Sutra Navigation: Bhagavati ( भगवती सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1003773 | ||
Scripture Name( English ): | Bhagavati | Translated Scripture Name : | भगवती सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
शतक-६ |
Translated Chapter : |
शतक-६ |
Section : | उद्देशक-१ वेदना | Translated Section : | उद्देशक-१ वेदना |
Sutra Number : | 273 | Category : | Ang-05 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] से नूनं भंते! जे महावेदने से महानिज्जरे? जे महानिज्जरे से महावेदने? महावेदणस्स य अप्पवेदणस्स य से सेए जे पसत्थनिज्जराए? हंता गोयमा! जे महावेदने से महानिज्जरे, जे महानिज्जरे से महावेदने, महावेदनस्स य अप्पवेदनस्स य से सेए जे पसत्थ-निज्जराए। छट्ठ-सत्तमासु णं भंते! पुढवीसु नेरइया महावेदना? हंता महावेदना। ते णं भंते! समणेहिंतो निग्गंथेहिंतो महानिज्जरतरा? गोयमा! नो इणट्ठे समट्ठे। से केणं खाइ अट्ठेणं भंते! एवं वुच्चइ–जे महावेदने से महानिज्जरे? जे महानिज्जरे से महावेदने? महावेदणस्स य अप्पवेदणस्स य से सेए जे पसत्थनिज्जराए? गोयमा! से जहानामए दुवे वत्था सिया–एगे वत्थे कद्दमरागरत्ते, एगे वत्थे खंजणरागरत्ते। एएसि णं गोयमा! दोण्हं वत्थाणं कयरे वत्थे दुद्धोयतराए चेव, दुवामतराए चेव, दुपरिकम्मतराए चेव; कयरे वा वत्थे सुद्धोयतराए चेव, सुवामतराए चेव, सुपरिकम्मतराए चेव; जे वा से वत्थे कद्दमरागरत्ते? जे वा से वत्थे खंजणरागरत्ते? भगवं! तत्थ णं जे से कद्दमरागरत्ते, से णं वत्थे दुद्धोयतराए चेव, दुवामतराए चेव, दुप्परिकम्मतराए चेव, एवामेव गोयमा! नेरइयाणं पावाइं कम्माइं गाढीकयाइं, चिक्कणीकयाइं, सिलिट्ठीकयाइं, खिलीभूताइं भवंति। संपगाढं पि य णं ते वेदनं वेदेमाणा नो महानिज्जरा, नो महापज्जवसाणा भवंति। से जहा वा केइ पुरिसे अहिगरणिं आउडेमाणे महया-महया सद्देणं, महया-महया घोसेनं, महया-महया परंपराघाएणं नो संचाएइ तीसे अहिगरणीए केइ अहाबायरे पोग्गले परिसाडित्तए, एवामेव गोयमा! नेरइयाणं पावाइं कम्माइं गाढीकयाइं, चिक्कणीकयाइं, सिलिट्ठीकयाइं, खिलीभूताइं भवंति। संपगाढं पि य णं ते वेदनं वेदेमाणा नो महानिज्जरा, नो महापज्जवसाणा भवंति। भगवं! तत्थ जे से खंजणरागरत्ते, से णं वत्थे सुद्धोयतराए चेव, सुवामतराए चेव, सुपरि-कम्मतराए चेव, एवामेव गोयमा! समणाणं निग्गंथाणं अहाबायराइं कम्माइं सिढिलीकयाइं, निट्ठियाइं कयाइं, विप्परिणामियाइं खिप्पामेव विद्धत्थाइं भवंति। जावतियं तावतियं पि णं ते वेदनं वेदेमाणा महानिज्जरा, महापज्जवसाणा भवंति। से जहानामए केइ पुरिसे सुक्कं तणहत्थयं जायतेयंसि पक्खिवेज्जा, से नूनं गोयमा! से मुक्के तणहत्थए जायतेयंसि पक्खित्ते समाणे खिप्पामेव मसमसाविज्जति? हंता मसमसाविज्जति। एवामेव गोयमा! समणाणं निग्गंथाणं अहाबायराइं कम्माइं, सिढिलीकयाइं, निट्ठियाइं कयाइं, विप्परिणामियाइं खिप्पामेव विद्धत्थाइं भवंति। जावतियं तावतियं पि णं ते वेदनं वेदेमाणा महानिज्जरा, महापज्जवसाणा भवंति। से जहानामए केइ पुरिसे तत्तंसि अयकवल्लंसि उदगबिंदु पक्खिवेज्जा, से नूनं गोयमा! से उदगबिंदु तत्तंसि अयकवल्लंसि पक्खित्ते समाणे खिप्पामेव विद्धंसमागच्छइ? हंता विद्धंसमागच्छइ। एवामेव गोयमा! समणाणं निग्गंथाणं अहाबायराइं कम्माइं, सिढिलीकयाइं, निट्ठियाइं कयाइं, विप्परिणामियाइं खिप्पामेव विद्धत्थाइं भवंति। जावतियं तावतियं पि णं ते वेदनं वेदेमाणा महानिज्जरा, महापज्जवसाणा भवंति। से तेणट्ठेणं जे महावेदने से महानिज्जरे जे महानिज्जरे से महावेदने, महावेदनस्स य अप्पवेदणस्स य से सेए जे पसत्थ निज्जराए। | ||
