Sutra Navigation: Bhagavati ( भगवती सूत्र )

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Sr No : 1003981
Scripture Name( English ): Bhagavati Translated Scripture Name : भगवती सूत्र
Mool Language : Ardha-Magadhi Translated Language : Hindi
Chapter :

शतक-१०

Translated Chapter :

शतक-१०

Section : उद्देशक-२ संवृत्त अणगार Translated Section : उद्देशक-२ संवृत्त अणगार
Sutra Number : 481 Category : Ang-05
Gatha or Sutra : Sutra Sutra Anuyog :
Author : Deepratnasagar Original Author : Gandhar
 
Century : Sect : Svetambara1
Source :
 
Mool Sutra : [सूत्र] भिक्खू य अन्नयरं अकिच्चट्ठाणं पडिसेवित्ता से णं तस्स ठाणस्स अनालोइयपडिक्कंते कालं करेइ नत्थि तस्स आराहणा, से णं तस्स ठाणस्स आलोइयपडिक्कंते कालं करेइ अत्थि तस्स आराहणा। भिक्खू य अन्नयरं अकिच्चट्ठाणं पडिसेवित्ता तस्स णं एवं भवइ–पच्छा वि णं अहं चरिमकालसमयंसि एयस्स ठाणस्स आलोएस्सामि, पडिक्कमिस्सामि, निंदिस्सामि, गरिहिस्सामि, विउट्टिस्सामि, विसोहिस्सामि, अकरणयाए अब्भुट्ठिस्सामि, अहारियं पायच्छित्तं तवोकम्मं पडिवज्जिस्सामि, से णं तस्स ठाणस्स अणालोइयं पडिक्कंते कालं करेइ नत्थि तस्स आराहणा, से णं तस्स ठाणस्स आलोइय-पडिक्कंते कालं करेइ अत्थि तस्स आराहणा। भिक्खू य अन्नयरं अकिच्चट्ठाणं पडिसेवित्ता तस्स णं एवं भवइ–जइ ताव समणोवासगा वि कालमासे कालं किच्चा अन्नयरेसु सु देवलोएसु देवत्ताए उववत्तारो भवंति, किमंग! पुण अहं अणपन्नियदेवत्तणंपि नो लभिस्सामि त्ति कट्टु से णं तस्स ठाणस्स अनालोइयपडिक्कंते कालं करेइ नत्थि तस्स आराहणा, से णं तस्स ठाणस्स आलोइय-पडिक्कंते कालं करेइ अत्थि तस्स आराहणा। सेवं भंते! सेवं भंते! त्ति।
Sutra Meaning : कोई भिक्षु किसी अकृत्य का सेवन करके यदि उस अकृत्यस्थान की आलोचना तथा प्रतिक्रमण किये बिना ही काल कर जाता है तो उसके आराधना नहीं होती। यदि वह भिक्षु उस सेवित अकृत्यस्थान की आलोचना और प्रतिक्रमण करके काल करता है, तो उसके आराधना होती है। कदाचित् किसी भिक्षु ने किसी अकृत्यस्थान का सेवन कर लिया, किन्तु बाद में उसके मन में ऐसा विचार उत्पन्न हो कि मैं अपने अन्तिम समय में इस अकृत्यस्थान की आलोचना करूंगा यावत् तपरूप प्रायश्चित स्वीकार करुंगा; परन्तु वह उस अकृत्यस्थान की आलोचना और प्रतिक्रिमण किये बिना ही काल करे तो उसके आराधना नहीं होती। यदि वह आलोचन और प्रतिक्रमण करके काल करे, तो उसके आराधना होती है। कदाचित् किसी भिक्षु ने किसी अकृत्यस्थान का सेवन कर लिया हो ओर उसके बाद उसके मन में यह विचार उत्पन्न हो कि श्रमणोपासक भी काल के अवसर पर काल करके किन्ही देवलोकों में उत्पन्न हो जाते हैं, तो क्या मैं अणपन्निक देवत्व भी प्राप्त नहीं कर सकूंगा ?, यह सोच कर यदि वह उस अकृत्य स्थान की आलोचना और प्रतिक्रमण किये बिना ही काल करे तो उसके आराधना नहीं होती। यदि वह आलोचना और प्रतिक्रमण करके करके काल करता है, तो उसके आराधना होती है। हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है।
Mool Sutra Transliteration : [sutra] bhikkhu ya annayaram akichchatthanam padisevitta se nam tassa thanassa analoiyapadikkamte kalam karei natthi tassa arahana, se nam tassa thanassa aloiyapadikkamte kalam karei atthi tassa arahana. Bhikkhu ya annayaram akichchatthanam padisevitta tassa nam evam bhavai–pachchha vi nam aham charimakalasamayamsi eyassa thanassa aloessami, padikkamissami, nimdissami, garihissami, viuttissami, visohissami, akaranayae abbhutthissami, ahariyam payachchhittam tavokammam padivajjissami, se nam tassa thanassa analoiyam padikkamte kalam karei natthi tassa arahana, se nam tassa thanassa aloiya-padikkamte kalam karei atthi tassa arahana. Bhikkhu ya annayaram akichchatthanam padisevitta tassa nam evam bhavai–jai tava samanovasaga vi kalamase kalam kichcha annayaresu su devaloesu devattae uvavattaro bhavamti, kimamga! Puna aham anapanniyadevattanampi no labhissami tti kattu se nam tassa thanassa analoiyapadikkamte kalam karei natthi tassa arahana, se nam tassa thanassa aloiya-padikkamte kalam karei atthi tassa arahana. Sevam bhamte! Sevam bhamte! Tti.
Sutra Meaning Transliteration : Koi bhikshu kisi akritya ka sevana karake yadi usa akrityasthana ki alochana tatha pratikramana kiye bina hi kala kara jata hai to usake aradhana nahim hoti. Yadi vaha bhikshu usa sevita akrityasthana ki alochana aura pratikramana karake kala karata hai, to usake aradhana hoti hai. Kadachit kisi bhikshu ne kisi akrityasthana ka sevana kara liya, kintu bada mem usake mana mem aisa vichara utpanna ho ki maim apane antima samaya mem isa akrityasthana ki alochana karumga yavat taparupa prayashchita svikara karumga; parantu vaha usa akrityasthana ki alochana aura pratikrimana kiye bina hi kala kare to usake aradhana nahim hoti. Yadi vaha alochana aura pratikramana karake kala kare, to usake aradhana hoti hai. Kadachit kisi bhikshu ne kisi akrityasthana ka sevana kara liya ho ora usake bada usake mana mem yaha vichara utpanna ho ki shramanopasaka bhi kala ke avasara para kala karake kinhi devalokom mem utpanna ho jate haim, to kya maim anapannika devatva bhi prapta nahim kara sakumga\?, yaha socha kara yadi vaha usa akritya sthana ki alochana aura pratikramana kiye bina hi kala kare to usake aradhana nahim hoti. Yadi vaha alochana aura pratikramana karake karake kala karata hai, to usake aradhana hoti hai. He bhagavan ! Yaha isi prakara hai.