Sutra Navigation: Bhagavati ( भगवती सूत्र )
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Sr No : | 1003989 | ||
Scripture Name( English ): | Bhagavati | Translated Scripture Name : | भगवती सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
शतक-१० |
Translated Chapter : |
शतक-१० |
Section : | उद्देशक-५ देव | Translated Section : | उद्देशक-५ देव |
Sutra Number : | 489 | Category : | Ang-05 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] चमरस्स णं भंते! असुरिंदस्स असुरकुमाररन्नो सोमस्स महारन्नो कति अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ? अज्जो! चत्तारि अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ, तं जहा–कनगा, कनगलता, चित्तगुत्ता, वसुंधरा। तत्थ णं एगमेगाए देवीए एगमेगं देवीसहस्सं परिवारे पन्नत्ते। पभू णं ताओ एगामेगा देवी अन्नं एगमेगं देवीसहस्सं परियारं विउव्वित्तए? एवामेव सपुव्वावरेणं चत्तारि देवीसहस्सा। सेत्तं तुडिए। पभू णं भंते! चमरस्स असुरिंदस्स असुरकुमाररन्नो सोमे महाराया सोमाए रायहानीए, सभाए सुहम्माए, सोमंसि सीहासणंसि तुडिएणं सद्धिं दिव्वाइं भोगभोगाइं भुंजमाणे विहरित्तए? अवसेसं जहा चमरस्स, नवरं–परियारो जहा सूरियाभस्स। सेसं तं चेव जाव नो चेव णं मेहुणवत्तियं। चमरस्स णं भंते! असुरिंदस्स असुरकुमार रन्नो जमस्स महारन्नो कति अग्गमहिसीओ? एवं चेव, नवरं–जमाए रायहानीए, सेसं जहा सोमस्स। एवं वरुणस्स वि, नवरं–वरुणाए रायहानीए। एवं वेसमणस्स वि, नवरं–वेसमणाए रायहानीए। सेसं तं चेव जाव नो चेव णं मेहुणवत्तियं। बलिस्स णं भंते! वइरोयणिंदस्स–पुच्छा। अज्जो! पंच अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ, तं जहा–सुंभा, निसुंभा, रंभा, निरंभा, मदणा। तत्थ णं एगमेगाए देवीए अट्ठट्ठ देवी सहस्सं परिवारो, सेसं जहा चमरस्स, नवरं–बलिचंचाए रायहानीए, परियारो जहा मोउद्देसए। सेसं तं चेव जाव नो चेव णं मेहुण-वत्तियं। बलिस्स णं भंते! वइरोयणिंदस्स वइरोयणरन्नो सोमस्स महारन्नो कति अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ? अज्जो! चत्तारि अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ, तं जहा–मीणगा, सुभद्दा, विज्जुया, असणी। तत्थ णं एगमेगाए देवीए एगमेगं देवीसहस्सं परिवारो, सेसं जहा चमरसोमस्स एवं जाव वरुणस्स। धरणस्स णं भंते! नागकुमारिंदस्स नागकुमाररन्नो कति अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ? अज्जो! छ अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ, तं जहा–अला, सक्का, सतेरा, सोदामिणी, इंदा, घनविज्जुया। तत्थ णं एगमेगाए देवीए छ-छ देवीसहस्सं परिवारो पन्नत्तो। पभू णं ताओ एगमेगा देवी अन्नाइं छ-छ देविसहस्साइं परियारं विउव्वित्तए? एवामेव सपुव्वावरेणं छत्तीसाइं देविसहस्साइं। सेत्तं तुडिए। पभू णं भंते! धरणे? सेसं तं चेव, नवरं–धरणाए रायहानीए, धरणंसि सीहासणंसि, सओ परियारो। सेसं तं चेव। धरणस्स णं भंते! नागकुमारिंदस्स नागकुमाररन्नो कालवालस्स महारन्नो कति अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ? अज्जो चत्तारि अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ तं जहा–असोगा, विमला, सुप्पभा, सुदंसणा। तत्थ णं एगमेगाए देवीए एगमेगं देवीसहस्सं परिवारो, अवसेसं जहा चमरलोगपालाणं। एवं सेसाणं तिण्ह वि। भूयानंदस्स भंते! –पुच्छा। अज्जो! छ अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ, तं जहा–रूया, रूयंसा, सुरूया, रूपगावती, रूयकंता, रूयप्पभा। तत्थ णं एगमेगाए देवीए एगमेगं देवीसहस्सं परिवारे, अवसेसं जहा धरणस्स। भूयानंदस्स णं भंते! नागकुमारिंदस्स नागकुमाररन्नो नागचित्तस्स–पुच्छा। अज्जो! चत्तारि अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ, तं जहा–सुनंदा, सुभद्दा, सुजाया, सुमणा। तत्थ णं एगमेगाए देवीए एगमेगं देवीसहस्सं परिवारे, अवसेसं जहा चमरलोगपालाणं। एवं सेसाणं तिण्ह वि लोगपालाणं। जे दाहिणिल्ला इंदा तेसिं जहा धरणिंदस्स, लोगपालाण वि तेसिं जहा धरणस्स लोगपालाणं। उत्तरिल्लाणं इंदाणं जहा भूयानंदस्स, लोगपालाण वि तेसिं जहा भूयानंदस्स लोगपालाणं, नवरं–इंदाणं सव्वेसिं रायहानीओ सीहासनानि य सरिसनामगाणि, परियारो जहा मोउद्देसए। लोगपालाणं सव्वेसिं रायहानीओ सीहासनानि य सरिसणामगाणि, परियारो जहा चमरस्स लोगपालाणं। कालस्स णं भंते! पिसायिंदस्स पिसायरन्नो कति अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ? अज्जो! चत्तारि अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ, तं जहा–कमला, कमलप्पभा, उप्पला, सुदंसणा। तत्थ णं एगमेगाए देवीए एगमेगं देवीसहस्सं परिवारो, सेसं जहा चमरलोगपालाणं। परिवारो तहेव, नवरं–कालाए रायहानीए, कालंसि सीहासनंसि, सेसं तं चेव। एवं महाकालस्स वि। सुरूवस्स णं भंते! भूतिंदस्स भूतरन्नो–पुच्छा। अज्जो! चत्तारि अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ, तं जहा–रूववई, बहुरूवा, सुरूवा, सुभगा। तत्थ णं एगमेगाए देवीए एगमेगं देवीसहस्सं परिवारे, सेसं जहा कालस्स। एवं पडिरूवस्स वि। पुण्णभद्दस्स णं भंते! जक्खिंदस्स–पुच्छा। अज्जो! चत्तारि अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ, तं जहा–पुण्णा, बहुपुत्तिया, उत्तमा, तारया। तत्थ णं एगमेगाए देवीए एगमेगं देवीसहस्सं परिवारे, सेसं जहा कालस्स। एवं माणिभद्दस्स वि। भीमस्स णं भंते! रक्खसिंदस्स–पुच्छा। अज्जो! चत्तारि अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ, तं जहा–पउमा, वसुमती, कणगा, रयणप्पभा। तत्थ णं एगमेगाए देवीए एगमेगं देवीसहस्सं परिवारे, सेसं जहा कालस्स। एवं महाभीमस्स वि। किन्नरस्स णं–पुच्छा। अज्जो! चत्तारि अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ, तं जहा–वडेंसा, केतुमती, रतिसेणा, रइप्पिया। तत्थ णं एगमेगाए देवीए एगमेगं देवीसहस्सं परिवारे, सेसं तं चेव। एवं किंपुरिसस्स वि। सप्पुरिसस्स णं–पुच्छा। अज्जो! चत्तारि अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ, तं जहा–रोहिणी, नवमिया, हिरी, पुप्फवती। तत्थ णं एगमेगाए देवीए एगमेगं देवीसहस्सं परिवारे, सेसं तं चेव। एवं महापुरिसस्स वि। अतिकायस्स णं–पुच्छा। अज्जो! चत्तारि अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ, तं जहा–भुयगा, भुयगवती, महाकच्छा, फुडा। तत्थ णं एगमेगाए देवीए एगमेगं देवीसहस्सं परिवारे, सेसं तं चेव। एवं महाकायस्स वि। गीयरइस्स णं–पुच्छा। अज्जो! चत्तारि अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ, तं जहा–सुघोसा, विमला, सुस्सरा, सरस्सई। तत्थ णं एगमेगाए देवीए एगमेगं देवीसहस्सं परिवारे, सेसं तं चेव। एवं गीयजसस्स वि। सव्वेसिं एएसिं जहा कालस्स, नवरं–सरिसनामियाओ रायहानीओ सीहा-सणाणि य, सेसं तं चेव। चंदस्स णं भंते! जोइसिंदस्स जोइसरन्नो–पुच्छा। अज्जो! चत्तारि अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ, तं जहा–चंदप्पभा, दोसिणाभा, अच्चिमाली, पभंकरा। एवं जहा जीवाभिगमे जोइसियउद्देसए तहेव सूरस्स वि सूरप्पभा, आयवा, अच्चिमाली, पभंकरा। सेसं तं चेव जाव नो चेव णं मेहुणवत्तियं। इंगालस्स णं भंते! महग्गहस्स कति अग्गमहिसीओ–पुच्छा। अज्जो! चत्तारि अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ, तं जहा–विजया, वेजयंती, जयंती, अपराजिया। तत्थ णं एगमेगाए देवीए एग-मेगं देवीसहस्सं परिवारे, सेसं जहा चंदस्स, नवरं–इंगालवडेंसए विमाने, इंगालगंसि सीहासणंसि, सेसं तं चेव। एवं वियालगस्स वि। एवं अट्ठासीतिए वि महग्गहाणं भाणियव्वं जाव भावकेउस्स, नवरं–वडेंसगा सीहासनानि य सरिसनामगाणि, सेसं तं चेव। सक्कस्स णं भंते! देविंदस्स देवरन्नो–पुच्छा। अज्जो! अट्ठ अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ, तं जहा–पउमा, सिवा, सची, अंजू, अमला, अच्छरा, नवमिया, रोहिणी। तत्थ णं एगमेगाए देवीए सोलस-सोलस देवीसहस्सा परिवारो पन्नत्तो। पभू णं ताओ एगमेगा देवी अन्नाइं सोलस-सोलस देवीसहस्साइं परिवारं विउव्वित्तए? एवामेव सपुव्वावरेणं अट्ठावीसुत्तरं देवीसयसहस्सं। सेत्तु तुडिए। पभू णं भंते! सक्के देविंदे देवराया सोहम्मे कप्पे, सोहम्मवडेंसए विमाने, सभाए सुहम्माए, सक्कंसि सीहासणंसि तुडिएणं सद्धिं दिव्वाइं भोगभोगाइं भुंजमाणे विहरित्तए। सेसं जहा चमरस्स, नवरं–परियारो जहा मोउद्देसए। सक्कस्स णं देविंदस्स देवरन्नो सोमस्स महारन्नो कति अग्गमहिसीओ–पुच्छा। अज्जो! चत्तारि अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ, तं जहा–रोहिणी, मदणा, चित्ता, सोमा। तत्थ णं एगमेगाए देवीए एगमेगं देवी-सहस्सं परिवारे, सेसं जहा चमरलोगपालाणं, नवरं–सयंपभे विमाने, सभाए सुहम्माए, सोमंसि सीहासणंसि, सेसं तं चेव। एवं जाव वेसमणस्स, नवरं–विमानाइं जहा ततियसए। ईसानस्स णं भंते! –पुच्छा। अज्जो! अट्ठ अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ, तं जहा–कण्हा, कण्हराई, रामा, रामरक्खिया, वसू, वसुगुत्ता, वसुमित्ता, वसुंधरा। तत्थ णं एगमेगाए देवीए एगमेगं देवीसहस्सं परिवारे, सेसं जहा सक्कस्स। ईसानस्स णं भंते! देविंदस्स देवरन्नो सोमस्स महारन्नो कति अग्गमहिसीओ–पुच्छा। अज्जो! चत्तारि अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ, तं जहा–पुहवी, राई, रयणी, विज्जू। तत्थ णं एगमेगाए देवीए एगमेगं देवीसहस्सं परिवारे, सेसं जहा सक्कस्स लोगपालाणं, एवं जाव वरुणस्स, नवरं–विमाना जहा चउत्थसए, सेसं तं चेव जाव नो चेव णं मेहुणवत्तियं। सेवं भंते! सेवं भंते! त्ति। | ||
Sutra Meaning : | भगवन् ! असुरेन्द्र असुरकुमारराज चमर के लोकपाल सोम महाराज की कितनी अग्रमहिषियाँ हैं ? आर्यो! चार यथा – कनका, कनकलता, चित्रगुप्ता और वसुन्दधरा। इनमें से प्रत्येक देवी का एक – एक हजार देवियों का परिवार है। इनमें से प्रत्येक देवी एक – एक हजार देवियों के परिवार की विकुर्वणा कर सकती है। इस प्रकार पूर्वापर सब मिलकर चार हजार देवियाँ होती हैं। यह एक त्रुटिक कहलाता है। भगवन् ! क्या असुरेन्द्र असुरकु – मारराज चमर का लोकपाल सोम महाराजा, अपनी सोमा नामक राजधानी की सुधर्मासभा में, सोम नामक सिंहासन पर बैठकर अपने उस त्रुटिक के साथ भोग्य दिव्य – भोग भोगने में समर्थ है ? (हे आर्यो !) चमर के अनुसार यहाँ भी जानना। परन्तु इसका परिवार, सूर्याभदेव के परिवार के समान जानना। शेष सब वर्णन पूर्ववत्; यावत् वह सोमा राजधानी की सुधर्मा सभा में मैथुननिमित्तक भोग भोगने में समर्थ नहीं है। भगवन् ! चमरेन्द्र के यावत् लोकपाल यम महाराजा की कितनी अग्रमहिषियाँ हैं ? इत्यादि प्रश्न। (आर्यो!) सोम