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Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 156 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] आकारंता माला, ईकारंता सिरी लच्छी ऊकारंता जंबू, वहू अंता इत्थीणं

Translated Sutra: देखो सूत्र १५२
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 157 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] अंकारंतं धन्नं, इंकारंतं नपुंसगं अच्छिं उंकारंतं पीलुं, महुं अंता नपुंसाणं

Translated Sutra: देखो सूत्र १५२
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 158 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से तं तिनामे

Translated Sutra: देखो सूत्र १५२
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 159 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं चउनामे? चउनामे चउव्विहे पन्नत्ते, तं जहाआगमेणं</em> लोवेणं पयईए विगारेणं से किं तं आगमेणं</em>? आगमेणं</em>पद्मानि पयांसि कुंडानि से तं आगमेणं</em> से किं तं लोवेणं? लोवेणंते अत्र = तेत्र, पटो अत्र = पटोत्र, घटो अत्र = घटोत्र, रथो अत्र = रथोत्र से तं लोवेणं से किं तं पयईए? पयईएअग्नी एतौ, पटू इमौ, शाले एते, माले इमे से तं पयईए से किं तं विगारेणं? विगारेणंदण्डस्य अग्रं = दण्डाग्रम्‌, सो आगता = सागता, दधि इदं = दधीदम्‌, नदी ईहते = नदीहते, मधु उदकं = मधूदकम्‌, वधू ऊहते = वधूहते से तं विगारेणं से तं चउनामे

Translated Sutra: चतुर्नाम क्या है ? चार प्रकार हैं आगमनिष्पन्ननाम</em>, लोपनिष्पन्ननाम, प्रकृतिनिष्पन्ननाम, विकारनिष्पन्ननाम आगम</em> निष्पन्ननाम क्या है ? पद्मानि, पयांसि, कुण्डानि आदि ये सब आगमनिष्पन्ननाम</em> हैं लोपनिष्पन्ननाम क्या है ? ते + अत्र तेऽत्र, पटो + अत्र पटोऽत्र, घटो + अत्र घटोऽत्र, रथो + अत्र रथोऽत्र, ये लोपनिष्पन्ननाम
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 160 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं पंचनामे? पंचनामे पंचविहे पन्नत्ते, तं जहा. नामिकं . नैपातिकं . आख्यातिकं . औपसर्गिकं . मिश्रम्‌ अश्व इति नामिकम्‌ खल्विति नैपातिकम्‌ धावतीत्याख्यातिकम्‌ परीत्यौपसर्गिकम्‌ संयत इति मिश्रम्‌ से तं पंचनामे

Translated Sutra: पंचनाम क्या है ? पाँच प्रकार का है नामिक, नैपातिक, आख्यातिक, औपसर्गिक और मिश्र जैसे अश्व यह नामिकनाम का, खलु नैपातिकनाम का, धावति आख्यातिकनाम का, परि औपसर्गिक और संयत यह मिश्रनाम का उदाहरण है
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 161 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं छनामे? छनामे छव्विहे पन्नत्ते, तं जहा. उदइए . उवसमिए . खइए . खओवसमिए . पारिणामिए . सन्निवाइए से किं तं उदइए? उदइए दुविहे पन्नत्ते, तं जहाउदए उदयनिप्फन्ने से किं तं उदए? उदएअट्ठण्हं कम्मपयडीणं उदए णं से तं उदए से किं तं उदयनिप्फन्ने? उदयनिप्फन्ने दुविहे पन्नत्ते, तं जहा जीवोदयनिप्फन्ने अजीवो-दयनिप्फन्ने से किं तं जीवोदयनिप्फन्ने? जीवोदयनिप्फन्ने अनेगविहे पन्नत्ते, तं जहानेरइए तिरिक्ख-जोणिए मनुस्से देवे पुढविकाइए आउकाइए तेउकाइए वाउकाइए वणस्सइकाइए तसकाइए, कोहकसाई मानकसाई मायाकसाई लोभकसाई, इत्थिवेए पुरिसवेए नपुंसगवेए, कण्हलेसे

