Sutra Navigation: Bhagavati ( भगवती सूत्र )
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Sr No : | 1003717 | ||
Scripture Name( English ): | Bhagavati | Translated Scripture Name : | भगवती सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
शतक-५ |
Translated Chapter : |
शतक-५ |
Section : | उद्देशक-१ सूर्य | Translated Section : | उद्देशक-१ सूर्य |
Sutra Number : | 217 | Category : | Ang-05 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] जया णं भंते! जंबूदीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरत्थिमे णं दिवसे भवइ, तया णं पच्चत्थिमे ण वि दिवसे भवइ; जया णं पच्चत्थिमे णं दिवसे भवइ, तया णं जंबूदीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स उत्तर-दाहिणे णं राई भवइ? हंता गोयमा! जया णं जंबूदीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरत्थिमे णं दिवसे जाव उत्तर-दाहिणे णं राई भवइ। जया णं भंते! जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणड्ढे उवकोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, तया णं उत्तरड्ढे वि उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ; जया णं उत्तरड्ढे उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, तया णं जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरत्थिम-पच्चत्थिमे णं जहन्निया दुवालसमुहुत्ता राई भवइ? हंता गोयमा! जया णं जंबुद्दीवे दीवे दाहिणड्ढे उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे जाव दुवालसमुहुत्ता राई भवइ। जया णं भंते! जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरत्थिमे उक्कोसए अट्ठारस-मुहुत्ते दिवसे भवइ, तया णं पच्चत्थिमे वि उक्कोसेणं अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, जया णं पच्चत्थिमे णं उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, तया णं जंबुद्दीवे दीवे उत्तर-दाहिणे णं जहन्निया दुवालसमुहुत्ता राई भवइ? हंता गोयमा! जाव भवइ। जया णं भंते! जंबुद्दीवे दीवे दाहिणड्ढे अट्ठारसमुहुत्ताणंतरे दिवसे भवइ, तया णं उत्तरड्ढे वि अट्ठारसमुहुत्ताणंतरे दिवसे भवइ, जया णं उत्तरड्ढे अट्ठारसमुहुत्ताणंतरे दिवसे भवइ, तया णं जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरत्थिम-पच्चत्थिमे णं साइरेगा दुवालसमुहुत्ता राई भवइ? हंता गोयमा! जया णं जंबुद्दीवे जाव राई भवइ। जया णं भंते! जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरत्थिमे णं अट्ठारसमुहुत्ताणंतरे दिवसे भवइ, तया णं पच्चत्थिमे वि अट्ठारसमुहुत्ताणंतरे दिवसे भवइ; जया णं पच्चत्थिमे अट्ठारसमुहुत्ताणंतरे दिवसे भवइ, तदा णं जंबुदीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स उत्तर-दाहिणे णं साइरेगा दुवालसमुहुत्ता राई भवइ? हंता गोयमा! जाव भवइ। एवं एएणं कमेणं ओसारेयव्वं–सत्तरसमुहुत्ते दिवसे, तेरसमुहुत्ता राई। सत्तरसमुहुत्ताणंतरे दिवसे, साइरेगा तेरसमुहुत्ता राई। सोलसमुहुत्ते दिवसे, चोद्दसमुहुत्ता राई। सोलसमुहुत्ताणंतरे दिवसे, साइरेगा चउद्दसमुहुत्ता राई। पन्नरसमुहुत्ते दिवसे, पन्नरसमुहुत्ता राई। पन्नरसमुहुत्ताणंतरे दिवसे, साइरेगा पन्नरसमुहुत्ता राई। चोद्दसमुहुत्ते दिवसे, सोलसमुहुत्ता राई। चोद्दसमुहुत्ताणंतरे दिवसे, साइरेगा सोलसमुहुत्ता राई। तेरसमुहुत्ते दिवसे, सत्तरसमुहुत्ता राई। तेरसमुहुत्ताणंतरे दिवसे, साइरेगा सत्तरसमुहुत्ता राई। जया णं जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणड्ढे जहन्नए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ, तया णं उत्तरड्ढे वि; जया णं उत्तरड्ढे, तया णं जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरत्थिम-पच्चत्थिमे णं उक्कोसिया अट्ठारसमुहुत्ता राई भवइ? हंता गोयमा! एवं चेव उच्चारेयव्वं जाव राई भवइ। जया णं भंते! जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरत्थिमे णं जहन्नाए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ, तया णं पच्च-त्थिमे ण वि; जया णं पच्चत्थिमे, तया णं जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स उत्तर-दाहिणे णं उक्कोसिया अट्ठारसमुहुत्ता राई भवइ? हंता गोयमा! जाव राई भवइ। | ||
