Sutra Navigation: Jain Dharma Sar ( जैन धर्म सार )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 2011655 | ||
Scripture Name( English ): | Jain Dharma Sar | Translated Scripture Name : | जैन धर्म सार |
Mool Language : | Sanskrit | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
7. व्यवहार-चारित्र अधिकार - (साधना अधिकार) [कर्म-योग] |
Translated Chapter : |
7. व्यवहार-चारित्र अधिकार - (साधना अधिकार) [कर्म-योग] |
Section : | 5. अप्रमाद-सूत्र | Translated Section : | 5. अप्रमाद-सूत्र |
Sutra Number : | 153 | Category : | |
Gatha or Sutra : | Sutra Anuyog : | ||
Author : | Original Author : | ||
Century : | Sect : | ||
Source : | भगवती आराधना । १२०१; तुलना: पीछे गाथा १५२। | ||
Mool Sutra : | पद्मिनी पत्रं व यथा, उदकेन न लिप्यति स्नेहगुण युक्तं। तथा सम्यग्दृष्टिः न लिप्यति, साधुः कायेषु ईर्यन् ।। | ||
Sutra Meaning : | समिति पूर्वक शरीर से सब कुछ करता हुआ भी साधु, कर्मों से उसी प्रकार लिप्त नहीं होता, जिस प्रकार स्निग्ध गुण से युक्त होने के कारण कमल का पत्ता जल से लिप्त नहीं होता। [प्रश्न-आत्मज्ञानी सम्यग्दृष्टि को यह सब यत्नाचार आदि करने की क्या आवश्यकता है?] | ||
Mool Sutra Transliteration : | Padmini patram va yatha, udakena na lipyati snehaguna yuktam. Tatha samyagdrishtih na lipyati, sadhuh kayeshu iryan\.. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Samiti purvaka sharira se saba kuchha karata hua bhi sadhu, karmom se usi prakara lipta nahim hota, jisa prakara snigdha guna se yukta hone ke karana kamala ka patta jala se lipta nahim hota. [prashna-atmajnyani samyagdrishti ko yaha saba yatnachara adi karane ki kya avashyakata hai?] |