Sutra Navigation: Saman Suttam ( समणसुत्तं )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 2004260 | ||
Scripture Name( English ): | Saman Suttam | Translated Scripture Name : | समणसुत्तं |
Mool Language : | Sanskrit | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
द्वितीय खण्ड - मोक्ष-मार्ग |
Translated Chapter : |
द्वितीय खण्ड - मोक्ष-मार्ग |
Section : | १९. सम्यग्ज्ञानसूत्र | Translated Section : | १९. सम्यग्ज्ञानसूत्र |
Sutra Number : | 260 | Category : | |
Gatha or Sutra : | Sutra Anuyog : | ||
Author : | Original Author : | ||
Century : | Sect : | ||
Source : | प्रवचनसार 1/80 | ||
Mool Sutra : | यो जानात्यर्हन्तं, द्रव्यत्वगुणत्वपर्ययत्वैः। स जानात्यात्मानं, मोहः खलु याति तस्य लयम्।।१६।। | ||
Sutra Meaning : | जो अर्हन्त भगवान् को द्रव्य-गुण-पर्याय की अपेक्षा से (पूर्णरूपेण) जानता है, वही आत्मा को जानता है। उसका मोह निश्चय ही विलीन हो जाता है। | ||
Mool Sutra Transliteration : | Yo janatyarhantam, dravyatvagunatvaparyayatvaih. Sa janatyatmanam, mohah khalu yati tasya layam..16.. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Jo arhanta bhagavan ko dravya-guna-paryaya ki apeksha se (purnarupena) janata hai, vahi atma ko janata hai. Usaka moha nishchaya hi vilina ho jata hai. |