Sutra Navigation: Saman Suttam ( समणसुत्तं )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 2004221 | ||
Scripture Name( English ): | Saman Suttam | Translated Scripture Name : | समणसुत्तं |
Mool Language : | Sanskrit | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
द्वितीय खण्ड - मोक्ष-मार्ग |
Translated Chapter : |
द्वितीय खण्ड - मोक्ष-मार्ग |
Section : | १८. सम्यग्दर्शनसूत्र | Translated Section : | १८. सम्यग्दर्शनसूत्र |
Sutra Number : | 221 | Category : | |
Gatha or Sutra : | Sutra Anuyog : | ||
Author : | Original Author : | ||
Century : | Sect : | ||
Source : | सावयपण्णत्ति 61 | ||
Mool Sutra : | यन् मौनं तत् सम्यक्, यत् सम्यक् तदिह भवति मौनमिति। निश्चयतः इतरस्य तु, सम्यक्त्वं सम्यक्त्वहेतुरपि।।३।। | ||
Sutra Meaning : | (अथवा) निश्चय से जो मौन है वही सम्यग्दर्शन है और जो सम्यग्दर्शन है वही मौन है। व्यवहार से जो निश्चय-सम्यग्दर्शन के हेतु हैं, वे भी सम्यग्दर्शन हैं। | ||
Mool Sutra Transliteration : | Yan maunam tat samyak, yat samyak tadiha bhavati maunamiti. Nishchayatah itarasya tu, samyaktvam samyaktvaheturapi..3.. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | (athava) nishchaya se jo mauna hai vahi samyagdarshana hai aura jo samyagdarshana hai vahi mauna hai. Vyavahara se jo nishchaya-samyagdarshana ke hetu haim, ve bhi samyagdarshana haim. |