Sutra Navigation: Samavayang ( समवयांग सूत्र )

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Sr No : 1003209
Scripture Name( English ): Samavayang Translated Scripture Name : समवयांग सूत्र
Mool Language : Ardha-Magadhi Translated Language : Hindi
Chapter :

समवाय-३३

Translated Chapter :

समवाय-३३

Section : Translated Section :
Sutra Number : 109 Category : Ang-04
Gatha or Sutra : Sutra Sutra Anuyog :
Author : Deepratnasagar Original Author : Gandhar
 
Century : Sect : Svetambara1
Source :
 
Mool Sutra : [सूत्र] तेत्तीसं आसायणाओ पन्नत्ताओ, तं जहा– १. सेहे राइणियस्स आसन्नं गंता भवइ– आसायणा सेहस्स। २. सेहे राइणियस्स पुरओ गंता भवइ–आसायणा सेहस्स। ३. सेहे राइणियस्स सपक्खं गंता भवइ–आसायणा सेहस्स। ४. सेहे राइणियस्स आसन्नं ठिच्चा भवइ–आसायणा सेहस्स। ५. सेहे राइणियस्स पुरओ ठिच्चा भवइ–आसायणा सेहस्स। ६. सेहे राइणियस्स सपक्खं ठिच्चा भवइ–आसायणा सेहस्स। ७. सेहे राइणियस्स आसन्नं निसीइत्ता भवइ–आसायणा सेहस्स। ८. सेहे राइणियस्स पुरओ निसीइत्ता भवइ–आसायणा सेहस्स। ९. सेहे राइणियस्स सपक्खं निसीइत्ता भवइ–आसायणा सेहस्स। १०. सेहे राइणिएण सद्धिं बहिया वियारभूमिं निक्खंते समाणे पुव्वामेव सेहतराए आयामेइ पच्छा राइणिए–आसायणा सेहस्स। ११. सेहे राइणिएण सद्धिं बहिया विहारभूमिं वा वियारभूमिं वा निक्खंते समाणे तत्थ पुव्वामेव सेहतराए आलोएति पच्छा राइणिए–आसायणा सेहस्स। १२. सेहे राइणियस्स रातो वा वियाले वा वाहरमाणस्स अज्जो के सुत्ते? के जागरे? तत्थ सेहे जागरमाणे राइणियस्स अपडिसुणेत्ता भवति–आसायणा सेहस्स। १३. केइ राइणियस्स पुव्वं संलवित्तए सिया, तं सेहे पुव्वतरागं आलवेति पच्छा राइणिए–आसायणा सेहस्स। १४. सेहे असनं वा पानं वा खाइमं वा साइमं वा पडिगाहेत्ता तं पुव्वमेव सेहतरागस्स आलोएइ, पच्छा राइणियस्स–आसायणा सेहस्स। १५. सेहे असनं वा पानं वा खाइमं वा साइमं वा पडिगाहेत्ता तं पुव्वमेव सेहतरागस्स उवदंसेति, पच्छा राइणियस्स–आसायणा सेहस्स। १६. सेहे असनं वा पानं वा खाइमं वा साइमं वा पडिगाहेत्ता तं पुव्वमेव सेहतरागं उवणिमंतेइ, पच्छा राइणियं–आसायणा सेहस्स। १७. सेहे राइणिएण सद्धिं असनं वा पानं वा खाइमं वा साइमं वा पडिगाहेत्ता तं राइणियं अणापुच्छित्ता जस्स-जस्स इच्छइ तस्स-तस्स खद्धं-खद्धं दलयइ–आसायणा सेहस्स। १८. सेहे असनं वा पानं वा खाइमं वा साइमं वा पडिगाहेत्ता राइणिएण सद्धिं आहरेमाणे तत्थ सेहे खद्धं-खद्धं डायं-डायं ऊसढं-ऊसढं रसितं-रसितं मणुन्नं-मणुन्नं मणामं-मणामं निद्धं-निद्धं लुक्खं-लुक्खं आहरेत्ता भवइ–आसायणा सेहस्स। १९. सेहे राइणियस्स बाहरमाणस्स अपडिसुणेत्ता भवइ–आसायणा सेहस्स। २०. सेहे राइणियस्स खद्धं-खद्धं वत्ता भवति–आसायणा सेहस्स। २१. सेहे राइणियस्स किं ति वइत्ता भवति–आसायणा सेहस्स। २२. सेहे राइणियं तुमंति वत्ता भवति–आसायणा सेहस्स। २३. सेहे राइणियं तज्जाएण-तज्जाएण पडिभणित्ता भवइ–आसायणा सेहस्स। २४. सेहे राइणियस्स कहं कहेमाणस्स इति एवं ति वत्ता न भवति–आसायणा सेहस्स। २५. सेहे राइणियस्स कहं कहेमाणस्स नो सुमरसीति वत्ता भवति–आसायणा सेहस्स। २६. सेहे राइणियस्स कहं कहेमाणस्स कहं अच्छिंदित्ता भवति–आसायणा सेहस्स। २७. सेहे राइणियस्स कहं कहेमाणस्स