Sutra Navigation: Acharang ( आचारांग सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1000447 | ||
Scripture Name( English ): | Acharang | Translated Scripture Name : | आचारांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
श्रुतस्कंध-२ चूलिका-१ अध्ययन-३ इर्या |
Translated Chapter : |
श्रुतस्कंध-२ चूलिका-१ अध्ययन-३ इर्या |
Section : | उद्देशक-१ | Translated Section : | उद्देशक-१ |
Sutra Number : | 447 | Category : | Ang-01 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] अह पुणेवं जाणेज्जा–चत्तारि मासा वासाणं वीइक्कंता, हेमंताण य पंच-दस-रायकप्पे परिवुसिए, अंतरा से मग्गा बहुपाणा बहुबीया बहुहरिया बहु-ओसा बहु-उदया बहु-उत्तिंग-पणग-दग-मट्टिय-मक्कडा संताणगा, नो जत्थ बहवे समण-माहण-अतिहि-किवण-वणीमगा उवागया उवागमिस्संति य। सेवं नच्चा नो गामाणुगामं दूइज्जेज्जा। अह पुणेवं जाणेज्जा–चत्तारि मासा वासाणं वीइक्कंता, हेमंताण य पंच-दस-रायकप्पे परिवुसिए, अंतरा से मग्गा अप्पंडा अप्पपाणा अप्पबीआ अप्पहरिया अप्पोसा अप्पुदया अप्पुत्तिंग-पणग-दग-मट्टिय-मक्कडा संताणगा, बहवे जत्थ समण-माहण-अतिहि-किवण-वणीमगा उवागया उवागमिस्संति य। सेवं नच्चा तओ संजयामेव गामाणुगामं दूइज्जेज्जा। | ||
Sutra Meaning : | साधु या साध्वी यह जाने कि वर्षाकाल व्यतीत हो चूका है, अतः वृष्टि न हो तो चातुर्मासिक काल समाप्त होते ही अन्यत्र विहार कर देना चाहिए। यदि कार्तिक मास में वृष्टि हो जाने से मार्ग आवागमन के योग्य न रहे तो हेमन्त ऋतु के पाँच या दस दिन व्यतीत हो जाने पर वहाँ से विहार करना चाहिए। यदि मार्ग बीच – बीच मे अंडे, बीज, हरियाली, यावत् मकड़ी के जालों से युक्त हो, अथवा वहाँ बहुत – से श्रमण – ब्राह्मण आदि आए हुए न हों, न ही आने वाले हों, तो यह जानकर साधु ग्रामानुग्राम विहार न करे। यदि साधु या साध्वी यह जाने कि वर्षाकाल के चार मास व्यतीत हो चूके हैं, और वृष्टि हो जाने से मुनि को हेमन्त ऋतु के पाँच अथवा दश दिन तक वहीं रहने के पश्चात् अब मार्ग ठीक हो गए हैं, बीच – बीच में अब अण्डे यावत् मकड़ी के जाले आदि नहीं हैं, बहुत – से श्रमण – ब्राह्मण आदि भी उन मार्गों पर आने – जाने लगे हैं, या आने वाले भी हैं, तो यह जानकर साधु यतनापूर्वक ग्रामानुग्राम विहार कर सकता है। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] aha punevam janejja–chattari masa vasanam viikkamta, hemamtana ya pamcha-dasa-rayakappe parivusie, amtara se magga bahupana bahubiya bahuhariya bahu-osa bahu-udaya bahu-uttimga-panaga-daga-mattiya-makkada samtanaga, no jattha bahave samana-mahana-atihi-kivana-vanimaga uvagaya uvagamissamti ya. Sevam nachcha no gamanugamam duijjejja. Aha punevam janejja–chattari masa vasanam viikkamta, hemamtana ya pamcha-dasa-rayakappe parivusie, amtara se magga appamda appapana appabia appahariya apposa appudaya apputtimga-panaga-daga-mattiya-makkada samtanaga, bahave jattha samana-mahana-atihi-kivana-vanimaga uvagaya uvagamissamti ya. Sevam nachcha tao samjayameva gamanugamam duijjejja. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Sadhu ya sadhvi yaha jane ki varshakala vyatita ho chuka hai, atah vrishti na ho to chaturmasika kala samapta hote hi anyatra vihara kara dena chahie. Yadi kartika masa mem vrishti ho jane se marga avagamana ke yogya na rahe to hemanta ritu ke pamcha ya dasa dina vyatita ho jane para vaham se vihara karana chahie. Yadi marga bicha – bicha me amde, bija, hariyali, yavat makari ke jalom se yukta ho, athava vaham bahuta – se shramana – brahmana adi ae hue na hom, na hi ane vale hom, to yaha janakara sadhu gramanugrama vihara na kare. Yadi sadhu ya sadhvi yaha jane ki varshakala ke chara masa vyatita ho chuke haim, aura vrishti ho jane se muni ko hemanta ritu ke pamcha athava dasha dina taka vahim rahane ke pashchat aba marga thika ho gae haim, bicha – bicha mem aba ande yavat makari ke jale adi nahim haim, bahuta – se shramana – brahmana adi bhi una margom para ane – jane lage haim, ya ane vale bhi haim, to yaha janakara sadhu yatanapurvaka gramanugrama vihara kara sakata hai. |