Sutra Navigation: Sthanang ( स्थानांग सूत्र )
Search Details
Mool File Details |
|
Anuvad File Details |
|
Sr No : | 1002096 | ||
Scripture Name( English ): | Sthanang | Translated Scripture Name : | स्थानांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
स्थान-२ |
Translated Chapter : |
स्थान-२ |
Section : | उद्देशक-३ | Translated Section : | उद्देशक-३ |
Sutra Number : | 96 | Category : | Ang-03 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] धायइसंडे दीवे पच्चत्थिमद्धे णं मंदरस्स पव्वयस्स उत्तर-दाहिणे णं दो वासा पन्नत्ता–बहुसमतुल्ला जाव तं जहा –भरहे चेव, एरवए चेव। एवं–जहा जंबुद्दीवे तहा एत्थवि भाणियव्वं जाव छव्विहंपि कालं पच्चणुभवमाणा विहरंति, तं जहा–भरहे चेव, एरवए चेव, नवरं–कूडसामली चेव, महाधायईरुक्खे चेव। देवा–गरुले चेव वेणुदेवे, पियदंसणे चेव। धायइसंडे णं दीवे दो भरहाइं, दो एरवयाइं, दो हेमवयाइं, दो हेरण्णवयाइं, दो हरिवासाइं, दो रम्मगवासाइं, दो पुव्वविदेहाइं, दो अवरविदेहाइं, दो देवकुराओ, दो देवकुरुमहद्दुमा, दो देवकुरुमहद्दुमवासी देवा, दो उत्तरकुराओ, दो उत्तरकुरुमह-द्दुमा, दो उत्तरकुरुमहद्दुमवासी देवा। दो चुल्लहिमवंता, दो महाहिमवंता, दो निसढा, दो नीलवंता, दो रुप्पी, दो सिहरी। दो सद्दावाती, दो सद्दावातिवासी साती देवा, दो वियडावाती, दो वियडावातिवासी पभासा देवा, दो गंधावाती, दो गंधावातिवासी अरुणा देवा, दो मालवंतपरियागा, दो मालवंतपरियागवासी पउमा देवा। दो मालवंता, दो चित्तकूडा, दो पम्हकूडा, दो नलिनकूडा, दो एगसेला, दो तिकूडा, दो वेसमणकूडा, दो अंजणा, दो मातंजणा, दो सोमनसा, दो विज्जुप्पभा, दो अंकावती, दो पम्हावती, दो आसीविसा, दो सुहावहा, दो चंदपव्वता, दो सूरपव्वता, दो देवपव्वता, दो गंधमायणा, दो उसुगारपव्वया, दो चुल्लहिमवंतकूडा, दो वेसमणकूडा, दो महाहिमवंतकूडा, दो वेरुलियकूडा, दो निसढकूडा, दो रुयगकूडा, दो नीलवंतकूडा, दो उवदंसणकूडा, दो रुप्पिकूडा, दो मणिकंचणकूडा, दो सिहरिकूडा, दो तिगिंछिकूडा। दो पउमद्दहा, दो पउमद्दहवासिणीओ सिरीओ देवीओ, दो महापउमद्दहा, दो महापउमद्दहवासिणीओ हिरीओ देवीओ, एवं जाव दो पुंडरीयद्दहा, दो पोंडरीयद्दहवासिणीओ लच्छीओ देवीओ। दो गंगप्पवायद्दहा जाव दो रत्तावतीपवातद्दहा। दो रोहियाओ जाव दो रुप्पकूलाओ, दो गाहवतीओ, दो दहवतीओ, दो पंकवतीओ, दो तत्तजलाओ, दो मत्तजलाओ, दो उम्मत्तजलाओ, दो खीरोयाओ, दो सीहसोताओ, दो अंतोवाहिणीओ, दो उम्मिमालिनीओ, ‘दो फेणमालिनीओ, गंभीरमालिनीओ’। दो कच्छा, दो सुकच्छा, दो महाकच्छा, दो कच्छावती, दो आवत्ता, दो मंगलावत्ता, दो पुक्खला, दो पुक्खलावई, दो वच्छा, दो सुवच्छा, दो महावच्छा, दो वच्छगावती, दो रम्मा, दो रम्मगा, दो रमणिज्जा, दो मंगलावती, दो पम्हा, दो सुपम्हा, दो महपम्हा, दो पम्हगावती, दो संखा, दो नलिना, दो कुमुया, दो सलिलावती, दो वप्पा, दो सुवप्पा, दो महावप्पा, दो वप्पगावती, दो वग्गू, दो सुवग्गू, दो गंधिला, दो गंधिलावती। दो खेमाओ, दो खेमपुरीओ, दो रिट्ठो, दो रिट्ठपुरीओ, दो खग्गीओ, दो मंजूसाओ, दो ओसधीओ, दो पोंडरिगिणीओ दो सुसीमाओ, दो कुंडलाओ, दो