Sutra Navigation: Saman Suttam ( समणसुत्तं )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 2004697 | ||
Scripture Name( English ): | Saman Suttam | Translated Scripture Name : | समणसुत्तं |
Mool Language : | Sanskrit | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
चतुर्थ खण्ड – स्याद्वाद |
Translated Chapter : |
चतुर्थ खण्ड – स्याद्वाद |
Section : | ३९. नयसूत्र | Translated Section : | ३९. नयसूत्र |
Sutra Number : | 697 | Category : | |
Gatha or Sutra : | Sutra Anuyog : | ||
Author : | Original Author : | ||
Century : | Sect : | ||
Source : | नयचक्र 189 | ||
Mool Sutra : | पर्ययं गौणं कृत्वा, द्रव्यमपि च यो हि गृह्णाति लोके। स द्रव्यार्थिको भणितो, विपरीतः पर्ययार्थिनयः।।८।। | ||
Sutra Meaning : | जो ज्ञान पर्याय को गौण करके लोक में द्रव्य का ही ग्रहण करता है, उसे द्रव्यार्थिक नय कहा गया है। और जो द्रव्य को गौण करके पर्याय का ही ग्रहण करता है, उसे पर्यायार्थिक नय कहा गया है। | ||
Mool Sutra Transliteration : | Paryayam gaunam kritva, dravyamapi cha yo hi grihnati loke. Sa dravyarthiko bhanito, viparitah paryayarthinayah..8.. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Jo jnyana paryaya ko gauna karake loka mem dravya ka hi grahana karata hai, use dravyarthika naya kaha gaya hai. Aura jo dravya ko gauna karake paryaya ka hi grahana karata hai, use paryayarthika naya kaha gaya hai. |