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Chandrapragnapati चंद्रप्रज्ञप्ति सूत्र Ardha-Magadhi

प्राभृत-१

प्राभृत-प्राभृत-१ Hindi 106 Sutra Upang-06 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] तत्थ खलु इमे छ उडू पन्नत्ता, तं जहा–पाउसे बरिसारत्ते सरदे हेमंते वसंते गिम्हे। ता सव्वेवि णं एते चंदउडू दुवे-दुवे मासाति चउप्पण्णेणं-चउप्पण्णेणं आदानेनं गणिज्जमाणा सातिरेगाइं एगूणसट्ठिं-एगूणसट्ठिं राइंदियाइं राइंदियग्गेणं आहितेति वदेज्जा। तत्थ खलु इमे छ ओमरत्ता पन्नत्ता, तं जहा–ततिए पव्वे सत्तमे पव्वे एक्कारसमे पव्वे पन्नरसमे पव्वे एकूणवीसतिमे पव्वे तेवीसतिमे पव्वे। तत्थ खलु इमे छ अइरत्ता, तं जहा–चउत्थे पव्वे अट्ठमे पव्वे बारसमे पव्वे सोलसमे पव्वे वीसतिमे पव्वे चउवीसतिमे पव्वे।

Translated Sutra: एक युग में साठ सौरमास और बासठ चांद्रमास होते हैं। इस समय को छह गुना करके बारह से विभक्त करने से तीस आदित्य संवत्सर और इकतीस चांद्र संवत्सर होते हैं। एक युग में साठ आदित्य मास, एकसठ ऋतु मास, बासठ चांद्रमास और सडसठ नक्षत्र मास होते हैं और इसी प्रकार से साठ आदित्य संवत्सर यावत्‌ सडसठ नक्षत्र संवत्सर होते हैं।
Chandrapragnapati चंद्रप्रज्ञप्ति सूत्र Ardha-Magadhi

प्राभृत-१

प्राभृत-प्राभृत-१ Hindi 107 Gatha Upang-06 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] छच्चेव च अइरत्ता, आदिच्चाओ हवंति माणाहिं । छच्चेव ओमरत्ता, चंदाओ हवंति माणाहिं ॥

Translated Sutra: निश्चय से ऋतु छह प्रकार की है – प्रावृट्‌, वर्षारात्र, शरद, हेमंत, वसंत और ग्रीष्म। यह सब अगर चंद्रऋतु होती हैं तो दो – दो मास प्रमाण होती हैं, ३५४ अहोरात्र से गीनते हुए सातिरेक उनसाठ – उनसाठ रात्रि प्रमाण होती है। इसमें छह अवमरात्र – क्षयदिवस कहे हैं – तीसरे, सातवें – ग्यारहवें, पन्द्रहवें – उन्नीसवें और तेईस
Chandrapragnapati ચંદ્રપ્રજ્ઞપ્તિ સૂત્ર Ardha-Magadhi

प्राभृत-१

प्राभृत-प्राभृत-१ Gujarati 106 Sutra Upang-06 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] तत्थ खलु इमे छ उडू पन्नत्ता, तं जहा–पाउसे बरिसारत्ते सरदे हेमंते वसंते गिम्हे। ता सव्वेवि णं एते चंदउडू दुवे-दुवे मासाति चउप्पण्णेणं-चउप्पण्णेणं आदानेनं गणिज्जमाणा सातिरेगाइं एगूणसट्ठिं-एगूणसट्ठिं राइंदियाइं राइंदियग्गेणं आहितेति वदेज्जा। तत्थ खलु इमे छ ओमरत्ता पन्नत्ता, तं जहा–ततिए पव्वे सत्तमे पव्वे एक्कारसमे पव्वे पन्नरसमे पव्वे एकूणवीसतिमे पव्वे तेवीसतिमे पव्वे। तत्थ खलु इमे छ अइरत्ता, तं जहा–चउत्थे पव्वे अट्ठमे पव्वे बारसमे पव्वे सोलसमे पव्वे वीसतिमे पव्वे चउवीसतिमे पव्वे।

