Sutra Navigation: Saman Suttam ( समणसुत्तं )
Search Details
Mool File Details |
|
Anuvad File Details |
|
Sr No : | 2004340 | ||
Scripture Name( English ): | Saman Suttam | Translated Scripture Name : | समणसुत्तं |
Mool Language : | Sanskrit | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
द्वितीय खण्ड - मोक्ष-मार्ग |
Translated Chapter : |
द्वितीय खण्ड - मोक्ष-मार्ग |
Section : | २४. श्रमणधर्मसूत्र | Translated Section : | २४. श्रमणधर्मसूत्र |
Sutra Number : | 340 | Category : | |
Gatha or Sutra : | Sutra Anuyog : | ||
Author : | Original Author : | ||
Century : | Sect : | ||
Source : | उत्तराध्ययन 25/31 | ||
Mool Sutra : | नाऽपि मुण्डितेन श्रमणः, न ओंकारेण ब्राह्मणः। न मुनिररण्यवासेन, कुशचीरेण न तापसः।।५।। | ||
Sutra Meaning : | केवल सिर मुँड़ाने से कोई श्रमण नहीं होता, ओम् का जप करने से कोई ब्राह्मण नहीं होता, अरण्य में रहने से कोई मुनि नहीं होता, कुश-चीवर धारण करने से कोई तपस्वी नहीं होता। | ||
Mool Sutra Transliteration : | Napi munditena shramanah, na omkarena brahmanah. Na muniraranyavasena, kushachirena na tapasah..5.. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Kevala sira mumrane se koi shramana nahim hota, om ka japa karane se koi brahmana nahim hota, aranya mem rahane se koi muni nahim hota, kusha-chivara dharana karane se koi tapasvi nahim hota. |