Sutra Navigation: Sutrakrutang ( सूत्रकृतांग सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1001422 | ||
Scripture Name( English ): | Sutrakrutang | Translated Scripture Name : | सूत्रकृतांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
श्रुतस्कन्ध १ अध्ययन-८ वीर्य |
Translated Chapter : |
श्रुतस्कन्ध १ अध्ययन-८ वीर्य |
Section : | Translated Section : | ||
Sutra Number : | 422 | Category : | Ang-02 |
Gatha or Sutra : | Gatha | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [गाथा] ठाणी विविहठाणाणि चइस्संति न संसओ । अणितिए अयं वासे ‘नातीहि य’ सुहीहि य ॥ | ||
Sutra Meaning : | निस्सन्देह स्थानी (मोक्ष – मार्गी) अपने विविध स्थानों का त्याग करेंगे। ज्ञातिजनों एवं मित्रों के साथ यह वास अनित्य है। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [gatha] thani vivihathanani chaissamti na samsao. Anitie ayam vase ‘natihi ya’ suhihi ya. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Nissandeha sthani (moksha – margi) apane vividha sthanom ka tyaga karemge. Jnyatijanom evam mitrom ke satha yaha vasa anitya hai. |