परिसं भेत्ता भवति–आसायणा सेहस्स। २८. सेहे राइणियस्स कहं कहेमाणस्स तीसे परिसाए अणुट्ठिताए अभिन्नाए अवुच्छिन्नाए अव्वोगडाए दोच्चं पि तमेव कहं कहित्ता भवति–आसायणा सेहस्स। २९. सेहे राइणियस्स सेज्जा-संथारगं पाएणं संघट्टित्ता, हत्थेणं अणणुण्णवेत्ता गच्छति–आसायणा० ३०. सेहे राइणियस्स सेज्जा-संथारए चिट्ठित्ता वा निसीइत्ता वा तुयट्टित्ता वा भवइ–आसायणा० ३१. सेहे राइणियस्स उच्चासणे चिट्ठित्ता वा निसीइत्ता वा तुयट्टित्ता वा भवति–आसायणा सेहस्स। ३२. सेहे राइणियस्स समासणे चिट्ठित्ता वा निसीइत्ता वा तुयट्टित्ता वा भवति–आसायणा सेहस्स। ३३. सेहे राइणियस्स आलवमाणस्स तत्थगते चिय पडिसुणित्ता भवइ–आसायणा सेहस्स। चमरस्स णं असुरिंदस्स असुररण्णो चमरचंचाए रायहाणीए एक्कमेक्के वारे तेत्तीसं-तेत्तीसं भोमा पन्नत्ता। महाविदेहे णं वासे तेत्तीसं जोयणसहस्साइं साइरेगाइं विक्खंभेणं पन्नत्ते। जया णं सूरिए बाहिराणं अंतरं तच्चं मंडलं उवसंकमित्ता णं चारं चरइ, तया णं इहगयस्स पुरिसस्स तेत्तीसाए जोयणसहस्सेहिं किंचिविसेसूणेहिं चक्खुप्फासं हव्वमागच्छइ। इमीसे णं रयप्पभाए पुढवीए अत्थेगइयाणं नेरइयाणं तेत्तीसं पलिओवमाइं ठिई पन्नत्ता। अहेसत्तमाए पुढवीए काल-महाकाल-रोरुय-महारोरुएसु नेरइयाणं उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाइं ठिई पन्नत्ता। अप्पइट्ठाणनरए नेरइयाणं अजहन्नमनुक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाइं ठिई पन्नत्ता। असुरकुमाराणं अत्थेगइयाणं देवाणं तेत्तीसं पलिओवमाइं ठिई पन्नत्ता। सोहम्मीसानेसु कप्पेसु अत्थेगइयाणं देवाणं तेत्तीसं पलिओवमाइं ठिई पन्नत्ता। विजय-वेजयंत-जयंत-अपराजिएसु विमानेसु उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाइं ठिई पन्नत्ता। जे देवा सव्वट्ठसिद्धं महाविमानं देवत्ताए उववन्ना, तेसि णं देवाणं अजहन्नमनुक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाइं ठिई पन्नत्ता। ते णं देवा तेत्तीसाए अद्धमासेहिं आणमंति वा पाणमंति वा ऊससंति वा नीससंति वा। तेसि णं देवाणं तेत्तीसाए वाससहस्सेहिं आहारट्ठे समुप्पज्जइ। संतेगइया भवसिद्धिया जीवा, जे तेत्तीसाए भवग्गहणेहिं सिज्झिस्संति बुज्झिस्संति मुच्चिस्संति परिनिव्वाइस्संति सव्वदुक्खाणमंतं करिस्संति।
Sutra Meaning : शैक्ष याने कि शिष्य के लिए सम्यग्दर्शनादि धर्म की विराधनारूप आशातनाएं तैंतीस कही गई हैं। जैसे – शैक्ष (नवदीक्षित) साधु रात्निक (अधिक दीक्षा पर्याय वाले) साधु के – (१) अति निकट होकर गमन करे। (२) शैक्ष साधु रात्निक साधु के आगे गमन करे। (३) शैक्ष साधु रात्निक साधु के साथ बराबरी से चले। (४) शैक्ष साधु रात्निक साधु के आगे खड़ा हो। (५) शैक्ष साधु रात्निक साधु के साथ बराबरी से खड़ा हो। (६) शैक्ष साधु रात्निक साधु के अति निकट खड़ा हो। (७) शैक्ष साधु रात्निक साधु के आगे बैठे। (८) शैक्ष साधु रात्निक साधु के साथ बराबरी से बैठे। (९) शैक्ष साधु रात्निक साधु के अति समीप बैठे। (१०) शैक्ष साधु रात्निक साधु के साथ बाहर विचारभूमि को नीकलता हुआ यदि शैक्ष रात्निक साधु से पहले आचमन करे। (११) शैक्ष साधु रात्निक साधु के साथ बाहर विचार – भूमि को या विहारभूमि को नीकलता हुआ यदि शैक्ष रात्निक साधु से पहले आलोचना करे और रात्निक पीछे करे। (१२) कोई