Translated Sutra: छहनाम क्या है ? छह प्रकार हैं औदयिक, औपशमिक, क्षायिक, क्षायोपशमिक, पारिणामिक और सान्निपातिक औदयिकभाव क्या है ? दो प्रकार का है औदयिक और उदयनिष्पन्न औदयिक क्या है ? ज्ञानावरणादिक आठ कर्मप्रकृतियों के उदय से होने वाला औदयिकभाव है उदयनिष्पन्न औदयिकभाव क्या है ? दो प्रकार हैं जीवोदयनिष्पन्न, अजीवोदयनिष्पन्न जीवोदयनिष्पन्न
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 162 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] जुन्नसुरा जुन्नगुलो, जुन्नघयं जुन्नतंदुला चेव अब्भा अब्भरुक्खा, संज्झा गंधव्वनगरा

Translated Sutra: जीर्ण सुरा, जीर्ण गुड़, जीर्ण घी, जीर्ण तंदुल, अभ्र, अभ्रवृक्ष, संध्या, गंधर्वनगर
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 163 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] उक्कावाया दिसादाहा गज्जियं विज्जू निग्घाया जूवया जक्खालित्ता धूमिया महिया रयुग्घाओ चंदोवरागा सूरोवरागा चंदपरिवेसा सूरपरिवेसा पडिचंदा पडिसूरा इंदधणू उदगमच्छा कविहसिया अमोहा वासा वासधरा गामा नगरा घरा पव्वता पायाला भवणा निरया रयणप्पभा सक्करप्पभा वालुयप्पभा पंकप्पभा धूमप्पभा तमा तमतमा सोहम्मे ईसाणे सणंकुमारे माहिंदे बंभलोए लंतए महासुक्के सहस्सारे आणए पाणए आरणे अच्चुए गेवेज्जे अनुत्तरे ईसिप्पब्भारा परमाणुपोग्गले दुपएसिए जाव अनंतपएसिए से तं साइपारिणामिए से किं तं अनाइ-पारिणामिए? अनाइ-पारिणामिएधम्मत्थिकाए अधम्मत्थिकाए आगास-त्थिकाए जीवत्थिकाए

Translated Sutra: उल्कापात, दिग्दाह, मेघगर्जना, विद्युत, निर्घात्‌, यूपक, यक्षादिप्त, धूमिका, महिका, रजोद्‌घात, चन्द्रग्रहण, सूर्यग्रहण, चन्द्रपरिवेष, सूर्यपरिवेष, प्रतिचन्द्र, प्रतिसूर्य, इन्द्रधनुष, उदकमत्स्य, कपिहसित, अमोघ, वर्ष, वर्षधर पर्वत, ग्राम, नगर, घर, पर्वत, पातालकलश, भवन, नरक, रत्नप्रभा, शर्कराप्रभा, बालुकाप्रभा, पंकप्रभा,
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 164 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं सत्तनामे? सत्तनामेसत्त सरा पन्नत्ता, तं जहा

Translated Sutra: सप्तनाम क्या है ? सात प्रकार के स्वर रूप है षड्‌ज, ऋषभ, गांधार, मध्यम, पंचम, धैवत और निषाद, ये सात स्वर जानना सूत्र १६४, १६५
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अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 165 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] सज्जे रिसभे गंधारे, मज्झिमे पंचमे सरे धेवए चेव नेसाए, सरा सत्त वियाहिया

Translated Sutra: देखो सूत्र १६४
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 166 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] एएसि णं सत्तण्हं सराणं सत्त सरट्ठाणा पन्नत्ता, तं जहा

Translated Sutra: इन सात स्वरों के सात स्वर स्थान हैं जिह्वा के अग्रभाग से षड्‌जस्वर का, वक्षस्थल से ऋषभस्वर, कंठ से गांधार स्वर, जिह्वा के मध्यभाग से मध्यमस्वर, नासिका से पंचमस्वर का, दंतोष्ठ संयोग से धैवतस्वर का और मूर्धा से निषाद स्वर का उच्चारण करना चाहिए सूत्र १६६१६८
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 167 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] सज्जं अग्गजीहाए, उरेण रिसभं सरं कंठुग्गएण गंधारं, मज्झजीहाए मज्झिमं

Translated Sutra: देखो सूत्र १६६
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 168 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] नासाए पंचमं बूया, दंतोट्ठेण धेवतं भमुहक्खेवेण नेसायं सरट्ठाणा वियाहिया

Translated Sutra: देखो सूत्र १६६
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 169 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] सत्तसरा जीवनिस्सिया पन्नत्ता, तं जहा

