Sutra Navigation: Bhagavati ( भगवती सूत्र )

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Sr No : 1003958
Scripture Name( English ): Bhagavati Translated Scripture Name : भगवती सूत्र
Mool Language : Ardha-Magadhi Translated Language : Hindi
Chapter :

शतक-९

Translated Chapter :

शतक-९

Section : उद्देशक-३२ गांगेय Translated Section : उद्देशक-३२ गांगेय
Sutra Number : 458 Category : Ang-05
Gatha or Sutra : Sutra Sutra Anuyog :
Author : Deepratnasagar Original Author : Gandhar
 
Century : Sect : Svetambara1
Source :
 
Mool Sutra : [सूत्र] संतरं भंते! नेरइया उववज्जंति निरंतरं नेरइया उववज्जंति संतरं असुरकुमारा उववज्जंति निरंतरं असुरकुमारा उव-वज्जंति जाव संतरं वेमाणिया उववज्जंति निरंतरं वेमाणिया उववज्जंति? संतरं नेरइया उव्वट्टंति निरंतरं नेरइया उव्वट्टंति जाव संतरं वाणमंतरा उव्वट्टंति निरंतरं वाणमंतरा उव्वट्टंति? संतरं जोइसिया चयंति निरंतरं जोइसिया चयंति संतरं वेमाणिया चयंति निरंतरं वेमाणिया चयंति? गंगेया! संतरं पि नेरइया उववज्जंति निरंतरं पि नेरइया उववज्जंति जाव संतरं पि थणियकुमारा उववज्जंति निरंतरं पि थणि-यकुमारा उववज्जंति, नो संतरं पुढविक्काइया उववज्जंति निरंतरं पुढविक्काइया उववज्जंति, एवं जाव वणस्सइकाइया। सेसा जहा नेरइया जाव संतरं पि वेमाणिया उववज्जंति निरंतरं पि वेमाणिया उववज्जंति। संतरं पि नेरइया उव्वट्टंति निरंतरं पि नेरइया उव्वट्टंति, एवं जाव थणियकुमारा। नो संतरं पुढविक्काइया उव्वट्टंति निरंतरं पुढविक्काइया उव्वट्टंति, एवं जाव वणस्सइकाइया। सेसा जहा नेरइया, नवरं–जोइसिय-वेमाणिया चयंति अभिलावो जाव संतरं पि वेमाणिया चयंति निरंतरं पि वेमाणिया चयंति। सतो भंते! नेरइया उववज्जंति, असतो नेरइया उववज्जंति, सतो असुरकुमारा उववज्जंति जाव सतो वेमाणिया उववज्जंति, असतो वेमाणिया उववज्जंति? सतो नेरइया उव्वट्टंति, असतो नेरइया उव्वट्टंति, सतो असुरकुमारा उव्वट्टंति जाव सतो वेमाणिया चयंति, असतो वेमाणिया चयंति? गंगेया! सतो नेरइया उववज्जंति, नो असतो नेरइया उववज्जंति, सतो असुरकुमारा उववज्जंति, नो असतो असुरकुमारा उववज्जंति जाव सतो वेमाणिया उववज्जंति, नो असतो वेमाणिया उववज्जंति, सतो नेरइया उव्वट्टंति, नो असतो नेरइया उव्वट्टंति जाव सतो वेमाणिया चयंति, नो असतो वेमाणिया चयंति। से केणट्ठेणं भंते! एवं वुच्चइ–सतो नेरइया उववज्जंति, नो असतो नेरइया उववज्जंति जाव सतो वेमाणिया चयंति, नो असतो वेमाणिया चयंति? से नूनं मे गंगेया! पासेनं अरहया पुरिसादाणीएणं सासए लोए बुइए अनादीए अणवदग्गे परित्ते परिवुडे हेट्ठा विच्छिण्णे, मज्झे संखित्ते, उप्पिं विसाले; अहे पलियंकसंठिए, मज्झे वरवइरविग्गहिए, उप्पिं उद्धमुइंगाकारसंठिए। तंसिं च णं सासयंसि लोगंसि अणादियंसि अनवदग्गंसि परित्तंसि परिवुडंसि हेट्ठा विच्छिण्णंसि, मज्झे संखित्तंसि, उप्पिं विसालंसि, अहे पलियंकसंठि-यंसि, मज्झे वरवइरविग्गहियंसि, उप्पिं उद्धमुइंगाकारसंठियंसि अनंता जीवघणा उप्पज्जित्ता-उप्पज्जित्ता निलीयंति, परित्ता जीव-घणा उप्पज्जित्ता-उप्पज्जित्ता निलीयंति। से भूए उप्पण्णे विगए परिणए, अजीवेहिं लोक्कइ पलोक्कइ, जे लोक्कइ से लोए। से तेणट्ठेणं गंगेया! एवं