महाराजा के अनुसार यम महाराजा के सम्बन्ध में भी कहना, किन्तु इतना विशेष है कि यम लोकपाल की राजधानी यमा है। शेष सब वर्णन सोम महाराजा के समान। इसी प्रकार वरुण महाराजा का भी कथन करना। विशेष यही है कि वरुण महाराजा की राजधानी का नाम वरुणा है। इसी प्रकार वैश्रमण महाराजा के विषय में भी जानना। विशेष इतना ही है कि वैश्रमण की राजधानी वैश्रमणा है। शेष यावत् – वे वहाँ मैथुननिमित्तक भोग भोगने में समर्थ नहीं हैं। भगवन् ! वैरोचनेन्द्र वैरोचनराज बली की कितनी अग्रमहिषियाँ हैं ? आर्यो ! पाँच अग्रमहिषियाँ हैं। शुम्भा, निशुम्भा, रम्भा, निरम्भा और मदना। इनमें से प्रत्येक देवी के आठ – आठ हजार देवियों का परिवार है; इत्यादि वर्णन चमरेन्द्र के देवीवर्ग के समान। विशेष इतना है कि बलीन्द्र की राजधानी बलिचंचा है। इनके परिवार मोक उद्देशक के अनुसार जानना। यावत् – वह (सुधर्मा सभा में) मैथुननिमित्तक भोग भोगने में समर्थ नहीं है। भगवन् ! वैरोचनेन्द्र वैरोचनराज बलि के लोकपाल सोम महाराजा की कितनी अग्रमहिषियाँ हैं ? आर्यो ! चार – मेनका, सुभद्रा, विजया और अशनी। इनकी एक – एक देवी का परिवार आदि समग्र वर्णन चमरेन्द्र के लोकपाल सोम के समान जानना। इसी प्रकार वैरोचनेन्द्र बलि के लोकपाल वैश्रमण तक सारा वर्णन पूर्ववत् जानना। भगवन् ! नागकुमारेन्द्र नागकुमारराज धरण की कितनी अग्रमहिषियाँ कही गई हैं ? आर्यो ! छह अग्र – महिषियाँ हैं। यथा – इला, शुक्रा, सतारा, सौदामिनी, इन्द्रा और घनविद्युत। उनमें से प्रत्येक अग्रमहिषी के छह – छह हजार देवियों का परिवार कहा गया है। इनमें से प्रत्येक देवी, अन्य छह – छह हजार देवियों के परिवार की विकुर्वणा कर सकती हैं। इस प्रकार पूर्वापर सब मिलाकर छत्तीस हजार देवियों का यह त्रुटिक (वर्ग) कहा गया है। भगवन्! क्या धरणेन्द्र यावत् भोग भोगने में समर्थ है ? इत्यादि प्रश्न। पूर्ववत् समग्र कथन जानना चाहिए। विशेष इतना ही है कि राजधानी धरणा में धरण नामक सिंहासन पर स्वपरिवार शेष पूर्ववत्। भगवन् ! नागकुमारेन्द्र धरण के लोकपाल कालवाल नामक महाराजा की कितनी अग्रमहिषियाँ हैं ? आर्यो ! चार अग्रमहिषियाँ हैं, यथा – अशोका, विमला, सुप्रभा, सुदर्शना। इनमें से एक – एक देवी का परिवार आदि वर्णन चमरेन्द्र के लोकपाल के समान समझना चाहिए। इसी प्रकार (धरणेन्द्र के) शेष तीन लोकपालों के विषय में भी कहना। भगवन् ! भूतानन्द की कितनी अग्रमहिषियाँ हैं ? हे आर्यो ! छह यथा – रूपा, रूपांशा, सुरूपा, रूपकावती रूपकान्ता और रूपप्रभा। इनमें से प्रत्येक देवी – अग्रमहिषी के परिवार आदि का तथा शेष वर्णन धरणेन्द्र के समान जानना। भगवन् ! भूतानन्द के लोकपाल नागवित्त के कितनी अग्रमहिषियाँ हैं ? इत्यादि पृच्छा। आर्यो ! चार हैं। सुनन्दा, सुभद्रा, सुजाता और सुमना। इसमें प्रत्येक देवी के परिवार आदि का शेष वर्णन चमरेन्द्र के लोकपाल के समान जानना। इसी प्रकार शेष तीन लोकपालों का वर्णन भी जानना। जो दक्षिणदिशावर्ती इन्द्र हैं, उनका कथन धरणेन्द्र के समान तथा उनके लोकपालों का कथन धरणेन्द्र के लोकपालों के समान जानना चाहिए। उत्तरदिशावर्ती इन्द्रों का कथन भूतानन्द के समान तथा उनके लोकपालों का कथन भी भूतानन्द के लोकपालों के समान जानना चाहिए। विशेष इतना है कि सब इन्द्रों की राजधानियों और उनके सिंहासनों का नाम इन्द्र के नाम के समान जानना चाहिए। उनके परिवार का वर्णन भगवती सूत्र के तीसरे शतक के प्रथम मोक उद्देशक में कहे अनुसार जानना चाहिए। सभी लोकपालों की राजधानियों और उनके सिंहासनों का नाम लोकपालों के नाम के सदृश जानना चाहिए तथा उनके परिवार का वर्णन चमरेन्द्र के लोकपालों के परिवार के वर्णन के समान जानना चाहिए। भगवन् ! पिशाचेन्द्र पिशाचराज काल की कितनी अग्रमहिषियाँ हैं ? आर्यो ! चार, यथा – कमला, कमल – प्रभा, उत्पला और सुदर्शना। इनमें से प्रत्येक देवी के एक – एक हजार देवियों का परिवार है। शेष समग्र वर्णन चमरेन्द्र के लोकपालों के समान एवं परिवार का कथन भी उसी के परिवार के सदृश करना। विशेष इतना है कि इसके ‘काला’ नाम की राजधानी और काल नामक सिंहासन है। शेष पूर्ववत्। इसी प्रकार पिशाचेन्द्र महाकाल का एतद्विषयक वर्णन भी इसी प्रकार समझना। भगवन् ! भूतेन्द्र भूतराज सुरूप की कितनी अग्रमहिषियाँ हैं ? आर्यो! चार, यथा – रूपवती, बहुरूपा, सुरूपा और सुभगा। प्रत्येक देवी के परिवार आदि का वर्णन कालेन्द्र के समान है। इसी प्रकार प्रतिरूपेन्द्र के विषय में भी जानना चाहिए। भगवन् ! यक्षेन्द्र यक्षराज पूर्णभद्र की कितनी अग्रमहिषियाँ हैं ? आर्यो ! चार। यथा – पूर्णा, बहुपत्रिका, उत्तमा और तारका। प्रत्येक के परिवार आदि का वर्णन कालेन्द्र के समान है। इसी प्रकार माणिभद्र के विषय में भी जान लेना। भगवन् ! राक्षसेन्द्र राक्षसराज भीम के कितनी अग्रमहिषियाँ कही गई हैं ? आर्यो ! चार। यथा – पद्मा, पद्मावती, कनका और रत्नप्रभा। प्रत्येक के परिवार आदि का वर्णन कालेन्द्र के समान है। इसी प्रकार महाभीम (राक्षसेन्द्र) के विषय में भी जानना। भगवन् ! किन्नरेन्द्र की कितनी अग्रमहिषियाँ हैं ? आर्यो ! चार अग्रमहिषियाँ हैं, यथा – अवतंसा, केतुमती, रतिसेना और रतिप्रिया। प्रत्येक अग्रमहिषी के देवी – परिवार के लिए पूर्ववत् जानना