Sutra Navigation: Saman Suttam ( समणसुत्तं )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 2004477 | ||
Scripture Name( English ): | Saman Suttam | Translated Scripture Name : | समणसुत्तं |
Mool Language : | Sanskrit | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
द्वितीय खण्ड - मोक्ष-मार्ग |
Translated Chapter : |
द्वितीय खण्ड - मोक्ष-मार्ग |
Section : | २८. तपसूत्र | Translated Section : | २८. तपसूत्र |
Sutra Number : | 477 | Category : | |
Gatha or Sutra : | Sutra Anuyog : | ||
Author : | Original Author : | ||
Century : | Sect : | ||
Source : | बृहद्कल्पभाष्य 1165 | ||
Mool Sutra : | स्वाध्यायं जानानः, पञ्चेन्द्रियसंवृतः त्रिगुप्तश्च। भवति च एकाग्रमनाः, विनयेन समाहितः साधुः।।३९।। | ||
Sutra Meaning : | स्वाध्यायी अर्थात् शास्त्रों का ज्ञाता साधु पाँचों इन्द्रियों से संवृत, तीन गुप्तियों से युक्त, विनय से समाहित तथा एकाग्रमन होता है। | ||
Mool Sutra Transliteration : | Svadhyayam jananah, panchendriyasamvritah triguptashcha. Bhavati cha ekagramanah, vinayena samahitah sadhuh..39.. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Svadhyayi arthat shastrom ka jnyata sadhu pamchom indriyom se samvrita, tina guptiyom se yukta, vinaya se samahita tatha ekagramana hota hai. |