Sutra Navigation: Saman Suttam ( समणसुत्तं )
Search Details
Mool File Details |
|
Anuvad File Details |
|
Sr No : | 2004648 | ||
Scripture Name( English ): | Saman Suttam | Translated Scripture Name : | समणसुत्तं |
Mool Language : | Sanskrit | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
तृतीय खण्ड - तत्त्व-दर्शन |
Translated Chapter : |
तृतीय खण्ड - तत्त्व-दर्शन |
Section : | ३५. द्रव्यसूत्र | Translated Section : | ३५. द्रव्यसूत्र |
Sutra Number : | 648 | Category : | |
Gatha or Sutra : | Sutra Anuyog : | ||
Author : | Original Author : | ||
Century : | Sect : | ||
Source : | प्रवचनसार 1/23 | ||
Mool Sutra : | आत्मा ज्ञानप्रमाणः, ज्ञानं ज्ञेयप्रमाणमुद्दिष्टम्। ज्ञेयं लोकालोकं, तस्माज्ज्ञानं तु सर्वगतम्।।२५।। | ||
Sutra Meaning : | (इस प्रकार व्यवहारनय से जीव शरीरव्यापी है, किन्तु-) वह ज्ञान-प्रमाण है, ज्ञान ज्ञेयप्रमाण है तथा ज्ञेय लोक-अलोक है, अतः ज्ञान सर्वव्यापी है। आत्मा ज्ञान-प्रमाण होने से आत्मा भी सर्वव्यापी है। | ||
Mool Sutra Transliteration : | Atma jnyanapramanah, jnyanam jnyeyapramanamuddishtam. Jnyeyam lokalokam, tasmajjnyanam tu sarvagatam..25.. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | (isa prakara vyavaharanaya se jiva shariravyapi hai, kintu-) vaha jnyana-pramana hai, jnyana jnyeyapramana hai tatha jnyeya loka-aloka hai, atah jnyana sarvavyapi hai. Atma jnyana-pramana hone se atma bhi sarvavyapi hai. |