Sutra Navigation: Bhagavati ( भगवती सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1003794 | ||
Scripture Name( English ): | Bhagavati | Translated Scripture Name : | भगवती सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
शतक-६ |
Translated Chapter : |
शतक-६ |
Section : | उद्देशक-५ तमस्काय | Translated Section : | उद्देशक-५ तमस्काय |
Sutra Number : | 294 | Category : | Ang-05 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] कण्हरातीओ णं भंते! केवतियं आयामेणं? केवतियं विक्खंभेणं? केवतियं परिक्खेवेणं पन्नत्ताओ? गोयमा! असंखेज्जाइं जोयणसहस्साइं आयामेणं, संखेज्जाइं जोयणसहस्साइं विक्खंभेणं, असंखेज्जाइं जोयणसहस्साइं परि-क्खेवेणं पन्नत्ताओ। कण्हरातीओ णं भंते! केमहालियाओ पन्नत्ताओ? गोयमा! अयं णं जंबुद्दीवे दीवे जाव देवे णं महिड्ढीए जाव महानुभावे इणामेव-इणामेव त्ति कट्टु केवलकप्पं जंबूदीवं दीवं तिहिं अच्छरानिवाएहिं तिसत्तक्खुत्तो अनुपरियट्टित्ता णं हव्वमागच्छिज्जा, से णं देवे ताए उक्किट्ठाए तुरियाए जाव दिव्वाए देवगईए वीईवयमाणे-वीईवयमाणे जाव एकाहं वा, दुयाहं वा, तियाहं वा, उक्कोसेणं अद्धमासं वीईवएज्जा, अत्थेगइए कण्हरातिं वीईवएज्जा। अत्थेगइए कण्हरातिं नो वीईवएज्जा, एमहालियाओ णं गोयमा! कण्हरातीओ पन्नत्ताओ। अत्थि णं भंते! कण्हरातीसु गेहा इ वा? गेहावणा इ वा? नो इणट्ठे समट्ठे। अत्थि णं भंते! कण्हरातीसु इ वा? जाव सन्निवेसा इ वा? णो इणट्ठे समट्ठे। अत्थि णं भंते! कण्हरातीसु ओराला बलाहया संसेयंति? सम्मुच्छंति? वासं वासंति? हंता अत्थि। तं भंते! किं देवो पकरेति? असुरो पकरेति? नागो पकरेति? गोयमा! देवो पकरेति, नो असुरो, नो नागो पकरेति। अत्थि णं भंते! कण्हरातीसु बादरे थणियसद्दे? बादरे विज्जुयारे? हंता अत्थि। तं भंते! किं देवो पकरेति? असुरो पकरेति? नागो पकरेति? गोयमा! देवो पकरेति, नो असुरो, नो नागो पकरेति। अत्थि णं भंते! कण्हरातीसु बादरे आउकाए? बादरे अगनिकाए? बादरे वणप्फइकाए? नो तिणट्ठे समट्ठे, नन्नत्थ विग्गहगतिसमावन्नएणं। अत्थि णं भंते! कण्हरातीसु चंदिम-सूरिय-गहगण-नक्खत्त-तारारूवा? नो तिणट्ठे समट्ठे। अत्थि णं भंते! कण्हरातीसु चंदाभा ति वा? सुराभा ति वा? नो तिणट्ठे समट्ठे। कण्हरातीओ णं भंते! केरिसियाओ वण्णेणं पन्नत्ताओ? गोयमा! कालाओ कालोभासाओ गंभीराओ लोमहरिसजणणाओ भीमाओ उत्तासणाओ परमकिण्हाओ वण्णेणं पन्नत्ताओ। देवे वि णं अत्थेगतिए जे णं तप्पढमयाए पासित्ता णं खुभाएज्जा, अहेणं अभिसमागच्छेज्जा तओ पच्छा सीहं-सीहं तुरियं-तुरियं खिप्पामेव वीतीवएज्जा। कण्हराती णं भंते! कति नामधेज्जा पन्नत्ता? गोयमा! अट्ठ नामधेज्जा पन्नत्ता, तं जहा–कण्हराती इ वा, मेहराती इ वा, मघा इ वा, माघवई इ वा, वायफलिहा इ वा, वायपलिक्खोभा इ वा, देवफलिहा इ वा, देवपलिक्खोभा इ वा। कण्हरातीओ णं भंते! किं पुढवीपरिणामाओ? आउपरिणामाओ? जीवपरिणामाओ? पोग्गल-परिणामाओ? गोयमा! पुढविपरिणामाओ, नो आउपरिणामाओ, जीवपरिणामाओ वि, पोग्गलपरिणामाओ वि। कण्हरातीसु णं भंते! सव्वे पाणा भूया जीवा सत्ता पुढवीकाइयत्ताए जाव तसकाइयत्ताए उववन्नपुव्वा? हंता गोयमा! असइं अदुवा अनंतक्खुत्तो; नो चेव णं बादरआउकाइयत्ताए, बादरअगनि-काइयत्ताए, बादरवणप्फइकाइयत्ताए वा। | ||
