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Mahapratyakhyan महाप्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

मिथ्यात्वत्याग

Hindi 31 Gatha Painna-03 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] तस्स य पायच्छित्तं जं मग्गविऊ गुरू उवइसंति । तं तह अनुसरियव्वं अनवत्थपसंगभीएणं ॥

Translated Sutra: मार्ग को जाननेवाला गुरु उस का जो प्रायश्चित्त कहता है उस अनवस्था के (अयोग्य) अवसर के डरवाले मानव को वैसे ही अनुसरण करना चाहिए – उसके लिए जो कुछ भी अकार्य किया हो उन सबको छिपाए बिना दस दोष रहित जैसे हुआ हो वैसे ही कहना चाहिए। सूत्र – ३१, ३२
Mahapratyakhyan महाप्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

मिथ्यात्वत्याग

Hindi 32 Gatha Painna-03 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] दसदोसविप्पमुक्कं तम्हा सव्वं अगूहमाणेणं । जं किंपि कयमकज्जं तं जहवत्तं कहेयव्वं ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र ३१
Mahapratyakhyan महाप्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

मिथ्यात्वत्याग

Hindi 33 Gatha Painna-03 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] सव्वं पाणारंभं पच्चक्खामी य अलियवयणं च । सव्वमदिन्नादाणं अब्बंभ परिग्गहं चेव ॥

Translated Sutra: सभी जीव का आरम्भ, सर्व असत्यवचन, सर्व अदत्तादान, सर्व मैथुन, सर्व परिग्रह का मैं त्याग करता हूँ। सर्व अशन और पानादिक चतुर्विध आहार और जो (बाह्य पात्रादि) उपधि और कषायादि अभ्यंतर उपधि उन सबको त्रिविधे वोसिराता हूँ। सूत्र – ३३, ३४
Mahapratyakhyan महाप्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

मिथ्यात्वत्याग

Hindi 34 Gatha Painna-03 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] सव्वं पि असन पानं चउव्विहं जो य बाहिरो उवही । अब्भिंतरं च उवहिं सव्वं तिविहेण वोसिरे ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र ३३
Mahapratyakhyan महाप्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

मिथ्यात्वत्याग

Hindi 35 Gatha Painna-03 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] कंतारे दुब्भिक्खे आयंके वा महया समुप्पन्ने । जं पालियं, न भग्गं तं जाणसु पालणासुद्धं ॥

Translated Sutra: जंगल में, दुष्काल में या बड़ी बीमारी होने से जो व्रत का पालन किया है और न तूटा हो वह शुद्धव्रत पालन समझना चाहिए।
Mahapratyakhyan महाप्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

मिथ्यात्वत्याग

Hindi 36 Gatha Painna-03 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] रागेण व दोसेण व परिणामेण व न दूसियं जं तु । तं खलु पच्चक्खाणं भावविसुद्धं मुणेयव्वं ॥

Translated Sutra: राग करके, द्वेष करके या फिर परिणाम से जो – पच्चक्खाण दूषित न किया हो वह सचमुच भाव विशुद्ध पच्चक्खाण जानना चाहिए।
Mahapratyakhyan महाप्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

विविधं धर्मोपदेशादि

Hindi 37 Gatha Painna-03 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] पीयं थणयच्छीरं सागरसलिलाउ बहुतरं होज्जा । संसारम्मि अणंते माईणं अन्नमन्नाणं ॥

Translated Sutra: इस अनन्त संसार के लिए नई नई माँ का दूध जीवने पीया है वो सागर के पानी से भी ज्यादा होता है।
Mahapratyakhyan महाप्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

विविधं धर्मोपदेशादि

Hindi 38 Gatha Painna-03 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] बहुसो वि एव रुण्णं पुणो पुणो तासु तासु जाईसु । नयणोदयं पि जाणसु बहुययरं सागरजलाओ ॥

Translated Sutra: उन – उन जातिमें बार – बार मैंने बहुत रुदन किया उस नेत्र के आँसू का पानी भी समुद्र के पानी से ज्यादा होता है ऐसा समझना।
Mahapratyakhyan महाप्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

विविधं धर्मोपदेशादि

Hindi 39 Gatha Painna-03 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] नत्थि किर सो पएसो लोए वालग्गकोडिमित्तो वि । संसारे संसरंतो जत्थ न जाओ मओ वा वि ॥

