Sutra Navigation: Sutrakrutang ( सूत्रकृतांग सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1001595 | ||
Scripture Name( English ): | Sutrakrutang | Translated Scripture Name : | सूत्रकृतांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
श्रुतस्कन्ध १ अध्ययन-१४ ग्रंथ |
Translated Chapter : |
श्रुतस्कन्ध १ अध्ययन-१४ ग्रंथ |
Section : | Translated Section : | ||
Sutra Number : | 595 | Category : | Ang-02 |
Gatha or Sutra : | Gatha | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [गाथा] अस्सिं सुठिच्चा तिविहेन तायी एएसु या संति णिरोधमाहु । ते एवमक्खंति तिलोगदंसी न भुज्जमेतं ति पमायसंगं ॥ | ||
Sutra Meaning : | वैसा मुनि त्रिविध रूप सुस्थित होकर इनमें प्रवृत्त होता है। उससे शान्ति और (कर्म) निरोध होता है। त्रिलोकदर्शी कहते हैं कि वह पुनः प्रमाद में लिप्त नहीं होता। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [gatha] assim suthichcha tivihena tayi eesu ya samti nirodhamahu. Te evamakkhamti tilogadamsi na bhujjametam ti pamayasamgam. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Vaisa muni trividha rupa susthita hokara inamem pravritta hota hai. Usase shanti aura (karma) nirodha hota hai. Trilokadarshi kahate haim ki vaha punah pramada mem lipta nahim hota. |