Sutra Navigation: Saman Suttam ( समणसुत्तं )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 2004425 | ||
Scripture Name( English ): | Saman Suttam | Translated Scripture Name : | समणसुत्तं |
Mool Language : | Sanskrit | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
द्वितीय खण्ड - मोक्ष-मार्ग |
Translated Chapter : |
द्वितीय खण्ड - मोक्ष-मार्ग |
Section : | २७. आवश्यकसूत्र | Translated Section : | २७. आवश्यकसूत्र |
Sutra Number : | 425 | Category : | |
Gatha or Sutra : | Sutra Anuyog : | ||
Author : | Original Author : | ||
Century : | Sect : | ||
Source : | नियमसार 125 | ||
Mool Sutra : | विरतः सर्वसावद्ये, त्रिगुप्तः पिहितेन्द्रियः। तस्य सामायिकं स्थायि, इति केवलिशासने।।९।। | ||
Sutra Meaning : | जो सर्व-सावद्य (आरम्भ) से विरत है, त्रिगुप्तियुक्त है तथा जितेन्द्रिय है, उसके सामायिक स्थायी होती है, ऐसा केवलि-शासन में कहा गया है। | ||
Mool Sutra Transliteration : | Viratah sarvasavadye, triguptah pihitendriyah. Tasya samayikam sthayi, iti kevalishasane..9.. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Jo sarva-savadya (arambha) se virata hai, triguptiyukta hai tatha jitendriya hai, usake samayika sthayi hoti hai, aisa kevali-shasana mem kaha gaya hai. |