Sutra Navigation: Saman Suttam ( समणसुत्तं )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 2004419 | ||
Scripture Name( English ): | Saman Suttam | Translated Scripture Name : | समणसुत्तं |
Mool Language : | Sanskrit | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
द्वितीय खण्ड - मोक्ष-मार्ग |
Translated Chapter : |
द्वितीय खण्ड - मोक्ष-मार्ग |
Section : | २७. आवश्यकसूत्र | Translated Section : | २७. आवश्यकसूत्र |
Sutra Number : | 419 | Category : | |
Gatha or Sutra : | Sutra Anuyog : | ||
Author : | Original Author : | ||
Century : | Sect : | ||
Source : | नियमसार 152 | ||
Mool Sutra : | प्रतिक्रमणप्रभृतिक्रियां, कुर्व्वन् निश्चयस्य चारित्रम्। तेन तु विरागचरिते, श्रमणोऽभ्युत्थितो भवति।।३।। | ||
Sutra Meaning : | जो निश्चयचारित्रस्वरूप प्रतिक्रमण आदि क्रियाएँ करता है, वह श्रमण वीतराग-चारित्र में समुत्थित या आरूढ़ होता है। | ||
Mool Sutra Transliteration : | Pratikramanaprabhritikriyam, kurvvan nishchayasya charitram. Tena tu viragacharite, shramanobhyutthito bhavati..3.. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Jo nishchayacharitrasvarupa pratikramana adi kriyaem karata hai, vaha shramana vitaraga-charitra mem samutthita ya arurha hota hai. |