Sutra Meaning : | भगवन् ! कृष्णराजियों का आयाम, विष्कम्भ और परिक्षेप कितना है ? गौतम ! कृष्णराजियों का आयाम असंख्येय हजार योजन है, विष्कम्भ संख्येय हजार योजन है और परिक्षेप असंख्येय हजार योजन कहा गया है। भगवन् ! कृष्णराजियाँ कितनी बड़ी कही गई हैं ? गौतम ! तीन चुटकी बजाए, उतने समय में इस सम्पूर्ण जम्बूद्वीप की इक्कीस बार परिक्रमा करके आ जाए – इतनी शीघ्र दिव्यगति से कोई देव लगातार एक दिन, दो दिन, यावत् अर्द्धमास तक चले, तब कहीं वह देव किसी कृष्णराजि को पार कर पाता है और किसी कृष्णराजि को पार नहीं कर पाता। हे गौतम ! कृष्णराजियाँ इतनी बड़ी हैं। भगवन् ! क्या कृष्णराजियों में गृह हैं अथवा गृहापण हैं ? गौतम ! यह अर्थ समर्थ नहीं है। भगवन् ! क्या कृष्णराजियों में ग्राम आदि हैं ? यह अर्थ समर्थ नहीं है। भगवन् ! क्या कृष्णराजियों में उदार महामेघ संस्वेद को प्राप्त होते हैं, सम्मूर्च्छित होते हैं और वर्षा बरसाते हैं? हाँ, गौतम ! ऐसा होता है। भगवन् ! क्या इन सबको देव करता है, असुर करता है अथवा नाग करता है ? गौतम ! (वहाँ यह सब) देव ही करता है, किन्तु न असुर करता है और न नाग(कुमार) करता है। भगवन् ! क्या कृष्णराजियों में बादर स्तनितशब्द है ? गौतम ! उदार मेघों के समान इनका भी कथन करना। भगवन् ! क्या कृष्णराजियों में बादर अप्काय, बादर अग्निकाय और बादर वनस्पतिकाय हैं ? गौतम ! यह अर्थ समर्थ नहीं है। यह निषेध विग्रहगतिसमापन्न जीवों के सिवाय दूसरे जीवों के लिए हैं। भगवन् ! क्या कृष्ण – राजियों में चन्द्रमा, सूर्य, ग्रहगण, नक्षत्र और तारारूप हैं ? यह अर्थ समर्थ नहीं है। भगवन् ! क्या कृष्णराजियों में चन्द्र की कान्ति या सूर्य की कान्ति है ? गौतम ! यह अर्थ समर्थ नहीं है। भगवन् ! कृष्णराजियों का वर्ण कैसा है ? गौतम ! कृष्णराजियों का वर्ण काला है, यह काली कान्ति वाला है, यावत् परमकृष्ण है। तमस्काय की तरह अतीव भयंकर होने से इसे देखते ही देव क्षुब्ध हो जाता है; यावत् अगर कोई देव शीघ्रगति से झटपट इसे पार कर जाता है। भगवन् ! कृष्णराजियों के कितने नाम कहे गए हैं ? गौतम ! कृष्णराजियों के आठ नाम कहे गए हैं। वे इस प्रकार हैं – कृष्णराजि, मेघराजि, मघा, माघवती, वातपरिघा, वातपरिक्षोभा, देवपरिघा और देवपरिक्षोभा। भगवन् ! क्या कृष्णराजियाँ पृथ्वी के परिणामरूप हैं, जल के परिणामरूप हैं, या जीव के परिणामरूप हैं, अथवा पुद्गलों के परिणामरूप हैं ? गौतम ! कृष्णराजियाँ पृथ्वी के परिणामरूप हैं, किन्तु जल के परिणामरूप नहीं हैं, वे जीव के परिणामरूप भी हैं और पुद्गलों के परिणामरूप भी हैं। भगवन् ! क्या कृष्णराजियों में सभी प्राण, भूत, जीव और सत्त्व पहले उत्पन्न हो चूके हैं ? हाँ, गौतम ! अनेक बार अथवा अनन्त बार उत्पन्न हो चूके हैं, किन्तु बादर अप्कायरूप से, बादर अग्निकायरूप से और बादर वनस्पतिकायरूप से उत्पन्न नहीं हुए। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] kanharatio nam bhamte! Kevatiyam ayamenam? Kevatiyam vikkhambhenam? Kevatiyam parikkhevenam pannattao? Goyama! Asamkhejjaim joyanasahassaim ayamenam, samkhejjaim joyanasahassaim vikkhambhenam, asamkhejjaim joyanasahassaim pari-kkhevenam pannattao. Kanharatio nam bhamte! Kemahaliyao pannattao? Goyama! Ayam nam jambuddive dive java deve nam mahiddhie java mahanubhave inameva-inameva tti kattu kevalakappam jambudivam divam tihim achchharanivaehim tisattakkhutto anupariyattitta nam havvamagachchhijja, se nam deve tae ukkitthae turiyae java divvae devagaie viivayamane-viivayamane java ekaham va, duyaham va, tiyaham va, ukkosenam addhamasam viivaejja, atthegaie kanharatim viivaejja. Atthegaie kanharatim no viivaejja, emahaliyao nam goyama! Kanharatio pannattao. Atthi nam bhamte! Kanharatisu geha i va? Gehavana i va? No inatthe samatthe. Atthi nam bhamte! Kanharatisu i va? Java sannivesa i va? No inatthe samatthe. Atthi nam bhamte! Kanharatisu orala balahaya samseyamti? Sammuchchhamti? Vasam vasamti? Hamta atthi. Tam bhamte! Kim devo pakareti? Asuro pakareti? Nago pakareti? Goyama! Devo pakareti, no asuro, no nago pakareti. Atthi nam bhamte! Kanharatisu badare thaniyasadde? Badare vijjuyare? Hamta atthi. Tam bhamte! Kim devo pakareti? Asuro pakareti? Nago pakareti? Goyama! Devo pakareti, no asuro, no nago pakareti. Atthi nam bhamte! Kanharatisu badare aukae? Badare aganikae? Badare vanapphaikae? No tinatthe samatthe, nannattha viggahagatisamavannaenam. Atthi nam bhamte! Kanharatisu chamdima-suriya-gahagana-nakkhatta-tararuva? No tinatthe samatthe. Atthi nam bhamte! Kanharatisu chamdabha ti va? Surabha ti va? No tinatthe samatthe. Kanharatio nam bhamte! Kerisiyao vannenam pannattao? Goyama! Kalao kalobhasao gambhirao lomaharisajananao bhimao uttasanao paramakinhao vannenam pannattao. Deve vi nam atthegatie je nam tappadhamayae pasitta nam khubhaejja, ahenam abhisamagachchhejja tao pachchha siham-siham turiyam-turiyam khippameva vitivaejja. Kanharati nam bhamte! Kati namadhejja pannatta? Goyama! Attha namadhejja pannatta, tam jaha–kanharati i va, meharati i va, magha i va, maghavai i va, vayaphaliha i va, vayapalikkhobha i va, devaphaliha i va, devapalikkhobha i va. Kanharatio nam bhamte! Kim pudhaviparinamao? Auparinamao? Jivaparinamao? Poggala-parinamao? Goyama! Pudhaviparinamao, no auparinamao, jivaparinamao vi, poggalaparinamao vi. Kanharatisu nam bhamte! Savve pana bhuya jiva satta pudhavikaiyattae java tasakaiyattae uvavannapuvva? Hamta goyama! Asaim aduva anamtakkhutto; no cheva nam badaraaukaiyattae, badaraagani-kaiyattae, badaravanapphaikaiyattae va. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Bhagavan ! Krishnarajiyom ka ayama, vishkambha aura parikshepa kitana hai\? Gautama ! Krishnarajiyom ka ayama asamkhyeya hajara yojana hai, vishkambha samkhyeya hajara yojana hai aura parikshepa asamkhyeya hajara yojana kaha gaya hai. Bhagavan ! Krishnarajiyam kitani bari kahi gai haim\? Gautama ! Tina chutaki bajae, utane samaya mem isa sampurna jambudvipa ki ikkisa bara parikrama karake a jae – itani shighra divyagati se koi deva lagatara eka dina, do dina, yavat arddhamasa taka chale, taba kahim vaha deva kisi krishnaraji ko para kara pata hai aura kisi krishnaraji ko para nahim kara pata. He gautama ! Krishnarajiyam itani bari haim. Bhagavan ! Kya krishnarajiyom mem griha haim athava grihapana haim\? Gautama ! Yaha artha samartha nahim hai. Bhagavan ! Kya krishnarajiyom mem grama adi haim\? Yaha artha samartha nahim hai. Bhagavan ! Kya krishnarajiyom mem udara mahamegha samsveda ko prapta hote haim, sammurchchhita hote haim aura varsha barasate haim? Ham, gautama ! Aisa hota hai. Bhagavan ! Kya ina sabako deva karata hai, asura karata hai athava naga karata hai\? Gautama ! (vaham yaha saba) deva hi karata hai, kintu na asura karata hai aura na naga(kumara) karata hai. Bhagavan ! Kya krishnarajiyom mem badara stanitashabda hai\? Gautama ! Udara meghom ke samana inaka bhi kathana karana. Bhagavan ! Kya krishnarajiyom mem badara apkaya, badara agnikaya aura badara vanaspatikaya haim\? Gautama ! Yaha artha samartha nahim hai. Yaha nishedha vigrahagatisamapanna jivom ke sivaya dusare jivom ke lie haim. Bhagavan ! Kya krishna – rajiyom mem chandrama, surya, grahagana, nakshatra aura tararupa haim\? Yaha artha samartha nahim hai. Bhagavan ! Kya krishnarajiyom mem chandra ki kanti ya surya ki kanti hai\? Gautama ! Yaha artha samartha nahim hai. Bhagavan ! Krishnarajiyom ka varna kaisa hai\? Gautama ! Krishnarajiyom ka varna kala hai, yaha kali kanti vala hai, yavat paramakrishna hai. Tamaskaya ki taraha ativa bhayamkara hone se ise dekhate hi deva kshubdha ho jata hai; yavat agara koi deva shighragati se jhatapata ise para kara jata hai. Bhagavan ! Krishnarajiyom ke kitane nama kahe gae haim\? Gautama ! Krishnarajiyom ke atha nama kahe gae haim. Ve isa prakara haim – krishnaraji, megharaji, magha, maghavati, vataparigha, vataparikshobha, devaparigha aura devaparikshobha. Bhagavan ! Kya krishnarajiyam prithvi ke parinamarupa haim, jala ke parinamarupa haim, ya jiva ke parinamarupa haim, athava pudgalom ke parinamarupa haim\? Gautama ! Krishnarajiyam prithvi ke parinamarupa haim, kintu jala ke parinamarupa nahim haim, ve jiva ke parinamarupa bhi haim aura pudgalom ke parinamarupa bhi haim. Bhagavan ! Kya krishnarajiyom mem sabhi prana, bhuta, jiva aura sattva pahale utpanna ho chuke haim\? Ham, gautama ! Aneka bara athava ananta bara utpanna ho chuke haim, kintu badara apkayarupa se, badara agnikayarupa se aura badara vanaspatikayarupa se utpanna nahim hue. |