Sutra Navigation: Acharang ( आचारांग सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1000191 | ||
Scripture Name( English ): | Acharang | Translated Scripture Name : | आचारांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
श्रुतस्कंध-१ अध्ययन-६ द्युत |
Translated Chapter : |
श्रुतस्कंध-१ अध्ययन-६ द्युत |
Section : | उद्देशक-१ स्वजन विधूनन | Translated Section : | उद्देशक-१ स्वजन विधूनन |
Sutra Number : | 191 | Category : | Ang-01 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] बहुदुक्खा हु जंतवो। सत्ता कामेहिं माणवा। अबलेण वहं गच्छंति, सरीरेण पभंगुरेण। अट्टे से बहुदुक्खे, इति बाले पगब्भइ। एते रोगे बहू णाच्चा, आउरा परितावए। नालं पास। अलं तवेएहिं। एयं पास मुनी! महब्भयं। नातिवाएज्ज कंचणं। | ||
Sutra Meaning : | संसार में जीव बहुत दुःखी हैं। मनुष्य काम – भोगों में आसक्त हैं। इस निर्बल शरीर को सुख देने के लिए प्राणियों के वध की ईच्छा करते हैं। वेदना से पीड़ित वह मनुष्य बहुत दुःख पाता है। इसलिए वह अज्ञानी प्राणियों को कष्ट देता है। इन (पूर्वोक्त) अनेक रोगों को उत्पन्न हुए जानकर आतुर मनुष्य (चिकित्सा के लिए दूसरे प्राणियों को) परिताप देते हैं। तू (विवेकद्रष्टि से) देख। ये (प्राणिघातक – चिकित्साविधियाँ कर्मोदयजनित रोगों का शमन करने में) समर्थ नहीं हैं। (अतः।) इनसे तुमको दूर रहना चाहिए। मुनिवर ! तू देख ! यह (हिंसामूलक चिकित्सा) महान् भयरूप है। (इसलिए चिकित्सा के निमित्त भी) किसी प्राणी का अतिपात/वध मत कर। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] bahudukkha hu jamtavo. Satta kamehim manava. Abalena vaham gachchhamti, sarirena pabhamgurena. Atte se bahudukkhe, iti bale pagabbhai. Ete roge bahu nachcha, aura paritavae. Nalam pasa. Alam taveehim. Eyam pasa muni! Mahabbhayam. Nativaejja kamchanam. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Samsara mem jiva bahuta duhkhi haim. Manushya kama – bhogom mem asakta haim. Isa nirbala sharira ko sukha dene ke lie praniyom ke vadha ki ichchha karate haim. Vedana se pirita vaha manushya bahuta duhkha pata hai. Isalie vaha ajnyani praniyom ko kashta deta hai. Ina (purvokta) aneka rogom ko utpanna hue janakara atura manushya (chikitsa ke lie dusare praniyom ko) paritapa dete haim. Tu (vivekadrashti se) dekha. Ye (pranighataka – chikitsavidhiyam karmodayajanita rogom ka shamana karane mem) samartha nahim haim. (atah.) inase tumako dura rahana chahie. Munivara ! Tu dekha ! Yaha (himsamulaka chikitsa) mahan bhayarupa hai. (isalie chikitsa ke nimitta bhi) kisi prani ka atipata/vadha mata kara. |