Sutra Navigation: Sutrakrutang ( सूत्रकृतांग सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1001022 | ||
Scripture Name( English ): | Sutrakrutang | Translated Scripture Name : | सूत्रकृतांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
श्रुतस्कन्ध १ अध्ययन-१ समय |
Translated Chapter : |
श्रुतस्कन्ध १ अध्ययन-१ समय |
Section : | उद्देशक-१ | Translated Section : | उद्देशक-१ |
Sutra Number : | 22 | Category : | Ang-02 |
Gatha or Sutra : | Gatha | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [गाथा] तेणाविमं तिनच्चा णं न ते धम्मविऊ जणा । जे ते उ वाइणो वं न ते गब्भस्स पारगा ॥ | ||
Sutra Meaning : | सन्धि को जान लेने मात्र से वे मनुष्य धर्मविद् नहीं हो जाते। जो ऐसा कहते हैं, वे गर्भ के पार नहीं जा सकते। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [gatha] tenavimam tinachcha nam na te dhammaviu jana. Je te u vaino vam na te gabbhassa paraga. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Sandhi ko jana lene matra se ve manushya dharmavid nahim ho jate. Jo aisa kahate haim, ve garbha ke para nahim ja sakate. |