Sutra Navigation: Bhagavati ( भगवती सूत्र )

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Sr No : 1003562
Scripture Name( English ): Bhagavati Translated Scripture Name : भगवती सूत्र
Mool Language : Ardha-Magadhi Translated Language : Hindi
Chapter :

शतक-१

Translated Chapter :

शतक-१

Section : उद्देशक-५ पृथ्वी Translated Section : उद्देशक-५ पृथ्वी
Sutra Number : 62 Category : Ang-05
Gatha or Sutra : Sutra Sutra Anuyog :
Author : Deepratnasagar Original Author : Gandhar
 
Century : Sect : Svetambara1
Source :
 
Mool Sutra : [सूत्र] इमीसे णं भंते! रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावाससयसहस्सेसु एगमेगंसि निरयावासंसि नेरइयाणं केवइया ठितिट्ठाणा पन्नत्ता? गोयमा! असंखेज्जा ठितिट्ठाणा पन्नत्ता, तं जहा–जहन्निया ठिती, समयाहिया जहन्निया ठिती, दुसमयाहिया जहन्निया ठिती जाव असंखेज्जसमयाहिया जहन्निया ठिती। तप्पाउग्गुक्कोसिया ठिती। इमीसे णं भंते! रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावाससयसहस्सेसु एगमेगंसि निरयावासंसि जहन्नियाए ठितीए वट्टमाणा नेरइया किं–कोहोवउत्ता? मानोवउत्ता? मायोवउत्ता? लोभोवउत्ता? गोयमा! सव्वे वि ताव होज्जा १. कोहोवउत्ता। २. अहवा कोहोवउत्ता य, मानोवउत्ते य। ३. अहवा कोहोवउत्ता य, मानोवउत्ता य। ४. अहवा कोहोवउत्ता य, मायोवउत्ते य। ५. अहवा कोहोवउत्ता य, मायोवउत्ता य। ६. अहवा कोहोवउत्ता य, लोभो वउत्ते य। ७. अहवा कोहोवउत्ता य, लोभोवउत्ता य। ८. अहवा कोहोवउत्ता य, मानोवउत्ते य, मायोवउत्ते य। ९. कोहोवउत्ता य, मानोवउत्ते य, मायोवउत्ता य। १०. कोहोवउत्ता य, मानोवउत्ता य, मायोवउत्ते य। ११. कोहोवउत्ता य, मानोवउत्ता य, मायोवउत्ता य। १२. कोहोवउत्ता य, मानोवउत्ते य, लोभोवउत्ते य। १३. कोहोवउत्ता य, मानोवउत्ते य, लोभोवउत्ता य। १४. कोहोवउत्ता य, मानोवउत्ता य, लोभोवउत्ते य। १५. कोहोवउत्ता य, मानोवउत्ता य, लोभोवउत्ता य। १६. कोहोवउत्ता य, मायोवउत्ता य, लोभोवउत्ते य। १७. कोहोवउत्ता य, मायोवउत्ते य, लोभोवउत्ता य। १८. कोहोवउत्ता य, मायोवउत्ता य, लोभोवउत्ते य। १९. कोहोवउत्ता य, मायोवउत्ता य, लोभोवउत्ता य। २०. कोहोवउत्ता य, मानोवउत्ते य, मायोवउत्ते य, लोभोवउत्ते य। २१. कोहोवउत्ता य, मानोवउत्ते य, मायोवउत्ते य, लोभोवउत्ता य। २२. कोहोवउत्ता य, मानोवउत्ते य, मायोवउत्ता य, लोभोवउत्ते य। २३. कोहोवउत्ताय, मानोवउत्ते य, मायोवउत्ता य, लोभोवउत्ता य। २४. कोहोवउत्ता य, मानोवउत्ता य, मायोवउत्ते य, लोभोवउत्ता य। २५. कोहोवउत्ता य, मानोवउत्ता य, मायोवउत्ते य, लोभोवउत्ता य। २६. कोहोवउत्ता य, मानोवउत्ता य, मायो वउत्ता य। लोभोवउत्ते य। २७. कोहोवउत्ता य, मानोवउत्ता य, मायोवउत्ता य, लोभोवउत्ता य।
Sutra Meaning : भगवन्‌ ! इस रत्नप्रभा पृथ्वी के तीस लाख नारकावासों में से एक – एक नारकावास में रहने वाले नारक जीवों के कितने स्थिति – स्थान कहे गए हैं ? गौतम ! उनके असंख्य स्थान हैं। वे इस प्रकार हैं – जघन्य स्थिति दस हजार वर्ष की है, वह एक समय अधिक, दो समय अधिक – इस प्रकार यावत्‌ जघन्य स्थिति असंख्यात समय अधिक है, तथा उसके योग्य उत्कृष्ट स्थिति भी। भगवन्‌ ! इस रत्नप्रभा पृथ्वी के तीस लाख नारकावासों में से एक – एक नारकावास में कम से कम स्थिति में वर्तमान नारक क्या क्रोधोपयुक्त हैं, मानोपयुक्त हैं, मायोपयुक्त हैं अथवा लोभोपयुक्त हैं ? गौतम ! वे सभी क्रोधोपयुक्त होते हैं १, अथवा बहुत से नारक क्रोधोपयुक्त और एक नारक मानोपयुक्त होता है २, अथवा बहुत से क्रोधोपयुक्त और बहुत से मानोपयुक्त होते