Sutra Navigation: Jain Dharma Sar ( जैन धर्म सार )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 2011561 | ||
Scripture Name( English ): | Jain Dharma Sar | Translated Scripture Name : | जैन धर्म सार |
Mool Language : | Sanskrit | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
4. सम्यग्दर्शन अधिकार - (जागृति योग) |
Translated Chapter : |
4. सम्यग्दर्शन अधिकार - (जागृति योग) |
Section : | 8. अमूढ़दृष्टित्व (स्व-धर्म-निष्ठा) | Translated Section : | 8. अमूढ़दृष्टित्व (स्व-धर्म-निष्ठा) |
Sutra Number : | 60 | Category : | |
Gatha or Sutra : | Sutra Anuyog : | ||
Author : | Original Author : | ||
Century : | Sect : | ||
Source : | उत्तराध्ययन । १८.२६; तुलना: का. अ.। ४१८ | ||
Mool Sutra : | मायोदितमेतत् तु, मृषाभाषा, निरर्थिका। सयच्छन्नप्यहम्, वसामि ईर्यायां च ।। | ||
Sutra Meaning : | (अपने-अपने पक्ष का पोषण करने में रत अनेक मत-मतान्तर लोक में प्रचलित हैं) ये सब मायाचारी हैं और इनकी वाणी मिथ्या व निरर्थक हैं। उनके कथन को सुनकर भी मैं भ्रम में नहीं पड़ता। संयम में स्थित रहता हूँ तथा यतनापूर्वक चलता हूँ। | ||
Mool Sutra Transliteration : | Mayoditametat tu, mrishabhasha, nirarthika. Sayachchhannapyaham, vasami iryayam cha\.. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | (apane-apane paksha ka poshana karane mem rata aneka mata-matantara loka mem prachalita haim) ye saba mayachari haim aura inaki vani mithya va nirarthaka haim. Unake kathana ko sunakara bhi maim bhrama mem nahim parata. Samyama mem sthita rahata hum tatha yatanapurvaka chalata hum. |