Sutra Meaning : | भगवन् ! क्या यह निश्चित है कि जो महावेदना वाला है, वह महानिर्जरा वाला है और जो महानिर्जरा वाला है, वह महावेदना वाला है ? तथा क्या महावेदना वाला और अल्पवेदना वाला, इन दोनों में वही जीव श्रेयान् (श्रेष्ठ) है, जो प्रशस्तनिर्जरा वाला है ? हाँ, गौतम ! जो महावेदना वाला है इत्यादि जैसा ऊपर कहा है, इसी प्रकार समझना चाहिए भगवन् ! क्या छठी और सातवीं (नरक – ) पृथ्वी के नैरयिक महावेदना वाले हैं ? हाँ, गौतम ! वे महावेदना वाले हैं। भगवन् ! तो क्या वे (छठी – सातवीं नरकभूमि के नैरयिक) श्रमण – निर्ग्रन्थों की अपेक्षा भी महानिर्जरा वाले हैं ? गौतम ! यह अर्थ समर्थ नहीं है। भगवन् ! तब यह कैसे कहा जाता है कि जो महावेदना वाला है, वह महानिर्जरा वाला है, यावत् प्रशस्त निर्जरा वाला है ? गौतम ! (मान लो) जैसे दो वस्त्र हैं। उनमें से एक कर्दम के रंग से रंगा हुआ है और दूसरा वस्त्र खंजन के रंग से रंगा हुआ है। गौतम ! इन दोनों वस्त्रों में कौन – सा मुश्किल से धूल सकने योग्य, बड़ी कठिनाई से काले धब्बे उतारे जा सकें ऐसा और दुष्परिकर्मतर है और कौन – सा वस्त्र जो सरलता से धोया जा सके, आसानी से जिसके दाग उतारे जा सके तथा सुपरिकर्मतर है ? भगवन् ! उन दोनों वस्त्रों में जो कर्दम रंग से रंगा हुआ है, वही (वस्त्र) दुर्धोततर, दुर्वाम्यतर एवं दुष्परिकर्मतर है। हे गौतम ! इसी तरह नैरयिकों के पाप – कर्म गाढीकृत, चिक्कणी – कृत, निधत्त किये हुए एवं निकाचित हैं, इसलिए वे सम्प्रगाढ वेदना को वेदते हुए भी महानिर्जरा वाले नहीं है तथा महापर्यवसान वाले भी नहीं हैं। अथवा जैसे कोई व्यक्ति जोरदार आवाझ के साथ महाघोष करता हुआ लगातार जोर – जोर से चोट मारकर एरण को कूटता – पीटता हुआ भी उस एरण के स्थूल पुद्गलों को विनष्ट करने में समर्थ नहीं हो सकता; इसी प्रकार हे गौतम ! नैरयिकों के पापकर्म गाढ़ किये हुए हैं; यावत् इसलिए वे महानिर्जरा एवं महापर्यवसान वाले नहीं हैं (गौतमस्वामी ने पूर्वोक्त प्रश्न का उत्तर पूर्ण किया – ) भगवन् ! उन दोनों वस्त्रों में जो खंजन के रंग से रंगा हुआ है, वह वस्त्र सुधौततर, सुवाम्यतर और सुपरिकर्मतर है। हे गौतम ! इसी प्रकार श्रमण – निर्ग्रन्थों के यथाबादर कर्म, मन्द विपाक वाले, सत्तारहित किये हुए, विपरिणाम वाले होते हैं। (इसलिए वे) शीघ्र ही विध्वस्त हो जाते हैं। जितनी कुछ भी वेदना को वेदते हुए श्रमण – निर्ग्रन्थ महानिर्जरा और महापर्यवसान वाले होते हैं। हे गौतम ! जैसे कोई पुरुष सूखे घास के पूले को धधकती अग्नि में डाल दे तो क्या वह सूखे घास का पूला धधकती आग में डालते ही शीघ्र जल उठता है ? हाँ, भगवन् ! वह शीघ्र ही जल उठता है। हे गौतम ! इसी तरह श्रमण – निर्ग्रन्थों के यथाबादर कर्म शीघ्र ही विध्वस्त हो जाते हैं, यावत् वे श्रमण – निर्ग्रन्थ महानिर्जरा एवं महापर्यव – सान वाले होते हैं। (अथवा) जैसे कोई पुरुष अत्यन्त तपे हुए लोहे के तवे पर पानी की बूँद डाले तो वह यावत् शीघ्र ही विनष्ट हो जाती है, इसी प्रकार हे गौतम ! श्रमण – निर्ग्रन्थों के यथाबादर कर्म भी शीघ्र ही विध्वस्त हो जाते हैं और वे यावत् महानिर्जरा एवं महापर्यवसान वाले होते हैं। इसी कारण ऐसा कहा जाता है कि जो महावेदना वाला होता है, वह महानिर्जरा वाला होता है, यावत् वही श्रेष्ठ है जो प्रशस्तनिर्जरा वाला है। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] se nunam bhamte! Je mahavedane se mahanijjare? Je mahanijjare se mahavedane? Mahavedanassa ya appavedanassa ya se see je pasatthanijjarae? Hamta goyama! Je mahavedane se mahanijjare, je mahanijjare se mahavedane, mahavedanassa ya appavedanassa ya se see je pasattha-nijjarae. Chhattha-sattamasu nam bhamte! Pudhavisu neraiya mahavedana? Hamta mahavedana. Te nam bhamte! Samanehimto niggamthehimto mahanijjaratara? Goyama! No inatthe samatthe. Se kenam khai atthenam bhamte! Evam vuchchai–je mahavedane se mahanijjare? Je mahanijjare se mahavedane? Mahavedanassa ya appavedanassa ya se see je pasatthanijjarae? Goyama! Se jahanamae duve vattha siya–ege vatthe kaddamaragaratte, ege vatthe khamjanaragaratte. Eesi nam goyama! Donham vatthanam kayare vatthe duddhoyatarae cheva, duvamatarae cheva, duparikammatarae cheva; kayare va vatthe suddhoyatarae cheva, suvamatarae cheva, suparikammatarae cheva; je va se vatthe kaddamaragaratte? Je va se vatthe khamjanaragaratte? Bhagavam! Tattha nam je se kaddamaragaratte, se nam vatthe duddhoyatarae cheva, duvamatarae cheva, dupparikammatarae cheva, evameva goyama! Neraiyanam pavaim kammaim gadhikayaim, chikkanikayaim, silitthikayaim, khilibhutaim bhavamti. Sampagadham pi ya nam te vedanam vedemana no mahanijjara, no mahapajjavasana bhavamti. Se jaha va kei purise ahigaranim audemane mahaya-mahaya saddenam, mahaya-mahaya ghosenam, mahaya-mahaya paramparaghaenam no samchaei tise ahigaranie kei ahabayare poggale parisadittae, evameva goyama! Neraiyanam pavaim kammaim gadhikayaim, chikkanikayaim, silitthikayaim, khilibhutaim bhavamti. Sampagadham pi ya nam te vedanam vedemana no mahanijjara, no mahapajjavasana bhavamti. Bhagavam! Tattha je se khamjanaragaratte, se nam vatthe suddhoyatarae cheva, suvamatarae cheva, supari-kammatarae cheva, evameva goyama! Samananam niggamthanam ahabayaraim kammaim sidhilikayaim, nitthiyaim kayaim, vipparinamiyaim khippameva viddhatthaim bhavamti. Javatiyam tavatiyam pi nam te vedanam vedemana mahanijjara, mahapajjavasana bhavamti. Se jahanamae kei purise sukkam tanahatthayam jayateyamsi pakkhivejja, se nunam goyama! Se mukke tanahatthae jayateyamsi pakkhitte samane khippameva masamasavijjati? Hamta masamasavijjati. Evameva goyama! Samananam niggamthanam ahabayaraim kammaim, sidhilikayaim, nitthiyaim kayaim, vipparinamiyaim khippameva viddhatthaim bhavamti. Javatiyam tavatiyam pi nam te vedanam vedemana mahanijjara, mahapajjavasana bhavamti. Se jahanamae kei purise tattamsi ayakavallamsi udagabimdu pakkhivejja, se nunam goyama! Se udagabimdu tattamsi ayakavallamsi pakkhitte samane khippameva viddhamsamagachchhai? Hamta viddhamsamagachchhai. Evameva goyama! Samananam niggamthanam ahabayaraim kammaim, sidhilikayaim, nitthiyaim kayaim, vipparinamiyaim khippameva viddhatthaim bhavamti. Javatiyam tavatiyam pi nam te vedanam vedemana mahanijjara, mahapajjavasana bhavamti. Se tenatthenam je mahavedane se mahanijjare je mahanijjare se mahavedane, mahavedanassa ya appavedanassa ya se see je pasattha nijjarae. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Bhagavan ! Kya yaha nishchita hai ki jo mahavedana vala hai, vaha mahanirjara vala hai aura jo mahanirjara vala hai, vaha mahavedana vala hai\? Tatha kya mahavedana vala aura alpavedana vala, ina donom mem vahi jiva shreyan (shreshtha) hai, jo prashastanirjara vala hai\? Ham, gautama ! Jo mahavedana vala hai ityadi jaisa upara kaha hai, isi prakara samajhana chahie Bhagavan ! Kya chhathi aura satavim (naraka – ) prithvi ke nairayika mahavedana vale haim\? Ham, gautama ! Ve mahavedana vale haim. Bhagavan ! To kya ve (chhathi – satavim narakabhumi ke nairayika) shramana – nirgranthom ki apeksha bhi mahanirjara vale haim\? Gautama ! Yaha artha samartha nahim hai. Bhagavan ! Taba yaha kaise kaha jata hai ki jo mahavedana vala hai, vaha mahanirjara vala hai, yavat prashasta nirjara vala hai\? Gautama ! (mana lo) jaise do vastra haim. Unamem se eka kardama ke ramga se ramga hua hai aura dusara vastra khamjana ke ramga se ramga hua hai. Gautama ! Ina donom vastrom mem kauna – sa mushkila se dhula sakane yogya, bari kathinai se kale dhabbe utare ja sakem aisa aura dushparikarmatara hai aura kauna – sa vastra jo saralata se dhoya ja sake, asani se jisake daga utare ja sake tatha suparikarmatara hai\? Bhagavan ! Una donom vastrom mem jo kardama ramga se ramga hua hai, vahi (vastra) durdhotatara, durvamyatara evam dushparikarmatara hai. He gautama ! Isi taraha nairayikom ke papa – karma gadhikrita, chikkani – krita, nidhatta kiye hue evam nikachita haim, isalie ve sampragadha vedana ko vedate hue bhi mahanirjara vale nahim hai tatha mahaparyavasana vale bhi nahim haim. Athava jaise koi vyakti joradara avajha ke satha mahaghosha karata hua lagatara jora – jora se chota marakara erana ko kutata – pitata hua bhi usa erana ke sthula pudgalom ko vinashta karane mem samartha nahim ho sakata; isi prakara he gautama ! Nairayikom ke papakarma garha kiye hue haim; yavat isalie ve mahanirjara evam mahaparyavasana vale nahim haim (gautamasvami ne purvokta prashna ka uttara purna kiya – ) bhagavan ! Una donom vastrom mem jo khamjana ke ramga se ramga hua hai, vaha vastra sudhautatara, suvamyatara aura suparikarmatara hai. He gautama ! Isi prakara shramana – nirgranthom ke yathabadara karma, manda vipaka vale, sattarahita kiye hue, viparinama vale hote haim. (isalie ve) shighra hi vidhvasta ho jate haim. Jitani kuchha bhi vedana ko vedate hue shramana – nirgrantha mahanirjara aura mahaparyavasana vale hote haim. He gautama ! Jaise koi purusha sukhe ghasa ke pule ko dhadhakati agni mem dala de to kya vaha sukhe ghasa ka pula dhadhakati aga mem dalate hi shighra jala uthata hai\? Ham, bhagavan ! Vaha shighra hi jala uthata hai. He gautama ! Isi taraha shramana – nirgranthom ke yathabadara karma shighra hi vidhvasta ho jate haim, yavat ve shramana – nirgrantha mahanirjara evam mahaparyava – sana vale hote haim. (athava) jaise koi purusha atyanta tape hue lohe ke tave para pani ki bumda dale to vaha yavat shighra hi vinashta ho jati hai, isi prakara he gautama ! Shramana – nirgranthom ke yathabadara karma bhi shighra hi vidhvasta ho jate haim aura ve yavat mahanirjara evam mahaparyavasana vale hote haim. Isi karana aisa kaha jata hai ki jo mahavedana vala hota hai, vaha mahanirjara vala hota hai, yavat vahi shreshtha hai jo prashastanirjara vala hai. |