Translated Sutra: ऐसा कोई भी बाल के अग्र भाग जितना प्रदेश नहीं है कि जहाँ संसारमें भ्रमण करनेवाला जीव पैदा नहीं हुआ और मरा नहीं।
Mahapratyakhyan महाप्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

विविधं धर्मोपदेशादि

Hindi 40 Gatha Painna-03 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] चुलसीई किल लोए जोणीणं पमुहसयसहस्साइं । एक्केक्कम्मि य एत्तो अनंतखुत्तो समुप्पन्नो ॥

Translated Sutra: लोक के लिए वाकईमें चोराशी लाख जीवयोनि है। उसमें हर एक योनिमें जीव अनन्त बार उत्पन्न हुआ है
Mahapratyakhyan महाप्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

विविधं धर्मोपदेशादि

Hindi 41 Gatha Painna-03 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] उड्ढमहे तिरियम्मि य मयाइं बहुयाइं बालमरणाइं । तो ताइं संभरंतो पंडियमरणं मरीहामि ॥

Translated Sutra: उर्ध्वलोक के लिए, अधोलोक के लिए और तिर्यग्‌लोक के लिए मैंने कईं बाल मरण प्राप्त किये हैं इसलिए अब उन मरण को याद करते हुए मैं अब पंड़ित मरण मरूँगा।
Mahapratyakhyan महाप्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

विविधं धर्मोपदेशादि

Hindi 42 Gatha Painna-03 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] माया मि त्ति पिया मे भाया भगिनी य पुत्त धीया य । एयाइं संभरंतो पंडियमरणं मरीहामि ॥

Translated Sutra: मेरी माता, मेरा पिता, मेरा भाई, मेरी बहन, मेरा पुत्र, मेरी पुत्री, उन सब को याद करते हुए (ममत्व छोड़ के) में पंड़ित मौत मरूँगा।
Mahapratyakhyan महाप्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

विविधं धर्मोपदेशादि

Hindi 43 Gatha Painna-03 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] माया-पिइ-बंधूहिं संसारत्थेहिं पूरिओ लोगो । बहुजोणिवासिएणं न य ते ताणं च सरणं च ॥

Translated Sutra: संसार में रहे कईं योनिमें निवास करनेवाले माता, पिता और बन्धु द्वारा पूरा लोक भरा है, वो तेरा त्राण और शरण नहीं है।
Mahapratyakhyan महाप्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

विविधं धर्मोपदेशादि

Hindi 44 Gatha Painna-03 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] एक्को करेइ कम्मं एक्को अनुहवइ दुक्कयविवागं । एक्को संसरइ जिओ जर-मरण-चउग्गईगुविलं ॥

Translated Sutra: जीव अकेले कर्म करता है, और अकेले ही बूरे किए हुए पापकर्म के फल को भुगतता है, तथा अकेले ही इस जरा मरणवाले चतुर्गति समान गहन वनमें भ्रमण करता है।
Mahapratyakhyan महाप्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

विविधं धर्मोपदेशादि

Hindi 45 Gatha Painna-03 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] उव्वेयणयं जम्मण-मरणं नरएसु वेयणाओ वा । एयाइं संभरंतो पंडियमरणं मरीहामि ॥

Translated Sutra: नरक में जन्म और मरण ये दोनों ही उद्वेग करवानेवाले हैं, तथा नरक में कईं वेदनाएं हैं; तिर्यंच की गतिमें भी उद्वेग को करनेवाले जन्म और मरण है, या फिर कईं वेदनाएं होती हैं; मानव की गति में जन्म और मरण है या फिर वेदनाएं हैं; देवलोक में जन्म, मरण उद्वेग करनेवाले हैं और देवलोक से च्यवन होता है इन सबको याद करते हुए मैं
Mahapratyakhyan महाप्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

विविधं धर्मोपदेशादि

Hindi 46 Gatha Painna-03 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] उव्वेयणयं जम्मण-मरणं तिरिएसु वेयणाओ वा । एयाइं संभरंतो पंडियमरणं मरीहामि ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र ४५
Mahapratyakhyan महाप्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