Translated Sutra: સૂત્ર– ૧૦૬. તેમાં નિશ્ચે આ છ ઋતુઓ કહેલ છે, તે આ પ્રમાણે – પ્રાવૃષ, વર્ષારાત્ર, શરદ, હેમંત, વસંત, ગ્રીષ્મ. આ બધી ચંદ્ર ઋતુઓ બે માસ પ્રમાણ થાય છે અને સંવત્સરના ૩૫૪ – ૩૫૪ અહોરાત્ર વડે ગણતા સાતિરેક ૫૯ – ૫૯ અહોરાત્ર પ્રમાણથી હોય છે. તેમાં નિશ્ચે આ છ અહોરાત્ર – ઘટતી રાત્રિ કહેલી છે, તે આ પ્રમાણે – ત્રીજા પર્વમાં, સાતમાં
Chandrapragnapati ચંદ્રપ્રજ્ઞપ્તિ સૂત્ર Ardha-Magadhi

प्राभृत-१

प्राभृत-प्राभृत-१ Gujarati 107 Gatha Upang-06 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] छच्चेव च अइरत्ता, आदिच्चाओ हवंति माणाहिं । छच्चेव ओमरत्ता, चंदाओ हवंति माणाहिं ॥

Translated Sutra: જુઓ સૂત્ર ૧૦૬
Sthanang स्थानांग सूत्र Ardha-Magadhi

स्थान-२

उद्देशक-३ Hindi 96 Sutra Ang-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] धायइसंडे दीवे पच्चत्थिमद्धे णं मंदरस्स पव्वयस्स उत्तर-दाहिणे णं दो वासा पन्नत्ता–बहुसमतुल्ला जाव तं जहा –भरहे चेव, एरवए चेव। एवं–जहा जंबुद्दीवे तहा एत्थवि भाणियव्वं जाव छव्विहंपि कालं पच्चणुभवमाणा विहरंति, तं जहा–भरहे चेव, एरवए चेव, नवरं–कूडसामली चेव, महाधायईरुक्खे चेव। देवा–गरुले चेव वेणुदेवे, पियदंसणे चेव। धायइसंडे णं दीवे दो भरहाइं, दो एरवयाइं, दो हेमवयाइं, दो हेरण्णवयाइं, दो हरिवासाइं, दो रम्मगवासाइं, दो पुव्वविदेहाइं, दो अवरविदेहाइं, दो देवकुराओ, दो देवकुरुमहद्दुमा, दो देवकुरुमहद्दुमवासी देवा, दो उत्तरकुराओ, दो उत्तरकुरुमह-द्दुमा, दो उत्तरकुरुमहद्दुमवासी

Translated Sutra: पूर्वार्ध धातकीखंडवर्ती मेरु पर्वत के उत्तर और दक्षिण में दो क्षेत्र कहे गए हैं जो अति समान हैं – यावत्‌ उनके नाम – भरत और ऐरवत। पहले जम्बूद्वीप के अधिकार में कहा वैसे यहाँ भी कहना चाहिए यावत्‌ – दो क्षेत्र में मनुष्य छः प्रकार के काल का अनुभव करते हुए रहते हैं, उनके नाम – भरत और ऐरवत। विशेषता यह है कि वहाँ कूटशाल्मली
Sthanang સ્થાનાંગ સૂત્ર Ardha-Magadhi

स्थान-२

उद्देशक-३ Gujarati 96 Sutra Ang-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] धायइसंडे दीवे पच्चत्थिमद्धे णं मंदरस्स पव्वयस्स उत्तर-दाहिणे णं दो वासा पन्नत्ता–बहुसमतुल्ला जाव तं जहा –भरहे चेव, एरवए चेव। एवं–जहा जंबुद्दीवे तहा एत्थवि भाणियव्वं जाव छव्विहंपि कालं पच्चणुभवमाणा विहरंति, तं जहा–भरहे चेव, एरवए चेव, नवरं–कूडसामली चेव, महाधायईरुक्खे चेव। देवा–गरुले चेव वेणुदेवे, पियदंसणे चेव। धायइसंडे णं दीवे दो भरहाइं, दो एरवयाइं, दो हेमवयाइं, दो हेरण्णवयाइं, दो हरिवासाइं, दो रम्मगवासाइं, दो पुव्वविदेहाइं, दो अवरविदेहाइं, दो देवकुराओ, दो देवकुरुमहद्दुमा, दो देवकुरुमहद्दुमवासी देवा, दो उत्तरकुराओ, दो उत्तरकुरुमह-द्दुमा, दो उत्तरकुरुमहद्दुमवासी

Translated Sutra: જુઓ સૂત્ર ૯૫
Suryapragnapti सूर्यप्रज्ञप्ति सूत्र Ardha-Magadhi

