Sutra Navigation: Jain Dharma Sar ( जैन धर्म सार )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 2011809 | ||
Scripture Name( English ): | Jain Dharma Sar | Translated Scripture Name : | जैन धर्म सार |
Mool Language : | Sanskrit | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
12. द्रव्याधिकार - (विश्व-दर्शन योग) |
Translated Chapter : |
12. द्रव्याधिकार - (विश्व-दर्शन योग) |
Section : | 5. धर्म तथा अधर्म द्रव्य | Translated Section : | 5. धर्म तथा अधर्म द्रव्य |
Sutra Number : | 306 | Category : | |
Gatha or Sutra : | Sutra Anuyog : | ||
Author : | Original Author : | ||
Century : | Sect : | ||
Source : | पंचास्तिककाय । ८७ | ||
Mool Sutra : | जातमलोकलोकं, ययोः सद्भावतश्च गमनस्थिती। द्वावपि च मतौ विभक्ता-वविभक्तौ लोकमात्रौ च ।। | ||
Sutra Meaning : | वास्तव में देखा जाये तो इन दो द्रव्यों के कारण ही एक अखण्ड आकाश में पूर्वोक्त लोक व अलोक विभाग उत्पन्न हो गये हैं। ये दोनों ही लोकाकाश परिमाण हैं, और एक क्षेत्रावगाही हैं। परन्तु अपने-अपने स्वरूप की अपेक्षा दोनों की सत्ता जुदी-जुदी है। एक का स्वरूप या लक्षण गति हेतुत्व है और दूसरे का स्थिति हेतुत्व। | ||
Mool Sutra Transliteration : | Jatamalokalokam, yayoh sadbhavatashcha gamanasthiti. Dvavapi cha matau vibhakta-vavibhaktau lokamatrau cha\.. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Vastava mem dekha jaye to ina do dravyom ke karana hi eka akhanda akasha mem purvokta loka va aloka vibhaga utpanna ho gaye haim. Ye donom hi lokakasha parimana haim, aura eka kshetravagahi haim. Parantu apane-apane svarupa ki apeksha donom ki satta judi-judi hai. Eka ka svarupa ya lakshana gati hetutva hai aura dusare ka sthiti hetutva. |