साधु रात्निक साधु के साथ पहले से बात कर रहा हो, तब शैक्ष साधु रात्निक साधु से पहले ही बोले और रात्निक साधु पीछे बोल पावें। (१३) रात्निक साधु रात्रि में या विकाल में शैक्ष से पूछे कि आर्य ! कौन सो रहे हैं और कौन जाग रहे हैं ? यह सूनकर भी यदि शैक्ष अनसूनी करके कोई उत्तर न दे। (१४) शैक्ष साधु अशन, पान, खादिम या स्वादिम लाकर पहले किसी अन्य शैक्ष के सामने आलोचना करे पीछे रात्निक साधु के सामने। (१५) शैक्ष साधु अशन, पान, खादिम या स्वादिम को लाकर पहले किसी अन्य शैक्ष को दिखलावे, पीछे रात्निक साधु को दिखावे। (१६) शैक्ष साधु अशन, पान, खादिम या स्वादिम – आहार लाकर पहले किसी अन्य शैक्ष को भोजन के लिए निमंत्रण दे और पीछे रात्निक साधु को निमंत्रण दे। (१७) शैक्ष साधु रात्निक साधु के साथ अशन, पान, खादिम, स्वादिम आहार को लाकर रात्निक साधु से बिना पूछे जिस किसी को दे। (१८) शैक्ष साधु अशन, पान, खादिम, स्वादिम आहार लाकर रात्निक साधु के साथ भोजन करता हुआ यदि उत्तम भोज्य पदार्थों को जल्दी – जल्दी बड़े – बड़े कवलों से खाता है। (१९) रात्निक साधु के द्वारा कुछ कहे जाने पर यदि शैक्ष उसे अनसूनी करता है। (२०) रात्निक साधु के द्वारा कुछ कहे जाने पर यदि शैक्ष अपने स्थान पर ही बैठे हुए सूनता है। (२१) रात्निक साधु के द्वारा कुछ कहे जाने पर ‘क्या कहा ?’ इस प्रकार से यदि शैक्ष कहे। (२२) शैक्ष रात्निक साधु को ‘तुम’ कहकर बोले। (२३) शैक्ष रात्निक साधु से यदि चप – चप करता हुआ उद्दंडता से बोले। (२४) शैक्ष, रात्निक साधु के कथा करते हुए ‘जी हाँ,’ आदि शब्दों से अनुमोदना न करे। (२५) शैक्ष, रात्निक साधु के द्वारा धर्मकथा कहते समय ‘तुम्हें स्मरण नहीं’ इस प्रकार से बोले तो। (२६) शैक्ष, रात्निक के द्वारा धर्मकथा कहते समय ‘बस करो’ इत्यादि कहे। (२७) शैक्ष, रात्निक के द्वारा धर्मकथा कहते समय यदि परीषद्‌ को भेदन करे। (२८) शैक्ष, रात्निक साधु के धर्मकथा कहते हुए उस सभा के नहीं उठने पर दूसरी या तीसरी बार भी उसी कथा को कहे। (२९) शैक्ष, रात्निक साधु के धर्मकथा कहते हुए यदि कथा की काट करे। (२९) शैक्ष यदि रात्निक साधु के शय्या – संस्तारक को पैर से ठुकरावे। (३०) शैक्ष यदि रात्निक साधु के शय्या या आसन पर खड़ा होता, बैठता, सोता है। (३१) शैक्ष यदि रात्निक साधु से ऊंचे आसन पर बैठे। (३२) शैक्ष यदि रात्निक साधु के समान आसन पर बैठे। (३३) रात्निक के कुछ कहने पर शैक्ष अपने आसन पर बैठा – बैठा ही उत्तर दे। असुरेन्द्र असुरराज चमर की राजधानी चमरचंचा नगरी में प्रत्येक द्वार के बाहर तैंतीस – तैंतीस भौम (नगर के आकार वाले विशिष्ट स्थान) कहे गए हैं। महाविदेह वर्ष (क्षेत्र) कुछ अधिक तैंतीस हजार योजन विस्तार वाला है। जब सूर्य सर्वबाह्य मंडल से भीतर की ओर तीसरे मंडल पर आकर संचार करता है, तब वह इस भरत क्षेत्रगत मनुष्य के कुछ विशेष कम तैंतीस हजार योजन की दूरी से दृष्टिगोचर होता है। इस रत्नप्रभा पृथ्वी में कितनेक नारकों की स्थिति तैंतीस पल्योपम कही गई है। अधस्तन सातवी पृथ्वी के काल, महाकाल, रौरुक और महारौरुक नारकावासों के नारकों की उत्कृष्ट स्थिति तैंतीस सागरोपम कही गई है। उसी सातवी पृथ्वी के अप्रतिष्ठान नरक में नारकों की अजघन्य – अनुत्कृष्ट तैंतीस सागरोपम स्थिति कही गई