Sutra Navigation: Bhagavati ( भगवती सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1003952 | ||
Scripture Name( English ): | Bhagavati | Translated Scripture Name : | भगवती सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
शतक-९ |
Translated Chapter : |
शतक-९ |
Section : | उद्देशक-३२ गांगेय | Translated Section : | उद्देशक-३२ गांगेय |
Sutra Number : | 452 | Category : | Ang-05 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] संतरं भंते! नेरइया उव्वट्टंति? निरंतरं नेरइया उव्वट्टंति? गंगेया! संतरं पि नेरइया उव्वट्टंति, निरंतरं पि नेरइया उव्वट्टंति। एवं जाव थणियकुमारा। संतरं भंते! पुढविक्काइया उव्वट्टंति? – पुच्छा। गंगेया! नो संतरं पुढविक्काइया उव्वट्टंति, निरंतरं पुढविक्काइया उव्वट्टंति। एवं जाव वणस्सइकाइया–नो संतरं, निरंतरं उव्वट्टंति। संतरं भंते! बेइंदिया उव्वट्टंति? निरंतरं बेइंदिया उव्वट्टंति? गंगेया! संतरं पि बेइंदिया उव्वट्टंति, निरंतरं पि बेइंदिया उव्वट्टंति। एवं जाव वाणमंतरा। संतरं भंते! जोइसिया चयंति? – पुच्छा। गंगेया! संतरं पि जोइसिया चयंति, निरंतरं पि जोइसिया चयंति। एवं वेमाणिया वि। | ||
Sutra Meaning : | भगवन् ! नैरयिक जीव सान्तर उद्वर्त्तित होते हैं या निरन्तर ? गांगेय ! सान्तर भी उद्वर्त्तित होते हैं और निरन्तर भी। इसी प्रकार स्तनितकुमारों तक जानना। भगवन् ! पृथ्वीकायिका जीव सान्तर उद्वर्त्तित होते हैं या निरन्तर ? गांगेय ! पृथ्वीकायिका जीवो का उद्वर्तन सान्तर नही होता, निरन्तर होता है। इसी प्रकार वनस्पतिकायिका जीवो तक जानना। ये सान्तर नहीं, निरन्तर उद्वर्तित होते है। भगवन् ! द्वीन्द्रिय जीवों का उद्वर्त्तन सान्तर होता है या निरन्तर ? गांगेय ! द्विन्द्रिय जीवों का उद्वर्त्तन सान्तर भी होता है और निरन्तर भी होता है। इसी प्रकार वाणव्यन्तरो तक जानना। भगवन ! ज्योतिष्क देवों का च्यवन सान्तर होता है या निरन्तर ? गांगेय ! उनका च्यवन सान्तर भी और निरन्तर भी। इसी प्रकाश के वैमानिकों के जानना। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] samtaram bhamte! Neraiya uvvattamti? Niramtaram neraiya uvvattamti? Gamgeya! Samtaram pi neraiya uvvattamti, niramtaram pi neraiya uvvattamti. Evam java thaniyakumara. Samtaram bhamte! Pudhavikkaiya uvvattamti? – puchchha. Gamgeya! No samtaram pudhavikkaiya uvvattamti, niramtaram pudhavikkaiya uvvattamti. Evam java vanassaikaiya–no samtaram, niramtaram uvvattamti. Samtaram bhamte! Beimdiya uvvattamti? Niramtaram beimdiya uvvattamti? Gamgeya! Samtaram pi beimdiya uvvattamti, niramtaram pi beimdiya uvvattamti. Evam java vanamamtara. Samtaram bhamte! Joisiya chayamti? – puchchha. Gamgeya! Samtaram pi joisiya chayamti, niramtaram pi joisiya chayamti. Evam vemaniya vi. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Bhagavan ! Nairayika jiva santara udvarttita hote haim ya nirantara\? Gamgeya ! Santara bhi udvarttita hote haim aura nirantara bhi. Isi prakara stanitakumarom taka janana. Bhagavan ! Prithvikayika jiva santara udvarttita hote haim ya nirantara\? Gamgeya ! Prithvikayika jivo ka udvartana santara nahi hota, nirantara hota hai. Isi prakara vanaspatikayika jivo taka janana. Ye santara nahim, nirantara udvartita hote hai. Bhagavan ! Dvindriya jivom ka udvarttana santara hota hai ya nirantara\? Gamgeya ! Dvindriya jivom ka udvarttana santara bhi hota hai aura nirantara bhi hota hai. Isi prakara vanavyantaro taka janana. Bhagavana ! Jyotishka devom ka chyavana santara hota hai ya nirantara\? Gamgeya ! Unaka chyavana santara bhi aura nirantara bhi. Isi prakasha ke vaimanikom ke janana. |