Sutra Navigation: Saman Suttam ( समणसुत्तं )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 2004630 | ||
Scripture Name( English ): | Saman Suttam | Translated Scripture Name : | समणसुत्तं |
Mool Language : | Sanskrit | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
तृतीय खण्ड - तत्त्व-दर्शन |
Translated Chapter : |
तृतीय खण्ड - तत्त्व-दर्शन |
Section : | ३५. द्रव्यसूत्र | Translated Section : | ३५. द्रव्यसूत्र |
Sutra Number : | 630 | Category : | |
Gatha or Sutra : | Sutra Anuyog : | ||
Author : | Original Author : | ||
Century : | Sect : | ||
Source : | पंचास्तिकाय 7 | ||
Mool Sutra : | अन्योऽन्यं प्रविशन्तः, ददत्यवकाशमन्योऽन्यस्य। मिलन्तोऽपि च नित्यं, स्वकं स्वभावं न विजहति।।७।। | ||
Sutra Meaning : | ये सब द्रव्य परस्पर में प्रविष्ट हैं। एक द्रव्य दूसरे द्रव्य को अवकाश देते हुए स्थित है। ये इसी प्रकार अनादिकाल से मिले हुए हैं, किन्तु अपना-अपना स्वभाव नहीं छोड़ते हैं। | ||
Mool Sutra Transliteration : | Anyonyam pravishantah, dadatyavakashamanyonyasya. Milantopi cha nityam, svakam svabhavam na vijahati..7.. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Ye saba dravya paraspara mem pravishta haim. Eka dravya dusare dravya ko avakasha dete hue sthita hai. Ye isi prakara anadikala se mile hue haim, kintu apana-apana svabhava nahim chhorate haim. |