Translated Sutra: जीवनिश्रित सप्तस्वरों का स्वरूप इस प्रकार है मयूर षड्‌जस्वर में, कुक्कुट ऋषभस्वर, हंस गांधारस्वर में, गवेलक मध्यमस्वर में, कोयल पुष्पोत्पत्तिकाल में पंचमस्वर में, सारस और क्रौंच पक्षी धैवतस्वर में तथा हाथी निषाद स्वर में बोलता है सूत्र १६९१७१
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अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 170 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] सज्जं रवइ मयूरो, कुक्कुडो रिसभं सरं हंसो रवइ गंधारं, मज्झिमं तु गवेलगा

Translated Sutra: देखो सूत्र १६९
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अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 171 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] अह कुसुमसंभवे काले, कोइला पंचमं सरं छट्ठं सारसा कुंचा, नेसायं सत्तमं गओ

Translated Sutra: देखो सूत्र १६९
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 172 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] सत्त सरा अजीवनिस्सिया पन्नत्ता, तं जहा

Translated Sutra: अजीवनिश्रित मृदंग से षड्‌जस्वर, गोमुखी से ऋषभस्वर, शंख से गांधारस्वर, झालर से मध्यमस्वर, चार चरणों पर स्थित गोधिका से पंचमस्वर, आडंबर से धैवतस्वर तथा महाभेरी से निषादस्वर निकलता है सूत्र १७२१७४
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अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 173 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] सज्जं रवइ मुयंगो, गोमुही रिसभं सरं संखो रवइ गंधारं, मज्झिमं पुण ज्झल्लरी

Translated Sutra: देखो सूत्र १७२
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 174 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] चउचलणपइट्ठाणा, गोहिया पंचमं सरं आडंबरो धेवइयं, महाभेरी सत्तमं

Translated Sutra: देखो सूत्र १७२
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 175 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] एएसि णं सत्तण्हं सराणं सत्त सरलक्खणा पन्नत्ता, तं जहा

Translated Sutra: इन सात स्वरों के सात स्वरलक्षण हैं षड्‌जस्वर वाला मनुष्य वृत्ति आजीविका प्राप्त करता है उसका प्रयत्न व्यर्थ नहीं जाता है उसे गोधन, पुत्र पौत्रादि और सन्मित्रों का संयोग मिलता है वह स्त्रियों का प्रिय होता है ऋषभस्वरवाला मनुष्य ऐश्वर्यशाली होता है सेनापतित्व, धन धान्य, वस्त्र, गंध सुगंधित
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 176 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] सज्जेण लहइ वित्तिं, कयं विणस्सइ गावो पुत्ता मित्ता , नारीणं होई वल्लहो

Translated Sutra: देखो सूत्र १७५
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अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 177 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] रिसभेण एसज्जं, सेनावच्चं धनानि वत्थगंधमलंकारं, इत्थीओ सयनानि

Translated Sutra: देखो सूत्र १७५
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 178 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] गंधारे गीतजुत्तिन्ना, विज्जवित्ती कलाहिया हवंति कइणो पन्ना, जे अन्ने सत्थपारगा

Translated Sutra: देखो सूत्र १७५
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 179 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] मज्झिमसरमंता , हवंति सुहजीविणो खायई पियई देई, मज्झिमसरमस्सिओ

Translated Sutra: देखो सूत्र १७५
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अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 180 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] पंचमसरमंता , हवंति पुहवीपती सूरा संगहकत्तारो अनेगगणनायगा

Translated Sutra: देखो सूत्र १७५
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अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 181 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] धेवयसरमंता , हवंति दुहजीविणो साउणिया वाउरिया, सोयरिया मुट्ठिया

Translated Sutra: देखो सूत्र १७५
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अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 182 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] नेसायसरमंता , हवंति हिंसगा नरा जंघाचरा लेहवाहा, हिंडगा भारवाहगा

Translated Sutra: देखो सूत्र १७५
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अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 183 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] एएसिं णं सत्तण्हं सराणं तओ गामा पन्नत्ता, तं जहासज्जगामे मज्झिमगामे गंधारगामे सज्जगामस्स णं सत्त मुच्छणाओ पन्नत्ताओ, तं जहा

