Sutra Navigation: Jain Dharma Sar ( जैन धर्म सार )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 2011921 | ||
Scripture Name( English ): | Jain Dharma Sar | Translated Scripture Name : | जैन धर्म सार |
Mool Language : | Sanskrit | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
18. आम्नाय अधिकार |
Translated Chapter : |
18. आम्नाय अधिकार |
Section : | 3. दिगम्बर-सूत्र | Translated Section : | 3. दिगम्बर-सूत्र |
Sutra Number : | 418 | Category : | |
Gatha or Sutra : | Sutra Anuyog : | ||
Author : | Original Author : | ||
Century : | Sect : | ||
Source : | प्रवचनसार। २२५ की प्रक्षेपक गाथा ७ | ||
Mool Sutra : | निश्चयतः स्त्रीणां सिद्धिर्न, तेनैव जन्मना दृष्टा। तस्मात् तत्प्रतिरूपं, विकल्पिकं लिंगं स्त्रीणां ।। | ||
Sutra Meaning : | निश्चय से स्त्रियों को इसी जन्म से सिद्धि होती नहीं देखी गयी है, क्योंकि सावरण होने के कारण, उन्हें निर्ग्रन्थ का अचेल लिंग सम्भव नहीं। | ||
Mool Sutra Transliteration : | Nishchayatah strinam siddhirna, tenaiva janmana drishta. Tasmat tatpratirupam, vikalpikam limgam strinam\.. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Nishchaya se striyom ko isi janma se siddhi hoti nahim dekhi gayi hai, kyomki savarana hone ke karana, unhem nirgrantha ka achela limga sambhava nahim. |