Sutra Navigation: Bhagavati ( भगवती सूत्र )
Search Details
Mool File Details |
|
Anuvad File Details |
|
Sr No : | 1003982 | ||
Scripture Name( English ): | Bhagavati | Translated Scripture Name : | भगवती सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
शतक-१० |
Translated Chapter : |
शतक-१० |
Section : | उद्देशक-३ आत्मऋद्धि | Translated Section : | उद्देशक-३ आत्मऋद्धि |
Sutra Number : | 482 | Category : | Ang-05 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] रायगिहे जाव एवं वयासी–आइड्ढीए णं भंते! देवे जाव चत्तारि, पंच देवावासंतराइं वीतिक्कंते, तेण परं परिड्ढीए? हंता गोयमा! आइड्ढीए णं देवे जाव चत्तारि, पंच देवावासंतराइं वीतिक्कंते, तेण परं परिड्ढीए। एवं असुरकुमारे वि, नवरं–असुरकुमारावासंतराइं, सेसं तं चेव। एवं एएणं कमेणं जाव थणियकुमारे, एवं वाणमंतरे, जोइसिए वेमाणिए जाव तेण परं परिड्ढीए। अप्पिड्ढीए णं भंते! देवे महिड्ढियस्स देवस्स मज्झंमज्झेणं वीइवएज्जा? नो इणट्ठे समट्ठे। समिड्ढीए णं भंते! देवे समिड्ढीयस्स देवस्स मज्झंमज्झेणं वीइवएज्जा? नो इणट्ठे समट्ठे, पमत्तं पुण वीइवएज्जा। से भंते! किं विमोहित्ता पभू? अविमोहित्ता पभू? गोयमा! विमोहित्ता पभू, नो अविमोहित्ता पभू। से भंते! किं पुव्विं विमोहित्ता पच्छा वीइवएज्जा? पुव्विं वीइवइत्ता पच्छा विमोहेज्जा? गोयमा! पुव्विं विमोहित्ता पच्छा वीइवएज्जा, नो पुव्विं वीइवइत्ता पच्छा विमोहेज्जा। महिड्ढीए णं भंते! देवे अप्पिड्ढियस्स देवस्स मज्झंमज्झेणं वीइवएज्जा? हंता वीइवएज्जा। से भंते! किं विमोहित्ता पभू? अविमोहित्ता पभू? गोयमा! विमोहित्ता वि पभू, अविमोहित्ता वि पभू। से भंते! किं पुव्विं विमोहित्ता पच्छा वीइवएज्जा? पुव्विं वीइवइत्ता पच्छा विमोहेज्जा? गोयमा! पुव्विं वा विमोहेत्ता पच्छा वीइवएज्जा, पुव्विं वा वीइवइत्ता पच्छा विमोहेज्जा। अप्पिड्ढिए णं भंते! असुरकुमारे महिड्ढियस्स असुरकुमारस्स मज्झंमज्झेणं वीइवएज्जा? नो इणट्ठे समट्ठे। एवं असुरकुमारेण वि तिन्नि आलावगा भाणियव्वा जहा ओहिएणं देवेणं भणिया। एवं जाव थणियकुमारेणं। वाणमंतर-जोइसिय-वेमाणिएणं एवं चेव। अप्पिड्ढिए णं भंते! देवे महिड्ढियाए देवीए मज्झंमज्झेणं वीइवएज्जा? नो इणट्ठे समट्ठे। समिड्ढिए णं भंते! देवे समिड्ढियाए देवीए मज्झंमज्झेणं वीइवएज्जा? एवं तहेव देवेण य देवीए य दंडओ भाणियव्वो जाव वेमाणियाए। अप्पिड्ढिया णं भंते! देवी महिड्ढियस्स देवस्स मज्झंमज्झेणं वीइवएज्जा? एवं एसो वि ततिओ दंडओ भाणियव्वो जाव– महिड्ढिया वेमाणिणी अप्पिड्ढियस्स वेमानियस्स मज्झंमज्झेणं वीइवएज्जा? हंता वीइवएज्जा। अप्पिड्ढिया णं भंते! देवी महिड्ढियाए देवीए मज्झंमज्झेणं वीइवएज्जा? नो इणट्ठे समट्ठे। एवं समिड्ढिया देवी समिड्ढियाए देवीए तहेव। महिड्ढिया वि देवी अप्पिड्ढियाए देवीए तहेव। एवं एक्केक्के तिन्नि-तिन्नि आलावगा भाणियव्वा जाव– महिड्ढिया णं भंते! वेमाणिणी अप्पिड्ढियाए वेमाणिणीए मज्झंमज्झेणं वीइवएज्जा? हंता वीइवएज्जा। सा भंते! किं विमोहित्ता पभू? अविमोहित्ता पभू? गोयमा! विमोहित्ता वि पभू, अविमोहित्ता वि पभू। तहेव जाव पुव्विं वा वीइवइत्ता पच्छा विमोहेज्जा। एए चत्तारि दंडगा। | ||