Translated Sutra: इन सात स्वरों के तीन ग्राम हैं षड्‌जग्राम, मध्यमग्राम, गांधारग्राम षड्‌जग्राम की सात मूर्च्छनाऍं हैं मंगी, कौरवीया, हरित, रजनी, सारकान्ता, सारसी और शुद्धषड्ज मध्यमग्राम की सात मूर्च्छनाऍं हैं उतरमंदा, रजनी, उत्तरा, उत्तरायता, अश्वक्रान्ता, सौवीरा, अभिरुद्‌गता गांधारग्राम की सात मूर्च्छनाऍं हैं
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अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 184 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] मंगी कोरव्वीया हरी , रयणी सारकंता छट्ठी सारसी नाम, सुद्धसज्जा सत्तमा

Translated Sutra: देखो सूत्र १८३
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अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 185 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] मज्झिमगामस्स णं सत्त मुच्छणाओ पन्नत्ताओ, तं जहा

Translated Sutra: देखो सूत्र १८३
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 186 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] उत्तरमंदा रयणी, उत्तरा उत्तरायता आसकंता सोवीरा, अभिरुहवति सत्तमा

Translated Sutra: देखो सूत्र १८३
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अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 187 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] गंधारगामस्स णं सत्त मुच्छणाओ पन्नत्ताओ, तं जहा

Translated Sutra: देखो सूत्र १८३
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अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 188 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] नंदी खुड्डिया पूरिमा चउत्थी सुद्धगंधारा उत्तरगंधारा वि , पंचमिया हवइ मुच्छा

Translated Sutra: देखो सूत्र १८३
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अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 189 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] सुट्ठुत्तरमायामा, सा छट्ठी नियमसो नायव्वा अह उत्तरायता, कोडिमा सा सत्तमी मुच्छा

Translated Sutra: देखो सूत्र १८३
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अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 190 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] सत्त सरा कओ हवंति? गीयस्स का हवइ जोणी? कइसमया ऊसासा? कइ वा गीयस्स आगारा?

Translated Sutra: सप्तस्वर कहाँ से उत्पन्न होते हैं ? गीत की योनि क्या है ? इसके उच्छ्‌वासकाल का समयप्रमाण कितना है ? गीत के कितने आकार होते हैं ? सातों स्वर नाभि से उत्पन्न होते हैं रुदन गीत की योनि है पादसम उतना उसका उच्छ्‌वास काल होता है गीत के तीन आकार होते हैं आदि में मृदु, मध्य में तीव्र और अंत मे मंद इस प्रकार
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अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 191 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] सत्त सरा नाभीओ, हवंति गीयं रुन्नजोणीयं पायसमा ऊसासा, तिन्नि गीयस्स आगारा

Translated Sutra: देखो सूत्र १९०
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Hindi 192 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] आइमिउ आरभंता, समुव्वहंता मज्झयारंमि अवसाणे ज्झवेंता, तिन्नि वि गीयस्स आगारा

Translated Sutra: देखो सूत्र १९०
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Hindi 193 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] छद्दोसे अट्ठगुणे, तिन्नि वित्ताइं दोन्नि भणितीओ जो नाही सो गाहिइ, सुसिक्खिओ रंगमज्झंमि

Translated Sutra: संगीत के छह दोषों, आठ गुणों, तीन वृत्तों और दो भणितियों को यथावत्‌ जाननेवाला सुशिक्षित व्यक्ति रंगमंच पर गायेगा
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Hindi 194 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] भीयं दुयमुप्पिच्छं, उत्तालं कमसो मुणेयव्वं काकस्सरमणुणासं, छद्दोसा होंति गीयस्स

Translated Sutra: गीत के छह दोष हैं भीतदोष, द्रुतदोष, उत्पिच्छदोष, उत्तालदोष, काकस्वरदोष और अनुनासदोष
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अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 195 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] पुण्णं रत्तं अलंकियं वत्तं तहेव मविघुट्ठं महुरं समं सुललियं, अट्ठ गुणा होंति गीयस्स

Translated Sutra: गीत के आठ गुण हैं पूर्णगुण, रक्तगुण, अलंकृतगुण, व्यक्तगुण, अविघुष्टगुण, मधुरगुण, समगुण, सुललितगुण
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Hindi 196 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] उर-कंठ-सिर-विसुद्धं, गिज्जते मउय-रिभिय-पदबद्धं समतालपदुक्खेवं, सत्तस्सरसीभरं गीयं

