Sutra Navigation: Sthanang ( स्थानांग सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1002451 | ||
Scripture Name( English ): | Sthanang | Translated Scripture Name : | स्थानांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
स्थान-५ |
Translated Chapter : |
स्थान-५ |
Section : | उद्देशक-२ | Translated Section : | उद्देशक-२ |
Sutra Number : | 451 | Category : | Ang-03 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] नो कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा पढमपाउसंसि गामाणुगामं दूइज्जित्तए। पंचहिं ठाणेहिं कप्पइ, तं जहा– १. भयंसि वा, २. दुब्भिक्खंसि वा, ३. पव्वहेज्ज वा णं कोई, ४. दओघंसि वा एज्जमाणंसि महता वा, ५. अणारिएहिं। वासावासं पज्जोसविताणं नो कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा गामाणुगामं दूइज्जित्तए। पंचहिं ठाणेहिं कप्पइ, तं जहा– १. नाणट्ठयाए, २. दंसणट्ठयाए, ३. चरित्तट्ठयाए, ४. आयरिय-उवज्झाया वा से वीसुंभेज्जा, ५. आयरिय-उवज्झायाण वा बहिता वेआवच्चकरणयाए। | ||
Sutra Meaning : | निर्ग्रन्थ और निर्ग्रन्थियों को प्रावृट् ऋतु (प्रथम वर्षा) में ग्रामानुग्राम विहार करना नहीं कल्पता है, किन्तु पाँच कारणों से कल्पता है। यथा – क्रुद्ध राजा आदि के भय से। दुष्काल होने पर यावत् किसी महान् अनार्य द्वारा पीड़ा पहुँचाये जाने पर। वर्षावास रहे हुए निर्ग्रन्थ और निर्ग्रन्थियों को एक गाँव से दूसरे गाँव जाने के लिए विहार करना नहीं कल्पता है। पाँच कारणों से विहार करना कल्पता है, यथा – ज्ञान प्राप्ति के लिए, दर्शन – सम्यक्त्व की पुष्टि के लिए, चारित्र की रक्षा के लिए, आचार्य या उपाध्याय के मरने पर अन्य आचार्य या उपाध्याय के आश्रय में जाने के लिए। आचार्यादि द्वारा या अन्यत्र रहे हुए आचार्यादि की सेवा के लिए भेजने पर। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] no kappai niggamthana va niggamthina va padhamapausamsi gamanugamam duijjittae. Pamchahim thanehim kappai, tam jaha– 1. Bhayamsi va, 2. Dubbhikkhamsi va, 3. Pavvahejja va nam koi, 4. Daoghamsi va ejjamanamsi mahata va, 5. Anariehim. Vasavasam pajjosavitanam no kappai niggamthana va niggamthina va gamanugamam duijjittae. Pamchahim thanehim kappai, tam jaha– 1. Nanatthayae, 2. Damsanatthayae, 3. Charittatthayae, 4. Ayariya-uvajjhaya va se visumbhejja, 5. Ayariya-uvajjhayana va bahita veavachchakaranayae. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Nirgrantha aura nirgranthiyom ko pravrit ritu (prathama varsha) mem gramanugrama vihara karana nahim kalpata hai, kintu pamcha karanom se kalpata hai. Yatha – kruddha raja adi ke bhaya se. Dushkala hone para yavat kisi mahan anarya dvara pira pahumchaye jane para. Varshavasa rahe hue nirgrantha aura nirgranthiyom ko eka gamva se dusare gamva jane ke lie vihara karana nahim kalpata hai. Pamcha karanom se vihara karana kalpata hai, yatha – jnyana prapti ke lie, darshana – samyaktva ki pushti ke lie, charitra ki raksha ke lie, acharya ya upadhyaya ke marane para anya acharya ya upadhyaya ke ashraya mem jane ke lie. Acharyadi dvara ya anyatra rahe hue acharyadi ki seva ke lie bhejane para. |