Sutra Navigation: Saman Suttam ( समणसुत्तं )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 2004378 | ||
Scripture Name( English ): | Saman Suttam | Translated Scripture Name : | समणसुत्तं |
Mool Language : | Sanskrit | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
द्वितीय खण्ड - मोक्ष-मार्ग |
Translated Chapter : |
द्वितीय खण्ड - मोक्ष-मार्ग |
Section : | २५. व्रतसूत्र | Translated Section : | २५. व्रतसूत्र |
Sutra Number : | 378 | Category : | |
Gatha or Sutra : | Sutra Anuyog : | ||
Author : | Original Author : | ||
Century : | Sect : | ||
Source : | प्रवचनसार 3/39 (231) | ||
Mool Sutra : | आहारे वा विहारे, देशं कालं श्रमं क्षमंं उपधिम्। ज्ञात्वा तान् श्रमणः, वर्तते यदि अल्पलेपी सः।।१५।। | ||
Sutra Meaning : | आहार अथवा विहार में देश, काल, श्रम, अपनी सामर्थ्य तथा उपधि को जानकर श्रमण यदि बरतता है तो वह अल्पलेपी होता है, अर्थात् उसे अल्प ही बन्ध होता है। | ||
Mool Sutra Transliteration : | Ahare va vihare, desham kalam shramam kshamamm upadhim. Jnyatva tan shramanah, vartate yadi alpalepi sah..15.. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Ahara athava vihara mem desha, kala, shrama, apani samarthya tatha upadhi ko janakara shramana yadi baratata hai to vaha alpalepi hota hai, arthat use alpa hi bandha hota hai. |