विविधं धर्मोपदेशादि

Hindi 47 Gatha Painna-03 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] उव्वेयणयं जम्मण-मरणं मणुएसु वेयणाओ वा । एयाइं संभरंतो पंडियमरणं मरीहामि ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र ४५
Mahapratyakhyan महाप्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

विविधं धर्मोपदेशादि

Hindi 48 Gatha Painna-03 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] उव्वेयणयं जम्मण-मरणं चवणं च देवलोगाओ । एयाइं संभरंतो पंडियमरणं मरीहामि ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र ४५
Mahapratyakhyan महाप्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

विविधं धर्मोपदेशादि

Hindi 49 Gatha Painna-03 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] एक्कं पंडियमरणं छिंदइ जाईसयाइं बहुयाइं । तं मरणं मरियव्वं जेण मओ सुम्मओ होइ ॥

Translated Sutra: एक पंड़ित मरण कईं सेंकड़ों जन्म को (मरण को) छेदता है। आराधक आत्मा को उस मरण से मरना चाहिए कि जिस मरण से मरनेवाला शुभ मरणवाला होता है (भवभ्रमण घटानेवाला होता है।)
Mahapratyakhyan महाप्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

विविधं धर्मोपदेशादि

Hindi 50 Gatha Painna-03 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] कइया णु तं सुमरणं पंडियमरणं जिनेहिं पन्नत्तं । सुद्धो उद्धियसल्लो पाओवगओ मरीहामि? ॥

Translated Sutra: जो जिनेश्वर भगवान ने कहा हुआ शुभ मरण – यानि पंड़ित मरण है, उसे शुद्ध और शल्य रहित ऐसा मैं पादपोपगम अनशन ले कर कब मृत्यु को पाऊंगा ?
Mahapratyakhyan महाप्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

विविधं धर्मोपदेशादि

Hindi 51 Gatha Painna-03 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] भवसंसारे सव्वे चउव्विहा पोग्गला मए बद्धा । परिणामपसंगेणं अट्ठविहे कम्मसंघाए ॥

Translated Sutra: सर्व भव संसार के लिए परिणाम के अवसर द्वारा चार प्रकार के पुद्‌गल मैंने बाँधे हैं और आठ प्रकार के (ज्ञानावरणीय, दर्शनावरणीय इत्यादि) कर्म का समुदाय मैंने बाँधा है।
Mahapratyakhyan महाप्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

विविधं धर्मोपदेशादि

Hindi 52 Gatha Painna-03 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] संसारचक्कवाले सव्वे ते पोग्गला मए बहुसो । आहारिया य परिणामिया य न य हं गओ तित्तिं ॥

Translated Sutra: संसारचक्र के लिए उन सर्व पुद्‌गल मैंने कईं बार आहाररूप में लेकर परीणमाए तो भी तृप्त न हुआ।
Mahapratyakhyan महाप्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

विविधं धर्मोपदेशादि

Hindi 53 Gatha Painna-03 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] आहारनिमित्तागं अहयं सव्वेसु नरयलोएसु । उववण्णो मि सुबहुसो सव्वासु य मिच्छजाईसु ॥

Translated Sutra: आहार के निमित्त मैं सर्व नरकलोक के लिए कईं बार उत्पन्न हुआ और सर्व म्लेच्छ जाति में उत्पन्न हुआ हूँ
Mahapratyakhyan महाप्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

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Hindi 54 Gatha Painna-03 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] आहारनिमित्तागं मच्छा गच्छंति दारुणे नरए । सच्चित्तो आहारो न खमो मनसा वि पत्थेउं ॥

Translated Sutra: आहार के निमित्त से मत्स्य भयानक नरक में जाते हैं। इसलिए सचित्त आहार मन द्वारा भी प्रार्थे
Mahapratyakhyan महाप्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

विविधं धर्मोपदेशादि

Hindi 55 Gatha Painna-03 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] तण-कट्ठेण व अग्गी लवणजलो वा नईसहस्सेहिं । न इमो जीवो सक्को तिप्पेउं काम-भोगेहिं ॥

Translated Sutra: तृण और काष्ठ द्वारा जैसे अग्नि या हजारों नदियाँ द्वारा जैसे लवणसमुद्र तृप्त नहीं होता वैसे यह जीव कामभोग द्वारा तृप्त नहीं होता।
Mahapratyakhyan महाप्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

