Sutra Navigation: Saman Suttam ( समणसुत्तं )
Search Details
Mool File Details |
|
Anuvad File Details |
|
Sr No : | 2004612 | ||
Scripture Name( English ): | Saman Suttam | Translated Scripture Name : | समणसुत्तं |
Mool Language : | Sanskrit | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
तृतीय खण्ड - तत्त्व-दर्शन |
Translated Chapter : |
तृतीय खण्ड - तत्त्व-दर्शन |
Section : | ३४. तत्त्वसूत्र | Translated Section : | ३४. तत्त्वसूत्र |
Sutra Number : | 612 | Category : | |
Gatha or Sutra : | Sutra Anuyog : | ||
Author : | Original Author : | ||
Century : | Sect : | ||
Source : | महाप्रत्याख्यान 101 | ||
Mool Sutra : | यद् अज्ञानी कर्म, क्षयपति बहुकाभिर्वर्षकोटीभिः। तद् ज्ञानी त्रिभिर्गुप्तः, क्षपयत्युच्छ्वासमात्रेण।।२५।। | ||
Sutra Meaning : | अज्ञानी व्यक्ति तप के द्वारा करोड़ों जन्मों या वर्षों में जितने कर्मों का क्षय करता है, उतने कर्मों का नाश ज्ञानी व्यक्ति त्रिगुप्ति के द्वारा एक साँस में सहज कर डालता है। | ||
Mool Sutra Transliteration : | Yad ajnyani karma, kshayapati bahukabhirvarshakotibhih. Tad jnyani tribhirguptah, kshapayatyuchchhvasamatrena..25.. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Ajnyani vyakti tapa ke dvara karorom janmom ya varshom mem jitane karmom ka kshaya karata hai, utane karmom ka nasha jnyani vyakti trigupti ke dvara eka samsa mem sahaja kara dalata hai. |