हैं ३, अथवा बहुत से क्रोधोपयुक्त और एक मानोपयुक्त होता है ४, अथवा बहुत – से क्रोधोपयुक्त और बहुत – से मायोपयुक्त होते हैं ५, अथवा बहुत – से क्रोधोपयुक्त और एक लोभोपयुक्त होता है ६, अथवा बहुत – से क्रोधोपयुक्त और बहुत – से लोभोपयुक्त होते हैं ७। अथवा बहुत से क्रोधोपयुक्त, एक मानोपयुक्त और एक मायोपयुक्त होता है १, बहुत – से क्रोधोपयुक्त, एक मानोपयुक्त और बहुत – से मायोपयुक्त होते हैं २, बहुत – से क्रोधोपयुक्त, बहुत – से मानोपयुक्त और एक मायोपयुक्त होता है ३, बहुत – से क्रोधोपयुक्त, बहुत मानोपयुक्त और बहुत मायोपयुक्त होते हैं ४, इसी तरह क्रोध, मान और लोभ के चार भंग क्रोध, माया और लोभ के भी चार भंग कहने चाहिए। फिर मान, माया और लोभ के साथ क्रोध को जोड़ने से चतुष्क – संयोगी आठ भंग कहने चाहिए। इसी तरह क्रोध को नहीं छोड़ते हुए कुल २७ भंग समझ लेने चाहिए। इस रत्नप्रभा पृथ्वी के तीस लाख नारकावासों में से एक – एक नारकावास में एक समय अधिक जघन्य स्थिति में वर्तमान नारक क्या क्रोधोपयुक्त होते हैं, मानोपयुक्त होते हैं, मायोपयुक्त होते हैं अथवा लोभोपयुक्त होते हैं ? गौतम! उनमें से कोई – कोई क्रोधोपयुक्त, कोई मानोपयुक्त, कोई मायोपयुक्त और कोई लोभोपयुक्त होता है। अथवा बहुत – से क्रोधोपयुक्त, मानोपयुक्त, मायोपयुक्त और लोभोपयुक्त होते हैं। अथवा कोई – कोई क्रोधोपयुक्त और मानोपयुक्त होता है, या कोई – कोई क्रोधोपयुक्त और बहुत – से मानोपयुक्त होते हैं। इत्यादि प्रकार से अस्सी भंग समझने चाहिए। इसी प्रकार यावत्‌ दो समय अधिक जघन्य स्थिति से लेकर संख्येय समयाधिक जघन्य स्थिति वाले नैरयिकों के लिए समझना। असंख्येय समयाधिक स्थिति वालों में तथा उसके योग्य उत्कृष्ट स्थिति वाले नारकों में सत्ताईस भंग कहने चाहिए।
Mool Sutra Transliteration : [sutra] imise nam bhamte! Rayanappabhae pudhavie tisae nirayavasasayasahassesu egamegamsi nirayavasamsi neraiyanam kevaiya thititthana pannatta? Goyama! Asamkhejja thititthana pannatta, tam jaha–jahanniya thiti, samayahiya jahanniya thiti, dusamayahiya jahanniya thiti java asamkhejjasamayahiya jahanniya thiti. Tappauggukkosiya thiti. Imise nam bhamte! Rayanappabhae pudhavie tisae nirayavasasayasahassesu egamegamsi nirayavasamsi jahanniyae thitie vattamana neraiya kim–kohovautta? Manovautta? Mayovautta? Lobhovautta? Goyama! Savve vi tava hojja 1. Kohovautta. 2. Ahava kohovautta ya, manovautte ya. 3. Ahava kohovautta ya, manovautta ya. 4. Ahava kohovautta ya, mayovautte ya. 5. Ahava kohovautta ya, mayovautta ya. 6. Ahava kohovautta ya, lobho vautte ya. 7. Ahava kohovautta ya, lobhovautta ya. 8. Ahava kohovautta ya, manovautte ya, mayovautte ya. 9. Kohovautta ya, manovautte ya, mayovautta ya. 10. Kohovautta ya, manovautta ya, mayovautte ya. 11. Kohovautta ya, manovautta ya, mayovautta ya. 12. Kohovautta ya, manovautte ya, lobhovautte ya. 13. Kohovautta ya, manovautte ya, lobhovautta ya. 14. Kohovautta ya, manovautta ya, lobhovautte ya. 15. Kohovautta ya, manovautta ya, lobhovautta ya. 16. Kohovautta ya, mayovautta ya, lobhovautte ya. 17. Kohovautta ya, mayovautte ya, lobhovautta ya. 18. Kohovautta ya, mayovautta ya, lobhovautte ya. 19. Kohovautta ya, mayovautta ya, lobhovautta ya. 20. Kohovautta ya, manovautte ya, mayovautte ya, lobhovautte ya. 21. Kohovautta ya, manovautte ya, mayovautte ya, lobhovautta ya. 22. Kohovautta ya, manovautte ya, mayovautta ya, lobhovautte ya. 23. Kohovauttaya, manovautte ya, mayovautta ya, lobhovautta ya. 24. Kohovautta ya, manovautta ya, mayovautte ya, lobhovautta ya. 25. Kohovautta ya, manovautta ya, mayovautte ya, lobhovautta ya. 26. Kohovautta ya, manovautta ya, mayo vautta ya. Lobhovautte ya. 27. Kohovautta ya, manovautta ya, mayovautta ya, lobhovautta ya.