वुच्चइ–जाव सतो वेमाणिया चयंति, नो असतो वेमाणिया चयंति। सयं भंते! एतेवं जाणह, उदाहु असयं, असोच्चा एतेवं जाणह, उदाहु सोच्चा–सतो नेरइया उववज्जंति, नो असतो नेरइया उववज्जंति जाव सतो वेमाणिया चयंति, नो असतो वेमाणिया चयंति? गंगेया! सयं एतेवं जाणामि, नो असयं, असोच्चा एतेवं जाणामि, नो सोच्चा– सतो नेरइया उववज्जंति, नो असतो नेरइया उववज्जंति जाव सतो वेमाणिया चयंति, नो असतो वेमाणिया चयंति। से केणट्ठेणं भंते! एवं वुच्चइ–सयं एतेवं जाणामि, नो असयं, असोच्चा एतेवं जाणामि, नो सोच्चा–सतो नेरइया उववज्जंति, नो असतो नेरइया उववज्जंति जाव सतो वेमाणिया चयंति, नो असतो वेमाणिया चयंति? गंगेया! केवली णं पुरत्थिमे णं मियं पि जाणइ, अमियं पि जाणइ। दाहिणे णं, पच्चत्थिमे णं, उत्तरे णं, उड्ढं, अहे मियं पि जाणइ, अमियं पि जाणइ। सव्वं जाणइ केवली, सव्वं पासइ केवली। सव्वओ जाणइ केवली, सव्वओ पासइ केवली। सव्वकालं जाणइ केवली, सव्वकालं पासइ केवली। सव्वभावे जाणइ केवली, सव्वभावे पासइ केवली। अनंते नाणे केवलिस्स, अनंते दंसणे केवलिस्स। निव्वुडे नाणे केवलिस्स, निव्वुडे दंसणे केवलिस्स। से तेणट्ठेणं गंगेया! एवं वुच्चइ–सयं एतेवं जाणामि, नो असयं असोच्चा एतेवं जाणामि, नो सोच्चा–तं चेव जाव नो असतो वेमाणिया चयंति। सयं भंते! नेरइया नेरइएसु उववज्जंति? असयं नेरइया नेरइएसु उववज्जंति? गंगेया! सयं नेरइया नेरइएसु उववज्जंति, नो असयं नेरइया नेरइएसु उववज्जंति। से केणट्ठेणं भंते! एवं वुच्चइ–सयं नेरइया नेरइएसु उववज्जंति, नो असयं नेरइया नेरइएसु उववज्जंति? गंगेया! कम्मोदएणं, कम्मगुरुयत्ताए, कम्मभारियत्ताए, कम्मगुरुसंभारियत्ताए; असुभाणं कम्माणं उदएणं, असुभाणं कम्माणं विवागेणं, असुभाणं कम्माणं फलविवागेणं सयं नेरइया नेरइएसु उववज्जंति, नो असयं नेरइया नेरइएसु उववज्जंति। से तेणट्ठेणं गंगेया! एवं वुच्चइ–सयं नेरइया नेरइएसु उववज्जंति, नो असयं नेरइया नेरइएसु उववज्जंति। सयं भंते! असुरकुमारा–पुच्छा। गंगेया! सयं असुरकुमारा असुरकुमारेसु उववज्जंति, नो असयं असुरकुमारा असुरकुमारेसु उववज्जंति। से केणट्ठेणं तं चेव जाव उववज्जंति? गंगेया! कम्मोदएणं, कम्मविगतीए, कम्मविसोहीए, कम्मविसुद्धीए; सुभाणं कम्माणं उदएणं, सुभाणं कम्माणं विवागेणं सुभाणं कम्माणं फलविवागेणं सयं असुरकुमारा असुरकुमारत्ताए उववज्जंति, नो असयं असुरकुमारा असुरकुमारत्ताए उववज्जंति। से तेणट्ठेणं जाव उववज्जंति। एवं जाव थणियकुमारा। सयं भंते! पुढविक्काइया–पुच्छा। गंगेया! सयं पुढविक्काइया पुढविक्काइएसु उववज्जंति नो असयं पुढविक्काइया पुढविक्काइएसु उववज्जंति। से केणट्ठेणं जाव उववज्जंति? गंगेया! कम्मोदएणं, कम्मगुरुयत्ताए, कम्मभारियत्ताए, कम्मगुरुसंभारियत्ताए; सुभासुभाणं कम्माणं उदएणं, सुभासुभाणं कम्माणं विवागेणं, सुभासुभाणं कम्माणं फलविवागेणं सयं पुढवि-क्काइया पुढविक्काइएसु उववज्जंति, नो असयं पुढविक्काइया पुढ-विक्काइएसु उववज्जंति। से तेणट्ठेणं जाव उववज्जंति। एवं जाव मनुस्सा। वाणमंतर-जोइसिय-वेमाणिया जहा असुरकुमारा। से तेणट्ठेणं गंगेया! एवं वुच्चइ–सयं वेमाणिया वेमाणिएसु उववज्जंति, नो असयं वेमाणिया वेमाणिएसु उववज्जंति।
