए य। तत्थ णं जे से ओयपदेसिए से जह-ण्णेणं पणयालीसपदेसिए पणयालीसपदेसोगाढे, उक्कोसेणं अनंतपदेसिए असंखेज्जपदेसोगाढे। तत्थ णं जे से जुम्मपदेसिए से जहन्नेणं बारसपदेसिए बारसपदेसोगाढे, उक्कोसेणं अनंतपदेसिए असंखेज्जपदेसोगाढे।
Sutra Meaning : भगवन्‌ ! त्रयस्त्रसंस्थान कितने प्रदेश वाला और कितने आकाशप्रदेशों में अवगाढ़ कहा गया है ? गौतम ! त्रयस्रसंस्थान दो प्रकार का – घनत्र्यस्र और प्रतरत्र्यस्र। उनमें से जो प्रतरत्र्यस्र है, वह दो प्रकार – ओज – प्रदेशिक और युग्म – प्रदेशिक। ओज – प्रदेशिक जघन्य तीन प्रदेश वाला और तीन आकाशप्रदेशों में तथा उत्कृष्ट अनन्त प्रदेशों वाला और असंख्यात आकाशप्रदेशों में अवगाढ़ होता है। उनमें से जो घनत्र्यस्र है, वह दो प्रकार का – ओज – प्रदेशिक और युग्म – प्रदेशिक। ओज – प्रदेशिक घनत्र्यस्र जघन्य पैंतीस प्रदेशों वाला और पैंतीस आकाशप्रदेशों में तथा उत्कृष्ट अनन्त प्रदेशिक और असंख्यात आकाशप्रदेशों में अवगाढ़ होता है। युग्म – प्रदेशिक घनत्र्यस्र जघन्य चार प्रदेशों वाला और चार आकाशप्रदेशों में तथा उत्कृष्ट अनन्त – प्रदेशिक और असंख्यात आकाशप्रदेशों में अवगाढ़ होता है। भगवन्‌ ! चतुरस्रसंस्थान कितने प्रदेश वाला, कितने प्रदेशों में अवगाढ़ होता है ? गौतम ! चतुरस्रसंस्थान दो प्रकार का – घन – चतुरस्र और प्रतरचतुरस्र, इत्यादि, वृत्तसंस्थान के समान, उसमें से प्रतर – चतुरस्र के दो भेद – ओज – प्रदेशिक और युग्मप्रदेशिक कहना। यावत्‌ ओज – प्रदेशिक प्रतर – चतुरस्र जघन्य नौ प्रदेश वाला और नौ आकाशप्रदेशों में तथा उत्कृष्ट अनन्त – प्रदेशिक और असंख्येय आकाशप्रदेशों में अवगाढ़ होता है। युग्म – प्रदेशिक प्रतरचतुरस्र जघन्य चार प्रदेश वाला और चार आकाशप्रदेशों में तथा उत्कृष्ट अनन्त – प्रदेशिक और असंख्येय प्रदेशों में अवगाढ़ होता है। घन – चतुरस्र दो प्रकार का – ओज – प्रदेशिक और युग्म – प्रदेशिक। ओज – प्रदेशिक घन – चतुरस्र जघन्य सत्ताईस प्रदेशों वाला और सत्ताईस आकाशप्रदेशों में तथा उत्कृष्ट अनन्त – प्रदेशिक और असंख्येय आकाश – प्रदेशों में अवगाढ़ होता है। युग्म – प्रदेशिक घन – चतुरस्र जघन्य आठ प्रदेशों वाला और आठ आकाशप्रदेशों में तथा उत्कृष्ट अनन्त – प्रदेशिक और असंख्येय आकाश प्रदेशों में अवगाढ़ होता है। भगवन्‌ ! आयतसंस्थान कितने प्रदेश वाला और कितने आकाशप्रदेशों में अवगाढ़ होता है ? गौतम ! आयतसंस्थान तीन प्रकार का – श्रेणी – आयत, प्रतर – आयत और घन – आयत। श्रेणी – आयत दो प्रकार का – ओज – प्रदेशिक और युग्म – प्रदेशिक। ओज – प्रदेशिक वह जघन्य तीन प्रदेशों वाला और तीन आकाशप्रदेशों में तथा उत्कृष्ट अनन्त – प्रदेशिक और असंख्यात आकाशप्रदेशों में अवगाढ़ होता है। युग्म – प्रदेशिक जघन्य दो प्रदेश वाला और दो आकाशप्रदेशों में तथा उत्कृष्ट अनन्तप्रदेशिक और असंख्यात – प्रदेशावगाढ़ होता है। प्रतर – आयत दो प्रकार का – ओज – प्रदेशिक और युग्म – प्रदेशिक। ओज – प्रदेशिक, जघन्य पन्द्रह आकाश – प्रदेशों में तथा उत्कृष्ट अनन्त – प्रदेशिक और असंख्येय आकाशप्रदेशों में अवगाढ़ होता है। जो युग्म – प्रदेशिक है, वह जघन्य छह प्रदेश वाला और छह आकाशप्रदेशों में उत्कृष्ट अनन्त प्रदेशिक और असंख्येय आकाश – प्रदेशों में अवगाढ़ होता है। घन – आयत है, दो प्रकार का – ओज – प्रदेशिक और युग्मप्रदेशिक। जो ओज – प्रदेशिक है, वह जघन्य पैंतालीस प्रदेशों वाला और पैंतालीस आकाशप्रदेशों में उत्कृष्ट अनन्त – प्रदेशिक और असंख्येय आकाशप्रदेशों में अवगाढ़ होता है। युग्म – प्रदेशिक जघन्य बारह प्रदेशों वाला और बारह आकाशप्रदेशों में तथा उत्कृष्ट अनन्त प्रदेशिक और असंख्येय प्रदेशों में अवगाढ़ होता है