चाहिए। इसी प्रकार किम्पुरु – षेन्द्र के विषय में कहना चाहिए। भगवन् ! सत्पुरुषेन्द्र की कितनी अग्रमहिषियाँ हैं ? आर्यो ! चार अग्रमहिषियाँ हैं, यथा – रोहिणी, नवमिका, ह्री और पुष्पवती। इनके देवी – परिवार का वर्णन पूर्वोक्तरूप से जानना चाहिए। इसी प्रकार महापुरुषेन्द्र के विषय में भी समझ लेना चाहिए। भगवन् ! अतिकायेन्द्र की कितनी अग्रमहिषियाँ हैं ? आर्यो ! ४। यथा – भुजगा, भुजगवती, महाकच्छा, स्फुटा प्रत्येक अग्रमहिषीके देवी – परिवार का वर्णन पूर्वोक्तरूप से जानना। इसी प्रकार महाकायेन्द्रके विषयमें भी समझ ना भगवन् ! गीतरतीन्द्र की कितनी अग्रमहिषियाँ हैं ? आर्यो ! चार अग्रमहिषियाँ हैं – सुघोषा, विमला, सुस्वरा और सरस्वती। प्रत्येक अग्रमहिषी के देवी – परिवार का वर्णन पूर्ववत्। इसी प्रकार गीतयश – इन्द्र के विषयमें भी जान लेना। इन सभी इन्द्रों का शेष वर्णन कालेन्द्र समान। राजधानियों और सिंहासनों का नाम इन्द्रों के नाम के समान है। भगवन् ! ज्योतिष्केन्द्र ज्योतिष्कराज चन्द्र की कितनी अग्रमहिषियाँ हैं ? आर्यो ! चार। चन्द्रप्रभा, ज्योत्सनाभा, अर्चिमाली एवं प्रभंकरा। शेष समस्त वर्णन जीवाभिगमसूत्र में कहे अनुसार। सूर्येन्द्र की चार अग्र – महिषियाँ यह हैं – सूर्यप्रभा, आतपाभा, अर्चिमाली और प्रभंकरा। शेष पूर्ववत्; यावत् वे मैथुननिमित्तक भोग भोगने में समर्थ नहीं हैं। भगवन् ! अंगार (मंगल) नामक महाग्रह की कितनी अग्रमहिषियाँ हैं ? आर्यो ! चार। विजया, वैजयन्ती, जयन्ती और अपराजिता। इनमें से प्रत्येक अग्रमहिषी के देवी – परिवार का वर्णन चन्द्रमा के देवी – परिवार के समान। परन्तु विशेष यह कि इसके विमान का नाम अंगारावतंसक, सिंहासन का नाम अंगारक है, इत्यादि शेष समग्र वर्णन पूर्ववत् जानना। इसी प्रकार व्यालक ग्रह के विषय में भी जानना। इसी प्रकार ८८ महाग्रहों के विषय में भावकेतु ग्रह तक जानना। परन्तु विशेष यह है कि अवतंसकों और सिंहासनों का नाम इन्द्र के नाम के अनुरूप है। शेष पूर्ववत्। भगवन् ! देवेन्द्र देवराज शक्र की कितनी अग्रमहिषियाँ हैं ? आर्यो ! आठ अग्रमहिषियाँ हैं, पद्मा, शिवा, श्रेया, अंजू, अमला, अप्सरा, नवमिका और रोहिणी। इनमें से प्रत्येक अग्रमहिषी का सोलह – सोलह हजार देवियों का परिवार कहा गया है। प्रत्येक देवी सोलह – सोलह हजार देवियों के परिवार की विकुर्वणा कर सकती है। इस प्रकार पूर्वापर सब मिलाकर एक लाख अट्ठाईस हजार देवियों का परिवार होता है। यह एक त्रुटिक (देवियों का वर्ग) कहलाता है। भगवन् ! क्या देवेन्द्र देवराज शक्र, सौधर्मकल्प में, सौधर्मावतंसक विमान में, सुधर्मासभा में, शक्र नामक सिंहासन पर बैठकर अपने त्रुटिक के साथ भोग भोगने में समर्थ हैं ? आर्यो ! इसका समग्र वर्णन चमरेन्द्र के समान जानना चाहिए। विशेष इतना है कि इसके परिवार का कथन ‘मोका’ उद्देशक के अनुसार जान लेना चाहिए। भगवन् ! देवेन्द्र देवराज शक्र के लोकपाल सोममहाराजा की कितनी अग्रमहिषियाँ हैं ? आर्यो ! चार। रोहिणी, मदना, चित्रा और सोमा। प्रत्येक अग्रमहिषी के देवी – परिवार का वर्णन चमरेन्द्र के लोकपालों के समान जानना। इतना विशेष है कि स्वयम्प्रभ नामक विमान में, सुधर्मासभा में, सोम नामक सिंहासन पर बैठकर मैथुन – निमित्तक भोग भोगने में समर्थ नहीं इत्यादि पूर्ववत्। इसी प्रकार वैश्रमण लोकपाल तक का कथन करना। विशेष यह है कि इनके विमान आदि का वर्णन तृतीयशतक अनुसार जानना। भगवन् ! देवेन्द्र देवराज ईशान की कितनी अग्रमहिषियाँ हैं ? आर्यो ! आठ हैं। कृष्णा, कृष्णराजि, रामा, रामरक्षिता, वसु, वसुगुप्ता, वसुमित्रा, वसुन्धरा। इनमें से प्रत्येक अग्रमहिषी की देवियों के परिवार आदि का शेष समस्त वर्णन शक्रेन्द्र के समान जानना। भगवन् ! देवेन्द्र ईशान के लोकपाल सोम महाराजा की कितनी अग्रमहिषियाँ कही गई हैं ? आर्यो ! चार अग्रमहिषियाँ हैं, यथा – पृथ्वी, रात्रि, रजनी और विद्युत। इनमें से प्रत्येक अग्रमहिषी की देवियों के परिवार आदि शेष समग्र वर्णन शक्रेन्द्र के लोकपालों के समान है। इसी प्रकार वरुण लोकपाल तक जानना चाहिए। विशेष यह है कि इनके विमानों का वर्णन चौथे शतक अनुसार जानना चाहिए। शेष पूर्ववत्, यावत् – वह मैथुननिमित्तक भोग भोगने में समर्थ नहीं है। हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है। भगवन् ! यह इसी प्रकार है। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] chamarassa nam bhamte! Asurimdassa asurakumararanno somassa maharanno kati aggamahisio pannattao? Ajjo! Chattari aggamahisio pannattao, tam jaha–kanaga, kanagalata, chittagutta, vasumdhara. Tattha nam egamegae devie egamegam devisahassam parivare pannatte. Pabhu nam tao egamega devi annam egamegam devisahassam pariyaram viuvvittae? Evameva sapuvvavarenam chattari devisahassa. Settam tudie. Pabhu nam bhamte! Chamarassa asurimdassa asurakumararanno some maharaya somae rayahanie, sabhae suhammae, somamsi sihasanamsi tudienam saddhim divvaim bhogabhogaim bhumjamane viharittae? Avasesam jaha chamarassa, navaram–pariyaro jaha suriyabhassa. Sesam tam cheva java no cheva nam mehunavattiyam. Chamarassa nam