Sutra Navigation: Sutrakrutang ( सूत्रकृतांग सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1001133 | ||
Scripture Name( English ): | Sutrakrutang | Translated Scripture Name : | सूत्रकृतांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
श्रुतस्कन्ध १ अध्ययन-२ वैतालिक |
Translated Chapter : |
श्रुतस्कन्ध १ अध्ययन-२ वैतालिक |
Section : | उद्देशक-२ | Translated Section : | उद्देशक-२ |
Sutra Number : | 133 | Category : | Ang-02 |
Gatha or Sutra : | Gatha | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [गाथा] कुजए अपराजिए जहा अक्खेहिं कुसलेहिं दीवयं । कडमेव गहाय नो कलिं नो तेयं नो चेव दावरं ॥ | ||
Sutra Meaning : | जैसे अपराजित जुआरी कुशल – पासों से जूआ खेलता हुआ कृत् (दाव) को ही स्वीकार करता है, कलि, त्रेता या द्वापर को नहीं। इसी प्रकार लोक में त्राता द्वारा जो अनुत्तर – धर्म कथित है उसे ग्रहण करे। पण्डित – पुरुष शेष को छोड़कर कृत् को ही स्वीकारता है। यही हितकर है। सूत्र – १३३, १३४ | ||
Mool Sutra Transliteration : | [gatha] kujae aparajie jaha akkhehim kusalehim divayam. Kadameva gahaya no kalim no teyam no cheva davaram. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Jaise aparajita juari kushala – pasom se jua khelata hua krit (dava) ko hi svikara karata hai, kali, treta ya dvapara ko nahim. Isi prakara loka mem trata dvara jo anuttara – dharma kathita hai use grahana kare. Pandita – purusha shesha ko chhorakara krit ko hi svikarata hai. Yahi hitakara hai. Sutra – 133, 134 |