Sutra Navigation: Bhagavati ( भगवती सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1003807 | ||
Scripture Name( English ): | Bhagavati | Translated Scripture Name : | भगवती सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
शतक-६ |
Translated Chapter : |
शतक-६ |
Section : | उद्देशक-७ शाली | Translated Section : | उद्देशक-७ शाली |
Sutra Number : | 307 | Category : | Ang-05 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] एएणं मुहुत्तपमाणेणं तीसमुहुत्ता अहोरत्तो, पन्नरस अहोरत्ता पक्खो, दो पक्खा मासो, दो मासा उडू, तिन्नि उडू अयणे, दो अयणा संवच्छरे, पंच संवच्छराइं जुगे, वीसं जुगाइं वाससयं, दस वाससयाइं वाससहस्सं, सयं वाससहस्साणं वाससयसहस्सं, चउरासीइं वाससयसहस्साणि से एगे पुव्वंगे, चउरासीइं पुव्वंगा सयसहस्साइं से एगे पुव्वे, एवं तुडियंगे, तुडिए, अडडंगे, अडडे, अववंगे, अववे, हूहूयंगे, हूहूए, उप्पलंगे, उप्पले, पउमंगे, पउमे, नलिणंगे, नलिणे, अत्थनिउरंगे, अत्थनिउरे, अउयंगे, अउए, नउयंगे, नउए, पउयंगे, पउए, चूलियंगे, चूलिया, सीसपहेलियंगे, सीसपहेलिया। एताव ताव गणिए, एताव ताव गणियस्स विसए, तेण परं ओवमिए। से किं तं ओवमिए? ओवमिए दुविहे पन्नत्ते, तं जहा–पलिओवमे य, सागरोवमे य। से किं तं पलिओवमे? से किं तं सागरोवमे? | ||
Sutra Meaning : | इस मुहूर्त्त के अनुसार तीस मुहूर्त्त का एक ‘अहोरात्र’ होता है। पन्द्रह ‘अहोरात्र’ का एक ‘पक्ष’ होता है। दो पक्षों का एक ‘मास’ होता है। दो ‘मासों’ की एक ‘ऋतु’ होती है। तीन ऋतुओं का एक ‘अयन’ होता है। दो अयन का एक ‘संवत्सर’ (वर्ष) होता है। पाँच संवत्सर का एक ‘युग’ होता है। बीस युग का एक सौ वर्ष होता है। दस वर्षशत का एक ‘वर्षसहस्त्र’ होता है। सौ वर्षसहस्त्रों का एक ‘वर्षशतसहस्त्र’ होता है। चौरासी लाख वर्षों का एक पूर्वांग होता है। चौरासी लाख पूर्वांग का एक ‘पूर्व’ होता है। ८४ लाख पूर्व का एक त्रुटितांग होता है और ८४ लाख त्रुटितांग का एक ’त्रुटित’ होता है। इस प्रकार पहले की राशि को ८४ लाख से गुणा करने से उत्तरोत्तर राशियाँ बनती हैं। – अटटांग, अटट, अववांग, अवव, हूहूकांग, हूहूक, उत्पलांग, उत्पल, पद्मांग, पद्म, नलिनांग, नलिन, अर्थनुपूरांग, अर्थनुपूर, अयुतांग, अयुत, प्रयुतांग, प्रयुत, नयुतांग, नयुत, चूलिकांग, चूलिका, शीर्षप्रहेलिकांग और शीर्षप्रहेलिका। इस संख्या तक गणित है। यह गणित का विषय है। इसके बाद औपमिक काल है। भगवन् ! वह औपमिक (काल) क्या है ? गौतम ! दो प्रकार का है। – पल्योपम और सागरोपम। भगवन् ! ‘पल्योपम’ तथा ‘सागरोपम’ क्या है ? | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] eenam muhuttapamanenam tisamuhutta ahoratto, pannarasa ahoratta pakkho, do pakkha maso, do masa udu, tinni udu ayane, do ayana samvachchhare, pamcha samvachchharaim juge, visam jugaim vasasayam, dasa vasasayaim vasasahassam, sayam vasasahassanam vasasayasahassam, chaurasiim vasasayasahassani se ege puvvamge, chaurasiim puvvamga sayasahassaim se ege puvve, evam tudiyamge, tudie, adadamge, adade, avavamge, avave, huhuyamge, huhue, uppalamge, uppale, paumamge, paume, nalinamge, naline, atthaniuramge, atthaniure, auyamge, aue, nauyamge, naue, pauyamge, paue, chuliyamge, chuliya, sisapaheliyamge, sisapaheliya. Etava tava ganie, etava tava ganiyassa visae, tena param ovamie. Se kim tam ovamie? Ovamie duvihe pannatte, tam jaha–paliovame ya, sagarovame ya. Se kim tam paliovame? Se kim tam sagarovame? | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Isa muhurtta ke anusara tisa muhurtta ka eka ‘ahoratra’ hota hai. Pandraha ‘ahoratra’ ka eka ‘paksha’ hota hai. Do pakshom ka eka ‘masa’ hota hai. Do ‘masom’ ki eka ‘ritu’ hoti hai. Tina rituom ka eka ‘ayana’ hota hai. Do ayana ka eka ‘samvatsara’ (varsha) hota hai. Pamcha samvatsara ka eka ‘yuga’ hota hai. Bisa yuga ka eka sau varsha hota hai. Dasa varshashata ka eka ‘varshasahastra’ hota hai. Sau varshasahastrom ka eka ‘varshashatasahastra’ hota hai. Chaurasi lakha varshom ka eka purvamga hota hai. Chaurasi lakha purvamga ka eka ‘purva’ hota hai. 84 lakha purva ka eka trutitamga hota hai aura 84 lakha trutitamga ka eka ’trutita’ hota hai. Isa prakara pahale ki rashi ko 84 lakha se guna karane se uttarottara rashiyam banati haim. – atatamga, atata, avavamga, avava, huhukamga, huhuka, utpalamga, utpala, padmamga, padma, nalinamga, nalina, arthanupuramga, arthanupura, ayutamga, ayuta, prayutamga, prayuta, nayutamga, nayuta, chulikamga, chulika, shirshaprahelikamga aura shirshaprahelika. Isa samkhya taka ganita hai. Yaha ganita ka vishaya hai. Isake bada aupamika kala hai. Bhagavan ! Vaha aupamika (kala) kya hai\? Gautama ! Do prakara ka hai. – palyopama aura sagaropama. Bhagavan ! ‘palyopama’ tatha ‘sagaropama’ kya hai\? |