Sutra Meaning : भगवन्‌ ! नैरयिक सान्तर उत्पन्न होते है या निरन्तर उत्पन्न होते है ? असुरकुमार सान्तर उत्पन्न होते है अथवा निरन्तर ? यावत् वैमानिक देव सान्तर उत्पन्न होते है या निरन्तर उत्पन्न होते है ? (इसी तरह) नैरयिक का उद्वर्तन सान्तर होता है अथवा निरन्तर ? यावत् वाणव्यन्तर देवो का उद्वर्त्तन सान्तर होता है या निरन्तर ? ज्योतिष्क देवो का सान्तर च्यवन होता है या निरन्तर ? वैमानिक देवों का सान्तर च्यवन होता है या निरन्तर होता है ? हे गांगेय ! नैरयिक सान्तर भी उत्पन्न होते हैं और निरन्तर भी, यावत् स्तनितकुमार सान्तर भी उत्पन्न होते हैं और निरन्तर भी। पृथ्वीकायिकजीव सान्तर उत्पन्न नही होते, किन्तु निरन्तर ही उत्पन्न होते है। इसी प्रकार यावत् वनस्पतिकायिक जीव सान्तर उत्पन्न नही होते, किन्तु निरन्तर उत्पन्न होते है। शेष सभी जीव नैरयिक जीवों के समान सान्तर भी उत्पन्न होते है, निरन्तर भी, यावत् वैमानिक देव सान्तर भी उत्पन्न होते है, और निरन्तर भी। नैरयिक जीव सान्तर भी उद्वर्तन करते है, निरन्तर भी। इसी प्रकार स्तनितकुमारों तक कहना। पृथ्वीकायिकजीव सान्तर नहीं उद्ववर्तते, निरन्तर उद्ववर्तित होते है। इसी प्रकार वनस्पतिकायिको तक कहना। शेष सभी जीवों का कथन नैरयिको के समान जानना। इतना विशेष है कि ज्योतिष्क देव और वैमानिक देव च्यवते, ऐसा पाठ कहना चाहिए चावत् वैमानिक देव सान्तर भी च्यवते है और निरन्तर भी। भगवन् ! सत् नैरयिक जीव उत्पन्न होते है या असत् ? गांगेय ! सत् नैरयिक उत्पन्न होते है, असत् नैरयिक उत्पन्न नही होते। इसी प्रकार वैमानिकों तक जानना। भगवन् ! सत् नैरयिक उद्वर्तते है या असत् ? गांगेय ! सत् नैरयिक उद्वर्तते है किन्तु असत् नैरयिक उद्वर्तित नही होते। इसी प्रकार वैमानिकों पर्यन्त जानना। विशेष इतना है कि ज्योतिष्क और वैमानिक देवो के लिए ‘च्यवते है’, ऐसा कहना। भगवन् ! नैरयिक जीव सत् नैरयिको में उत्पन्न होते हे या असत् नैरयिको में ? असुरकुमार देव, सत असुरकुमार देवों में उत्पन्न होते है या असत् असुरकुमार देवो में ? इसी प्रकार यावत् सत् वैमानिकों मे उत्पन्न होते है या असत् वैमानिको में ? तथा सत् नैरयिकों में से उद्वर्तते है या असत् नैरयिको में से ? सत् असुरकुमारो में से उद्वर्तते है यावत् सत् वैमानिक में से च्यवते है या असत् वैमानिक में से ? गांगेय ! नैरयिक जीव सत् नैरयिको में उत्पन्न होते है, किन्तु असत् नैरयिको में उत्पन्न नही होते। सत् असुरकुमारों में उत्पन्न होते है, असत् असुरकुमारों मे नही। इसी प्रकार यावत् सत् वैमानिको में उत्पन्न होते है, असत् वैमानिको में नही। सत् नैरयिको में से उद्वर्तते है, असत् नैरयिकों में से नहीं। यावत् सत् वैमानिकों मे से च्यवते है असत् वैमानिको में से नहीं। भगवन् ! ऐसा किस कारण से कहा जाता है कि नैरयिक सत् नारयिकों में उत्पन्न होते है, असत् नैरयिको में नहीं। इसी प्रकार यावत् सत् वैमानिकों में से च्यवते है, असत् वैमानिकों में से नही ? गांगेय ! निश्चित ही पुरुषादानीय अर्हत् श्रीपार्श्वनाथ ने लोक को शाश्वत, अनादि और अनन्त कहा है इत्यादि, पंचम शतक के नौवे उद्देशक में कहे अनुसार जानना, यावत् – जो अवलोकन किया जाए, उसे लोक कहते है। इस कारण हे गांगेय ! ऐसा कहा जाता है कि यावत् असत् वैमानिकों में से नहीं। भगवन् ! आप स्वयं इसे प्रकार जानते है, अथवा अस्वयं जानते है ? तथा बिना सुने ही इसे इस प्रकार जानते है, अथवा सुनकर जानते है कि ‘सत् नैरयिक उत्पन्न होते है, असत् नैरयिक नहीं। यावत् सत् वैमानिकों मे से च्यवन होता है, असत् वैमानिको से नही ?’ गांगेय ! यह सब इस रूप में मै स्वयं जानता हूं, अस्वयं नहीं तथा बिना सुने ही मै इसे इस प्रकार जानता हूं, सुनकर ऐसा नही जानता कि सत् नैरयिक उत्पन्न होते है, असत नैरयिक नही, यावत् सत् वैमानिकों में से च्यवते है, असत् वैमानिकों में से नहीं। भगवन् ! ऐसा किस कारण से कहा जाता है, कि मैं स्वयं जानता हूं, इत्यादि, गांगेय ! केवलज्ञानी पूर्व में मित भी जानते है अमित भी जानते है। इसी प्रकार दक्षिण दिशा में भी जानते है। इस प्रकार शब्द – उद्देशक में कहे अनुसार कहना। यावत् केवली का ज्ञान निरावरण होता है, इसलिए हे गांगेय ! इस कारण से ऐसा कहा जाता है कि मैं स्वयं जानता हूं, इत्यादि, यावत् असत् वैमानिकों में से नही च्यवते। हे भगवन् ! नैरयिक, नैरयिको में स्वयं उत्पन्न होते है या अस्वयं उत्पन्न होते है ? गांगेय ! नैरयिक, नैरयिको में स्वयं उत्पन्न होते है, अस्वयं उत्पन्न नहीं होते। भगवन् ! ऐसा क्यों कहते है कि यावत् अस्वयं उत्पन्न नहीं होते ? गांगेय! कर्म के उदय से, कर्मो की गुरुता के कारण, कर्मो के भारीपन से, कर्मो के अत्यन्त गुरुत्व और भारीपन से, अशुभ कर्मो के उदय से, अशुभ कर्मो के विपाक से तथा अशुभ कर्मो के फलपरिपाक से नैरयिक, नैरयिकों में स्वयं उत्पन्न होते है, अस्वयं उत्पन्न नहीं होते। भंते ! असुरकुमार, असुरकुमारो में स्वयं उत्पन्न होते है या अस्वयं ? इत्यादि पृच्छा। गांगेय ! असुरकुमार असुरकुमारों में स्वयं उत्पन्न होते है, अस्वयं उत्पन्न नही होते। भगवन् ! ऐसा कहने का क्या कारण है कि यावत् अस्वयं उत्पन्न नही होते ? हे गांगेय ! कर्म के उदय, से, कर्म के अभाव से, कर्म की विशोधि से, कर्मो की विशुद्धि से, शुभ कर्मो के उदय से, शुभ कर्मो के विपाक से, शुभ कर्मो के फलविपाक से असुरकुमार, असुरकुमारों में स्वयं उत्पन्न होते है, अस्वयं उत्पन्न नहीं होते। इसी प्रकार स्तनितकुमारों तक जानना चाहिए। भगवन् ! क्या पृथ्वीकायिक, पृथ्वीकायिकों मे स्वयं उत्पन्न होते है, या अस्वयं उत्पन्न होते है ? गांगेय ! पृथ्वीकायिक, पृथ्वीकायिको में सव्यं यावत् उत्पन्न होते है, अस्वयं उत्पन्न नही होते है। भगवन् ! ऐसा किस कारण से कहते है कि पृथ्वीकायिक स्वयं उत्पन्न होते है, इत्यादि ? गांगेय ! कर्म के उदय से, कर्मो की गुरुता से, कर्म के भारीपन से, कर्म के अत्यन्त गुरुत्व और भारीपन से, शुभाशुभ कर्मो के उदय से, शुभाशुभ कर्मो के विपाक से, शुभाशुभ कर्मो से फल – विपाक से पृथ्वीकायिका, पृथ्वीकायिकों में उत्पन्न होते है, अस्वयं उत्पन्न नही होते। इसी प्रकार यावत् मनुष्य तक जानना चाहिए। असुरकुमारो के वाणव्यन्तर, ज्योतिष्क और वैमानिकों के विषय में भी जानना। इसी कारण हे गांगेय ! में ऐसा कहता हूं कि यावत् वैमानिक, वैमानिकों मे स्वयं उत्पन्न होते है, अस्वयं उत्पन्न नही होते।