bhamte! Asurimdassa asurakumara ranno jamassa maharanno kati aggamahisio? Evam cheva, navaram–jamae rayahanie, sesam jaha somassa. Evam varunassa vi, navaram–varunae rayahanie. Evam vesamanassa vi, navaram–vesamanae rayahanie. Sesam tam cheva java no cheva nam mehunavattiyam. Balissa nam bhamte! Vairoyanimdassa–puchchha. Ajjo! Pamcha aggamahisio pannattao, tam jaha–sumbha, nisumbha, rambha, nirambha, madana. Tattha nam egamegae devie atthattha devi sahassam parivaro, sesam jaha chamarassa, navaram–balichamchae rayahanie, pariyaro jaha mouddesae. Sesam tam cheva java no cheva nam mehuna-vattiyam. Balissa nam bhamte! Vairoyanimdassa vairoyanaranno somassa maharanno kati aggamahisio pannattao? Ajjo! Chattari aggamahisio pannattao, tam jaha–minaga, subhadda, vijjuya, asani. Tattha nam egamegae devie egamegam devisahassam parivaro, sesam jaha chamarasomassa evam java varunassa. Dharanassa nam bhamte! Nagakumarimdassa nagakumararanno kati aggamahisio pannattao? Ajjo! Chha aggamahisio pannattao, tam jaha–ala, sakka, satera, sodamini, imda, ghanavijjuya. Tattha nam egamegae devie chha-chha devisahassam parivaro pannatto. Pabhu nam tao egamega devi annaim chha-chha devisahassaim pariyaram viuvvittae? Evameva sapuvvavarenam chhattisaim devisahassaim. Settam tudie. Pabhu nam bhamte! Dharane? Sesam tam cheva, navaram–dharanae rayahanie, dharanamsi sihasanamsi, sao pariyaro. Sesam tam cheva. Dharanassa nam bhamte! Nagakumarimdassa nagakumararanno kalavalassa maharanno kati aggamahisio pannattao? Ajjo chattari aggamahisio pannattao tam jaha–asoga, vimala, suppabha, sudamsana. Tattha nam egamegae devie egamegam devisahassam parivaro, avasesam jaha chamaralogapalanam. Evam sesanam tinha vi. Bhuyanamdassa bhamte! –puchchha. Ajjo! Chha aggamahisio pannattao, tam jaha–ruya, ruyamsa, suruya, rupagavati, ruyakamta, ruyappabha. Tattha nam egamegae devie egamegam devisahassam parivare, avasesam jaha dharanassa. Bhuyanamdassa nam bhamte! Nagakumarimdassa nagakumararanno nagachittassa–puchchha. Ajjo! Chattari aggamahisio pannattao, tam jaha–sunamda, subhadda, sujaya, sumana. Tattha nam egamegae devie egamegam devisahassam parivare, avasesam jaha chamaralogapalanam. Evam sesanam tinha vi logapalanam. Je dahinilla imda tesim jaha dharanimdassa, logapalana vi tesim jaha dharanassa logapalanam. Uttarillanam imdanam jaha bhuyanamdassa, logapalana vi tesim jaha bhuyanamdassa logapalanam, navaram–imdanam savvesim rayahanio sihasanani ya sarisanamagani, pariyaro jaha mouddesae. Logapalanam savvesim rayahanio sihasanani ya sarisanamagani, pariyaro jaha chamarassa logapalanam. Kalassa nam bhamte! Pisayimdassa pisayaranno kati aggamahisio pannattao? Ajjo! Chattari aggamahisio pannattao, tam jaha–kamala, kamalappabha, uppala, sudamsana. Tattha nam egamegae devie egamegam devisahassam parivaro, sesam jaha chamaralogapalanam. Parivaro taheva, navaram–kalae rayahanie, kalamsi sihasanamsi, sesam tam cheva. Evam mahakalassa vi. Suruvassa nam bhamte! Bhutimdassa bhutaranno–puchchha. Ajjo! Chattari aggamahisio pannattao, tam jaha–ruvavai, bahuruva, suruva, subhaga. Tattha nam egamegae devie egamegam devisahassam parivare, sesam jaha kalassa. Evam padiruvassa vi. Punnabhaddassa nam bhamte! Jakkhimdassa–puchchha. Ajjo! Chattari aggamahisio pannattao, tam jaha–punna, bahuputtiya, uttama, taraya. Tattha nam egamegae devie egamegam devisahassam parivare, sesam jaha kalassa. Evam manibhaddassa vi. Bhimassa nam bhamte! Rakkhasimdassa–puchchha. Ajjo! Chattari aggamahisio pannattao, tam jaha–pauma, vasumati, kanaga, rayanappabha. Tattha nam egamegae devie egamegam devisahassam parivare, sesam jaha kalassa. Evam mahabhimassa vi. Kinnarassa nam–puchchha. Ajjo! Chattari aggamahisio pannattao, tam jaha–vademsa, ketumati, ratisena, raippiya. Tattha nam egamegae devie egamegam devisahassam parivare, sesam tam cheva. Evam kimpurisassa vi. Sappurisassa nam–puchchha. Ajjo! Chattari aggamahisio pannattao, tam jaha–rohini, navamiya, hiri, pupphavati. Tattha nam egamegae devie egamegam devisahassam parivare, sesam tam cheva. Evam mahapurisassa vi. Atikayassa nam–puchchha. Ajjo! Chattari aggamahisio pannattao, tam jaha–bhuyaga, bhuyagavati, mahakachchha, phuda. Tattha nam egamegae devie egamegam devisahassam parivare, sesam tam cheva. Evam mahakayassa vi. Giyaraissa nam–puchchha. Ajjo! Chattari aggamahisio pannattao, tam jaha–sughosa, vimala, sussara, sarassai. Tattha