अपराजियाओ, दो पभंकराओ, दो अंकावईओ, दो पम्हावईओ, दो सुभाओ, दो रयणसंचयाओ, दो आसपुराओ, दो सीहपुराओ, दो महापुराओ, दो विजयपुराओ, दो अवराजिताओ, दो अवराओ, दो असोयाओ, दो विगयसोगाओ, दो विजयाओ, दो वेजयंतीओ, दो जयंतीओ, दो अपराजियाओ, दो चक्कपुराओ, दो खग्गपुराओ, दो अवज्झाओ, दो अउज्झाओ। दो भद्दसालवना, दो नंदनवना, दो सोमणसवना, दो पंडगवनाइं। दो पंडुकंबलसिलाओ, दो अतिपंडुकंबलसिलाओ, दो रत्तकंबलसिलाओ, दो अइरत्तकंबलसिलाओ। दो मंदरा, दो मंदरचूलिआओ। धायइसंडस्स णं दीवस्स वेदिया दो गाउयाइं उड्ढमुच्चत्तेणं पन्नत्ता। | ||
Sutra Meaning : | पूर्वार्ध धातकीखंडवर्ती मेरु पर्वत के उत्तर और दक्षिण में दो क्षेत्र कहे गए हैं जो अति समान हैं – यावत् उनके नाम – भरत और ऐरवत। पहले जम्बूद्वीप के अधिकार में कहा वैसे यहाँ भी कहना चाहिए यावत् – दो क्षेत्र में मनुष्य छः प्रकार के काल का अनुभव करते हुए रहते हैं, उनके नाम – भरत और ऐरवत। विशेषता यह है कि वहाँ कूटशाल्मली और धातकी वृक्ष हैं। देवता गरुड़ (वेणुदेव) और सुदर्शन। धातकीखंड के पश्चिमार्ध में और मेरु पर्वत के उत्तर – दक्षिण में दो क्षेत्र कहे गए हैं जो परस्पर अति तुल्य हैं यावत् उनके नाम – भरत और ऐरवत् यावत् – दो क्षेत्रों में मनुष्य छः प्रकार के काल का अनुभव करते हुए रहते हैं, यथा – भरत और ऐरवत। विशेषता यह है कि यहाँ कूटशाल्मली और महाधातकी वृक्ष हैं और देव गरुड़ वेणुदेव तथा प्रियदर्शन हैं। धातकी खण्ड द्वीप की वेदिका दो कोस की ऊंचाई वाली कही गई है। धातकीखंड द्वीप में क्षेत्र – १. दो भरत, २. दो ऐरवत, ३. दो हिमवंत, ४. दो हिरण्यवंत, ५. दो हरिवर्ष, ६. दो रम्यक्वर्ष, ७. दो पूर्व विदेह, ८. दो अपर विदेह, ९. दो देव कुरु। १०. दो देवकुरु महावृक्ष, ११. दो देवकुरु महा – वृक्षावासी देव, १२. दो उत्तरकुरु, १३. दो उत्तरकुरु महावृक्ष, १४. दो उत्तरकुरु महावृक्षवासी देव, १५. दो लघु हिमवंत, १६. दो महा हिमवंत, १७. दो निषध, १८. दो नीलवंत, १९. दो रुक्मी, २०. दो शिखरी, २१. दो शब्दापाती, २२. दो शब्दापाती वासी ‘स्वातिदेव’, २३. दो विकटापाती। २४. दो विकटापाती वासी, २५. दो गंधापाती, २६. दो गंधापाती वासी, २७. दो माल्यवान पर्वत, २८. दो माल्यवान वासी ‘पद्मदेव’, २९. दो माल्यवान, ३०. दो चित्रकूट स्कार पर्वत। ३१. दो पद्मकूट, ३२. दो नलिनीकूट, ३३. दो एकशैल, ३४. दो त्रिकूट, ३५. दो वैश्रमण कूट, ३६. दो अंजन कूट, ३७. दो मातंजनकूट, ३८. दो सौमनस, ३९. दो विद्युत्प्रभ, ४०. दो अंकापाती कूट, ४१. दो पक्ष्मापाती कूट, ४२. दो आशीविष कूट, ४३. दो सुखावह कूट, ४४. दो चंद्र पर्वत, ४५. दो सूर्य पर्वत, ४६. दो नाग पर्वत, ४७. दो देव पर्वत, ४८. दो गंधमादन, ४९. दो इषुकार पर्वत। ५०. दो लघु हिमवान कूट, ५१. दो वैश्रमणकूट, ५२. दो महाहिमवान कूट, ५३. दो वैडूर्य कूट, ५४. दो निषध कूट, ५५. दो रुचक कूट, ५६. दो नीलवंत कूट, ५७. दो उपदर्शन कूट, ५८. दो रुक्मी कूट, ५९. दो मणिकंचन कूट, ६०. दो शिखरी कूट, ६१. दो तिगिच्छ कूट, ६२. दो पद्मह्रद, ६३. दो पद्म ह्रदवासी ‘श्रीदेवी’, ६४. दो महापद्म ह्रद, ६५. दो महापद्म ह्रदवासी ‘ह्रीदेवी’, ६६. दो पौंडरीक