Mool Sutra Transliteration : [sutra] vatte nam bhamte! Samthane katipadesie katipadesogadhe pannatte? Goyama! Vatte samthane duvihe pannatte, tam jaha–ghatavatte ya, pattaravatte ya. Tattha nam je se pattaravatte se duvihe pannatte, tam jaha–oyapadesie ya, jummapadesie ya. Tattha nam je se oyapadesie se jahannenam pamchapadesie pamchapadesogadhe, ukkosenam anamtapadesie asamkhejja-padesogadhe. Tattha nam je se jummapadesie se jahannenam barasapadesie barasapadesogadhe, ukkosenam anamtapadesie asamkhejjapadesogadhe. Tattha nam je se ghanavatte se duvihe pannatte, tam jaha–oyapadesie ya, jummapadesie ya. Tattha nam je se oyapadesie se jahannenam sattapadesie sattapadesogadhe pannatte, ukkosenam anamtapadesie asamkhejja-padesogadhe pannatte. Tattha nam je se jummapadesie se jahannenam battisapadesie battisapadesasogadhe pannatte, ukkosenam anamtapadesie asamkhejjapadesogadhe pannatte. Tamse nam bhamte! Samthane katipadesie katipadesogadhe pannatte? Goyama! Tamse nam samthane duvihe pannatte, tam jaha–dhanatamse ya, pataratamse ya. Tattha nam je se pataratamse se duvihe pannatte, tam jaha–oyapadesie ya, jummapadesie ya. Tattha nam je se oyapadesie se jahannenam tipadesie tipadesogadhe pannatte, ukkosenam anamtapadesie asamkhejja-padesogadhe pannatte. Tattha nam je se jummapadesie se jahannenam chhappadesie chhappadesogadhe pannatte, ukkosenam anamtapadesie asamkhejjapadesogadhe pannatte. Tattha nam je se ghanatamse se duvihe pannatte, tam jaha–oyapadesie ya, jummapadesie ya. Tattha nam je se oyapadesie se jahannenam panatisapadesie panatisapadesogadhe, ukkosenam anamtapadesie asamkhejja-padesogadhe. Tattha nam je se jummapadesie se jahannenam chau-ppadesie chauppadesogadhe pannatte, ukkosenam anamtapadesie asamkhejjapadesogadhe. Chauramse nam bhamte! Samthane katipadesie–puchchha. Goyama! Chauramse samthane duvihe pannatte, tam jaha–ghanachauramse ya, pattarachauramse ya. Tattha nam je se pattarachauramse se duvihe pannatte, tam jaha–oyapadesie ya, jummapadesie ya. Tattha nam je se oyapadesie se jahannenam navapadesie navapadesogadhe pannatte, ukkosenam anamtapadesie asamkhejja-padesogadhe pannatte. Tattha nam je se jummapadesie se jahannenam chaupadesie chaupadesogadhe pannatte, ukkosenam anamtapadesie asamkhejjapadesogadhe. Tattha nam je se ghanachauramse se duvihe pannatte, tam jaha–oyapadesie ya, jummapadesie ya. Tattha nam je se oyapadesie se jahannenam sattavisaipadesie sattavisaipadesogadhe, ukkosenam anamtapadesie asamkhejjapadesogadhe. Tattha nam je se jummapadesie se jahannenam atthapadesie atthapadesogadhe pannatte, ukkosenam anamtapadesie asamkhejjapadesogadhe. Ayate nam bhamte! Samthane katipadesie katipadesogadhe pannatte? Goyama! Ayate nam samthane tivihe pannatte, tam jaha–sedhiayate, patarayate, ghanayate. Tattha nam je se sedhiayate se duvihe pannatte, tam jaha–oyapadesie ya, jummapadesie ya. Tattha nam je se oyapadesie se jahannenam tipadesie tipadesogadhe, ukkosenam anamtapadesie asamkhejja-padesogadhe. Tattha nam je se jummapadesie se jahannenam dupadesie dupadesogadhe, ukkosenam anamtapadesie asamkhejjapadesogadhe. Tattha nam je se patarayate se duvihe pannatte, tam jaha–oyapadesie ya jummapadasie ya. Tattha nam je se oyapadesie se jahannenam pannarasapadesie pannarasapadesogadhe, ukkosenam anamtapadesie asamkhejja-padesogadhe. Tattha nam je se jummapadesie se jahannenam chhappadesie chhappadesogadhe, ukkosenam anamta-padesie asamkhejjapadesogadhe. Tattha nam je se ghanayate se duvihe pannatte, tam jaha–oyapadesie ya, jummapadesie ya. Tattha nam je se oyapadesie se jaha-nnenam panayalisapadesie panayalisapadesogadhe, ukkosenam anamtapadesie asamkhejjapadesogadhe. Tattha nam je se jummapadesie se jahannenam barasapadesie barasapadesogadhe, ukkosenam anamtapadesie asamkhejjapadesogadhe.