है। कितनेक असुरकुमार देवों की स्थिति तैंतीस पल्योपम कही गई है। सौधर्म – ईशान कल्पों में कितनेक देवों की स्थिति तैंतीस पल्योपम है। विजय – वैजयन्त, जयन्त और अपराजित इन चार अनुत्तर विमानों में देवों की उत्कृष्ट स्थिति तैंतीस सागरोपम है। जो देव सर्वार्थसिद्ध नामक पाँचवे अनुत्तर महाविमान में देवरूप से उत्पन्न होते हैं, उन देवों की अजघन्य – अनुत्कृष्ट स्थिति पूरे तैंतीस सागरोपम कही गई है। वे देव तैंतीस अर्धमासों के बाद आन – प्राण अथवा उच्छ्‌वास – निःश्वास लेते हैं। उन देवों के तैंतीस हजार वर्षों के बाद आहार की ईच्छा उत्पन्न होती है। कितनेक भव्यसिद्धिक जीव तैंतीस भव ग्रहण करके सिद्ध होंगे, बुद्ध होंगे, कर्मों से मुक्त होंगे, परम निर्वाण को प्राप्त होंगे और सर्व दुःखों का अन्त करेंगे। यहाँ इतना विशेष ज्ञातव्य है कि सर्वार्थसिद्ध महाविमान के देव तो नियम से एक भव ग्रहण करके मुक्त होते हैं और विजयादि शेष चार विमानों के देवों में से कोई एक भव ग्रहण करके मुक्त होता है और कोई दो मनुष्य भव ग्रहण करके मुक्त होता है।
Mool Sutra Transliteration : [sutra] tettisam asayanao pannattao, tam jaha– 1. Sehe rainiyassa asannam gamta bhavai– asayana sehassa. 2. Sehe rainiyassa purao gamta bhavai–asayana sehassa. 3. Sehe rainiyassa sapakkham gamta bhavai–asayana sehassa. 4. Sehe rainiyassa asannam thichcha bhavai–asayana sehassa. 5. Sehe rainiyassa purao thichcha bhavai–asayana sehassa. 6. Sehe rainiyassa sapakkham thichcha bhavai–asayana sehassa. 7. Sehe rainiyassa asannam nisiitta bhavai–asayana sehassa. 8. Sehe rainiyassa purao nisiitta bhavai–asayana sehassa. 9. Sehe rainiyassa sapakkham nisiitta bhavai–asayana sehassa. 10. Sehe rainiena saddhim bahiya viyarabhumim nikkhamte samane puvvameva sehatarae ayamei pachchha Rainie–asayana sehassa. 11. Sehe rainiena saddhim bahiya viharabhumim va viyarabhumim va nikkhamte samane tattha puvvameva Sehatarae aloeti pachchha rainie–asayana sehassa. 12. Sehe rainiyassa rato va viyale va vaharamanassa ajjo ke sutte? Ke jagare? Tattha sehe Jagaramane rainiyassa apadisunetta bhavati–asayana sehassa. 13. Kei rainiyassa puvvam samlavittae siya, tam sehe puvvataragam alaveti pachchha rainie–asayana Sehassa. 14. Sehe asanam va panam va khaimam va saimam va padigahetta tam puvvameva sehataragassa aloei, Pachchha rainiyassa–asayana sehassa. 15. Sehe asanam va panam va khaimam va saimam va padigahetta tam puvvameva sehataragassa uvadamseti, Pachchha rainiyassa–asayana sehassa. 16. Sehe asanam va panam va khaimam va saimam va padigahetta tam puvvameva sehataragam uvanimamtei, pachchha Rainiyam–asayana sehassa. 17. Sehe rainiena saddhim asanam va panam va khaimam va saimam va padigahetta tam rainiyam Anapuchchhitta jassa-jassa ichchhai tassa-tassa khaddham-khaddham dalayai–asayana sehassa. 