Sutra Navigation: Jain Dharma Sar ( जैन धर्म सार )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 2011562 | ||
Scripture Name( English ): | Jain Dharma Sar | Translated Scripture Name : | जैन धर्म सार |
Mool Language : | Sanskrit | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
4. सम्यग्दर्शन अधिकार - (जागृति योग) |
Translated Chapter : |
4. सम्यग्दर्शन अधिकार - (जागृति योग) |
Section : | 9. उपगूहनत्व (अनहंकारत्व) | Translated Section : | 9. उपगूहनत्व (अनहंकारत्व) |
Sutra Number : | 61 | Category : | |
Gatha or Sutra : | Sutra Anuyog : | ||
Author : | Original Author : | ||
Century : | Sect : | ||
Source : | सूत्र कृतांग । १४.१९; तुलना: का. अ.। ४१९ | ||
Mool Sutra : | नो छादयेन्नापि च लूषयेद्, मानं न सेवेत् प्रकाशनं च। न चापि प्राज्ञः परिहासं कुर्यात्, न चाशीर्वादं व्यागृणीयात् ।। | ||
Sutra Meaning : | सम्यग्दृष्टि पुरुष न तो सूत्र के अर्थ को छिपाता है, और न स्व-पक्ष पोषणार्थ उसका अन्यथा कथन करता है। वह अन्य के गुणों को छिपाता नहीं और न ही अपने गुणों का गर्व करके अपनी महत्ता का बखान करता है। स्वयं को प्रज्ञावन्त जानकर वह अन्य का उपहास नहीं करता और न ही अपना गौरव जताने के लिए किसीको आशीर्वाद देता है। | ||
Mool Sutra Transliteration : | No chhadayennapi cha lushayed, manam na sevet prakashanam cha. Na chapi prajnyah parihasam kuryat, na chashirvadam vyagriniyat\.. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Samyagdrishti purusha na to sutra ke artha ko chhipata hai, aura na sva-paksha poshanartha usaka anyatha kathana karata hai. Vaha anya ke gunom ko chhipata nahim aura na hi apane gunom ka garva karake apani mahatta ka bakhana karata hai. Svayam ko prajnyavanta janakara vaha anya ka upahasa nahim karata aura na hi apana gaurava jatane ke lie kisiko ashirvada deta hai. |