Sutra Meaning Transliteration : Bhagavan ! Trayastrasamsthana kitane pradesha vala aura kitane akashapradeshom mem avagarha kaha gaya hai\? Gautama ! Trayasrasamsthana do prakara ka – ghanatryasra aura prataratryasra. Unamem se jo prataratryasra hai, vaha do prakara – oja – pradeshika aura yugma – pradeshika. Oja – pradeshika jaghanya tina pradesha vala aura tina akashapradeshom mem tatha utkrishta ananta pradeshom vala aura asamkhyata akashapradeshom mem avagarha hota hai. Unamem se jo ghanatryasra hai, vaha do prakara ka – oja – pradeshika aura yugma – pradeshika. Oja – pradeshika ghanatryasra jaghanya paimtisa pradeshom vala aura paimtisa akashapradeshom mem tatha utkrishta ananta pradeshika aura asamkhyata akashapradeshom mem avagarha hota hai. Yugma – pradeshika ghanatryasra jaghanya chara pradeshom vala aura chara akashapradeshom mem tatha utkrishta ananta – pradeshika aura asamkhyata akashapradeshom mem avagarha hota hai. Bhagavan ! Chaturasrasamsthana kitane pradesha vala, kitane pradeshom mem avagarha hota hai\? Gautama ! Chaturasrasamsthana do prakara ka – ghana – chaturasra aura pratarachaturasra, ityadi, vrittasamsthana ke samana, usamem se pratara – chaturasra ke do bheda – oja – pradeshika aura yugmapradeshika kahana. Yavat oja – pradeshika pratara – chaturasra jaghanya nau pradesha vala aura nau akashapradeshom mem tatha utkrishta ananta – pradeshika aura asamkhyeya akashapradeshom mem avagarha hota hai. Yugma – pradeshika pratarachaturasra jaghanya chara pradesha vala aura chara akashapradeshom mem tatha utkrishta ananta – pradeshika aura asamkhyeya pradeshom mem avagarha hota hai. Ghana – chaturasra do prakara ka – oja – pradeshika aura yugma – pradeshika. Oja – pradeshika ghana – chaturasra jaghanya sattaisa pradeshom vala aura sattaisa akashapradeshom mem tatha utkrishta ananta – pradeshika aura asamkhyeya akasha – pradeshom mem avagarha hota hai. Yugma – pradeshika ghana – chaturasra jaghanya atha pradeshom vala aura atha akashapradeshom mem tatha utkrishta ananta – pradeshika aura asamkhyeya akasha pradeshom mem avagarha hota hai. Bhagavan ! Ayatasamsthana kitane pradesha vala aura kitane akashapradeshom mem avagarha hota hai\? Gautama ! Ayatasamsthana tina prakara ka – shreni – ayata, pratara – ayata aura ghana – ayata. Shreni – ayata do prakara ka – oja – pradeshika aura yugma – pradeshika. Oja – pradeshika vaha jaghanya tina pradeshom vala aura tina akashapradeshom mem tatha utkrishta ananta – pradeshika aura asamkhyata akashapradeshom mem avagarha hota hai. Yugma – pradeshika jaghanya do pradesha vala aura do akashapradeshom mem tatha utkrishta anantapradeshika aura asamkhyata – pradeshavagarha hota hai. Pratara – ayata do prakara ka – oja – pradeshika aura yugma – pradeshika. Oja – pradeshika, jaghanya pandraha akasha – pradeshom mem tatha utkrishta ananta – pradeshika aura asamkhyeya akashapradeshom mem avagarha hota hai. Jo yugma – pradeshika hai, vaha jaghanya chhaha pradesha vala aura chhaha akashapradeshom mem utkrishta ananta pradeshika aura asamkhyeya akasha – pradeshom mem avagarha hota hai. Ghana – ayata hai, do prakara ka – oja – pradeshika aura yugmapradeshika. Jo oja – pradeshika hai, vaha jaghanya paimtalisa pradeshom vala aura paimtalisa akashapradeshom mem utkrishta ananta – pradeshika aura asamkhyeya akashapradeshom mem avagarha hota hai. Yugma – pradeshika jaghanya baraha pradeshom vala aura baraha akashapradeshom mem tatha utkrishta ananta pradeshika aura asamkhyeya pradeshom mem avagarha hota hai