Mool Sutra Transliteration : [sutra] samtaram bhamte! Neraiya uvavajjamti niramtaram neraiya uvavajjamti samtaram asurakumara uvavajjamti niramtaram asurakumara uva-vajjamti java samtaram vemaniya uvavajjamti niramtaram vemaniya uvavajjamti? Samtaram neraiya uvvattamti niramtaram neraiya uvvattamti java samtaram vanamamtara uvvattamti niramtaram vanamamtara uvvattamti? Samtaram joisiya chayamti niramtaram joisiya chayamti samtaram vemaniya chayamti niramtaram vemaniya chayamti? Gamgeya! Samtaram pi neraiya uvavajjamti niramtaram pi neraiya uvavajjamti java samtaram pi thaniyakumara uvavajjamti niramtaram pi thani-yakumara uvavajjamti, no samtaram pudhavikkaiya uvavajjamti niramtaram pudhavikkaiya uvavajjamti, evam java vanassaikaiya. Sesa jaha neraiya java samtaram pi vemaniya uvavajjamti niramtaram pi vemaniya uvavajjamti. Samtaram pi neraiya uvvattamti niramtaram pi neraiya uvvattamti, evam java thaniyakumara. No samtaram pudhavikkaiya uvvattamti niramtaram pudhavikkaiya uvvattamti, evam java vanassaikaiya. Sesa jaha neraiya, navaram–joisiya-vemaniya chayamti abhilavo java samtaram pi vemaniya chayamti niramtaram pi vemaniya chayamti. Sato bhamte! Neraiya uvavajjamti, asato neraiya uvavajjamti, sato asurakumara uvavajjamti java sato vemaniya uvavajjamti, asato vemaniya uvavajjamti? Sato neraiya uvvattamti, asato neraiya uvvattamti, sato asurakumara uvvattamti java sato vemaniya chayamti, asato vemaniya chayamti? Gamgeya! Sato neraiya uvavajjamti, no asato neraiya uvavajjamti, sato asurakumara uvavajjamti, no asato asurakumara uvavajjamti java sato vemaniya uvavajjamti, no asato vemaniya uvavajjamti, sato neraiya uvvattamti, no asato neraiya uvvattamti java sato vemaniya chayamti, no asato vemaniya chayamti. Se kenatthenam bhamte! Evam vuchchai–sato neraiya uvavajjamti, no asato neraiya uvavajjamti java sato vemaniya chayamti, no asato vemaniya chayamti? Se nunam me gamgeya! Pasenam arahaya purisadanienam sasae loe buie anadie anavadagge paritte parivude hettha vichchhinne, majjhe samkhitte, uppim visale; ahe paliyamkasamthie, majjhe varavairaviggahie, uppim uddhamuimgakarasamthie. Tamsim cha nam sasayamsi logamsi anadiyamsi anavadaggamsi parittamsi parivudamsi hettha vichchhinnamsi, majjhe samkhittamsi, uppim visalamsi, ahe paliyamkasamthi-yamsi, majjhe varavairaviggahiyamsi, uppim uddhamuimgakarasamthiyamsi anamta jivaghana uppajjitta-uppajjitta niliyamti, paritta jiva-ghana uppajjitta-uppajjitta niliyamti. Se bhue uppanne vigae parinae, ajivehim lokkai palokkai, je lokkai se loe. Se tenatthenam gamgeya! Evam vuchchai–java sato vemaniya chayamti, no asato vemaniya chayamti. Sayam bhamte! Etevam janaha, udahu asayam, asochcha etevam janaha, udahu sochcha–sato neraiya uvavajjamti, no asato neraiya uvavajjamti java sato vemaniya chayamti, no asato vemaniya chayamti? Gamgeya! Sayam etevam janami, no asayam, asochcha etevam janami, no sochcha– Sato neraiya