ह्रद, ६७. दो पौंडरीक ह्रदवासी ‘लक्ष्मीदेवी’, ६८. दो महा पौंडरीक ह्रद, ६९. दो महा पौंडरीक ह्रदवासी, ७०. दो तिगिच्छ ह्रद, ७१. दो तिगिच्छ ह्रदवासी, ७२. दो केसरी ह्रद, ७३. दो केसरी ह्रदवासी। ७४. दो गंगा प्रपात ह्रद, ७५. दो सिंधु प्रपात ह्रद, ७६. दो रोहिता प्रपात ह्रद, ७७. दो रोहितांश प्रपात ह्रद, ७८. दो हरि प्रपात ह्रद, ७९. दो हरिकांता प्रपात ह्रद, ८०. दो शीता प्रपात ह्रद, ८१. दो शीतोदा प्रपात ह्रद, ८२. दो नरकांता प्रपात ह्रद, ८३. दो नारीकांता प्रपात ह्रद, ८४. दो सुवर्ण कूला प्रपात ह्रद, ८५. दो रूप्यकूला प्रपात ह्रद, ८६. दो रक्ता प्रपात ह्रद, ८७. दो रक्तावती प्रपात ह्रद। ८८. दो रोहिता महानदी, ८९. दो हरिकांता, ९०. दो हरिसलिला, ९१. दो शीतोदा, ९२. दो शीता, ९३. दो नारीकांता, ९४. दो नरकांता, ९५. दो रूप्यकूला, ९६. दो गाथावती, ९७. दो द्रहवती, ९८. दो पंकवती, ९९. दो तप्त जला, १००. दो मत्तजला, १०१. दो उन्मत्त जला, १०२. दो क्षीरोदा, १०३. दो सिंह स्रोता, १०४. दो अन्तोवाहिनी, १०५. दो उर्मिमालिनी, १०६. दो फेनमालिनी, १०७. दो गंभीर मालिनी। १०८. दो कच्छ, १०९. दो सुकच्छ, ११०. दो महाकच्छ, १११. दो कच्छकावती, ११२. दो आवर्त, ११३.दो मंगलावर्त, ११४. दो पुष्कलावर्त, ११५. दो पुष्कलावती, ११६. दो वत्स, ११७. दो सुवत्स, ११८. दो महावत्स, ११९. दो वत्सावती, १२०. दो रम्य, १२१. दो रम्यक्, १२२. दो रमणिक, १२३. दो मंगलावती, १२४. दो पद्म, १२५. दो सुपद्म, १२७. दो पद्मावती, १२८. दो शंख, १२९. दो कुमुद, १३०. दो नलिन, १३१. दो नलिनावती, १३२. दो वप्र, १३३. दो सुवप्र, १३४. दो महावप्र, १३५. दो वप्रावती, १३६. दो वल्गु, १३७. दो सुवल्गु, १३८. दो गंधिल, १३९. दो गंधिलावती ये चक्रवर्ती विजय हैं। चक्रवर्ती विजय राजधानियाँ – १४०. दो क्षेमा, १४१. दो क्षेमपुरी, १४२. दो रिष्टा, १४३. दो रिष्टपुरी, १४४.दो खङ्गी, १४५. दो मंजुषा, १४६. दो औषधि, १४७. दो पौंडरिकिणी, १४८. दो सुसीमा, १४९. दो कुँडला, १५०. दो अपराजिता, १५१. दो प्रभंकरा, १५२. दो अंकावती, १५३. दो पद्मावती, १५४. दो शुभा, १५५. दो रत्नसंचया, १५६. दो अश्वपुरा, १५७. दो सिंहपुरा, १५८. दो महापुरा, १५९. दो विजयपुरा, १६०. दो अपराजिता, १६१. दो अपरा, १६२. दो अशोका, १६३. दो वीतशोका, १६४. दो विजया, १६५. दो वैजयंती, १६६. दो जयंती, १६७. दो अपराजिता, १६८. दो चक्रपुरा, १६९. दो खड्गपुरा, १७०. दो अवध्या, १७१. दो अयोध्या। मेरु पर्वत पर वन खंड – १७२. दो भद्रशाल वन, १७३. दो नंदन वन, १७४. दो सौमनस वन, १७५. दो पंडक वन मेरु पर्वत पर शिला – १७६. दो पांडुकंबल शिला, १७७. दो अतिकंबल शिला, १७८. दो रक्तकंबल शिला, १७९. दो अतिरक्तकंबल शिला, १८०. दो मेरु पर्वत, १८१. दो मेरु पर्वत की चूलिका है। