Sutra Navigation: Acharang ( आचारांग सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1000132 | ||
Scripture Name( English ): | Acharang | Translated Scripture Name : | आचारांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
श्रुतस्कंध-१ अध्ययन-३ शीतोष्णीय |
Translated Chapter : |
श्रुतस्कंध-१ अध्ययन-३ शीतोष्णीय |
Section : | उद्देशक-३ अक्रिया | Translated Section : | उद्देशक-३ अक्रिया |
Sutra Number : | 132 | Category : | Ang-01 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] दुहओ जीवियस्स, परिवंदण-माणण-पूयणाए, जंसि एगे पमादेंति। | ||
Sutra Meaning : | राग और द्वेष (इन) दोनों से कलुषित आत्मा जीवन की वन्दना, सम्मान और पूजा के लिए प्रवृत्त होता है। कुछ साधक भी इन के लिए प्रमाद करते हैं। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] duhao jiviyassa, parivamdana-manana-puyanae, jamsi ege pamademti. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Raga aura dvesha (ina) donom se kalushita atma jivana ki vandana, sammana aura puja ke lie pravritta hota hai. Kuchha sadhaka bhi ina ke lie pramada karate haim. |