uvavajjamti, no asato neraiya uvavajjamti java sato vemaniya chayamti, no asato vemaniya chayamti. Se kenatthenam bhamte! Evam vuchchai–sayam etevam janami, no asayam, asochcha etevam janami, no sochcha–sato neraiya uvavajjamti, no asato neraiya uvavajjamti java sato vemaniya chayamti, no asato vemaniya chayamti? Gamgeya! Kevali nam puratthime nam miyam pi janai, amiyam pi janai. Dahine nam, pachchatthime nam, uttare nam, uddham, ahe miyam pi janai, amiyam pi janai. Savvam janai kevali, savvam pasai kevali. Savvao janai kevali, savvao pasai kevali. Savvakalam janai kevali, savvakalam pasai kevali. Savvabhave janai kevali, savvabhave pasai kevali. Anamte nane kevalissa, anamte damsane kevalissa. Nivvude nane kevalissa, nivvude damsane kevalissa. Se tenatthenam gamgeya! Evam vuchchai–sayam etevam janami, no asayam asochcha etevam janami, no sochcha–tam cheva java no asato vemaniya chayamti. Sayam bhamte! Neraiya neraiesu uvavajjamti? Asayam neraiya neraiesu uvavajjamti? Gamgeya! Sayam neraiya neraiesu uvavajjamti, no asayam neraiya neraiesu uvavajjamti. Se kenatthenam bhamte! Evam vuchchai–sayam neraiya neraiesu uvavajjamti, no asayam neraiya neraiesu uvavajjamti? Gamgeya! Kammodaenam, kammaguruyattae, kammabhariyattae, kammagurusambhariyattae; asubhanam kammanam udaenam, asubhanam kammanam vivagenam, asubhanam kammanam phalavivagenam sayam neraiya neraiesu uvavajjamti, no asayam neraiya neraiesu uvavajjamti. Se tenatthenam gamgeya! Evam vuchchai–sayam neraiya neraiesu uvavajjamti, no asayam neraiya neraiesu uvavajjamti. Sayam bhamte! Asurakumara–puchchha. Gamgeya! Sayam asurakumara asurakumaresu uvavajjamti, no asayam asurakumara asurakumaresu uvavajjamti. Se kenatthenam tam cheva java uvavajjamti? Gamgeya! Kammodaenam, kammavigatie, kammavisohie, kammavisuddhie; subhanam kammanam udaenam, subhanam kammanam vivagenam subhanam kammanam phalavivagenam sayam asurakumara asurakumarattae uvavajjamti, no asayam asurakumara asurakumarattae uvavajjamti. Se tenatthenam java uvavajjamti. Evam java thaniyakumara. Sayam bhamte! Pudhavikkaiya–puchchha. Gamgeya! Sayam pudhavikkaiya pudhavikkaiesu uvavajjamti no asayam pudhavikkaiya pudhavikkaiesu uvavajjamti. Se kenatthenam java uvavajjamti? Gamgeya! Kammodaenam, kammaguruyattae, kammabhariyattae, kammagurusambhariyattae; subhasubhanam kammanam udaenam, subhasubhanam kammanam vivagenam, subhasubhanam kammanam phalavivagenam sayam pudhavi-kkaiya pudhavikkaiesu uvavajjamti, no asayam pudhavikkaiya pudha-vikkaiesu uvavajjamti. Se tenatthenam java uvavajjamti. Evam java manussa. Vanamamtara-joisiya-vemaniya jaha asurakumara. Se tenatthenam gamgeya! Evam vuchchai–sayam vemaniya vemaniesu uvavajjamti, no asayam vemaniya vemaniesu uvavajjamti.
