Sutra Navigation: Sthanang ( स्थानांग सूत्र )
Search Details
Mool File Details |
|
Anuvad File Details |
|
Sr No : | 1002872 | ||
Scripture Name( English ): | Sthanang | Translated Scripture Name : | स्थानांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
स्थान-९ |
Translated Chapter : |
स्थान-९ |
Section : | Translated Section : | ||
Sutra Number : | 872 | Category : | Ang-03 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] एस णं अज्जो! सेणिए राया भिंभिसारे कालमासे कालं किच्चा इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए सीमंतए नरए चउरासीतिवाससहस्सट्ठितीयंसि णिरयंसि नेरइयत्ताए उववज्जिहिति। से णं तत्थ नेरइए भविस्सति– काले कालोभासे गंभीरलोमहरिसे भीमे उत्तासणए परमकिण्हे वण्णेणं। से णं तत्थ वेयणं वेदिहिती उज्जलं तिउलं पगाढं कडुयं कक्कसं चंडं दुक्खं दुग्गं दिव्वं दुरहियासं। से णं ततो नरयाओ उव्वट्टेत्ता आगमेसाए उस्सप्पिणीए इहेव जंबुद्दीवे दीवे भरहे वासे वेयड्ढगिरिपायमूले पुंडेसु जनवएसु सतदुवारे णगरे संमुइस्स कुलकरस्स भद्दाए भारियाए कुच्छिंसि पुमत्ताए पच्चायाहिति। तए णं सा भद्दा भारिया नवण्हं मासाणं बहुपडिपुण्णाणं अद्धट्ठमाण य राइंदियाणं वोतिक्कंताणं सुकुमालपाणिपायं अहीन-पडिपुण्ण-पंचिंदियसरीरं लक्खण-वंजण-गुणोववेयं मानु- म्मान-प्पमाण-पडिपुण्ण-सुजाय-सव्वंगसुंदरंगं ससिसोमाकारं कंतं पियदंसणं सुरूवं दारगं पयाहिती जं रयणिं च णं से दारए पयाहिती, तं रयणिं च णं सतदुवारे नगरे सब्भंतरबाहिरए भारग्गसो य कुंभग्गसो य पउमवासे य रयणवासे य वासे वासिहिति। तए णं तस्स दारयस्स अम्मापियरो एक्कारसमे दिवसे वीइक्कंते निवत्ते असुइजायकम्मकरणे संपत्ते बारसाहे अयमेयारूवं गोण्णं गुणनिप्फणं नामधिज्जं काहिंति, जम्हा णं अम्हमिमंसि दारगंसि जातंसि समाणंसि सयदुवारे नगरे सब्भिंतरबाहिरए भारग्गसो य कुंभग्गसो य पउमवासे य रयणवासे य वासे वुट्ठे, तं होउ णमम्हमिमस्स दारगस्स नामधिज्जं महापउमे-महापउमे। तए णं तस्स दारगस्स अम्मापियरो नामधिज्जं काहिंति महापउमेत्ति। तए णं महापउमं दारगं अम्मापितरो सातिरेगं अट्ठवासजातगं जाणित्ता महता-महता रायाभिसेएणं अभिसिंचिहिंति। से णं तत्थ राया भविस्सति महता-हिमवंत-महंत-मलय-मंदर-महिंदसारे रायवण्णओ जाव रज्जं पसासेमाणे विहरिस्सति। तए णं तस्स महापउमस्स रन्नो अन्नदा कयाइ दो देवा महिड्ढिया महज्जुइया महानुभागा महायसा महाबला महासोक्खा सेनाकम्मं काहिंति, तं जहा–पुण्णभद्दे य माणिभद्दे य। तए णं सतदुवारे नगरे बहवे राईसर-तलवर-माडंबिय-कोडुंबिय-इब्भ-सेट्ठि-सेनावति-सत्थवाहप्पभितयो अन्नमन्नंसद्दावेहिंति, एवं वइस्संति–जम्हा णं देवाणुप्पिया! अम्हं महापउमस्स रन्नो दो देवा महिड्ढिया महज्जुइया महानुभागा महायसा महाबला महासोक्खा सेनाकम्मं करेति, तं जहा–पुण्णभद्दे य माणिभद्दे य। तं होउ णमम्हं देवाणुप्पिया! महापउमस्स रन्नो दोच्चेवि नामधेज्जे देवसेने-देवसेने। तते णं तस्स महापउमस्स रन्नो दोच्चेवि नामधेज्जे भविस्सइ देवसेनेति। तए णं तस्स देवसेनस्स रन्नो अन्नया कयाई सेय-संखतल-विमल-सन्निकासे चउदंते हत्थिरयणे समुप्पज्जिहिति। तए णं से देवसेने राया तं सेयं संखतल-विमल-सन्निकासं चउदंतं हत्थिरयणं दुरूढे समाने सतदुवारं नगरं मज्झं-मज्झेणं अभिक्खणं-अभिक्खणं ‘अतिज्जाहिति य निज्जाहिति’ य। तए णं सतदुवारे नगरे बहवे राईसर-तलवर-माडंबिय-कोडुंबिय-इब्भ-सेट्ठि-सेनावति-सत्थवाहप्पभितयो