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] dhayaisamde dive pachchatthimaddhe nam mamdarassa pavvayassa uttara-dahine nam do vasa pannatta–bahusamatulla java tam jaha –bharahe cheva, eravae cheva. Evam–jaha jambuddive taha etthavi bhaniyavvam java chhavvihampi kalam pachchanubhavamana viharamti, tam jaha–bharahe cheva, eravae cheva, navaram–kudasamali cheva, mahadhayairukkhe cheva. Deva–garule cheva venudeve, piyadamsane cheva. Dhayaisamde nam dive do bharahaim, do eravayaim, do hemavayaim, do herannavayaim, do harivasaim, do rammagavasaim, do puvvavidehaim, do avaravidehaim, do devakurao, do devakurumahadduma, do devakurumahaddumavasi deva, do uttarakurao, do uttarakurumaha-dduma, do uttarakurumahaddumavasi deva. Do chullahimavamta, do mahahimavamta, do nisadha, do nilavamta, do ruppi, do sihari. Do saddavati, do saddavativasi sati deva, do viyadavati, do viyadavativasi pabhasa deva, do gamdhavati, do gamdhavativasi aruna deva, do malavamtapariyaga, do malavamtapariyagavasi pauma deva. Do malavamta, do chittakuda, do pamhakuda, do nalinakuda, do egasela, do tikuda, do vesamanakuda, do amjana, do matamjana, do somanasa, do vijjuppabha, do amkavati, do pamhavati, do asivisa, do suhavaha, do chamdapavvata, do surapavvata, do devapavvata, do gamdhamayana, do usugarapavvaya, do chullahimavamtakuda, do vesamanakuda, do mahahimavamtakuda, do veruliyakuda, do nisadhakuda, do ruyagakuda, do nilavamtakuda, do uvadamsanakuda, do ruppikuda, do manikamchanakuda, do siharikuda, do tigimchhikuda. Do paumaddaha, do paumaddahavasinio sirio devio, do mahapaumaddaha, do mahapaumaddahavasinio hirio devio, evam java do pumdariyaddaha, do pomdariyaddahavasinio lachchhio devio. Do gamgappavayaddaha java do rattavatipavataddaha. Do rohiyao java do ruppakulao, do gahavatio, do dahavatio, do pamkavatio, do tattajalao, do mattajalao, do ummattajalao, do khiroyao, do sihasotao, do amtovahinio, do ummimalinio, ‘do phenamalinio, gambhiramalinio’. Do kachchha, do sukachchha, do mahakachchha, do kachchhavati, do avatta, do mamgalavatta, do pukkhala, do pukkhalavai, do vachchha, do suvachchha, do mahavachchha, do vachchhagavati, do ramma, do rammaga, do ramanijja, do mamgalavati, do pamha, do supamha, do mahapamha, do pamhagavati, do samkha, do nalina, do kumuya, do salilavati, do vappa, do suvappa, do mahavappa, do vappagavati, do vaggu, do suvaggu, do gamdhila, do gamdhilavati. Do khemao, do khemapurio, do rittho, do ritthapurio, do khaggio, do mamjusao, do osadhio, do pomdariginio do susimao, do kumdalao, do aparajiyao, do pabhamkarao, do amkavaio, do pamhavaio, do subhao, do rayanasamchayao, do asapurao, do sihapurao, do mahapurao, do vijayapurao, do avarajitao, do avarao, do asoyao, do vigayasogao, do vijayao, do vejayamtio, do jayamtio, do aparajiyao, do chakkapurao, do khaggapurao, do avajjhao, do aujjhao. Do bhaddasalavana, do namdanavana, do somanasavana, do pamdagavanaim. Do pamdukambalasilao, do atipamdukambalasilao, do rattakambalasilao, do airattakambalasilao. Do mamdara, do mamdarachuliao. Dhayaisamdassa nam divassa vediya do gauyaim uddhamuchchattenam pannatta. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Purvardha dhatakikhamdavarti meru parvata ke uttara aura dakshina mem do kshetra kahe gae haim jo ati samana haim – yavat unake nama – bharata aura airavata. Pahale jambudvipa ke adhikara mem kaha vaise yaham bhi kahana chahie yavat – do kshetra mem manushya chhah prakara ke kala ka anubhava karate hue rahate haim, unake nama – bharata aura airavata. Visheshata yaha hai ki vaham kutashalmali aura dhataki vriksha haim. Devata garura (venudeva) aura sudarshana. Dhatakikhamda ke pashchimardha mem aura meru parvata ke uttara – dakshina mem do kshetra kahe gae haim jo paraspara ati tulya haim yavat unake nama – bharata aura airavat yavat – do kshetrom mem manushya chhah prakara ke kala ka anubhava karate hue rahate haim, yatha – bharata aura airavata. Visheshata yaha hai ki yaham kutashalmali aura mahadhataki vriksha haim aura deva garura venudeva tatha priyadarshana haim. Dhataki khanda dvipa ki vedika do kosa ki umchai vali kahi gai hai. Dhatakikhamda dvipa mem kshetra – 1. Do bharata, 2. Do airavata, 3. Do himavamta, 4. Do hiranyavamta, 5. Do harivarsha, 6. Do ramyakvarsha, 7. Do purva videha, 8. Do apara videha, 9. Do deva kuru. 10. Do devakuru mahavriksha, 11. Do devakuru maha – vrikshavasi deva, 12. Do uttarakuru, 13. Do uttarakuru mahavriksha, 14. Do uttarakuru mahavrikshavasi deva, 15. Do laghu himavamta, 16. Do maha himavamta, 17. Do nishadha, 18. Do nilavamta, 19. Do rukmi, 20. Do shikhari, 21. Do shabdapati, 22. Do shabdapati vasi ‘svatideva’, 23. Do vikatapati. 24. Do vikatapati vasi, 25. Do gamdhapati, 26. Do gamdhapati vasi, 27. Do malyavana parvata, 28. Do malyavana vasi ‘padmadeva’, 29. Do malyavana, 30. Do chitrakuta skara parvata. 31. Do padmakuta, 32. Do nalinikuta, 33. Do ekashaila, 34. Do trikuta, 35. Do vaishramana kuta, 36. Do amjana kuta, 37. Do matamjanakuta, 38. Do saumanasa, 39. Do vidyutprabha, 40. Do amkapati kuta, 41. Do pakshmapati kuta, 42. Do ashivisha kuta, 43. Do sukhavaha kuta, 44. Do chamdra parvata, 45. Do surya parvata, 46. Do naga parvata, 47. Do deva parvata, 48. Do gamdhamadana, 49. Do ishukara parvata. 50. Do laghu himavana kuta, 51. Do vaishramanakuta, 52. Do mahahimavana kuta, 53. Do vaidurya kuta, 54. Do nishadha kuta, 55. Do ruchaka kuta, 56. Do nilavamta kuta, 57. Do upadarshana kuta, 58. Do rukmi kuta, 59. Do manikamchana kuta, 60. Do shikhari kuta, 61. Do tigichchha kuta, 62. Do padmahrada, 63. Do padma hradavasi ‘shridevi’, 64. Do mahapadma hrada, 65. Do mahapadma hradavasi ‘hridevi’, 66. Do paumdarika hrada, 67. Do paumdarika hradavasi ‘lakshmidevi’, 68. Do maha paumdarika hrada, 69. Do maha paumdarika hradavasi, 70. Do tigichchha hrada, 71. Do tigichchha hradavasi, 72. Do kesari hrada, 73. Do kesari hradavasi. 