Sutra Navigation: Sthanang ( स्थानांग सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1002329 | ||
Scripture Name( English ): | Sthanang | Translated Scripture Name : | स्थानांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
स्थान-४ |
Translated Chapter : |
स्थान-४ |
Section : | उद्देशक-२ | Translated Section : | उद्देशक-२ |
Sutra Number : | 329 | Category : | Ang-03 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] तत्थ णं जे से पुरत्थिमिल्ले अंजनगपव्वते, तस्स णं चउद्दिसिं चत्तारि नंदाओ पुक्खरिणीओ पन्नत्ताओ, तं जहा –णंदुत्तरा, नंदा, आनंदा, नंदिवद्धणा। ताओ णं नंदाओ पुक्खरिणीओ एगं जोयणसयसहस्सं आयामेणं, पण्णासं जोयणसहस्साइं विक्खंभेणं, दसजोयणसत्ताइं उव्वेहेणं। तासि णं पुक्खरिणीणं पत्तेयं-पत्तेयं चउद्दिसिं चत्तारि तिसोवाणपडिरूवगा पन्नत्ता। तेसि णं तिसोवाणपडिरूवगाणं पुरतो चत्तारि तोरणा पन्नत्ता, तं जहा– पुरत्थिमे णं, दाहिणे णं, पच्चत्थिमे णं, उत्तरे णं। तासि णं पुक्खरिणीणं पत्तेयं-पत्तेयं चउद्दिसिं चत्तारि वनसंडा पन्नत्ता, तं जहा–पुरतो, दाहिणे णं, पच्चत्थिमे णं, उत्तरे णं। तासि णं पुक्खरिणीणं बहुमज्झदेसभागे चत्तारि दधिमुहगपव्वया पन्नत्ता। ते णं दधिमुहगपव्वया चउसट्ठिं जोयणसहस्साइं उड्ढं उच्चत्तेणं, एगं जोयणसहस्सं उव्वेहेणं, सव्वत्थ समा पल्लग-संठाण-संठिया, दस जोयणसहस्साइं विक्खंभेणं, एक्कतीसं जोयण-सहस्साइं छच्च तेवीसे जोयणसते परिक्खेवेणं; सव्वरयणामया अच्छा जाव पडिरूवा। तेसि णं दधिमुहगपव्वताणं उवरिं बहुसमरमणिज्जा भूमिभागा पन्नत्ता। सेसं जहेव अंजनगपव्वताणं तहेव नीरवसेसं भाणियव्वं जाव चूतवणं उत्तरे पासे। तत्थ णं जे से दाहिणिल्ले अंजनगपव्वते, तस्स णं चउदिसिं चत्तारि नंदाओ पुक्खरिणीओ पन्नत्ताओ, तं जहा–भद्दा, विसाला, कुमुदा, पोंडरीगिणी। ताओ णं नंदाओ पुक्खरिणीओ एगं जोयणसयसहस्सं, सेसं तं चेव जाव दधिमुहगपव्वता जाव वनसंडा। तत्थ णं जे से पच्चत्थिमिल्ले अंजनगपव्वते, तस्स णं चउद्दिसिं चत्तारि नंदाओ पुक्खरिणीओ पन्नत्ताओ, तं जहा– नंदिसेना, अमोहा, गोथूभा, सुदंसणा। सेसं तं चेव, तहेव दधिमुहगपव्वता, तहेव सिद्धाययणा जाव वनसंडा। तत्थ णं जे से उत्तरिल्ले अंजनगपव्वते, तस्स णं चउद्दिसिं चत्तारि नंदाओ पुक्खरिणीओ पन्नत्ताओ, तं जहा– विजया, वेजयंती, जयंती, अपराजिता। ताओ णं नंदाओ पुक्खरिणीओ एगं जोयण-सयसहस्सं, सेसं तं चेव पमाणं, तहेव दधिमुहगपव्वता, तहेव सिद्धाययणा जाव वनसंडा। नंदीसरवरस्स णं दीवस्स चक्कवाल-विक्खंभस्स बहुमज्झदेसभागे चउसु विदिसासु रतिकरगपव्वता पन्नत्ता, तं जहा– उत्तरपुरत्थिमिल्ले रतिकरगपव्वए, दाहिणपुरत्थिमिल्ले रतिकरगपव्वए, दाहिणपच्चत्थिमिल्ले रतिकरगपव्वए, उत्तरपच्चत्थिमिल्ले रतिकरगपव्वए। ते णं रतिकरगपव्वता दस जोयणसयाइं उड्ढं उच्चत्तेणं, दस गाउयसत्ताइं उव्वेहेणं, सव्वत्थ समा ज्झल्लरि-संठाणसंठिता; दस जोयणसहस्साइं विक्खंभेणं, एक्कतीसं जोयणसहस्साइं छच्च तेवीसे जोयणसते परिक्खेवेणं, सव्वरयणामया अच्छा जाव पडिरूवा। तत्थ णं जे से उत्तरपुरत्थिमिल्ले रतिकरगपव्वते, तस्स णं चउद्दिसिं ईसानस्स देविंदस्स देवरन्नो चउण्हमग्गमहिसीणं जंबुद्दीवपमाणाओ चत्तारि रायहाणीओ पन्नत्ताओ, तं