Sutra Meaning Transliteration : Bhagavan ! Nairayika santara utpanna hote hai ya nirantara utpanna hote hai\? Asurakumara santara utpanna hote hai athava nirantara\? Yavat vaimanika deva santara utpanna hote hai ya nirantara utpanna hote hai\? (isi taraha) nairayika ka udvartana santara hota hai athava nirantara\? Yavat vanavyantara devo ka udvarttana santara hota hai ya nirantara\? Jyotishka devo ka santara chyavana hota hai ya nirantara\? Vaimanika devom ka santara chyavana hota hai ya nirantara hota hai\? He gamgeya ! Nairayika santara bhi utpanna hote haim aura nirantara bhi, yavat stanitakumara santara bhi utpanna hote haim aura nirantara bhi. Prithvikayikajiva santara utpanna nahi hote, kintu nirantara hi utpanna hote hai. Isi prakara yavat vanaspatikayika jiva santara utpanna nahi hote, kintu nirantara utpanna hote hai. Shesha sabhi jiva nairayika jivom ke samana santara bhi utpanna hote hai, nirantara bhi, yavat vaimanika deva santara bhi utpanna hote hai, aura nirantara bhi. Nairayika jiva santara bhi udvartana karate hai, nirantara bhi. Isi prakara stanitakumarom taka kahana. Prithvikayikajiva santara nahim udvavartate, nirantara udvavartita hote hai. Isi prakara vanaspatikayiko taka kahana. Shesha sabhi jivom ka kathana nairayiko ke samana janana. Itana vishesha hai ki jyotishka deva aura vaimanika deva chyavate, aisa patha kahana chahie chavat vaimanika deva santara bhi chyavate hai aura nirantara bhi. Bhagavan ! Sat nairayika jiva utpanna hote hai ya asat\? Gamgeya ! Sat nairayika utpanna hote hai, asat nairayika utpanna nahi hote. Isi prakara vaimanikom taka janana. Bhagavan ! Sat nairayika udvartate hai ya asat\? Gamgeya ! Sat nairayika udvartate hai kintu asat nairayika udvartita nahi hote. Isi prakara vaimanikom paryanta janana. Vishesha itana hai ki jyotishka aura vaimanika devo ke lie ‘chyavate hai’, aisa kahana. Bhagavan ! Nairayika jiva sat nairayiko mem utpanna hote he ya asat nairayiko mem\? Asurakumara deva, sata asurakumara devom mem utpanna hote hai ya asat asurakumara devo mem\? Isi prakara yavat sat vaimanikom me utpanna hote hai ya asat vaimaniko mem\? Tatha sat nairayikom mem se udvartate hai ya asat nairayiko mem se\? Sat asurakumaro mem se udvartate hai yavat sat vaimanika mem se chyavate hai ya asat vaimanika mem se\? Gamgeya ! Nairayika jiva sat nairayiko mem utpanna hote hai, kintu asat nairayiko mem utpanna nahi hote. Sat asurakumarom mem utpanna hote hai, asat asurakumarom me nahi. Isi prakara yavat sat vaimaniko mem utpanna hote hai, asat vaimaniko mem nahi. Sat nairayiko mem se udvartate hai, asat nairayikom mem se nahim. Yavat sat vaimanikom me se chyavate hai asat vaimaniko mem se nahim. Bhagavan ! Aisa kisa karana se kaha jata hai ki nairayika sat narayikom mem utpanna hote hai, asat nairayiko mem nahim. Isi prakara yavat sat vaimanikom mem se chyavate hai, asat vaimanikom mem se nahi\? Gamgeya ! Nishchita hi purushadaniya arhat shriparshvanatha ne loka ko shashvata, anadi aura ananta kaha hai ityadi, pamchama shataka ke nauve uddeshaka mem kahe anusara janana, yavat – jo avalokana kiya jae, use loka kahate hai. Isa karana he gamgeya ! Aisa kaha jata hai ki yavat asat vaimanikom mem se nahim. Bhagavan ! Apa svayam ise prakara janate hai, athava asvayam janate hai\? Tatha bina sune hi ise isa prakara janate hai, athava sunakara janate hai ki ‘sat nairayika utpanna hote hai, asat nairayika nahim. Yavat sat vaimanikom me se chyavana hota hai, asat vaimaniko se nahi\?’ gamgeya ! Yaha saba isa rupa mem mai svayam janata hum, asvayam nahim tatha bina sune hi mai ise isa prakara janata hum, sunakara aisa nahi janata ki sat nairayika utpanna hote hai, asata nairayika nahi, yavat sat vaimanikom mem se chyavate hai, asat vaimanikom mem se nahim. Bhagavan ! Aisa kisa karana se kaha jata hai, ki maim svayam janata hum, ityadi, gamgeya ! Kevalajnyani purva mem mita bhi janate hai amita bhi janate hai. Isi prakara dakshina disha mem bhi janate hai. Isa prakara shabda – uddeshaka mem kahe anusara kahana. Yavat kevali ka jnyana niravarana hota hai, isalie he gamgeya ! Isa karana se aisa kaha jata hai ki maim svayam janata hum, ityadi, yavat asat vaimanikom mem se nahi chyavate. He bhagavan ! Nairayika, nairayiko mem svayam utpanna hote hai ya asvayam utpanna hote hai\? Gamgeya ! Nairayika, nairayiko mem svayam utpanna hote hai, asvayam utpanna nahim hote. Bhagavan ! Aisa kyom kahate hai ki yavat asvayam utpanna nahim hote\? Gamgeya! Karma ke udaya se, karmo ki guruta ke karana, karmo ke bharipana se, karmo ke atyanta gurutva aura bharipana se, ashubha karmo ke udaya se, ashubha karmo ke vipaka se tatha ashubha karmo ke phalaparipaka se nairayika, nairayikom mem svayam utpanna hote hai, asvayam utpanna nahim hote. Bhamte ! Asurakumara, asurakumaro mem svayam utpanna hote hai ya asvayam\? Ityadi prichchha. Gamgeya ! Asurakumara asurakumarom mem svayam utpanna hote hai, asvayam utpanna nahi hote. Bhagavan ! Aisa kahane ka kya karana hai ki yavat asvayam utpanna nahi hote\? He gamgeya ! Karma ke udaya, se, karma ke abhava se, karma ki vishodhi se, karmo ki vishuddhi se, shubha karmo ke udaya se, shubha karmo ke vipaka se, shubha karmo ke phalavipaka se asurakumara, asurakumarom mem svayam utpanna hote hai, asvayam utpanna nahim hote. Isi prakara stanitakumarom taka janana chahie. Bhagavan ! Kya prithvikayika, prithvikayikom me svayam utpanna hote hai, ya asvayam utpanna hote hai\? Gamgeya ! Prithvikayika, prithvikayiko mem savyam yavat utpanna hote hai, asvayam utpanna nahi hote hai. Bhagavan ! Aisa kisa karana se kahate hai ki prithvikayika svayam utpanna hote hai, ityadi\? Gamgeya ! Karma ke udaya se, karmo ki guruta se, karma ke bharipana se, karma ke atyanta gurutva aura bharipana se, shubhashubha karmo ke udaya se, shubhashubha karmo ke vipaka se, shubhashubha karmo se phala – vipaka se prithvikayika, prithvikayikom mem utpanna hote hai, asvayam utpanna nahi hote. Isi prakara yavat manushya taka janana chahie. Asurakumaro ke vanavyantara, jyotishka aura vaimanikom ke vishaya mem bhi janana. Isi karana he gamgeya ! Mem aisa kahata hum ki yavat vaimanika, vaimanikom me svayam utpanna hote hai, asvayam utpanna nahi hote.