अन्नमन्नंसद्दावे-हिंति, एवं वइस्संति–जम्हा णं देवाणुप्पिया! अम्हं देवसेनस्स रन्नो सेते संखतल-विमल-सन्निकासे चउदंते हत्थिरयणे समुप्पन्ने तं होउ णमम्हं देवानुप्पिया! देवसेनस्स तच्चेवि नामधेज्जे विमलवाहने-विमलवाहने। तए णं तस्स देवसेनस्स रण्णो तच्चेवि नामधेज्जे भविस्सति विमलवाहनेति। तए णं से विमलवाहने राया तीसं वासाइं अगारवासमज्झे वसित्ता अम्मापितीहिं देवत्तं गतेहिं गुरुमहत्तरएहिं अब्भणुण्णाते समाने, उदुंमि सरए, संबुद्धे अनुत्तरे मोक्खमग्गे पुणरवि लोगंतिएहिं जीयकप्पिएहिं देवेहिं, ताहिं इट्ठाहिं कंताहिं पियाहिं मणुन्नाहिं मणामाहिं उरालाहिं कल्लाणाहिं सिवाहिं धन्नाहिं मंगलाहिं सस्सिरिआहिं वग्गूहिं अभिनंदिज्जमाने अभिथुव्वमाने य बहिया सुभूमिभागे उज्जाणे एगं दवदूसमादाय मुंडे भवित्ता अगाराओ अनगारियं पव्वयाहिति। तस्स णं भगवंतस्स साइरेगाइं दुवालस वासाइं निच्चं वोसट्ठकाए चियत्तदेहे जे केइ उवसग्गा उप्पज्जिहिंति तं दिव्वा वा मानुसा वा तिरिक्खजोणिया वा उप्पन्ने, ते सव्वे सम्मं सहिस्सइ खमिस्सइ तितिक्खिस्सइ अहियासिस्सइ । तए णं से भगवं अणगारे भविस्सइ इरियासमिए भासासमिए एसणासमिए आयाणभंडमत्त-निक्खेवणासमिए, उच्चार-पासवण-खेल-जल्ल-सिंघाण-पारिट्ठावाणियासमिए, मनगुत्ते, वयगुत्ते, कायगुत्ते गुत्तिंदिए गुत्तबंभयारी अममे अकिंचने छिन्नगंथे निरुपलेवे कंसापाईव मुक्कतोए जहा भावणाए जाव सुहुय हुयासणे तिव तेयसा जलंते । | ||
Sutra Meaning : | हे आर्य ! यह श्रेणिक राजा मरकर इस रत्नप्रभा पृथ्वी के सीमंतक नरकावास में चौरासी हजार वर्ष की नारकीय स्थिति वाले नैरयिक के रूप में उत्पन्न होगा और अति तीव्र यावत् – असह्य वेदना भोगेगा। यह उस नरक से नीकलकर आगामी उत्सर्पिणी में इसी जम्बूद्वीप के भरतक्षेत्र में वैताढ्यपर्वत के समीप पुण्ड्र जनपद के शतद्वार नगर में संमति कुलकर की भद्रा भार्या की कुक्षी में पुत्र रूप में उत्पन्न होगा। नौ मास और साढ़े सात अहोरात्र बीतने पर सुकुमार हाथ – पैर, प्रतिपूर्ण पंचेन्द्रिय शरीर और उत्तम लक्षण तिलसम युक्त यावत् – रूपवान पुत्र पैदा होगा। जिस रात्रि में यह पुत्र रूप में पैदा होगा उस रात्रि में शतद्वार नगर के अन्दर और बाहर भाराग्र तथा कुम्भाग्र प्रमाण पद्म एवं रत्नों की वर्षा बरसेगी। पश्चात् उसके माता – पिता इग्यारवाँ दिन बीतने पर यावत् – बारहवें दिन उसका गुणसम्पन्न नाम देंगे। क्योंकि इनका जन्म होने पर शतद्वार नगर के अन्दर और बाहर भार एवं कुम्भ प्रमाण पद्म एवं रत्नों की वर्षा होने से इस पुत्र का महापद्म नाम देंगे। पश्चात् महापद्म के माता – पिता महापद्म को कुछ अधिक आठ वर्ष का हुआ जानकर राज्याभिषेक का महोत्सव करेंगे। पश्चात् वह राजा महाराजा के समान यावत् – राज्य करेगा। उसके राज्यकाल में पूर्णभद्र और महाभद्र नाम के दो देव महर्द्धिक यावत् – महान ऐश्वर्य वाले उनकी सेना का संचालन करेंगे। उस समय शतद्वार नगर के बहुत से राजा यावत् – सार्थवाह आदि परस्पर बातें करेंगे – हे देवानुप्रियो ! हमारे महापद्म राजा की सेना का संचालन महर्द्धिक यावत् – महान ऐश्वर्य वाले दो देव (पूर्णभद्र और मणिभद्र) करते हैं इसलिए इनका दूसरा नाम ‘देवसेन’ हो। उस समय से महापद्म का दूसरा नाम देवसेन भी होगा। कुछ समय पश्चात् उस देवसेना राजा को शंखतल जैसा निर्मल, श्वेत, चार दाँत वाला हस्तिरत्न प्राप्त होगा। वह देवसेन राजा उस हस्तिरत्न पर आरूढ़ होकर शतद्वार नगर के मध्यभाग में से बार – बार आव – जाव करेगा। उस समय शतद्वार नगर के बहुत से राजेश्वर यावत् – सार्थवाह आदि परस्पर बातें करेंगे। यथा – हे देवानुप्रियो ! हमारे देवसेन राजा को शंखतल जैसा निर्मल श्वेत चार दाँत वाला हस्तिरत्न प्राप्त हुआ है, इसलिए हमारे देवसेन राजा का तीसरा नाम ‘विमलवाहन’ हो। पश्चात् वह विमलवाहन राजा तीस वर्ष गृहस्थावास में रहेगा और माता – पिता के स्वर्गवासी होने पर गुरुजनों की आज्ञा लेकर शरद् ऋतु में स्वयं बोध को प्राप्त होगा तथा अनुत्तर मोक्ष मार्ग में प्रस्थान करेगा। उस समय लोकान्तिक देव इष्ट यावत् – कल्याणकारी वाणी से उनका अभिनन्दन एवं स्तुति करेंगे। नगर के बाहर सूभूमि भाग उद्यान में एक देवदूष्य वस्त्र ग्रहण करके वह प्रव्रज्या लेगा। शरीर का ममत्व न रखने वाले उन भगवान को कुछ अधिक बारह वर्ष तक देव, मनुष्य और तिर्यंच सम्बन्धी जो उपसर्ग उत्पन्न होंगे वे समभाव से सहन करेंगे यावत् – अकम्पित रहेंगे। पश्चात् वे विमलवाहन भगवान ईर्यासमिति, भाषासमिति का पालन करेंगे यावत् – ब्रह्मचर्य का पालन करेंगे। वे निर्मम निष्परिग्रही कांस्यपात्र के समान अलिप्त होंगे यावत् – कहे गए भगवान महावीर के वर्णन के समान कहें। वे विमलवाहन भगवान – | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] esa nam ajjo! Senie raya bhimbhisare kalamase kalam kichcha imise rayanappabhae pudhavie simamtae narae chaurasitivasasahassatthitiyamsi nirayamsi neraiyattae uvavajjihiti. Se nam tattha neraie bhavissati– kale kalobhase gambhiralomaharise bhime uttasanae paramakinhe vannenam. Se nam tattha veyanam vedihiti ujjalam tiulam pagadham kaduyam kakkasam chamdam dukkham duggam divvam durahiyasam. Se nam tato narayao uvvattetta agamesae ussappinie iheva jambuddive dive bharahe vase veyaddhagiripayamule pumdesu janavaesu sataduvare nagare sammuissa kulakarassa bhaddae bhariyae kuchchhimsi pumattae pachchayahiti. Tae nam sa bhadda bhariya navanham masanam bahupadipunnanam addhatthamana ya raimdiyanam votikkamtanam sukumalapanipayam ahina-padipunna-pamchimdiyasariram lakkhana-vamjana-gunovaveyam manu- mmana-ppamana-padipunna-sujaya-savvamgasumdaramgam sasisomakaram kamtam piyadamsanam suruvam daragam payahiti Jam rayanim cha nam se darae payahiti, tam rayanim cha nam sataduvare nagare sabbhamtarabahirae bharaggaso ya kumbhaggaso ya paumavase ya rayanavase ya vase vasihiti. Tae nam tassa darayassa ammapiyaro ekkarasame divase viikkamte nivatte asuijayakammakarane sampatte barasahe ayameyaruvam gonnam gunanipphanam namadhijjam kahimti, jamha nam amhamimamsi daragamsi jatamsi samanamsi sayaduvare nagare sabbhimtarabahirae bharaggaso ya kumbhaggaso ya paumavase ya rayanavase ya vase vutthe, tam hou namamhamimassa daragassa namadhijjam mahapaume-mahapaume. Tae nam tassa daragassa ammapiyaro namadhijjam kahimti mahapaumetti. Tae nam mahapaumam daragam ammapitaro satiregam atthavasajatagam janitta mahata-mahata rayabhiseenam abhisimchihimti. Se nam tattha raya bhavissati mahata-himavamta-mahamta-malaya-mamdara-mahimdasare rayavannao java