जहा–नंदुत्तरा, नंदा, उत्तरकुरा, देवकुरा। कण्हाए, कण्हराईए, रामाए, रामरक्खियाए। तत्थ णं जे से दाहिणपुरत्थिमिल्ले रतिकरगपव्वते, तस्स णं चउद्दिसिं सक्कस्स देविंदस्स देवरन्नो चउण्हमग्गमहिसीणं जंबुद्दीवपमाणाओ चत्तारि रायहाणीओ पन्नत्ताओ, तं जहा–समना, सोमनसा, अच्चिमाली, मनोरमा। पउमाए, सिवाए, सतीए, अंजूए। तत्थ णं जे से दाहिणपच्चत्थिमिल्ले रतिकरगपव्वते, तस्स णं चउद्दिसिं सक्कस्स देविंदस्स देवरन्नो चउण्हमग्गमहिसीणं जंबुद्दीवपमाणमेत्ताओ चत्तारि रायहाणीओ पन्नत्ताओ, तं जहा– भूता, भूत-वडेंसा, गोथूभा, सुदंसणा। अमलाए, अच्छराए, नवमियाए, रोहिणीए। तत्थ णं जे से उत्तरपच्चत्थिमिल्ले रतिकरगपव्वते, तस्स णं चउद्दिसिमीसाणस्स देविंदस्स देवरन्नो चउण्हमग्गमहिसीणं जंबुद्दीवप्पमाणमेत्ताओ चत्तारि रायहाणीओ पन्नत्ताओ, तं जहा– रयणा, रतनुच्चया, सव्वरतणा, रतनसंचया। वसूए, वसुगुत्ताए, वसुमित्ताए, वसुंधराए। | ||
Sutra Meaning : | पूर्व दिशावर्ती अंजनक पर्वत की चारों दिशाओं में चार नंदा पुष्करणियाँ हैं। उनके नाम इस प्रकार है – नंदुत्तरा, नंदा, आनंदा और नंदिवर्धना। उन पुष्करणियों की लम्बाई एक लाख योजन है। चौड़ाई पचास हजार योजन है और गहराई एक हजार योजन है। प्रत्येक पुष्करिणी की चारों दिशाओं में त्रिसोपान प्रतिरुपक हैं। उन त्रिसोपान प्रतिरूपकों के सामने पूर्वादि चार दिशाओं में चार तोरण हैं। प्रत्येक तोरण की पूर्वादि चार दिशाओं में चार वन खण्ड हैं। वन खण्डों के नाम इसी सूत्र के पूर्वोक्त है। उन पुष्करणियों के मध्यभाग में चार दधिमुख पर्वत है। इनकी ऊंचाई ६४,००० योजन, भूमि में गहराई एक हजार योजन की है। वे पर्वत सर्वत्र पल्यंक के समान आकार वाले हैं। इनकी चौड़ाई दस हजार योजन की है और परिधि इकतीस हजार छसो तेईस योजन की है। ये सभी रत्नमय यावत् – रमणीय है। उन दधिमुख पर्वत के ऊपर का भाग समतल है। शेष समग्र कथन अंजनक पर्वतों के समान यावत् – उत्तर में आम्रवन तक कहना। दक्षिण दिशा में अंजनक पर्वत की चार दिशाओं में चार नन्दा पुष्करणियाँ हैं। उनके नाम हैं – भद्रा, विसाला, कुमुद और पोंडरिकिणी। पुष्करणियों का शेष वर्णन यावत् – दधिमुखपर्वत वनखण्ड पर्यन्त तक कहें। पश्चिम दिशा के अंजनक पर्वत की चारों दिशाओं में चार नन्दा पुष्करणियाँ हैं। उनके नाम हैं – नन्दिसेना, अमोघा, गोस्तूपा और सुदर्शना। शेष वर्णन पूर्ववत्। उत्तर दिशा के अंजनक पर्वत की चारों दिशाओं में चार नन्दा पुष्क – रिणियाँ हैं। उनके नाम हैं – विजया, वेजयन्ती, जयन्ती और अपराजिता। शेष वर्णन पूर्ववत्। वलयाकार विष्कम्भ वाले नन्दीश्वर द्वीप के मध्य भाग में चार विदिशाओं में चार रतिकर पर्वत हैं। उत्तर पूर्व में, दक्षिण पूर्व में, दक्षिण पश्चिम में और उत्तर पश्चिम में। वे रतिकर पर्वत एक हजार योजन ऊंचे हैं, एक हजार गाउ भूमि में गहरे हैं। झालर के समान सर्वत्र सम संस्थान वाले हैं। दस हजार योजन की उनकी चौड़ाई है। इकतीस हजार छह सौ तेईस योजन उनकी परिधि है। सभी रत्नमय, यावत् – रमणीय हैं। उत्तर पूर्व में स्थिति रतिकर पर्वत की चारों दिशाओं में देवेन्द्र देवराज ईशानेन्द्र की चार अग्रमहिषियों की जम्बूद्वीप जितनी बड़ी चार राजधानियाँ हैं। उनके नाम ये हैं – नंदुत्तरा, नंदा, उत्तरकुरा और देवकुरा। चार अग्रमहि – षियों के नाम – कृष्णा, कृष्णराजी, रामा और रामरक्षिता। इन अग्रमहिषियों की उक्त राजधानियाँ हैं। दक्षिण पूर्व में स्थित रतिकर पर्वत की चारों दिशाओं में देवेन्द्र देवराज शक्रेन्द्र की चार अग्रमहिषियों की जम्बूद्वीप जितनी बड़ी चार राजधानियाँ हैं। उनके नाम ये हैं – समणा, सोमणसा, अर्चिमाली और मनोरमा। चार अग्रमहिषियों के नाम – पद्मा, शिवा, शची और अंजू। इन अग्रमहिषियों की उक्त राजधानियाँ हैं। दक्षिण – पश्चिम स्थित रतिकर पर्वत की चारों दिशाओं में देवेन्द्र देवराज शक्र की चार अग्रमहिषियों की जम्बूद्वीप जितनी बड़ी चार राजधानियाँ हैं। उनके नाम ये हैं – भूता, भूतवडिंसा, गोस्तूपा और सुदर्शना। अग्रमहिषियों के नाम – अमला, अप्सरा, नवमिका और रोहिणी। इन अग्रमहिषियों की उक्त राजधानियाँ हैं। उत्तर – पश्चिम में स्थित रतिकर पर्वत की चारों दिशाओं में देवेन्द्र देवराज ईशानेन्द्र की जम्बूद्वीप जितनी बड़ी चार राजधानियाँ हैं। उनके नाम ये हैं – रत्ना, रत्नोच्चया, सर्व – रत्ना और रत्नसंचया अग्रमहिषियों के नाम – वसु, वसुगुप्ता, वसुमित्रा और वसुंधरा इन अग्रमहिषियों की उक्त राजधानियाँ हैं। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] tattha nam je se puratthimille amjanagapavvate, tassa nam chauddisim chattari namdao pukkharinio pannattao, tam jaha –namduttara, namda, anamda, namdivaddhana. Tao nam namdao pukkharinio egam joyanasayasahassam ayamenam, pannasam joyanasahassaim vikkhambhenam, dasajoyanasattaim uvvehenam. Tasi nam pukkharininam patteyam-patteyam chauddisim chattari tisovanapadiruvaga pannatta. Tesi nam tisovanapadiruvaganam purato chattari torana pannatta, tam jaha– puratthime nam, dahine nam, pachchatthime nam, uttare nam. Tasi nam pukkharininam patteyam-patteyam chauddisim chattari vanasamda pannatta, tam jaha–purato, dahine nam, pachchatthime nam, uttare nam. Tasi nam pukkharininam bahumajjhadesabhage chattari dadhimuhagapavvaya pannatta. Te nam dadhimuhagapavvaya chausatthim joyanasahassaim uddham uchchattenam, egam joyanasahassam uvvehenam, savvattha sama pallaga-samthana-samthiya, dasa joyanasahassaim vikkhambhenam, ekkatisam joyana-sahassaim chhachcha tevise joyanasate parikkhevenam; savvarayanamaya achchha java padiruva. Tesi nam dadhimuhagapavvatanam uvarim bahusamaramanijja bhumibhaga pannatta. Sesam jaheva amjanagapavvatanam taheva niravasesam bhaniyavvam java chutavanam uttare pase. Tattha nam je se dahinille amjanagapavvate, tassa nam chaudisim chattari namdao pukkharinio pannattao, tam jaha–bhadda, visala, kumuda, pomdarigini. Tao nam namdao pukkharinio egam joyanasayasahassam, sesam tam cheva java dadhimuhagapavvata java vanasamda. Tattha nam je se pachchatthimille amjanagapavvate, tassa nam chauddisim chattari namdao pukkharinio pannattao, tam jaha– namdisena, amoha, gothubha, sudamsana. Sesam tam cheva, taheva dadhimuhagapavvata, taheva siddhayayana java vanasamda. Tattha nam je se uttarille