Sutra Meaning : | राजगृह नगर में यावत् पूछा – भगवद् ! देव क्या आत्मऋद्धि द्वारा यावत् चार – पांच देवावासान्तरों का उल्लंघन करताहै और इसके पश्चात् दूसरी शक्ति द्वारा उल्लंघन करता है ? हाँ, गौतम ! देव आत्मशक्ति से यावत् चार – पांच देवासों का उल्लंघन करता है और उसके उपरान्त (वैक्रिय) शक्ति द्वारा उल्लंघन करता है। इसी प्रकार असुरकुमारों के विषय में भी समझना। विशेष यह कि वे असुरकुमारों के आवासों का उल्लंघन करते हैं। शेष पूर्ववत्। इसी प्रकार स्तनितकुमारपर्यन्त जानना। इसी प्रकार वाणव्यन्तर, ज्योतिष्क और वैमानिक देवपर्यन्त जानना यावत् वे आत्मशक्ति से चार – पांच अन्य देवावासों का उल्लंघन करते है; इसके उपरान्त परऋद्धि से उल्लंघन करते हैं। भगवन् ! अल्पऋद्धिकदेव, महर्द्धिकदेव के बीच में हो कर जा सकता है ? गौतम ! यह अर्थ समर्थ नहीं है। भगवन् ! समर्द्धिक देव समर्द्धिक देव के बीच में से हो कर जा सकता है ? गौतम ! यह अर्थ समर्थ नहीं है; परन्तु यदि वह प्रमत्त हो तो जा सकता है। भगवन् ! क्या वह देव, उस को विमोहित करके जा सकता है, या विमोहित किये विना ? गौतम ! वह देव, विमोहित करके जा सकता है, विमोहित किये विना नहीं। भगवन् ! वह देव, उस देव को पहले विमोहित करके बाद में जाता है, या पहले जा कर बाद में विमोहित करता है ? गौतम ! पहले उसे विमोहित करता है और बाद में जाता है, परन्तु पहले जा कर बाद में विमोहित नहीं करता। भगवन् ! क्या महर्द्धिक देव, अल्पऋद्धिक देव के बीचोंबीच में से हो कर जा सकता है ? हाँ, गौतम ! जा सकता है। भगवन् ! वह महर्द्धिक देव, उस अल्पऋद्धिक देव को विमोहित करके जाता है, अथवा विमोहित किये बिना जाता है ? गौतम ! वह विमोहित करके भी जा सकता है और विमोहित किये बिना भी जा सकता है। भगवन् ! वह महर्द्धिक देव, उसे पहले विमोहित करके बाद में जाता है, अथवा पहले जा कर बाद में विमोहित करता है ? गौतम! वह महर्द्धिक देव, पहले उसे विमोहित करके बाद में भी जा सकता है और पहले जा कर बाद में भी विमोहित कर सकता है। भगवन् ! अल्प – ऋद्धिक असुरकुमार देव, महर्द्धिक असुरकुमार देव के बीचोंबीच में से हो कर जा सकता है ? गौतम ! यह अर्थ समर्थ नहीं। इसी प्रकार सामान्य देव की तरह असुरकुमार के भी तीन आलापक कहना। इस प्रकार स्तनितकुमार तक तीन – तीन आलापक कहना। वाणव्यन्तर, ज्योतिष्क और वैमानिक देवों के विषय में भी ऐसे भी जानना। भगवन् ! क्या अल्प – ऋद्धिक देव, महर्द्धिक देवी के मध्य में से हो कर जा सकता है ? गौतम ! यह अर्थ समर्थ नहीं। भगवन् ! क्या समर्द्धिक देव, समर्द्धिक देवी के बीचोंबीच में से कर जा सकता है ? गौतमम ! पूर्वोक्त प्रकार से देव के साथ देवी का भी दण्डक वैमानिक पर्यन्त कहना चाहिए। भगवन् ! अल्प – ऋद्धिक देवी, महर्द्धिक देव के मध्य में से हो कर जा सकती है? गौतम ! यह अर्थ समर्थ नहीं। इस प्रकार यहॉं भी यह तीसरा दण्डक कहना चाहिए यावत् – भगवन् ! महर्द्धिक वैमानिक देवी, अल्प – ऋद्धिक वैमानिक देव के बीच में से होकर जा सकती है ? हाँ, गौतम ! जा सकती है। भगवन् ! अल्प – ऋद्धिक देवी महर्द्धिक देवी के मध्य में से होकर जा सकती है ? गौतम ! यह अर्थ समर्थ नहीं। इसी प्रकार सम – ऋद्धिक देवी का सम – ऋद्धिक के साथ पूर्ववत् आलापक कहना चाहिए। महर्द्धिक देवी का अल्प – ऋद्धिक देवी के साथ आलापक कहना चाहिए। इसी प्रकार एक – एक के तीन – तीन आलापक कहने चाहिए; यावत् – भगवन् ! वैमानिक महर्द्धिक देवी, अल्प – ऋद्धिक वैमानिक देवी के मध्य में होकर जा सकती है ? हाँ गौतम ! जा सकती है; यावत् – क्या वह महर्द्धिक देवी, उसे विमोहित करके जा सकती है या विमोहित किए बिना भी जा सकती है ? थता पहले विमोहित करके बाद में जाती है, अथवा पहले जा कर बाद में विमोहित करती है ? हे गौतम ! पूर्वोक्त रूप से कि पहले जाती है और पीछे भी विमोहित करती है; तक कहना चाहिए। इस प्रकार के चार दण्डक कहने चाहिए। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] rayagihe java evam vayasi–aiddhie nam bhamte! Deve java chattari, pamcha devavasamtaraim vitikkamte, tena param pariddhie? Hamta goyama! Aiddhie nam deve java chattari, pamcha devavasamtaraim vitikkamte, tena param pariddhie. Evam asurakumare vi, navaram–asurakumaravasamtaraim, sesam tam cheva. Evam eenam kamenam java thaniyakumare, evam vanamamtare, joisie vemanie java tena param pariddhie. Appiddhie nam bhamte! Deve mahiddhiyassa devassa majjhammajjhenam viivaejja? No inatthe samatthe. Samiddhie nam bhamte! Deve samiddhiyassa devassa majjhammajjhenam viivaejja? No inatthe samatthe, pamattam puna viivaejja. Se bhamte! Kim vimohitta pabhu? Avimohitta pabhu? Goyama! Vimohitta pabhu, no avimohitta pabhu. Se bhamte! Kim puvvim vimohitta pachchha viivaejja? Puvvim viivaitta pachchha vimohejja? Goyama! Puvvim vimohitta pachchha viivaejja, no puvvim viivaitta pachchha vimohejja. Mahiddhie nam bhamte! Deve appiddhiyassa devassa majjhammajjhenam viivaejja? Hamta viivaejja. Se bhamte! Kim vimohitta pabhu? Avimohitta pabhu? Goyama! Vimohitta vi pabhu, avimohitta vi pabhu. Se bhamte! Kim puvvim vimohitta pachchha viivaejja? Puvvim viivaitta pachchha vimohejja? Goyama! Puvvim va vimohetta pachchha viivaejja, puvvim va viivaitta pachchha vimohejja. Appiddhie nam bhamte! Asurakumare mahiddhiyassa asurakumarassa majjhammajjhenam viivaejja? No inatthe samatthe. Evam asurakumarena vi tinni alavaga bhaniyavva jaha ohienam devenam bhaniya. Evam java thaniyakumarenam. Vanamamtara-joisiya-vemanienam evam cheva. Appiddhie nam bhamte! Deve mahiddhiyae devie majjhammajjhenam viivaejja? No inatthe samatthe. Samiddhie nam bhamte! Deve samiddhiyae devie majjhammajjhenam viivaejja? Evam taheva devena ya devie ya damdao bhaniyavvo java vemaniyae. Appiddhiya nam bhamte! Devi mahiddhiyassa devassa majjhammajjhenam viivaejja? Evam eso vi tatio damdao bhaniyavvo java– Mahiddhiya vemanini appiddhiyassa vemaniyassa majjhammajjhenam viivaejja? Hamta viivaejja. Appiddhiya nam bhamte! Devi mahiddhiyae devie majjhammajjhenam viivaejja? No inatthe samatthe. Evam samiddhiya devi samiddhiyae devie taheva. Mahiddhiya vi devi appiddhiyae devie taheva. Evam ekkekke tinni-tinni alavaga bhaniyavva java– Mahiddhiya nam bhamte! Vemanini appiddhiyae vemaninie majjhammajjhenam viivaejja? Hamta viivaejja. Sa bhamte! Kim vimohitta pabhu? Avimohitta pabhu? Goyama! Vimohitta vi pabhu, avimohitta vi pabhu. Taheva java puvvim va viivaitta pachchha vimohejja. Ee chattari damdaga. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Rajagriha nagara mem yavat puchha – bhagavad ! Deva kya atmariddhi dvara yavat chara – pamcha devavasantarom ka ullamghana karatahai aura isake pashchat dusari shakti dvara ullamghana karata hai\? Ham, gautama ! Deva atmashakti se yavat chara – pamcha devasom ka ullamghana karata hai aura usake uparanta (vaikriya) shakti dvara ullamghana karata hai. Isi prakara asurakumarom ke vishaya mem bhi samajhana. Vishesha yaha ki ve asurakumarom ke avasom ka ullamghana karate haim. Shesha purvavat. Isi prakara stanitakumaraparyanta janana. Isi prakara vanavyantara, jyotishka aura vaimanika devaparyanta janana yavat ve atmashakti se chara – pamcha anya devavasom ka ullamghana karate hai; isake uparanta parariddhi se ullamghana karate haim. Bhagavan ! Alpariddhikadeva, maharddhikadeva ke bicha mem ho kara ja sakata hai\? Gautama ! Yaha artha samartha nahim hai. Bhagavan ! Samarddhika deva samarddhika deva ke bicha mem se ho kara ja sakata hai\? Gautama ! Yaha artha samartha nahim hai; parantu yadi vaha pramatta ho to ja sakata hai. Bhagavan ! Kya vaha deva, usa ko vimohita karake ja sakata hai, ya vimohita kiye vina\? Gautama ! Vaha deva, vimohita karake ja sakata hai, vimohita kiye vina nahim. Bhagavan ! Vaha deva, usa deva ko pahale vimohita karake bada mem jata hai, ya pahale ja kara bada mem vimohita karata hai\? Gautama ! Pahale use vimohita karata hai aura bada mem jata hai, parantu pahale ja kara bada mem vimohita nahim karata. Bhagavan ! Kya maharddhika deva, alpariddhika deva ke bichombicha mem se ho kara ja sakata hai\? Ham, gautama ! Ja sakata hai. Bhagavan ! Vaha maharddhika deva, usa alpariddhika deva ko vimohita karake jata hai, athava vimohita kiye bina jata hai\? Gautama ! Vaha vimohita karake bhi ja sakata hai aura vimohita kiye bina bhi ja sakata hai. Bhagavan ! Vaha maharddhika deva, use pahale vimohita karake bada mem jata hai, athava pahale ja kara bada mem vimohita karata hai\? Gautama! Vaha maharddhika deva, pahale use vimohita karake bada mem bhi ja sakata hai aura pahale ja kara bada mem bhi vimohita kara sakata hai. Bhagavan ! Alpa – riddhika asurakumara deva, maharddhika asurakumara deva ke bichombicha mem se ho kara ja sakata hai\? Gautama ! Yaha artha samartha nahim. Isi prakara samanya deva ki taraha asurakumara ke bhi tina alapaka kahana. Isa prakara stanitakumara taka tina – tina alapaka kahana. Vanavyantara, jyotishka aura vaimanika devom ke vishaya mem bhi aise bhi janana. Bhagavan ! Kya alpa – riddhika deva, maharddhika devi ke madhya mem se ho kara ja sakata hai\? Gautama ! Yaha artha samartha nahim. Bhagavan ! Kya samarddhika deva, samarddhika devi ke bichombicha mem se kara ja sakata hai\? Gautamama ! Purvokta prakara se deva ke satha devi ka bhi dandaka vaimanika paryanta kahana chahie. Bhagavan ! Alpa – riddhika devi, maharddhika deva ke madhya mem se ho kara ja sakati hai? Gautama ! Yaha artha samartha nahim. Isa prakara yahom bhi yaha tisara dandaka kahana chahie yavat – bhagavan ! Maharddhika vaimanika devi, alpa – riddhika vaimanika deva ke bicha mem se hokara ja sakati hai\? Ham, gautama ! Ja sakati hai. Bhagavan ! Alpa – riddhika devi maharddhika devi ke madhya mem se hokara ja sakati hai\? Gautama ! Yaha artha samartha nahim. Isi prakara sama – riddhika devi ka sama – riddhika ke satha purvavat alapaka kahana chahie. Maharddhika devi ka alpa – riddhika devi ke satha alapaka kahana chahie. Isi prakara eka – eka ke tina – tina alapaka kahane chahie; yavat – bhagavan ! Vaimanika maharddhika devi, alpa – riddhika vaimanika devi ke madhya mem hokara ja sakati hai\? Ham gautama ! Ja sakati hai; yavat – kya vaha maharddhika devi, use vimohita karake ja sakati hai ya vimohita kie bina bhi ja sakati hai\? Thata pahale vimohita karake bada mem jati hai, athava pahale ja kara bada mem vimohita karati hai\? He gautama ! Purvokta rupa se ki pahale jati hai aura pichhe bhi vimohita karati hai; taka kahana chahie. Isa prakara ke chara dandaka kahane chahie. |