Sutra Navigation: Bhagavati ( भगवती सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1003580 | ||
Scripture Name( English ): | Bhagavati | Translated Scripture Name : | भगवती सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
शतक-१ |
Translated Chapter : |
शतक-१ |
Section : | उद्देशक-७ नैरयिक | Translated Section : | उद्देशक-७ नैरयिक |
Sutra Number : | 80 | Category : | Ang-05 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] नेरइए णं भंते! नेरइएसु उववज्जमाणे, किं–१. देसेणं देसं आहारेइ? २. देसेणं सव्वं आहारेइ? ३. सव्वेणं देसं आहारेइ? ४. सव्वेणं सव्वं आहारेइ? गोयमा! १. नो देसेणं देसं आहारेइ। २. नो देसेणं सव्वं आहारेइ। ३. सव्वेणं वा देसं आहारेइ। ४. सव्वेणं वा सव्वं आहारेइ। एवं जाव वेमाणिए। नेरइए णं भंते! नेरइएहिंतो उव्वट्टमाणे, किं–१. देसेणं देसं उव्वट्टइ? २. देसेणं सव्वं उव्वट्टइ? ३. सव्वेणं देसं उव्वट्टइ? ४. सव्वेणं सव्वं उव्वट्टइ? गोयमा! १. नो देसेणं देसं उव्वट्टइ। २. नो देसेणं सव्वं उव्वट्टइ। ३. नो सव्वेणं देसं उव्वट्टइ। ४. सव्वेणं सव्वं उव्वट्टइ। एवं जाव वेमाणिए। नेरइए णं भंते! नेरइएहिंतो उव्वट्टमाणे, किं–१. देसेणं देसं आहारेइ? २. देसेणं सव्वं आहारेइ? ३. सव्वेणं देसं आहारेइ? ४. सव्वेणं सव्वं आहारेइ? गोयमा! १. नो देसेणं देसं आहारेइ। २. नो देसेणं सव्वं आहारेइ। ३. सव्वेणं वा देसं आहारेइ। ४. सव्वेणं वा सव्वं आहारेइ। एवं जाव वेमाणिए। नेरइए णं भंते! नेरइएसु उववन्ने, किं–१. देसेणं देसं उववन्ने? २. देसेणं सव्वं उववन्ने? ३. सव्वेणं देसं उववन्ने? ४. सव्वेणं सव्वं उववन्ने? गोयमा! १. नो देसेणं देसं उववन्ने। २. नो देसेणं सव्वं उववन्ने। ३. नो सव्वेणं देसं उववन्ने। ४. सव्वेणं सव्वं उववन्ने। एवं जाव वेमाणिए। नेरइए णं भंते! नेरइएसु उववन्ने, किं–१. देसेणं देसं आहारेइ? २. देसेणं सव्वं आहारेइ? ३. सव्वेणं देसं आहारेइ? ४. सव्वेणं सव्वं आहारेइ? गोयमा! १. नो देसेणं देसं आहारेइ। २. नो देसेणं सव्वं आहारेइ। ३. सव्वेणं सव्वं वा देसं आहारेइ। ४. सव्वेणं वा सव्वं आहारेइ। एवं जाव वेमाणिए। नेरइए णं भंते! नेरइएहिंतो उव्वट्टे, किं–१. देसेणं देसं उव्वट्टे? २. देसेणं सव्वं उव्वट्टे? ३. सव्वेणं देसं उव्वट्टे? ४. सव्वेणं सव्वं उव्वट्टे? गोयमा! १. नो देसेणं देसं उव्वट्टे। २. नो देसेणं सव्वं उव्वट्टे। ३. नो सव्वेणं देसं उव्वट्टे। ४. सव्वेणं सव्वं उव्वट्टे। एवं जाव वेमाणिए। नेरइए णं भंते! नेरइएहिंतो उव्वट्टे, किं–१. देसेणं देसं आहारेइ? २. देसेणं सव्वं आहारेइ? ३. सव्वेणं देसं आहारेइ? ४. सव्वेणं सव्वं आहारेइ? गोयमा! १. नो देसेणं देसं आहारेइ। २. नो देसेणं सव्वं आहारेइ। ३. सव्वेणं वा देसं आहारेइ। ४. सव्वेणं वा सव्वं आहारेइ। एवं जाव वेमाणिए। नेरइए णं भंते! नेरइएसु उववज्जमाणे, किं–१. अद्धेण अद्धं उववज्जइ? २. अद्धेणं सव्वं उववज्जइ? ३. सव्वेणं अद्धं उववज्जइ? ४. सव्वेणं सव्वं उववज्जइ? जहा पढमिल्लेणं अट्ठ दंडगा तहा अद्धेण वि अट्ठ दंडगा भाणियव्वा, नवरं– जहिं देसेणं देसं उववज्जइ, तहिं अद्धेणं अद्धं उववज्जइ इति भाणियव्वं, एयं नाणत्तं। एते सव्वे वि सोलस दंडगा भाणियव्वा। | ||
Sutra Meaning : | नारकों में उत्पन्न होता हुआ नारक जीव क्या एक भाग से एक भाग को आश्रित करके आहार करता है, एक भाग से सर्वभाग को आश्रित करके आहार करता है, सर्वभागों से एक भाग को आश्रित करके आहार करता है, अथवा सर्वभागों से सर्वभागों को आश्रित करके आहार करता है ? गौतम ! वह एक भाग से एक भाग को आश्रित करके आहार नहीं करता, एक भाग से सर्वभाग को आश्रित करके आहार नहीं करता, किन्तु सर्वभागों से एक भाग को आश्रित करके आहार करता है, अथवा सर्वभागों से सर्वभागों को आश्रित करके आहार करता है। नारकों के समान ही