nam egamegae devie egamegam devisahassam parivare, sesam tam cheva. Evam giyajasassa vi. Savvesim eesim jaha kalassa, navaram–sarisanamiyao rayahanio siha-sanani ya, sesam tam cheva. Chamdassa nam bhamte! Joisimdassa joisaranno–puchchha. Ajjo! Chattari aggamahisio pannattao, tam jaha–chamdappabha, dosinabha, achchimali, pabhamkara. Evam jaha jivabhigame joisiyauddesae taheva surassa vi surappabha, ayava, achchimali, pabhamkara. Sesam tam cheva java no cheva nam mehunavattiyam. Imgalassa nam bhamte! Mahaggahassa kati aggamahisio–puchchha. Ajjo! Chattari aggamahisio pannattao, tam jaha–vijaya, vejayamti, jayamti, aparajiya. Tattha nam egamegae devie ega-megam devisahassam parivare, sesam jaha chamdassa, navaram–imgalavademsae vimane, imgalagamsi sihasanamsi, sesam tam cheva. Evam viyalagassa vi. Evam atthasitie vi mahaggahanam bhaniyavvam java bhavakeussa, navaram–vademsaga sihasanani ya sarisanamagani, sesam tam cheva. Sakkassa nam bhamte! Devimdassa devaranno–puchchha. Ajjo! Attha aggamahisio pannattao, tam jaha–pauma, siva, sachi, amju, amala, achchhara, navamiya, rohini. Tattha nam egamegae devie solasa-solasa devisahassa parivaro pannatto. Pabhu nam tao egamega devi annaim solasa-solasa devisahassaim parivaram viuvvittae? Evameva sapuvvavarenam atthavisuttaram devisayasahassam. Settu tudie. Pabhu nam bhamte! Sakke devimde devaraya sohamme kappe, sohammavademsae vimane, sabhae suhammae, sakkamsi sihasanamsi tudienam saddhim divvaim bhogabhogaim bhumjamane viharittae. Sesam jaha chamarassa, navaram–pariyaro jaha mouddesae. Sakkassa nam devimdassa devaranno somassa maharanno kati aggamahisio–puchchha. Ajjo! Chattari aggamahisio pannattao, tam jaha–rohini, madana, chitta, soma. Tattha nam egamegae devie egamegam devi-sahassam parivare, sesam jaha chamaralogapalanam, navaram–sayampabhe vimane, sabhae suhammae, somamsi sihasanamsi, sesam tam cheva. Evam java vesamanassa, navaram–vimanaim jaha tatiyasae. Isanassa nam bhamte! –puchchha. Ajjo! Attha aggamahisio pannattao, tam jaha–kanha, kanharai, rama, ramarakkhiya, vasu, vasugutta, vasumitta, vasumdhara. Tattha nam egamegae devie egamegam devisahassam parivare, sesam jaha sakkassa. Isanassa nam bhamte! Devimdassa devaranno somassa maharanno kati aggamahisio–puchchha. Ajjo! Chattari aggamahisio pannattao, tam jaha–puhavi, rai, rayani, vijju. Tattha nam egamegae devie egamegam devisahassam parivare, sesam jaha sakkassa logapalanam, evam java varunassa, navaram–vimana jaha chautthasae, sesam tam cheva java no cheva nam mehunavattiyam. Sevam bhamte! Sevam bhamte! Tti. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Bhagavan ! Asurendra asurakumararaja chamara ke lokapala soma maharaja ki kitani agramahishiyam haim\? Aryo! Chara yatha – kanaka, kanakalata, chitragupta aura vasundadhara. Inamem se pratyeka devi ka eka – eka hajara deviyom ka parivara hai. Inamem se pratyeka devi eka – eka hajara deviyom ke parivara ki vikurvana kara sakati hai. Isa prakara purvapara saba milakara chara hajara deviyam hoti haim. Yaha eka trutika kahalata hai. Bhagavan ! Kya asurendra asuraku – mararaja chamara ka lokapala soma maharaja, apani soma namaka rajadhani ki sudharmasabha mem, soma namaka simhasana para baithakara apane usa trutika ke satha bhogya divya – bhoga bhogane mem samartha hai\? (he aryo !) chamara ke anusara yaham bhi janana. Parantu isaka parivara, suryabhadeva ke parivara ke samana janana. Shesha saba varnana purvavat; yavat vaha soma rajadhani ki sudharma sabha mem maithunanimittaka bhoga bhogane mem samartha nahim hai. Bhagavan ! Chamarendra ke yavat lokapala yama maharaja ki kitani agramahishiyam haim\? Ityadi prashna. (aryo!) soma maharaja ke anusara yama maharaja ke sambandha mem bhi kahana, kintu itana vishesha hai ki yama lokapala ki rajadhani yama hai. Shesha saba varnana soma maharaja ke samana. Isi prakara varuna maharaja ka bhi kathana karana. Vishesha yahi hai ki varuna maharaja ki rajadhani ka nama varuna hai. Isi prakara vaishramana maharaja ke vishaya mem bhi janana. Vishesha itana hi hai ki vaishramana ki rajadhani vaishramana hai. Shesha yavat – ve vaham maithunanimittaka bhoga bhogane mem samartha nahim haim. Bhagavan ! Vairochanendra vairochanaraja bali ki kitani agramahishiyam haim\? Aryo ! Pamcha agramahishiyam haim. Shumbha, nishumbha, rambha, nirambha aura madana. Inamem se pratyeka devi ke atha – atha hajara