74. Do gamga prapata hrada, 75. Do simdhu prapata hrada, 76. Do rohita prapata hrada, 77. Do rohitamsha prapata hrada, 78. Do hari prapata hrada, 79. Do harikamta prapata hrada, 80. Do shita prapata hrada, 81. Do shitoda prapata hrada, 82. Do narakamta prapata hrada, 83. Do narikamta prapata hrada, 84. Do suvarna kula prapata hrada, 85. Do rupyakula prapata hrada, 86. Do rakta prapata hrada, 87. Do raktavati prapata hrada. 88. Do rohita mahanadi, 89. Do harikamta, 90. Do harisalila, 91. Do shitoda, 92. Do shita, 93. Do narikamta, 94. Do narakamta, 95. Do rupyakula, 96. Do gathavati, 97. Do drahavati, 98. Do pamkavati, 99. Do tapta jala, 100. Do mattajala, 101. Do unmatta jala, 102. Do kshiroda, 103. Do simha srota, 104. Do antovahini, 105. Do urmimalini, 106. Do phenamalini, 107. Do gambhira malini. 108. Do kachchha, 109. Do sukachchha, 110. Do mahakachchha, 111. Do kachchhakavati, 112. Do avarta, 113.Do mamgalavarta, 114. Do pushkalavarta, 115. Do pushkalavati, 116. Do vatsa, 117. Do suvatsa, 118. Do mahavatsa, 119. Do vatsavati, 120. Do ramya, 121. Do ramyak, 122. Do ramanika, 123. Do mamgalavati, 124. Do padma, 125. Do supadma, 127. Do padmavati, 128. Do shamkha, 129. Do kumuda, 130. Do nalina, 131. Do nalinavati, 132. Do vapra, 133. Do suvapra, 134. Do mahavapra, 135. Do vapravati, 136. Do valgu, 137. Do suvalgu, 138. Do gamdhila, 139. Do gamdhilavati ye chakravarti vijaya haim. Chakravarti vijaya rajadhaniyam – 140. Do kshema, 141. Do kshemapuri, 142. Do rishta, 143. Do rishtapuri, 144.Do khangi, 145. Do mamjusha, 146. Do aushadhi, 147. Do paumdarikini, 148. Do susima, 149. Do kumdala, 150. Do aparajita, 151. Do prabhamkara, 152. Do amkavati, 153. Do padmavati, 154. Do shubha, 155. Do ratnasamchaya, 156. Do ashvapura, 157. Do simhapura, 158. Do mahapura, 159. Do vijayapura, 160. Do aparajita, 161. Do apara, 162. Do ashoka, 163. Do vitashoka, 164. Do vijaya, 165. Do vaijayamti, 166. Do jayamti, 167. Do aparajita, 168. Do chakrapura, 169. Do khadgapura, 170. Do avadhya, 171. Do ayodhya. Meru parvata para vana khamda – 172. Do bhadrashala vana, 173. Do namdana vana, 174. Do saumanasa vana, 175. Do pamdaka vana meru parvata para shila – 176. Do pamdukambala shila, 177. Do atikambala shila, 178. Do raktakambala shila, 179. Do atiraktakambala shila, 180. Do meru parvata, 181. Do meru parvata ki chulika hai. |