वैमानिकों तक इसी प्रकार जानना। भगवन् ! नारकों में से – नीकलता हुआ नारक जीव क्या एक भाग से एक भाग को आश्रित करके नीकलता है ? इत्यादि पूर्ववत् प्रश्न। गौतम ! जैसे उत्पन्न होते हुए नैरयिक आदि के विषय में कहा था, वैसे ही उद् – वर्तमान नैरयिक आदि के विषय में दण्डक कहना। भगवन् ! नैरयिकों से उद्वर्तमान नैरयिक क्या एक भाग से एक भाग को आश्रित करके आहार करता है ? इत्यादि प्रश्न पूर्ववत्। गौतम ! यह भी पूर्वसूत्र के समान जानना; यावत् सर्वभागों से एक भाग को आश्रित करके आहार करता है, अथवा सर्वभागों से सर्वभागों को आश्रित करके आहार करता है। इसी प्रकार यावत् वैमानिकों तक जानना चाहिए। भगवन् ! नारकों में उत्पन्न हुआ नैरयिक क्या एक भाग से एक भाग को आश्रित करके उत्पन्न हुआ है ? इत्यादि प्रश्न पूर्ववत्। गौतम ! यह दण्डक भी उसी प्रकार जानना, यावत् – सर्वभाग से सर्वभाग को आश्रित करके उत्पन्न होता है। उत्पद्यमान और उद्वर्तमान के समान उत्पन्न और उद्वृत्त के विषय में भी चार दण्डक कहने चाहिए। भगवन् ! नैरयिकों में उत्पन्न होता हुआ नारक जीव क्या अर्द्ध भाग की आश्रित करके उत्पन्न होता है ? या अर्द्धभाग से सर्वभाग को आश्रित करके उत्पन्न होता है ? अथवा सर्वभाग से अर्द्ध भाग को आश्रित करके उत्पन्न होता है ? या सर्वभाग से सर्वभाग को आश्रित करके उत्पन्न होता है ? गौतम ! जैसे पहलेवालों के साथ आठ दण्डक कहे हैं, वैसे ही ‘अर्द्ध’ के साथ भी आठ दण्डक कहने चाहिए। विशेषता इतनी है कि – जहाँ ‘एक भाग से एक को आश्रित करके उत्पन्न होता है,’ ऐसा पाठ आए, वहाँ ‘अर्द्ध भाग से अर्द्ध भाग को आश्रित करके उत्पन्न होता है,’ ऐसा पाठ बोलना चाहिए। बस यही भिन्नता है। ये सब मिलकर कुल सोलह दण्डक होते हैं। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] neraie nam bhamte! Neraiesu uvavajjamane, kim–1. Desenam desam aharei? 2. Desenam savvam aharei? 3. Savvenam desam aharei? 4. Savvenam savvam aharei? Goyama! 1. No desenam desam aharei. 2. No desenam savvam aharei. 3. Savvenam va desam aharei. 4. Savvenam va savvam aharei. Evam java vemanie. Neraie nam bhamte! Neraiehimto uvvattamane, kim–1. Desenam desam uvvattai? 2. Desenam savvam uvvattai? 3. Savvenam desam uvvattai? 4. Savvenam savvam uvvattai? Goyama! 1. No desenam desam uvvattai. 2. No desenam savvam uvvattai. 3. No savvenam desam uvvattai. 4. Savvenam savvam uvvattai. Evam java vemanie. Neraie nam bhamte! Neraiehimto uvvattamane, kim–1. Desenam desam aharei? 2. Desenam savvam aharei? 3. Savvenam desam aharei? 4. Savvenam savvam aharei? Goyama! 1. No desenam desam aharei. 2. No desenam savvam aharei. 3. Savvenam va desam aharei. 4. Savvenam va savvam aharei. Evam java vemanie. Neraie nam bhamte! Neraiesu uvavanne, kim–1. Desenam desam uvavanne? 2. Desenam savvam uvavanne? 3. Savvenam desam uvavanne? 4. Savvenam savvam uvavanne? Goyama! 1. No desenam desam uvavanne. 2. No desenam savvam uvavanne. 3. No savvenam desam uvavanne. 4. Savvenam savvam uvavanne. Evam java vemanie. Neraie nam bhamte! Neraiesu uvavanne, kim–1. Desenam desam aharei? 2. Desenam savvam aharei? 3. Savvenam desam aharei? 4. Savvenam savvam aharei? Goyama! 1. No desenam desam aharei. 2. No desenam savvam aharei. 3. Savvenam savvam va desam aharei. 4. Savvenam va savvam aharei. Evam java vemanie. Neraie nam bhamte! Neraiehimto uvvatte, kim–1. Desenam desam uvvatte? 2. Desenam savvam uvvatte? 3. Savvenam desam uvvatte? 4. Savvenam savvam uvvatte? Goyama! 1. No desenam desam uvvatte. 