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Hindi 56 Gatha Painna-03 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] तण-कट्ठेण व अग्गी लवणजलो वा नईसहस्सेहिं । न इमो जीवो सक्को तिप्पेउं अत्थसारेणं ॥

Translated Sutra: तृण और काष्ठ द्वारा जैसे अग्नि या हजारों नदियों द्वारा जैसे लवणसमुद्र तृप्त नहीं होता वैसे यह जीव द्रव्य द्वारा तृप्त नहीं होता।
Mahapratyakhyan महाप्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

विविधं धर्मोपदेशादि

Hindi 57 Gatha Painna-03 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] तण-कट्ठेण व अग्गी लवणजलो वा नईसहस्सेहिं । न इमो जीवो सक्को तिप्पेउं भोयणविहीए ॥

Translated Sutra: तृण और काष्ठ द्वारा जैसे अग्नि या हजारों नदियों द्वारा जैसे लवणसमुद्र तृप्त नहीं होता वैसे जीव भोजन विधि द्वारा तृप्त नहीं होता।
Mahapratyakhyan महाप्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

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Hindi 58 Gatha Painna-03 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] वलयामुहसामाणो दुप्पारो व नरओ अपरिमेज्जो । न इमो जीवो सक्को तिप्पेउं गंध-मल्लेहिं ॥

Translated Sutra: वड़वानल जैसे और दुःख से पार पाए ऐसे अपरिमित गंध माल्य से यह जीव तृप्त नहीं हो सकता।
Mahapratyakhyan महाप्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

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Hindi 59 Gatha Painna-03 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] अवियण्होऽयं जीवो अईयकालम्मि आगमिस्साए । सद्दाण य रूवाण य गंधाण रसाण फासाणं ॥

Translated Sutra: अविदग्ध (मूरख) ऐसा यह जीव अतीत काल के लिए और अनागत काल के लिए शब्द, रूप, रस, गंध और स्पर्श कर के तृप्त नहीं हुआ और होगा भी नहीं।
Mahapratyakhyan महाप्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

विविधं धर्मोपदेशादि

Hindi 60 Gatha Painna-03 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] कप्पतरुसंभवेसू देवुत्तरकुरवसंपसूएसु । उववाए ण य तित्तो, न य नर-विज्जाहर-सुरेसु ॥

Translated Sutra: देवकुरु, उत्तरकुरु में उत्पन्न होनेवाले कल्पवृक्ष से मिले सुख से और मानव, विद्याधर और देव के लिए उत्पन्न हुए सुख द्वारा यह जीव तृप्त न हो सका।
Mahapratyakhyan महाप्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

विविधं धर्मोपदेशादि

Hindi 61 Gatha Painna-03 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] खइएण व पीएण व न य एसो ताइओ हवइ अप्पा । जइ दुग्गइं न वच्चइ तो नूणं ताइओ होइ ॥

Translated Sutra: खाने या पीने के द्वारा यह आत्मा बचाया नहीं जा सकता; यदि दुर्गति में न जाए तो निश्चय से बचाया हुआ कहा जाता है।
Mahapratyakhyan महाप्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

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Hindi 62 Gatha Painna-03 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] देविंद-चक्कवट्टित्तणाइं रज्जाइं उत्तमा भोगा । पत्ता अनंतखुत्तो न य हं तित्तिं गओ तेहिं ॥

Translated Sutra: देवेन्द्र और चक्रवर्तीपन के राज्य एवम्‌ उत्तम भोग अनन्तीबार पाए लेकिन उनके द्वारा मैं तृप्त न हो सका।
Mahapratyakhyan महाप्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

विविधं धर्मोपदेशादि

Hindi 63 Gatha Painna-03 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] खीरदगुच्छुरसेसुं साऊसु महोदहीसु बहुसो वि । उववण्णो ण य तण्हा छिन्ना मे सीयलजलेणं ॥

Translated Sutra: दूध, दहीं और ईक्षु के रस समान स्वादिष्ट बड़े समुद्र में भी कईं बार मैं उत्पन्न हुआ तो भी शीतल जल द्वारा मेरी तृष्णा न छीप सकी।
Mahapratyakhyan महाप्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

विविधं धर्मोपदेशादि

Hindi 64 Gatha Painna-03 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] तिविहेण य सुहमउलं तम्हा कामरइविसयसोक्खाणं । बहुसो सुहमणुभूयं न य सुहतण्हा परिच्छिण्णा ॥

