Sutra Navigation: Jain Dharma Sar ( जैन धर्म सार )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 2011545 | ||
Scripture Name( English ): | Jain Dharma Sar | Translated Scripture Name : | जैन धर्म सार |
Mool Language : | Sanskrit | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
4. सम्यग्दर्शन अधिकार - (जागृति योग) |
Translated Chapter : |
4. सम्यग्दर्शन अधिकार - (जागृति योग) |
Section : | 1. सम्यग्दर्शन (तत्त्वार्थ दर्शन) | Translated Section : | 1. सम्यग्दर्शन (तत्त्वार्थ दर्शन) |
Sutra Number : | 44 | Category : | |
Gatha or Sutra : | Sutra Anuyog : | ||
Author : | Original Author : | ||
Century : | Sect : | ||
Source : | सावय पण्णत्ति । ६१ | ||
Mool Sutra : | यन्मौनं तत्सम्यक् यत्सम्यक् तदिह भवति मौनमिति। निश्चयतः इतरस्य तु सम्यक्त्वं सम्यक्त्वहेतुरपि ।। | ||
Sutra Meaning : | परमार्थतः मौन ही सम्यक्त्व है और सम्यक्त्व ही मौन है। तत्त्वार्थ श्रद्धान लक्षणवाला व्यवहार सम्यक्त्व इसका हेतु है। | ||
Mool Sutra Transliteration : | Yanmaunam tatsamyak yatsamyak tadiha bhavati maunamiti. Nishchayatah itarasya tu samyaktvam samyaktvaheturapi\.. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Paramarthatah mauna hi samyaktva hai aura samyaktva hi mauna hai. Tattvartha shraddhana lakshanavala vyavahara samyaktva isaka hetu hai. |