2. No desenam savvam uvvatte. 3. No savvenam desam uvvatte. 4. Savvenam savvam uvvatte. Evam java vemanie. Neraie nam bhamte! Neraiehimto uvvatte, kim–1. Desenam desam aharei? 2. Desenam savvam aharei? 3. Savvenam desam aharei? 4. Savvenam savvam aharei? Goyama! 1. No desenam desam aharei. 2. No desenam savvam aharei. 3. Savvenam va desam aharei. 4. Savvenam va savvam aharei. Evam java vemanie. Neraie nam bhamte! Neraiesu uvavajjamane, kim–1. Addhena addham uvavajjai? 2. Addhenam savvam uvavajjai? 3. Savvenam addham uvavajjai? 4. Savvenam savvam uvavajjai? Jaha padhamillenam attha damdaga taha addhena vi attha damdaga bhaniyavva, navaram– jahim desenam desam uvavajjai, tahim addhenam addham uvavajjai iti bhaniyavvam, eyam nanattam. Ete savve vi solasa damdaga bhaniyavva. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Narakom mem utpanna hota hua naraka jiva kya eka bhaga se eka bhaga ko ashrita karake ahara karata hai, eka bhaga se sarvabhaga ko ashrita karake ahara karata hai, sarvabhagom se eka bhaga ko ashrita karake ahara karata hai, athava sarvabhagom se sarvabhagom ko ashrita karake ahara karata hai\? Gautama ! Vaha eka bhaga se eka bhaga ko ashrita karake ahara nahim karata, eka bhaga se sarvabhaga ko ashrita karake ahara nahim karata, kintu sarvabhagom se eka bhaga ko ashrita karake ahara karata hai, athava sarvabhagom se sarvabhagom ko ashrita karake ahara karata hai. Narakom ke samana hi vaimanikom taka isi prakara janana. Bhagavan ! Narakom mem se – nikalata hua naraka jiva kya eka bhaga se eka bhaga ko ashrita karake nikalata hai\? Ityadi purvavat prashna. Gautama ! Jaise utpanna hote hue nairayika adi ke vishaya mem kaha tha, vaise hi ud – vartamana nairayika adi ke vishaya mem dandaka kahana. Bhagavan ! Nairayikom se udvartamana nairayika kya eka bhaga se eka bhaga ko ashrita karake ahara karata hai\? Ityadi prashna purvavat. Gautama ! Yaha bhi purvasutra ke samana janana; yavat sarvabhagom se eka bhaga ko ashrita karake ahara karata hai, athava sarvabhagom se sarvabhagom ko ashrita karake ahara karata hai. Isi prakara yavat vaimanikom taka janana chahie. Bhagavan ! Narakom mem utpanna hua nairayika kya eka bhaga se eka bhaga ko ashrita karake utpanna hua hai\? Ityadi prashna purvavat. Gautama ! Yaha dandaka bhi usi prakara janana, yavat – sarvabhaga se sarvabhaga ko ashrita karake utpanna hota hai. Utpadyamana aura udvartamana ke samana utpanna aura udvritta ke vishaya mem bhi chara dandaka kahane chahie. Bhagavan ! Nairayikom mem utpanna hota hua naraka jiva kya arddha bhaga ki ashrita karake utpanna hota hai\? Ya arddhabhaga se sarvabhaga ko ashrita karake utpanna hota hai\? Athava sarvabhaga se arddha bhaga ko ashrita karake utpanna hota hai\? Ya sarvabhaga se sarvabhaga ko ashrita karake utpanna hota hai\? Gautama ! Jaise pahalevalom ke satha atha dandaka kahe haim, vaise hi ‘arddha’ ke satha bhi atha dandaka kahane chahie. Visheshata itani hai ki – jaham ‘eka bhaga se eka ko ashrita karake utpanna hota hai,’ aisa patha ae, vaham ‘arddha bhaga se arddha bhaga ko ashrita karake utpanna hota hai,’ aisa patha bolana chahie. Basa yahi bhinnata hai. Ye saba milakara kula solaha dandaka hote haim. |