Translated Sutra: मन, वचन और काया इन तीनों प्रकार से कामभोग के विषय सुख के अतुल सुख को मैंने कईं बार अनुभव किया तो भी सुख की तृष्णा का शमन नहीं हुआ।
Mahapratyakhyan महाप्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

विविधं धर्मोपदेशादि

Hindi 65 Gatha Painna-03 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] जा काइ पत्थणाओ कया मए राग-दोसवसएणं । पडिबंधेण बहुविहं तं निंदे तं च गरिहामि ॥

Translated Sutra: जो किसी प्रार्थना मैंने राग – द्वेष को वश हो कर प्रतिबंध से कर के कईं प्रकार से की हो उस की मैं निन्दा करता हूँ और गुरु की साक्षी में गर्हता हूँ।
Mahapratyakhyan महाप्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

विविधं धर्मोपदेशादि

Hindi 66 Gatha Painna-03 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] हंतूण मोहजालं छेत्तूण य अट्ठकम्मसंकलियं । जम्मण-मरणरहट्टं भेत्तूण भवाओ मुच्चिहिसि ॥

Translated Sutra: मोहजाल को तोड के, आठ कर्म की शृंखला को छेद कर और जन्म – मरण समान अरहट्ट को तोड के तूं संसार से मुक्त हो जाएगा।
Mahapratyakhyan महाप्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

विविधं धर्मोपदेशादि

Hindi 67 Gatha Painna-03 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] पंच य महव्वयाइं तिविहं तिविहेण आरुहेऊणं । मन-वयण-कायगुत्तो सज्जो मरणं पडिच्छिज्जा ॥

Translated Sutra: पाँच महाव्रत को त्रिविधे त्रिविधे आरोप के मन, वचन और कायगुप्तिवाला सावध हो कर मरण को आदरे।
Mahapratyakhyan महाप्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

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Hindi 68 Gatha Painna-03 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] कोहं मानं मायं लोहं पिज्जं तहेय दोसं च । चइऊण अप्पमत्तो रक्खामि महव्वए पंच ॥

Translated Sutra: क्रोध, मान, माया, लोभ, प्रेम और द्वेष का त्याग करके अप्रमत्त ऐसा मैं एवं; कलह, अभ्याख्यान, चाडी और पर की निन्दा का त्याग करता हुआ और तीन गुप्तिवाला मैं एवं; – पाँच इन्द्रिय को संवर कर और काम के पाँच (शब्द आदि) गुण को रूंधकर देव गुरु की अतिआशातना से ड़रनेवाला मैं महाव्रत की रक्षा करता हूँ। सूत्र – ६८–७०
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Hindi 69 Gatha Painna-03 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] कलहं अब्भक्खाणं पेसुन्नं पि य परस्स परिवायं । परिवज्जंतो गुत्तो रक्खामि महाव्वए पंच ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र ६८
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Hindi 70 Gatha Painna-03 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] पंचेंदियसंवरणं पंचेव निरुंभिऊण कामगुणे । अच्चासातणभीओ रक्खामि महव्वए पंच ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र ६८
Mahapratyakhyan महाप्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

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Hindi 71 Gatha Painna-03 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] किण्हा नीला काऊ लेसा झाणाइं अट्ट-रोद्दाइं । परिवज्जिंतो गुत्तो रक्खामि महव्वए पंच ॥

Translated Sutra: कृष्णलेश्या, नीललेश्या, कापोतलेश्या और आर्त्त रौद्र ध्यान को वर्जन करता हुआ गुप्तिवाला और उसके सहित; – तेजोलेश्या, पद्मलेश्या और शुक्ललेश्या एवं शुक्लध्यान को आदरते हुए और उसके सहित पंचमहाव्रत की रक्षा करता हूँ। सूत्र – ७१, ७२
Mahapratyakhyan महाप्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

विविधं धर्मोपदेशादि

Hindi 72 Gatha Painna-03 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] तेऊ पम्हा सुक्का लेसा झाणाइं धम्म-सुक्काइं । उवसंपन्नो जुत्तो रक्खामि महव्वए पंच ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र ७१
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Hindi 73 Gatha Painna-03 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] मनसा मनसच्चविऊ वायासच्चेण करणसच्चेण । तिविहेण वि सच्चविऊ रक्खामि महव्वए पंच ॥

