Sutra Navigation: Saman Suttam ( समणसुत्तं )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 2004394 | ||
Scripture Name( English ): | Saman Suttam | Translated Scripture Name : | समणसुत्तं |
Mool Language : | Sanskrit | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
द्वितीय खण्ड - मोक्ष-मार्ग |
Translated Chapter : |
द्वितीय खण्ड - मोक्ष-मार्ग |
Section : | २६. समिति-गुप्तिसूत्र | Translated Section : | २६. समिति-गुप्तिसूत्र |
Sutra Number : | 394 | Category : | |
Gatha or Sutra : | Sutra Anuyog : | ||
Author : | Original Author : | ||
Century : | Sect : | ||
Source : | बृहद्कल्पभाष्य 30 | ||
Mool Sutra : | यतना तु धर्मजननी, यतना धर्मस्य पालनी चैव। तद्वृद्धिकरी यतना, एकान्तसुखावहा यतना।।११।। | ||
Sutra Meaning : | यतनाचारिता धर्म की जननी है। यतनाचारिता धर्म की पालनहार हैं। यतनाचारिता धर्म को बढ़ाती है। यतनाचारिता एकान्त सुखावह है। | ||
Mool Sutra Transliteration : | Yatana tu dharmajanani, yatana dharmasya palani chaiva. Tadvriddhikari yatana, ekantasukhavaha yatana..11.. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Yatanacharita dharma ki janani hai. Yatanacharita dharma ki palanahara haim. Yatanacharita dharma ko barhati hai. Yatanacharita ekanta sukhavaha hai. |