प्राभृत-१२

Hindi 102 Sutra Upang-05 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] तत्थ खलु इमे छ उडू पन्नत्ता, तं जहा–पाउसे बरिसारत्ते सरदे हेमंते वसंते गिम्हे। ता सव्वेवि णं एते चंदउडू दुवे-दुवे मासाति चउप्पण्णेणं-चउप्पण्णेणं आदानेनं गणिज्जमाणा सातिरेगाइं एगूणसट्ठिं-एगूणसट्ठिं राइंदियाइं राइंदियग्गेणं आहितेति वदेज्जा। तत्थ खलु इमे छ ओमरत्ता पन्नत्ता, तं जहा–ततिए पव्वे सत्तमे पव्वे एक्कारसमे पव्वे पन्नरसमे पव्वे एकूणवीसतिमे पव्वे तेवीसतिमे पव्वे। तत्थ खलु इमे छ अइरत्ता, तं जहा–चउत्थे पव्वे अट्ठमे पव्वे बारसमे पव्वे सोलसमे पव्वे वीसतिमे पव्वे चउवीसतिमे पव्वे।

Translated Sutra: निश्चय से ऋतु छह प्रकार की है – प्रावृट्‌, वर्षारात्र, शरद, हेमंत, वसंत और ग्रीष्म। यह सब अगर चंद्रऋतु होती हैं तो दो – दो मास प्रमाण होती हैं, ३५४ अहोरात्र से गीनते हुए सातिरेक उनसाठ – उनसाठ रात्रि प्रमाण होती है। इसमें छह अवमरात्र – क्षयदिवस कहे हैं – तीसरे, सातवें – ग्यारहवें, पन्द्रहवें – उन्नीसवें और तेईस
Suryapragnapti सूर्यप्रज्ञप्ति सूत्र Ardha-Magadhi

प्राभृत-१२

Hindi 103 Gatha Upang-05 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] छच्चेव च अइरत्ता, आदिच्चाओ हवंति मानाहिं । छच्चेव ओमरत्ता, चंदाओ हवंति मानाहिं ॥

Translated Sutra: सूर्यमास की अपेक्षा से छह अतिरात्र और चांद्रमास की अपेक्षा से छह अवमरात्र प्रत्येक वर्ष में आते हैं।
Suryapragnapti સૂર્યપ્રજ્ઞપ્તિ સૂત્ર Ardha-Magadhi

प्राभृत-१२

Gujarati 102 Sutra Upang-05 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] तत्थ खलु इमे छ उडू पन्नत्ता, तं जहा–पाउसे बरिसारत्ते सरदे हेमंते वसंते गिम्हे। ता सव्वेवि णं एते चंदउडू दुवे-दुवे मासाति चउप्पण्णेणं-चउप्पण्णेणं आदानेनं गणिज्जमाणा सातिरेगाइं एगूणसट्ठिं-एगूणसट्ठिं राइंदियाइं राइंदियग्गेणं आहितेति वदेज्जा। तत्थ खलु इमे छ ओमरत्ता पन्नत्ता, तं जहा–ततिए पव्वे सत्तमे पव्वे एक्कारसमे पव्वे पन्नरसमे पव्वे एकूणवीसतिमे पव्वे तेवीसतिमे पव्वे। तत्थ खलु इमे छ अइरत्ता, तं जहा–चउत्थे पव्वे अट्ठमे पव्वे बारसमे पव्वे सोलसमे पव्वे वीसतिमे पव्वे चउवीसतिमे पव्वे।

Translated Sutra: સૂત્ર– ૧૦૨. તેમાં નિશ્ચે આ છ ઋતુઓ કહેલ છે, તે આ પ્રમાણે – પ્રાવૃષ, વર્ષારાત્ર, શરદ, હેમંત, વસંત, ગ્રીષ્મ. આ બધી ચંદ્ર ઋતુઓ બે માસ પ્રમાણ થાય છે અને સંવત્સરના ૩૫૪ – ૩૫૪ અહોરાત્ર વડે ગણતા સાતિરેક ૫૯ – ૫૯ અહોરાત્ર પ્રમાણથી હોય છે. તેમાં નિશ્ચે આ છ અહોરાત્ર – ઘટતી રાત્રિ કહેલી છે, તે આ પ્રમાણે – ત્રીજા પર્વમાં, સાતમાં
Suryapragnapti સૂર્યપ્રજ્ઞપ્તિ સૂત્ર Ardha-Magadhi

प्राभृत-१२

Gujarati 103 Gatha Upang-05 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] छच्चेव च अइरत्ता, आदिच्चाओ हवंति मानाहिं । छच्चेव ओमरत्ता, चंदाओ हवंति मानाहिं ॥

Translated Sutra: જુઓ સૂત્ર ૧૦૨
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