Sutra Meaning Transliteration : Bhagavan ! Isa ratnaprabha prithvi ke tisa lakha narakavasom mem se eka – eka narakavasa mem rahane vale naraka jivom ke kitane sthiti – sthana kahe gae haim\? Gautama ! Unake asamkhya sthana haim. Ve isa prakara haim – jaghanya sthiti dasa hajara varsha ki hai, vaha eka samaya adhika, do samaya adhika – isa prakara yavat jaghanya sthiti asamkhyata samaya adhika hai, tatha usake yogya utkrishta sthiti bhi. Bhagavan ! Isa ratnaprabha prithvi ke tisa lakha narakavasom mem se eka – eka narakavasa mem kama se kama sthiti mem vartamana naraka kya krodhopayukta haim, manopayukta haim, mayopayukta haim athava lobhopayukta haim\? Gautama ! Ve sabhi krodhopayukta hote haim 1, athava bahuta se naraka krodhopayukta aura eka naraka manopayukta hota hai 2, athava bahuta se krodhopayukta aura bahuta se manopayukta hote haim 3, athava bahuta se krodhopayukta aura eka manopayukta hota hai 4, athava bahuta – se krodhopayukta aura bahuta – se mayopayukta hote haim 5, athava bahuta – se krodhopayukta aura eka lobhopayukta hota hai 6, athava bahuta – se krodhopayukta aura bahuta – se lobhopayukta hote haim 7. Athava bahuta se krodhopayukta, eka manopayukta aura eka mayopayukta hota hai 1, bahuta – se krodhopayukta, eka manopayukta aura bahuta – se mayopayukta hote haim 2, bahuta – se krodhopayukta, bahuta – se manopayukta aura eka mayopayukta hota hai 3, bahuta – se krodhopayukta, bahuta manopayukta aura bahuta mayopayukta hote haim 4, isi taraha krodha, mana aura lobha ke chara bhamga krodha, maya aura lobha ke bhi chara bhamga kahane chahie. Phira mana, maya aura lobha ke satha krodha ko jorane se chatushka – samyogi atha bhamga kahane chahie. Isi taraha krodha ko nahim chhorate hue kula 27 bhamga samajha lene chahie. Isa ratnaprabha prithvi ke tisa lakha narakavasom mem se eka – eka narakavasa mem eka samaya adhika jaghanya sthiti mem vartamana naraka kya krodhopayukta hote haim, manopayukta hote haim, mayopayukta hote haim athava lobhopayukta hote haim\? Gautama! Unamem se koi – koi krodhopayukta, koi manopayukta, koi mayopayukta aura koi lobhopayukta hota hai. Athava bahuta – se krodhopayukta, manopayukta, mayopayukta aura lobhopayukta hote haim. Athava koi – koi krodhopayukta aura manopayukta hota hai, ya koi – koi krodhopayukta aura bahuta – se manopayukta hote haim. Ityadi prakara se assi bhamga samajhane chahie. Isi prakara yavat do samaya adhika jaghanya sthiti se lekara samkhyeya samayadhika jaghanya sthiti vale nairayikom ke lie samajhana. Asamkhyeya samayadhika sthiti valom mem tatha usake yogya utkrishta sthiti vale narakom mem sattaisa bhamga kahane chahie.