Translated Sutra: गीत के आठ गुण और भी हैं, उरोविशुद्ध, कंठविशुद्ध, शिरोविशुद्ध, मृदुक, रिभित, पदबद्ध, समतालप्रत्युत्क्षेप और सप्तस्वरसीभर
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Hindi 197 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] अक्खरसमं पदसमं, तालसमं लयसमं गहसमं निस्ससिउस्ससियसमं, संचारसमं सरा सत्त

Translated Sutra: (प्रकारान्तर से) सप्तस्वरसीभर की व्याख्या इस प्रकार है अक्षरसम, पदसम, तालसम, लयसम, ग्रहसम, निश्वसितो च्छ्‌वसितसम और संचारसम इस प्रकार गीत स्वर, तंत्री आदि के साथ सम्बन्धित होकर सात प्रकार का हो जाता है
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Hindi 198 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] निद्दोसं सारवतं हेउजुत्तमलंकियं उवनीयं सोवयारं , मियं महुरमेव

Translated Sutra: गेय पदों के आठ गुण हैं निर्दोष, सारवंत, हेतुयुक्त, अलंकृत, उपनीत, सोपचार, मित और मधुर
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Hindi 199 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] समं अद्धसमं चेव, सव्वत्थ विसमं जं तिन्नि वित्तप्पयाराइं, चउत्थं नोवलब्भई

Translated Sutra: गीत के वृत्त छन्द तीन प्रकार के हैं सम, अर्धसम और सर्वविषम इनके अतिरिक्त चौथा प्रकार नहीं है
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 200 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] सक्कया पायया चेव, भणितीओ होंति दोन्नि वि सरमंडलंमि गिज्जंते, पसत्था इसिभासिया

Translated Sutra: भणतियाँ दो प्रकार की हैं संस्कृत और प्राकृत ये दोनों प्रशस्त एवं ऋषिभाषित हैं और स्वरमंडल में पाई जाती है
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 201 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] केसी गायइ महुरं? केसी गायइ खरं रुक्खं ? केसी गायइ चउरं? केसी विलंबियं दुतं केसी? विस्सरं पुण केरिसी?

Translated Sutra: कौन स्त्री मधुर स्वर में गीत गाती है ? पुरुष और रूक्ष स्वर में कौन गाती है ? चतुराई से कौन गाती है ? विलंबित स्वर में कौन गाती है ? द्रुत स्वर में कौन गाती है ? तथा विकृत स्वर में कौन गाती है ? श्यामा स्त्री मधुर स्वर में गीत गाती है, कृष्णवर्णा स्त्री खर और रूक्ष स्वर में, गौरवर्णा स्त्री चतुराई से, कानी स्त्री विलंबित
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अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 202 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] सामा गायइ महुरं, काली गायइ खरं रुक्खं गोरी गायइ चउरं, काणा विलंबियं, दुतं अंधा विस्सरं पुण पिंगला

Translated Sutra: देखो सूत्र २०१
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 203 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] सत्त सरा तओ गामा, मुच्छणा एगवीसई ताणा एगूणपन्नासं, समत्तं सरमंडलं

Translated Sutra: इस प्रकार सात स्वर, तीन ग्राम और इक्कीस मूर्च्छनायें होती हैं प्रत्येक स्वर सात तानों से गाया जाता है, इसलिये उनके उनपचास भेद हो जाते हैं इस प्रकार स्वरमंडल का वर्णन समाप्त हुआ सूत्र २०३, २०४
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अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 204 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से तं सत्तनामे

Translated Sutra: देखो सूत्र २०३
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 205 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं अट्ठनामे? अट्ठनामेअट्ठविहा वयणविभत्ती पन्नत्ता, तं जहा

Translated Sutra: अष्टनाम क्या है ? आठ प्रकार की वचनविभक्तियों अष्टनाम हैं वचनविभक्ति के वे आठ प्रकार यह हैं निर्देश अर्थ में प्रथमा, उपदेशक्रिया के प्रतिपादन में द्वितीया, क्रिया के प्रति साधकतम कारण में तृतीया, संप्रदान में चतुर्थी, अपादान में पंचमी, स्व स्वामित्वप्रतिपादन में षष्ठी, सन्निधान में सप्तमी और संबोधित
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