deviyom ka parivara hai; ityadi varnana chamarendra ke devivarga ke samana. Vishesha itana hai ki balindra ki rajadhani balichamcha hai. Inake parivara moka uddeshaka ke anusara janana. Yavat – vaha (sudharma sabha mem) maithunanimittaka bhoga bhogane mem samartha nahim hai. Bhagavan ! Vairochanendra vairochanaraja bali ke lokapala soma maharaja ki kitani agramahishiyam haim\? Aryo ! Chara – menaka, subhadra, vijaya aura ashani. Inaki eka – eka devi ka parivara adi samagra varnana chamarendra ke lokapala soma ke samana janana. Isi prakara vairochanendra bali ke lokapala vaishramana taka sara varnana purvavat janana. Bhagavan ! Nagakumarendra nagakumararaja dharana ki kitani agramahishiyam kahi gai haim\? Aryo ! Chhaha agra – mahishiyam haim. Yatha – ila, shukra, satara, saudamini, indra aura ghanavidyuta. Unamem se pratyeka agramahishi ke chhaha – chhaha hajara deviyom ka parivara kaha gaya hai. Inamem se pratyeka devi, anya chhaha – chhaha hajara deviyom ke parivara ki vikurvana kara sakati haim. Isa prakara purvapara saba milakara chhattisa hajara deviyom ka yaha trutika (varga) kaha gaya hai. Bhagavan! Kya dharanendra yavat bhoga bhogane mem samartha hai\? Ityadi prashna. Purvavat samagra kathana janana chahie. Vishesha itana hi hai ki rajadhani dharana mem dharana namaka simhasana para svaparivara shesha purvavat. Bhagavan ! Nagakumarendra dharana ke lokapala kalavala namaka maharaja ki kitani agramahishiyam haim\? Aryo ! Chara agramahishiyam haim, yatha – ashoka, vimala, suprabha, sudarshana. Inamem se eka – eka devi ka parivara adi varnana chamarendra ke lokapala ke samana samajhana chahie. Isi prakara (dharanendra ke) shesha tina lokapalom ke vishaya mem bhi kahana. Bhagavan ! Bhutananda ki kitani agramahishiyam haim\? He aryo ! Chhaha yatha – rupa, rupamsha, surupa, rupakavati rupakanta aura rupaprabha. Inamem se pratyeka devi – agramahishi ke parivara adi ka tatha shesha varnana dharanendra ke samana janana. Bhagavan ! Bhutananda ke lokapala nagavitta ke kitani agramahishiyam haim\? Ityadi prichchha. Aryo ! Chara haim. Sunanda, subhadra, sujata aura sumana. Isamem pratyeka devi ke parivara adi ka shesha varnana chamarendra ke lokapala ke samana janana. Isi prakara shesha tina lokapalom ka varnana bhi janana. Jo dakshinadishavarti indra haim, unaka kathana dharanendra ke samana tatha unake lokapalom ka kathana dharanendra ke lokapalom ke samana janana chahie. Uttaradishavarti indrom ka kathana bhutananda ke samana tatha unake lokapalom ka kathana bhi bhutananda ke lokapalom ke samana janana chahie. Vishesha itana hai ki saba indrom ki rajadhaniyom aura unake simhasanom ka nama indra ke nama ke samana janana chahie. Unake parivara ka varnana bhagavati sutra ke tisare shataka ke prathama moka uddeshaka mem kahe anusara janana chahie. Sabhi lokapalom ki rajadhaniyom aura unake simhasanom ka nama lokapalom ke nama ke sadrisha janana chahie tatha unake parivara ka varnana chamarendra ke lokapalom ke parivara ke varnana ke samana janana chahie. Bhagavan ! Pishachendra pishacharaja kala ki kitani agramahishiyam haim\? Aryo ! Chara, yatha – kamala, kamala – prabha, utpala aura sudarshana. Inamem se pratyeka devi ke eka – eka hajara deviyom ka parivara hai. Shesha samagra varnana chamarendra ke lokapalom ke samana evam parivara ka kathana bhi usi ke parivara ke sadrisha karana. Vishesha itana hai ki isake ‘kala’ nama ki rajadhani aura kala namaka simhasana hai. Shesha purvavat. Isi prakara pishachendra mahakala ka etadvishayaka varnana bhi isi prakara samajhana. Bhagavan ! Bhutendra bhutaraja surupa ki kitani agramahishiyam haim\? Aryo! Chara, yatha – rupavati, bahurupa, surupa aura subhaga. Pratyeka devi ke parivara adi ka varnana kalendra ke samana hai. Isi prakara pratirupendra ke vishaya mem bhi janana chahie. Bhagavan ! Yakshendra yaksharaja purnabhadra ki kitani agramahishiyam haim\? Aryo ! Chara. Yatha – purna, bahupatrika, uttama aura taraka. Pratyeka ke parivara adi ka varnana kalendra ke samana hai. Isi prakara manibhadra ke vishaya mem bhi jana lena. Bhagavan ! Rakshasendra rakshasaraja bhima ke kitani agramahishiyam kahi gai haim\? Aryo ! Chara. Yatha – padma, padmavati, kanaka aura ratnaprabha. Pratyeka ke parivara adi ka varnana kalendra ke samana hai. Isi prakara mahabhima (rakshasendra) ke vishaya mem bhi janana. Bhagavan ! Kinnarendra ki kitani agramahishiyam haim\? Aryo ! Chara agramahishiyam haim, yatha – avatamsa, ketumati, ratisena aura ratipriya. Pratyeka agramahishi ke devi – parivara ke lie purvavat janana chahie. Isi prakara kimpuru – shendra ke vishaya mem kahana chahie. Bhagavan ! Satpurushendra ki kitani agramahishiyam haim\? Aryo ! Chara agramahishiyam haim, yatha – rohini, navamika, hri aura pushpavati. Inake devi – parivara ka varnana purvoktarupa se janana chahie. Isi prakara mahapurushendra ke vishaya mem bhi samajha lena chahie. Bhagavan ! Atikayendra ki kitani agramahishiyam haim\? Aryo ! 