18. Sehe asanam va panam va khaimam va saimam va padigahetta rainiena saddhim aharemane tattha sehe Khaddham-khaddham dayam-dayam usadham-usadham rasitam-rasitam manunnam-manunnam manamam-manamam niddham-niddham Lukkham-lukkham aharetta bhavai–asayana sehassa. 19. Sehe rainiyassa baharamanassa apadisunetta bhavai–asayana sehassa. 20. Sehe rainiyassa khaddham-khaddham vatta bhavati–asayana sehassa. 21. Sehe rainiyassa kim ti vaitta bhavati–asayana sehassa. 22. Sehe rainiyam tumamti vatta bhavati–asayana sehassa. 23. Sehe rainiyam tajjaena-tajjaena padibhanitta bhavai–asayana sehassa. 24. Sehe rainiyassa kaham kahemanassa iti evam ti vatta na bhavati–asayana sehassa. 25. Sehe rainiyassa kaham kahemanassa no sumarasiti vatta bhavati–asayana sehassa. 26. Sehe rainiyassa kaham kahemanassa kaham achchhimditta bhavati–asayana sehassa. 27. Sehe rainiyassa kaham kahemanassa parisam bhetta bhavati–asayana sehassa. 28. Sehe rainiyassa kaham kahemanassa tise parisae anutthitae abhinnae avuchchhinnae avvogadae dochcham pi tameva kaham kahitta bhavati–asayana sehassa. 29. Sehe rainiyassa sejja-samtharagam paenam samghattitta, hatthenam ananunnavetta gachchhati–asayana0 30. Sehe rainiyassa sejja-samtharae chitthitta va nisiitta va tuyattitta va bhavai–asayana0 31. Sehe rainiyassa uchchasane chitthitta va nisiitta va tuyattitta va bhavati–asayana sehassa. 32. Sehe rainiyassa samasane chitthitta va nisiitta va tuyattitta va bhavati–asayana sehassa. 33. Sehe rainiyassa alavamanassa tatthagate chiya padisunitta bhavai–asayana sehassa. Chamarassa nam asurimdassa asuraranno chamarachamchae rayahanie ekkamekke vare tettisam-tettisam bhoma pannatta. Mahavidehe nam vase tettisam joyanasahassaim sairegaim vikkhambhenam pannatte. Jaya nam surie bahiranam amtaram tachcham mamdalam uvasamkamitta nam charam charai, taya nam ihagayassa purisassa tettisae joyanasahassehim kimchivisesunehim chakkhupphasam havvamagachchhai. Imise nam rayappabhae pudhavie atthegaiyanam neraiyanam tettisam paliovamaim thii pannatta. Ahesattamae pudhavie kala-mahakala-roruya-maharoruesu neraiyanam ukkosenam tettisam sagarovamaim thii pannatta. Appaitthananarae neraiyanam ajahannamanukkosenam tettisam sagarovamaim thii pannatta. Asurakumaranam atthegaiyanam devanam tettisam paliovamaim thii pannatta. Sohammisanesu kappesu atthegaiyanam devanam tettisam paliovamaim thii pannatta. Vijaya-vejayamta-jayamta-aparajiesu vimanesu ukkosenam tettisam sagarovamaim thii pannatta. Je deva savvatthasiddham mahavimanam devattae uvavanna, tesi nam devanam ajahannamanukkosenam tettisam sagarovamaim thii pannatta. Te nam deva tettisae addhamasehim anamamti va panamamti va usasamti va nisasamti va. Tesi nam devanam tettisae vasasahassehim aharatthe samuppajjai. Samtegaiya bhavasiddhiya jiva, je tettisae bhavaggahanehim sijjhissamti bujjhissamti muchchissamti parinivvaissamti savvadukkhanamamtam karissamti.
