Sutra Navigation: Saman Suttam ( समणसुत्तं )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 2004463 | ||
Scripture Name( English ): | Saman Suttam | Translated Scripture Name : | समणसुत्तं |
Mool Language : | Sanskrit | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
द्वितीय खण्ड - मोक्ष-मार्ग |
Translated Chapter : |
द्वितीय खण्ड - मोक्ष-मार्ग |
Section : | २८. तपसूत्र | Translated Section : | २८. तपसूत्र |
Sutra Number : | 463 | Category : | |
Gatha or Sutra : | Sutra Anuyog : | ||
Author : | Original Author : | ||
Century : | Sect : | ||
Source : | मरणसमाधि 4950 | ||
Mool Sutra : | यथा कण्टकेन विद्धः, सर्वाङ्गे वेदनार्दितो भवति। तथैव उद्धृते तु निश्शल्यो निर्वृतो भवति।।२५।। | ||
Sutra Meaning : | जैसे काँटा चुभने पर सारे शरीर में वेदना या पीड़ा होती है और काँटे के निकल जाने पर शरीर निःशल्य अर्थात् सर्वांग सुखी हो जाता है, वैसे ही अपने दोषों को प्रकट न करनेवाला मायावी दुःखी या व्याकुल रहता है और उनको गुरु के समक्ष प्रकट कर देने पर सुविशुद्ध होकर सुखी हो जाता है - मन में कोई शल्य नहीं रह जाता। संदर्भ ४६३-४६४ | ||
Mool Sutra Transliteration : | Yatha kantakena viddhah, sarvange vedanardito bhavati. Tathaiva uddhrite tu nishshalyo nirvrito bhavati..25.. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Jaise kamta chubhane para sare sharira mem vedana ya pira hoti hai aura kamte ke nikala jane para sharira nihshalya arthat sarvamga sukhi ho jata hai, vaise hi apane doshom ko prakata na karanevala mayavi duhkhi ya vyakula rahata hai aura unako guru ke samaksha prakata kara dene para suvishuddha hokara sukhi ho jata hai - mana mem koi shalya nahim raha jata. Samdarbha 463-464 |