rajjam pasasemane viharissati. Tae nam tassa mahapaumassa ranno annada kayai do deva mahiddhiya mahajjuiya mahanubhaga mahayasa mahabala mahasokkha senakammam kahimti, tam jaha–punnabhadde ya manibhadde ya. Tae nam sataduvare nagare bahave raisara-talavara-madambiya-kodumbiya-ibbha-setthi-senavati-satthavahappabhitayo annamannamsaddavehimti, evam vaissamti–jamha nam devanuppiya! Amham mahapaumassa ranno do deva mahiddhiya mahajjuiya mahanubhaga mahayasa mahabala mahasokkha senakammam kareti, tam jaha–punnabhadde ya manibhadde ya. Tam hou namamham devanuppiya! Mahapaumassa ranno dochchevi namadhejje devasene-devasene. Tate nam tassa mahapaumassa ranno dochchevi namadhejje bhavissai devaseneti. Tae nam tassa devasenassa ranno annaya kayai seya-samkhatala-vimala-sannikase chaudamte hatthirayane samuppajjihiti. Tae nam se devasene raya tam seyam samkhatala-vimala-sannikasam chaudamtam hatthirayanam durudhe samane sataduvaram nagaram majjham-majjhenam abhikkhanam-abhikkhanam ‘atijjahiti ya nijjahiti’ ya. Tae nam sataduvare nagare bahave raisara-talavara-madambiya-kodumbiya-ibbha-setthi-senavati-satthavahappabhitayo annamannamsaddave-himti, evam vaissamti–jamha nam devanuppiya! Amham devasenassa ranno sete samkhatala-vimala-sannikase chaudamte hatthirayane samuppanne tam hou namamham devanuppiya! Devasenassa tachchevi namadhejje vimalavahane-vimalavahane. Tae nam tassa devasenassa ranno tachchevi namadhejje bhavissati vimalavahaneti. Tae nam se vimalavahane raya tisam vasaim agaravasamajjhe vasitta ammapitihim devattam gatehim gurumahattaraehim abbhanunnate samane, udummi sarae, sambuddhe anuttare mokkhamagge punaravi logamtiehim jiyakappiehim devehim, tahim itthahim kamtahim piyahim manunnahim manamahim uralahim kallanahim sivahim dhannahim mamgalahim sassiriahim vagguhim abhinamdijjamane abhithuvvamane ya bahiya subhumibhage ujjane egam davadusamadaya mumde bhavitta agarao anagariyam pavvayahiti. Tassa nam bhagavamtassa sairegaim duvalasa vasaim nichcham vosatthakae chiyattadehe je kei uvasagga uppajjihimti tam divva va manusa va tirikkhajoniya va uppanne, te savve sammam sahissai khamissai titikkhissai ahiyasissai. Tae nam se bhagavam anagare bhavissai iriyasamie bhasasamie esanasamie ayanabhamdamatta-nikkhevanasamie, uchchara-pasavana-khela-jalla-simghana-paritthavaniyasamie, managutte, vayagutte, kayagutte guttimdie guttabambhayari amame akimchane chhinnagamthe nirupaleve kamsapaiva mukkatoe jaha bhavanae java suhuya huyasane tiva teyasa jalamte. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | He arya ! Yaha shrenika raja marakara isa ratnaprabha prithvi ke simamtaka narakavasa mem chaurasi hajara varsha ki narakiya sthiti vale nairayika ke rupa mem utpanna hoga aura ati tivra yavat – asahya vedana bhogega. Yaha usa naraka se nikalakara agami utsarpini mem isi jambudvipa ke bharatakshetra mem vaitadhyaparvata ke samipa pundra janapada ke shatadvara nagara mem sammati kulakara ki bhadra bharya ki kukshi mem putra rupa mem utpanna hoga. Nau masa aura sarhe sata ahoratra bitane para sukumara hatha – paira, pratipurna pamchendriya sharira aura uttama lakshana tilasama yukta yavat – rupavana putra paida hoga. Jisa ratri mem yaha putra rupa mem paida hoga usa ratri mem shatadvara nagara ke andara aura bahara bharagra tatha kumbhagra pramana padma evam ratnom ki varsha barasegi. Pashchat usake mata – pita igyaravam dina bitane para yavat – barahavem dina usaka gunasampanna nama demge. Kyomki inaka janma hone para shatadvara nagara ke andara aura bahara bhara evam kumbha pramana padma evam ratnom ki varsha hone se isa putra ka mahapadma nama demge. Pashchat mahapadma ke mata – pita mahapadma ko kuchha adhika atha varsha ka hua janakara rajyabhisheka ka mahotsava karemge. Pashchat vaha raja maharaja ke samana yavat – rajya karega. Usake rajyakala mem purnabhadra aura mahabhadra nama ke do deva maharddhika yavat – mahana aishvarya vale unaki sena ka samchalana karemge. Usa samaya shatadvara nagara ke bahuta se raja yavat – sarthavaha adi paraspara batem karemge – he devanupriyo ! Hamare mahapadma raja ki sena ka samchalana maharddhika yavat – mahana aishvarya vale do deva (purnabhadra aura manibhadra) karate haim isalie inaka dusara nama ‘devasena’ ho. Usa samaya se mahapadma ka dusara nama devasena bhi hoga. Kuchha samaya pashchat usa devasena raja ko shamkhatala jaisa nirmala, shveta, chara damta vala hastiratna prapta hoga. Vaha devasena raja usa hastiratna para arurha hokara shatadvara nagara ke madhyabhaga mem se bara – bara ava – java karega. Usa samaya shatadvara nagara ke bahuta se rajeshvara yavat – sarthavaha adi paraspara batem karemge. Yatha – he devanupriyo ! Hamare devasena raja ko shamkhatala jaisa nirmala shveta chara damta vala hastiratna prapta hua hai, isalie hamare devasena raja ka tisara nama ‘vimalavahana’ ho. Pashchat vaha vimalavahana raja tisa varsha grihasthavasa mem rahega aura mata – pita ke svargavasi hone para gurujanom ki ajnya lekara sharad ritu mem svayam bodha ko prapta hoga tatha anuttara moksha marga mem prasthana karega. Usa samaya lokantika deva ishta yavat – kalyanakari vani se unaka abhinandana evam stuti karemge. Nagara ke bahara subhumi bhaga udyana mem eka devadushya vastra grahana karake vaha pravrajya lega. Sharira ka mamatva na rakhane vale una bhagavana ko kuchha adhika baraha varsha taka deva, manushya aura tiryamcha sambandhi jo upasarga utpanna homge ve samabhava se sahana karemge yavat – akampita rahemge. Pashchat ve vimalavahana bhagavana iryasamiti, bhashasamiti ka palana karemge yavat – brahmacharya ka palana karemge. Ve nirmama nishparigrahi kamsyapatra ke samana alipta homge yavat – kahe gae bhagavana mahavira ke varnana ke samana kahem. Ve vimalavahana bhagavana – |