Sutra Navigation: Jain Dharma Sar ( जैन धर्म सार )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 2011269 | ||
Scripture Name( English ): | Jain Dharma Sar | Translated Scripture Name : | जैन धर्म सार |
Mool Language : | Prakrit | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
11. धर्म अधिकार - (मोक्ष संन्यास योग) |
Translated Chapter : |
11. धर्म अधिकार - (मोक्ष संन्यास योग) |
Section : | 8. यज्ञ-सूत्र | Translated Section : | 8. यज्ञ-सूत्र |
Sutra Number : | 266 | Category : | |
Gatha or Sutra : | Sutra Anuyog : | ||
Author : | Original Author : | ||
Century : | Sect : | ||
Source : | उत्तराध्ययन । १२.४४; तुलना: महा पुराण । ६७.२०२-२०३ | ||
Mool Sutra : | तवो जोई जीवो जोइठाणं, जोगा सुया सरीरं कारिसंगं। कम्ममेहा संजमजोग सन्ती, होमं हुणामी इसिणं पसत्थं ।। | ||
Sutra Meaning : | तप अग्नि है, जीव यज्ञ-कुण्ड है, मन वचन व काय ये तीनों योग स्रुवा है, शरीर करीषांग है, कर्म समिधा है, संयम का व्यापार शान्तिपाठ है। इस प्रकार के पारमार्थिक होम से मैं अग्नि (आत्मा) को प्रसन्न करता हूँ। ऐसे ही यज्ञ को ऋषियों ने प्रशस्त माना है। | ||
Mool Sutra Transliteration : | Tavo joi jivo joithanam, Joga suya sariram karisamgam. Kammameha samjamajoga santi, Homam hunami isinam pasattham\.. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Tapa agni hai, jiva yajnya-kunda hai, mana vachana va kaya ye tinom yoga sruva hai, sharira karishamga hai, karma samidha hai, samyama ka vyapara shantipatha hai. Isa prakara ke paramarthika homa se maim agni (atma) ko prasanna karata hum. Aise hi yajnya ko rishiyom ne prashasta mana hai. |