Translated Sutra: मन द्वारा, मन सत्यपन से, वचन सत्यपन से और कर्तव्य सत्यपन से उन तीनों प्रकार से सत्य रूप से प्रवर्तनेवाला और जाननेवाला मैं पंच महाव्रत की रक्षा करता हूँ।
Mahapratyakhyan महाप्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

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Hindi 74 Gatha Painna-03 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] सत्तभयविप्पमुक्को चत्तारि निरुंभिऊण य कसाए । अट्ठमयट्ठाणजढो रक्खामि महव्वए पंच ॥

Translated Sutra: सात भयरहित, चार कषाय रोककर, आठ मद स्थानक रहित होनेवाला मैं पंचमहाव्रत की रक्षा करता हूँ।
Mahapratyakhyan महाप्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

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Hindi 75 Gatha Painna-03 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] गुत्तीओ समिई-भावणाओ नाणं च दंसणं चेव । उवसंपन्नो जुत्तो रक्खामि महव्वए पंच ॥

Translated Sutra: तीन गुप्ति, पाँच समिति, पच्चीस भावनाएं, ज्ञान और दर्शन को आदरता हुआ और उन के सहित मैं पंच – महाव्रत की रक्षा करता हूँ।
Mahapratyakhyan महाप्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

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Hindi 76 Gatha Painna-03 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] एवं तिदंडविरओ तिकरणसुद्धो तिसल्लनिस्सल्लो । तिविहेण अप्पमत्तो रक्खामि महव्वए पंच ॥

Translated Sutra: इसी प्रकार से तीन दंड़ से विरक्त, त्रिकरण शुद्ध, तीन शल्य से रहित और त्रिविधे अप्रमत्त ऐसा मैं पंच – महाव्रत की रक्षा करता हूँ।
Mahapratyakhyan महाप्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

विविधं धर्मोपदेशादि

Hindi 77 Gatha Painna-03 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] संगं परिजाणामिं सल्लं तिविहेण उद्धरेऊणं । गुत्तीओ समिईओ मज्झं ताणं च सरणं च ॥

Translated Sutra: सर्व संग को सम्यक्‌ तरीके से जानता हूँ। माया शल्य, नियाण शल्य और मिथ्यात्व शल्य रूप तीन शल्य को त्रिविधे त्याग कर के, तीन गुप्तियाँ और पाँच समिति मुझे रक्षण और शरण रूप हो।
Mahapratyakhyan महाप्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

विविधं धर्मोपदेशादि

Hindi 78 Gatha Painna-03 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] जह खुहियचक्कवाले पोयं रयणभरियं समुद्दम्मि । निज्जामगा धरेंती कयकरणा बुद्धिसंपन्ना ॥

Translated Sutra: जिस तरह समुद्र का चक्रवाल क्षोभ होता है तब सागर के लिए रत्न से भरे जहाज को कृत करण और बुद्धिमान जहाज चालक रक्षा करते हैं – वैसे गुण समान रत्न द्वारा भरा, परिषह समान कल्लोल द्वारा क्षोभायमान होने को शुरु हुआ तप समान जहाज को उपदेश समान आलम्बनवाला धीर पुरुष आराधन करते हैं (पार पहुँचाता है)। सूत्र – ७८, ७९
Mahapratyakhyan महाप्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

विविधं धर्मोपदेशादि

Hindi 79 Gatha Painna-03 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] तवपोयं गुणभरियं परीसहुम्मीहि खुहिउमारद्धं । तह आराहिंति विऊ उवएसऽवलंबगा धीरा ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र ७८
Mahapratyakhyan महाप्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

विविधं धर्मोपदेशादि

Hindi 80 Gatha Painna-03 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] जइ ताव ते सुपुरिसा आयारोवियभरा निरवयक्खा । पब्भार-कंदरगया साहिंती अप्पणो अट्ठं ॥

Translated Sutra: यदि इस प्रकार से आत्मा के लिए व्रत का भार वहन करनेवाला, शरीर के लिए निरपेक्ष और पहाड़ की गुफामें रहे हुए वो सत्पुरुष अपने अर्थ की साधना करते हैं।
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