amjanagapavvate, tassa nam chauddisim chattari namdao pukkharinio pannattao, tam jaha– vijaya, vejayamti, jayamti, aparajita. Tao nam namdao pukkharinio egam joyana-sayasahassam, sesam tam cheva pamanam, taheva dadhimuhagapavvata, taheva siddhayayana java vanasamda. Namdisaravarassa nam divassa chakkavala-vikkhambhassa bahumajjhadesabhage chausu vidisasu ratikaragapavvata pannatta, tam jaha– uttarapuratthimille ratikaragapavvae, dahinapuratthimille ratikaragapavvae, dahinapachchatthimille ratikaragapavvae, uttarapachchatthimille ratikaragapavvae. Te nam ratikaragapavvata dasa joyanasayaim uddham uchchattenam, dasa gauyasattaim uvvehenam, savvattha sama jjhallari-samthanasamthita; dasa joyanasahassaim vikkhambhenam, ekkatisam joyanasahassaim chhachcha tevise joyanasate parikkhevenam, savvarayanamaya achchha java padiruva. Tattha nam je se uttarapuratthimille ratikaragapavvate, tassa nam chauddisim isanassa devimdassa devaranno chaunhamaggamahisinam jambuddivapamanao chattari rayahanio pannattao, tam jaha–namduttara, namda, uttarakura, devakura. Kanhae, kanharaie, ramae, ramarakkhiyae. Tattha nam je se dahinapuratthimille ratikaragapavvate, tassa nam chauddisim sakkassa devimdassa devaranno chaunhamaggamahisinam jambuddivapamanao chattari rayahanio pannattao, tam jaha–samana, somanasa, achchimali, manorama. Paumae, sivae, satie, amjue. Tattha nam je se dahinapachchatthimille ratikaragapavvate, tassa nam chauddisim sakkassa devimdassa devaranno chaunhamaggamahisinam jambuddivapamanamettao chattari rayahanio pannattao, tam jaha– bhuta, bhuta-vademsa, gothubha, sudamsana. Amalae, achchharae, navamiyae, rohinie. Tattha nam je se uttarapachchatthimille ratikaragapavvate, tassa nam chauddisimisanassa devimdassa devaranno chaunhamaggamahisinam jambuddivappamanamettao chattari rayahanio pannattao, tam jaha– rayana, ratanuchchaya, savvaratana, ratanasamchaya. Vasue, vasuguttae, vasumittae, vasumdharae. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Purva dishavarti amjanaka parvata ki charom dishaom mem chara namda pushkaraniyam haim. Unake nama isa prakara hai – namduttara, namda, anamda aura namdivardhana. Una pushkaraniyom ki lambai eka lakha yojana hai. Chaurai pachasa hajara yojana hai aura gaharai eka hajara yojana hai. Pratyeka pushkarini ki charom dishaom mem trisopana pratirupaka haim. Una trisopana pratirupakom ke samane purvadi chara dishaom mem chara torana haim. Pratyeka torana ki purvadi chara dishaom mem chara vana khanda haim. Vana khandom ke nama isi sutra ke purvokta hai. Una pushkaraniyom ke madhyabhaga mem chara dadhimukha parvata hai. Inaki umchai 64,000 yojana, bhumi mem gaharai eka hajara yojana ki hai. Ve parvata sarvatra palyamka ke samana akara vale haim. Inaki chaurai