4. Yatha – bhujaga, bhujagavati, mahakachchha, sphuta pratyeka agramahishike devi – parivara ka varnana purvoktarupa se janana. Isi prakara mahakayendrake vishayamem bhi samajha na Bhagavan ! Gitaratindra ki kitani agramahishiyam haim\? Aryo ! Chara agramahishiyam haim – sughosha, vimala, susvara aura sarasvati. Pratyeka agramahishi ke devi – parivara ka varnana purvavat. Isi prakara gitayasha – indra ke vishayamem bhi jana lena. Ina sabhi indrom ka shesha varnana kalendra samana. Rajadhaniyom aura simhasanom ka nama indrom ke nama ke samana hai. Bhagavan ! Jyotishkendra jyotishkaraja chandra ki kitani agramahishiyam haim\? Aryo ! Chara. Chandraprabha, jyotsanabha, archimali evam prabhamkara. Shesha samasta varnana jivabhigamasutra mem kahe anusara. Suryendra ki chara agra – mahishiyam yaha haim – suryaprabha, atapabha, archimali aura prabhamkara. Shesha purvavat; yavat ve maithunanimittaka bhoga bhogane mem samartha nahim haim. Bhagavan ! Amgara (mamgala) namaka mahagraha ki kitani agramahishiyam haim\? Aryo ! Chara. Vijaya, vaijayanti, jayanti aura aparajita. Inamem se pratyeka agramahishi ke devi – parivara ka varnana chandrama ke devi – parivara ke samana. Parantu vishesha yaha ki isake vimana ka nama amgaravatamsaka, simhasana ka nama amgaraka hai, ityadi shesha samagra varnana purvavat janana. Isi prakara vyalaka graha ke vishaya mem bhi janana. Isi prakara 88 mahagrahom ke vishaya mem bhavaketu graha taka janana. Parantu vishesha yaha hai ki avatamsakom aura simhasanom ka nama indra ke nama ke anurupa hai. Shesha purvavat. Bhagavan ! Devendra devaraja shakra ki kitani agramahishiyam haim\? Aryo ! Atha agramahishiyam haim, padma, shiva, shreya, amju, amala, apsara, navamika aura rohini. Inamem se pratyeka agramahishi ka solaha – solaha hajara deviyom ka parivara kaha gaya hai. Pratyeka devi solaha – solaha hajara deviyom ke parivara ki vikurvana kara sakati hai. Isa prakara purvapara saba milakara eka lakha atthaisa hajara deviyom ka parivara hota hai. Yaha eka trutika (deviyom ka varga) kahalata hai. Bhagavan ! Kya devendra devaraja shakra, saudharmakalpa mem, saudharmavatamsaka vimana mem, sudharmasabha mem, shakra namaka simhasana para baithakara apane trutika ke satha bhoga bhogane mem samartha haim\? Aryo ! Isaka samagra varnana chamarendra ke samana janana chahie. Vishesha itana hai ki isake parivara ka kathana ‘moka’ uddeshaka ke anusara jana lena chahie. Bhagavan ! Devendra devaraja shakra ke lokapala somamaharaja ki kitani agramahishiyam haim\? Aryo ! Chara. Rohini, madana, chitra aura soma. Pratyeka agramahishi ke devi – parivara ka varnana chamarendra ke lokapalom ke samana janana. Itana vishesha hai ki svayamprabha namaka vimana mem, sudharmasabha mem, soma namaka simhasana para baithakara maithuna – nimittaka bhoga bhogane mem samartha nahim ityadi purvavat. Isi prakara vaishramana lokapala taka ka kathana karana. Vishesha yaha hai ki inake vimana adi ka varnana tritiyashataka anusara janana. Bhagavan ! Devendra devaraja ishana ki kitani agramahishiyam haim\? Aryo ! Atha haim. Krishna, krishnaraji, rama, ramarakshita, vasu, vasugupta, vasumitra, vasundhara. Inamem se pratyeka agramahishi ki deviyom ke parivara adi ka shesha samasta varnana shakrendra ke samana janana. Bhagavan ! Devendra ishana ke lokapala soma maharaja ki kitani agramahishiyam kahi gai haim\? Aryo ! Chara agramahishiyam haim, yatha – prithvi, ratri, rajani aura vidyuta. Inamem se pratyeka agramahishi ki deviyom ke parivara adi shesha samagra varnana shakrendra ke lokapalom ke samana hai. Isi prakara varuna lokapala taka janana chahie. Vishesha yaha hai ki inake vimanom ka varnana chauthe shataka anusara janana chahie. Shesha purvavat, yavat – vaha maithunanimittaka bhoga bhogane mem samartha nahim hai. He bhagavan ! Yaha isi prakara hai. Bhagavan ! Yaha isi prakara hai. |