Sutra Navigation: Saman Suttam ( समणसुत्तं )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 2004304 | ||
Scripture Name( English ): | Saman Suttam | Translated Scripture Name : | समणसुत्तं |
Mool Language : | Sanskrit | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
द्वितीय खण्ड - मोक्ष-मार्ग |
Translated Chapter : |
द्वितीय खण्ड - मोक्ष-मार्ग |
Section : | २३. श्रावकधर्मसूत्र | Translated Section : | २३. श्रावकधर्मसूत्र |
Sutra Number : | 304 | Category : | |
Gatha or Sutra : | Sutra Anuyog : | ||
Author : | Original Author : | ||
Century : | Sect : | ||
Source : | वासुनन्दिश्रावकाचार 86 | ||
Mool Sutra : | मांसाशनेन वर्धते दर्पः दर्पेण मद्यम् अभिलषति। द्यूतम् अपि रमते ततः तद् अपि वर्णितान् प्राप्नोति दोषान्।।४।। | ||
Sutra Meaning : | मांसाहार से दर्प बढ़ता है। दर्प से मनुष्य में मद्यपान की अभिलाषा जागती है और तब वह जुआ भी खेलता है। इस प्रकार (एक मांसाहार से ही) मनुष्य उक्त वर्णित सर्व दोषों को प्राप्त हो जाता है। | ||
Mool Sutra Transliteration : | Mamsashanena vardhate darpah darpena madyam abhilashati. Dyutam api ramate tatah tad api varnitan prapnoti doshan..4.. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Mamsahara se darpa barhata hai. Darpa se manushya mem madyapana ki abhilasha jagati hai aura taba vaha jua bhi khelata hai. Isa prakara (eka mamsahara se hi) manushya ukta varnita sarva doshom ko prapta ho jata hai. |