dasa hajara yojana ki hai aura paridhi ikatisa hajara chhaso teisa yojana ki hai. Ye sabhi ratnamaya yavat – ramaniya hai. Una dadhimukha parvata ke upara ka bhaga samatala hai. Shesha samagra kathana amjanaka parvatom ke samana yavat – uttara mem amravana taka kahana. Dakshina disha mem amjanaka parvata ki chara dishaom mem chara nanda pushkaraniyam haim. Unake nama haim – bhadra, visala, kumuda aura pomdarikini. Pushkaraniyom ka shesha varnana yavat – dadhimukhaparvata vanakhanda paryanta taka kahem. Pashchima disha ke amjanaka parvata ki charom dishaom mem chara nanda pushkaraniyam haim. Unake nama haim – nandisena, amogha, gostupa aura sudarshana. Shesha varnana purvavat. Uttara disha ke amjanaka parvata ki charom dishaom mem chara nanda pushka – riniyam haim. Unake nama haim – vijaya, vejayanti, jayanti aura aparajita. Shesha varnana purvavat. Valayakara vishkambha vale nandishvara dvipa ke madhya bhaga mem chara vidishaom mem chara ratikara parvata haim. Uttara purva mem, dakshina purva mem, dakshina pashchima mem aura uttara pashchima mem. Ve ratikara parvata eka hajara yojana umche haim, eka hajara gau bhumi mem gahare haim. Jhalara ke samana sarvatra sama samsthana vale haim. Dasa hajara yojana ki unaki chaurai hai. Ikatisa hajara chhaha sau teisa yojana unaki paridhi hai. Sabhi ratnamaya, yavat – ramaniya haim. Uttara purva mem sthiti ratikara parvata ki charom dishaom mem devendra devaraja ishanendra ki chara agramahishiyom ki jambudvipa jitani bari chara rajadhaniyam haim. Unake nama ye haim – namduttara, namda, uttarakura aura devakura. Chara agramahi – shiyom ke nama – krishna, krishnaraji, rama aura ramarakshita. Ina agramahishiyom ki ukta rajadhaniyam haim. Dakshina purva mem sthita ratikara parvata ki charom dishaom mem devendra devaraja shakrendra ki chara agramahishiyom ki jambudvipa jitani bari chara rajadhaniyam haim. Unake nama ye haim – samana, somanasa, archimali aura manorama. Chara agramahishiyom ke nama – padma, shiva, shachi aura amju. Ina agramahishiyom ki ukta rajadhaniyam haim. Dakshina – pashchima sthita ratikara parvata ki charom dishaom mem devendra devaraja shakra ki chara agramahishiyom ki jambudvipa jitani bari chara rajadhaniyam haim. Unake nama ye haim – bhuta, bhutavadimsa, gostupa aura sudarshana. Agramahishiyom ke nama – amala, apsara, navamika aura rohini. Ina agramahishiyom ki ukta rajadhaniyam haim. Uttara – pashchima mem sthita ratikara parvata ki charom dishaom mem devendra devaraja ishanendra ki jambudvipa jitani bari chara rajadhaniyam haim. Unake nama ye haim – ratna, ratnochchaya, sarva – ratna aura ratnasamchaya agramahishiyom ke nama – vasu, vasugupta, vasumitra aura vasumdhara ina agramahishiyom ki ukta rajadhaniyam haim. |