Sutra Meaning Transliteration : Shaiksha yane ki shishya ke lie samyagdarshanadi dharma ki viradhanarupa ashatanaem taimtisa kahi gai haim. Jaise – shaiksha (navadikshita) sadhu ratnika (adhika diksha paryaya vale) sadhu ke – (1) ati nikata hokara gamana kare. (2) shaiksha sadhu ratnika sadhu ke age gamana kare. (3) shaiksha sadhu ratnika sadhu ke satha barabari se chale. (4) shaiksha sadhu ratnika sadhu ke age khara ho. (5) shaiksha sadhu ratnika sadhu ke satha barabari se khara ho. (6) shaiksha sadhu ratnika sadhu ke ati nikata khara ho. (7) shaiksha sadhu ratnika sadhu ke age baithe. (8) shaiksha sadhu ratnika sadhu ke satha barabari se baithe. (9) shaiksha sadhu ratnika sadhu ke ati samipa baithe. (10) shaiksha sadhu ratnika sadhu ke satha bahara vicharabhumi ko nikalata hua yadi shaiksha ratnika sadhu se pahale achamana kare. (11) shaiksha sadhu ratnika sadhu ke satha bahara vichara – bhumi ko ya viharabhumi ko nikalata hua yadi shaiksha ratnika sadhu se pahale alochana kare aura ratnika pichhe kare. (12) koi sadhu ratnika sadhu ke satha pahale se bata kara raha ho, taba shaiksha sadhu ratnika sadhu se pahale hi bole aura ratnika sadhu pichhe bola pavem. (13) ratnika sadhu ratri mem ya vikala mem shaiksha se puchhe ki arya ! Kauna so rahe haim aura kauna jaga rahe haim\? Yaha sunakara bhi yadi shaiksha anasuni karake koi uttara na de. (14) shaiksha sadhu ashana, pana, khadima ya svadima lakara pahale kisi anya shaiksha ke samane alochana kare pichhe ratnika sadhu ke samane. (15) shaiksha sadhu ashana, pana, khadima ya svadima ko lakara pahale kisi anya shaiksha ko dikhalave, pichhe ratnika sadhu ko dikhave. (16) shaiksha sadhu ashana, pana, khadima ya svadima – ahara lakara pahale kisi anya shaiksha ko bhojana ke lie nimamtrana de aura pichhe ratnika sadhu ko nimamtrana de. (17) shaiksha sadhu ratnika sadhu ke satha ashana, pana, khadima, svadima ahara ko lakara ratnika sadhu se bina puchhe jisa kisi ko de. (18) shaiksha sadhu ashana, pana, khadima, svadima ahara lakara ratnika sadhu ke satha bhojana karata hua yadi uttama bhojya padarthom ko jaldi – jaldi bare – bare kavalom se khata hai. (19) ratnika sadhu ke dvara kuchha kahe jane para yadi shaiksha use anasuni karata hai. (20) ratnika sadhu ke dvara kuchha kahe jane para yadi shaiksha apane sthana para hi baithe hue sunata hai. (21) ratnika sadhu ke dvara kuchha kahe jane para ‘kya kaha\?’ isa prakara se yadi shaiksha kahe. (22) shaiksha ratnika sadhu ko ‘tuma’ kahakara bole. (23) shaiksha ratnika sadhu se yadi chapa – chapa karata hua uddamdata se bole. (24) shaiksha, ratnika sadhu ke katha karate hue ‘ji ham,’ adi shabdom se anumodana na kare. (25) shaiksha, ratnika sadhu ke dvara dharmakatha kahate samaya ‘tumhem smarana nahim’ isa prakara se bole to. (26) shaiksha, ratnika ke dvara dharmakatha kahate samaya ‘basa karo’ ityadi kahe. (27) shaiksha, ratnika ke dvara dharmakatha kahate samaya yadi parishad ko bhedana kare. (28) shaiksha, ratnika sadhu ke dharmakatha kahate hue usa sabha ke nahim uthane para dusari ya tisari bara bhi usi katha ko kahe. (29) shaiksha, ratnika sadhu ke dharmakatha kahate hue yadi katha ki kata kare. (29) shaiksha yadi ratnika sadhu ke shayya – samstaraka ko paira se thukarave. (30) shaiksha yadi ratnika sadhu ke shayya ya asana para khara hota, baithata, sota hai. (31) shaiksha yadi ratnika sadhu se umche asana para baithe. (32) shaiksha yadi ratnika sadhu ke samana asana para baithe. (33) ratnika ke kuchha kahane para shaiksha apane asana para baitha – baitha hi uttara de. Asurendra asuraraja chamara ki rajadhani chamarachamcha nagari mem pratyeka dvara ke bahara taimtisa – taimtisa bhauma (nagara ke akara vale vishishta sthana) kahe gae haim. Mahavideha varsha (kshetra) kuchha adhika taimtisa hajara yojana vistara vala hai. Jaba surya sarvabahya mamdala se bhitara ki ora tisare mamdala para akara samchara karata hai, taba vaha isa bharata kshetragata manushya ke kuchha vishesha kama taimtisa hajara yojana ki duri se drishtigochara hota hai. Isa ratnaprabha prithvi mem kitaneka narakom ki sthiti taimtisa palyopama kahi gai hai. Adhastana satavi prithvi ke kala, mahakala, rauruka aura maharauruka narakavasom ke narakom ki utkrishta sthiti taimtisa sagaropama kahi gai hai. Usi satavi prithvi ke apratishthana naraka mem narakom ki ajaghanya – anutkrishta taimtisa sagaropama sthiti kahi gai hai. Kitaneka asurakumara devom ki sthiti taimtisa palyopama kahi gai hai. Saudharma – ishana kalpom mem kitaneka devom ki sthiti taimtisa palyopama hai. Vijaya – vaijayanta, jayanta aura aparajita ina chara anuttara vimanom mem devom ki utkrishta sthiti taimtisa sagaropama hai. Jo deva sarvarthasiddha namaka pamchave anuttara mahavimana mem devarupa se utpanna hote haim, una devom ki ajaghanya – anutkrishta sthiti pure taimtisa sagaropama kahi gai hai. Ve deva taimtisa ardhamasom ke bada ana – prana athava uchchhvasa – nihshvasa lete haim. Una devom ke taimtisa hajara varshom ke bada ahara ki ichchha utpanna hoti hai. Kitaneka bhavyasiddhika jiva taimtisa bhava grahana karake siddha homge, buddha homge, karmom se mukta homge, parama nirvana ko prapta homge aura sarva duhkhom ka anta karemge. Yaham itana vishesha jnyatavya hai ki sarvarthasiddha mahavimana ke deva to niyama se eka bhava grahana karake mukta hote haim aura vijayadi shesha chara vimanom ke devom mem se koi eka bhava grahana karake mukta hota hai aura koi do manushya bhava grahana karake mukta hota hai.