Sutra Navigation: Saman Suttam ( समणसुत्तं )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 2004687 | ||
Scripture Name( English ): | Saman Suttam | Translated Scripture Name : | समणसुत्तं |
Mool Language : | Sanskrit | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
चतुर्थ खण्ड – स्याद्वाद |
Translated Chapter : |
चतुर्थ खण्ड – स्याद्वाद |
Section : | ३८. प्रमाणसूत्र | Translated Section : | ३८. प्रमाणसूत्र |
Sutra Number : | 687 | Category : | |
Gatha or Sutra : | Sutra Anuyog : | ||
Author : | Original Author : | ||
Century : | Sect : | ||
Source : | विशेषावश्यकभाष्य 90 | ||
Mool Sutra : | अक्षस्य पुद्गलकृतानि, यत्द्रव्येन्द्रियमनांसि पराणि तेन। तैस्तस्माद् यज्ज्ञानं, परोक्षमिह तदनुमानमिव।।१४।। | ||
Sutra Meaning : | पौद्गलिक होने के कारण द्रव्येन्द्रियाँ और मन `अक्ष' अर्थात् जीव से `पर' (भिन्न) हैं। अतः उनसें होनेवाला ज्ञान परोक्ष कहलाता है। जैसे अनुमान में धूम से अग्नि का ज्ञान होता है, वैसे ही परोक्षज्ञान भी `पर' के निमित्त से होता है। | ||
Mool Sutra Transliteration : | Akshasya pudgalakritani, yatdravyendriyamanamsi parani tena. Taistasmad yajjnyanam, parokshamiha tadanumanamiva..14.. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Paudgalika hone ke karana dravyendriyam aura mana `aksha arthat jiva se `para (bhinna) haim. Atah unasem honevala jnyana paroksha kahalata hai. Jaise anumana mem dhuma se agni ka jnyana hota hai, vaise hi parokshajnyana bhi `para ke nimitta se hota hai. |