Sutra Meaning : | भगवन् ! जब जम्बूद्वीप नामक द्वीप के दक्षिणार्द्ध में उत्कृष्ट अठारह मुहूर्त्त का दिन होता है, तब क्या उत्तरार्द्ध में भी उत्कृष्ट अठारह मुहूर्त्त का दिन होता है ? और जब उत्तरार्द्ध में उत्कृष्ट अठारह मुहूर्त्त का दिन होता है, तब क्या जम्बूद्वीप में मन्दर (मेरु) पर्वत से पूर्व – पश्चिम में जघन्य बारह मुहूर्त्त की रात्रि होती है ? हाँ, गौतम ! यह इसी तरह होती है। भगवन् ! जब जम्बूद्वीप के मेरुपर्वत से पूर्व में उत्कृष्ट अठारह मुहूर्त्त का दिन होता है, तब क्या जम्बूद्वीप के पश्चिम में भी उत्कृष्ट अठारह मुहूर्त्त का दिन होता है ? और भगवन् ! जब पश्चिम में उत्कृष्ट अठारह मुहूर्त्त का दिवस होता है, तब क्या जम्बूद्वीप के उत्तर में जघन्य बारह मुहूर्त्त की रात्रि होती है ? हाँ, गौतम ! यह इसी तरह – यावत् होता है। हे भगवन् ! जब जम्बूद्वीप के दक्षिणार्द्ध में अठारह मुहूर्त्तानन्तर का दिवस होता है, तब क्या उत्तरार्द्ध में भी अठारह मुहूर्त्तानन्तर का दिवस होता है ? और जब उत्तरार्द्ध में अठारह मुहूर्त्तानन्तर का दिन होता है, तब क्या जम्बूद्वीप में मन्दर पर्वत से पूर्व पश्चिम दिशा में कुछ अधिक बारह मुहूर्त्त की रात्रि होती है ? हाँ, गौतम ! यह इसी तरह होती है; भगवन् ! जब जम्बूद्वीप के मन्दराचल से पूर्व में अठारह मुहूर्त्तानन्तर का दिन होता है, तब क्या पश्चिम में भी अठारह मुहूर्त्तानन्तर का दिन होता है ? और जब पश्चिम में अठारह मुहूर्त्तानन्तर का दिन होता है, तब क्या जम्बूद्वीप में मेरु – पर्वत से उत्तर दक्षिण में भी सातिरेक बारह मुहूर्त्त की रात्रि होती है ? हाँ, गौतम ! यावत् होती है। इस प्रकार इस क्रम से दिवस का परिमाण बढ़ाना – घटाना और रात्रि का परिमाण घटाना – बढ़ाना चाहिए। यथा – जब सत्रह मुहूर्त्त का दिवस होता है, तब तेरह मुहूर्त्त की रात्रि होती है। जब सत्रह मुहूर्त्तानन्तर का दिन होता है, तब सातिरेक तेरह मुहूर्त्त की रात्रि होती है। जब सोलह मुहूर्त्त का दिन होता है, तब सातिरेक तेरह मुहूर्त्त की रात्रि होती है। जब सोलह मुहूर्त्त का दिन होता है, तब चौदह मुहूर्त्त की रात्रि होती है। जब सोलह मुहूर्त्तानन्तर का दिवस होता है, तब सातिरेक चौदह मुहूर्त्त की रात्रि होती है। जब पन्द्रह मुहूर्त्त का दिन होता है, तब पन्द्रह मुहूर्त्त की रात्रि होती है। जब पन्द्रह मुहूर्त्तानन्तर का दिन होता है, तब सातिरेक पन्द्रह मुहूर्त्त की रात्रि होती है, जब चौदह मुहूर्त्त का दिन होता है, तब सोलह मुहूर्त्त की रात्रि होती है। जब चौदह मुहूर्त्तानन्तर का दिन होता है, तब सातिरेक सोलह मुहूर्त्त की रात्रि होती है। जब चौदह मुहूर्त्तानन्तर का दिन होता है, तब सातिरेक सोलह मुहूर्त्त की रात्रि होती है। जब तेरह मुहूर्त्त का दिन होता है, तब सत्रह मुहूर्त्त की रात्रि होती है। जब तेरह मुहूर्त्तानन्तर का दिन होता है, तब सातिरेक सत्रह मुहूर्त्त की रात्रि होती है। भगवन् ! जब जम्बूद्वीप के मेरुपर्वत से दक्षिणार्द्ध में जघन्य बारह मुहूर्त्त का दिन होता है, तब क्या उत्तरार्द्ध में भी (इसी तरह होता है) ? और जब उत्तरार्द्ध में भी इसी तरह होता है, तब क्या जम्बूद्वीप के मेरुपर्वत से पूर्व और पश्चिम में उत्कृष्ट अठारह मुहूर्त्त की रात्रि होती है ? हाँ, गौतम ! यावत् रात्रि होती है। भगवन् ! जब जम्बूद्वीप के मन्दर पर्वत से पूर्व में जघन्य बारह मुहूर्त्त का दिन होता है, तब क्या पश्चिम में भी इसी प्रकार होता है ? और जब पश्चिम में इसी तरह होता है, तब क्या जम्बूद्वीप के मन्दर – पर्वत के उत्तर और दक्षिण में उत्कृष्ट अठारह मुहूर्त्त की रात्रि होती है ? हाँ, गौतम ! यावत् रात्रि होती है। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] jaya nam bhamte! Jambudive dive mamdarassa pavvayassa puratthime nam divase bhavai, taya nam pachchatthime na vi divase bhavai; jaya nam pachchatthime nam divase bhavai, taya nam jambudive dive mamdarassa pavvayassa uttara-dahine nam rai bhavai? Hamta goyama! Jaya nam jambudive dive mamdarassa pavvayassa puratthime nam divase java uttara-dahine nam rai bhavai. Jaya nam bhamte! Jambuddive dive mamdarassa pavvayassa dahinaddhe uvakosae attharasamuhutte divase bhavai, taya nam uttaraddhe vi ukkosae attharasamuhutte divase bhavai; jaya nam uttaraddhe ukkosae attharasamuhutte divase bhavai, taya nam jambuddive dive mamdarassa pavvayassa puratthima-pachchatthime nam jahanniya duvalasamuhutta rai bhavai? Hamta goyama! Jaya nam jambuddive dive dahinaddhe ukkosae attharasamuhutte divase java duvalasamuhutta rai bhavai. Jaya nam bhamte! Jambuddive dive mamdarassa pavvayassa puratthime ukkosae attharasa-muhutte divase bhavai, taya nam pachchatthime vi ukkosenam attharasamuhutte divase bhavai, jaya nam pachchatthime nam ukkosae attharasamuhutte divase bhavai, taya nam jambuddive dive uttara-dahine nam jahanniya duvalasamuhutta rai bhavai? Hamta goyama! Java bhavai. Jaya nam bhamte! Jambuddive dive dahinaddhe attharasamuhuttanamtare divase bhavai, taya nam uttaraddhe vi attharasamuhuttanamtare divase bhavai, jaya nam uttaraddhe attharasamuhuttanamtare divase bhavai, taya nam jambuddive dive mamdarassa pavvayassa puratthima-pachchatthime nam sairega duvalasamuhutta rai bhavai? Hamta goyama! Jaya nam jambuddive java rai bhavai. Jaya nam bhamte! Jambuddive dive mamdarassa pavvayassa puratthime nam attharasamuhuttanamtare divase bhavai, taya nam pachchatthime vi attharasamuhuttanamtare divase bhavai; jaya nam pachchatthime attharasamuhuttanamtare divase bhavai, tada nam jambudive dive mamdarassa pavvayassa uttara-dahine nam sairega duvalasamuhutta rai bhavai? Hamta goyama! Java bhavai. Evam eenam kamenam osareyavvam–sattarasamuhutte divase, terasamuhutta rai. Sattarasamuhuttanamtare Divase, sairega terasamuhutta rai. Solasamuhutte divase, choddasamuhutta rai. Solasamuhuttanamtare divase, sairega chauddasamuhutta rai. Pannarasamuhutte divase, pannarasamuhutta rai. Pannarasamuhuttanamtare divase, sairega pannarasamuhutta rai. Choddasamuhutte divase, solasamuhutta rai. Choddasamuhuttanamtare divase, sairega solasamuhutta rai. Terasamuhutte divase, sattarasamuhutta rai. Terasamuhuttanamtare divase, sairega sattarasamuhutta rai. Jaya nam jambuddive dive mamdarassa pavvayassa dahinaddhe jahannae duvalasamuhutte divase bhavai, taya nam uttaraddhe vi; jaya nam uttaraddhe, taya nam jambuddive dive mamdarassa pavvayassa puratthima-pachchatthime nam ukkosiya attharasamuhutta rai bhavai? Hamta goyama! Evam cheva uchchareyavvam java rai bhavai. Jaya nam bhamte! Jambuddive dive mamdarassa pavvayassa puratthime nam jahannae duvalasamuhutte divase bhavai, taya nam pachcha-tthime na vi; jaya nam pachchatthime, taya nam jambuddive dive mamdarassa pavvayassa uttara-dahine nam ukkosiya attharasamuhutta rai bhavai? Hamta goyama! Java rai bhavai. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Bhagavan ! Jaba jambudvipa namaka dvipa ke dakshinarddha mem utkrishta atharaha muhurtta ka dina hota hai, taba kya uttararddha mem bhi utkrishta atharaha muhurtta ka dina hota hai\? Aura jaba uttararddha mem utkrishta atharaha muhurtta ka dina hota hai, taba kya jambudvipa mem mandara (meru) parvata se purva – pashchima mem jaghanya baraha muhurtta ki ratri hoti hai\? Ham, gautama ! Yaha isi taraha hoti hai. Bhagavan ! Jaba jambudvipa ke meruparvata se purva mem utkrishta atharaha muhurtta ka dina hota hai, taba kya jambudvipa ke pashchima mem bhi utkrishta atharaha muhurtta ka dina hota hai\? Aura bhagavan ! Jaba pashchima mem utkrishta atharaha muhurtta ka divasa hota hai, taba kya jambudvipa ke uttara mem jaghanya baraha muhurtta ki ratri hoti hai\? Ham, gautama ! Yaha isi taraha – yavat hota hai. He bhagavan ! Jaba jambudvipa ke dakshinarddha mem atharaha muhurttanantara ka divasa hota hai, taba kya uttararddha mem bhi atharaha muhurttanantara ka divasa hota hai\? Aura jaba uttararddha mem atharaha muhurttanantara ka dina hota hai, taba kya jambudvipa mem mandara parvata se purva pashchima disha mem kuchha adhika baraha muhurtta ki ratri hoti hai\? Ham, gautama ! Yaha isi taraha hoti hai; bhagavan ! Jaba jambudvipa ke mandarachala se purva mem atharaha muhurttanantara ka dina hota hai, taba kya pashchima mem bhi atharaha muhurttanantara ka dina hota hai\? Aura jaba pashchima mem atharaha muhurttanantara ka dina hota hai, taba kya jambudvipa mem meru – parvata se uttara dakshina mem bhi satireka baraha muhurtta ki ratri hoti hai\? Ham, gautama ! Yavat hoti hai. Isa prakara isa krama se divasa ka parimana barhana – ghatana aura ratri ka parimana ghatana – barhana chahie. Yatha – jaba satraha muhurtta ka divasa hota hai, taba teraha muhurtta ki ratri hoti hai. Jaba satraha muhurttanantara ka dina hota hai, taba satireka teraha muhurtta ki ratri hoti hai. Jaba solaha muhurtta ka dina hota hai, taba satireka teraha muhurtta ki ratri hoti hai. Jaba solaha muhurtta ka dina hota hai, taba chaudaha muhurtta ki ratri hoti hai. Jaba solaha muhurttanantara ka divasa hota hai, taba satireka chaudaha muhurtta ki ratri hoti hai. Jaba pandraha muhurtta ka dina hota hai, taba pandraha muhurtta ki ratri hoti hai. Jaba pandraha muhurttanantara ka dina hota hai, taba satireka pandraha muhurtta ki ratri hoti hai, jaba chaudaha muhurtta ka dina hota hai, taba solaha muhurtta ki ratri hoti hai. Jaba chaudaha muhurttanantara ka dina hota hai, taba satireka solaha muhurtta ki ratri hoti hai. Jaba chaudaha muhurttanantara ka dina hota hai, taba satireka solaha muhurtta ki ratri hoti hai. Jaba teraha muhurtta ka dina hota hai, taba satraha muhurtta ki ratri hoti hai. Jaba teraha muhurttanantara ka dina hota hai, taba satireka satraha muhurtta ki ratri hoti hai. Bhagavan ! Jaba jambudvipa ke meruparvata se dakshinarddha mem jaghanya baraha muhurtta ka dina hota hai, taba kya uttararddha mem bhi (isi taraha hota hai)\? Aura jaba uttararddha mem bhi isi taraha hota hai, taba kya jambudvipa ke meruparvata se purva aura pashchima mem utkrishta atharaha muhurtta ki ratri hoti hai\? Ham, gautama ! Yavat ratri hoti hai. Bhagavan ! Jaba jambudvipa ke mandara parvata se purva mem jaghanya baraha muhurtta ka dina hota hai, taba kya pashchima mem bhi isi prakara hota hai\? Aura jaba pashchima mem isi taraha hota hai, taba kya jambudvipa ke mandara – parvata ke uttara aura dakshina mem utkrishta atharaha muhurtta ki ratri hoti hai\? Ham, gautama ! Yavat ratri hoti hai. |